Wednesday, 30 December 2020

नया वर्ष 2021... नई चुनौतियां....नई आशाएं….नई संभावनाएं...

 

नया वर्ष 2021... नई चुनौतियां....नई आशाएं….नई संभावनाएं...



कोरोना महामारी से व्यथित वर्ष 2020 में जीवन के हर क्षेत्र में अभूतपूर्व आर्थिक-सामाजिक आपदाएं, संकट, चुनौतियाँ और कठिनाइयां देखने को मिलीं। इन चुनौतियों ने 2021 के रूप-स्वरूप में भी आमूल-चूल बदलाव कर दिया है । आइए, नज़र डालते हैं उन चुनौतियों पर, जो भविष्य पर असर डालेंगी-

1.स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए बजट में अधिक राशि का आवंटन करना और नए शोधकार्य को बढ़ावा देना- कोरोना वायरस से हुए दुष्परिणामों ने स्वास्थ्य-सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है । विकसित देश भी ऐसे में लाचार दिखाई दिए ।

2. ज़्यादा स्मार्ट शहरों का उद्भव- संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार 2050 में दुनिया की 10 अरब आबादी के आधे से ज़्यादा लोग सिर्फ़ 10 विकसित देशों में रह रहे होंगे ।जैसे-जैसे गांवों की आबादी शहरों की ओर पलायन करेगी, नये रोज़गार पैदा करने और शहरी सेवाओं को बनाए रखने का दबाव और बढ़ेगा ।

3.मानव और प्रकृति के संबंधों की पुनर्स्थापना- महीन धूलकणों ने हमारी हवा को और प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़ों ने महासागरों को भर दिया है ।हमें साफ-सुथरे विकल्पों की ओर बढ़ने और हानिकारक सामग्रियों तथा ऊर्जा स्रोतों को चलन से बाहर कर देने की ज़रूरत को समझते हुए रचनात्मक और जैव-केंद्रित विकल्पों को अपनाना भी एक बड़ी चुनौती है ।

4.साफ़ और हरी तकनीक को अपनाना- हरी तकनीक की दुनिया में हमारी प्रगति धीमी है ।यहां यह भी समझना आवश्यक है कि स्वच्छता हमेशा नई तकनीक की मोहताज नहीं होती ।सबसे अच्छा समाधान अक्सर मौजूदा आदतों को बदलने से मिलता है ।अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभावी और व्यावहारिक उपाय तलाश कर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है ।

5.अंतरिक्ष की खोज का नया युग- विश्व के सभी देश नये अंतरिक्ष युग में जी रहे हैं ।अंतरिक्ष पर्यटन और चांद पर बस्तियां बसाने की संभावनाएं बढ़ रही हैं ।दुनिया भर की शीर्ष अंतरिक्ष एजेंसियां अपने-अपने महत्वाकांक्षी मिशन में लगी हुई हैं और इंसान उनकी तरफ टकटकी लगाकर देख रहा है ।अंतरिक्ष में हमारी छलांग नए सवालों को प्रेरित कर रही है- हम दूर के खगोलीय पिंडों पर बस्तियां कैसे बसाएंगे?

6.कृत्रिम मेधा (AI) का उदय-मशीनों की मेधा हमारी दक्षता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाए या हमारी उपस्थिति के विकल्प के तौर पर, इसे रोकना अब नामुमकिन है । कृत्रिम मेधा जितनी ज़्यादा परिष्कृत एल्गोरिद्म का मतलब है, निर्णयों और सुझावों में ज़्यादा निश्चितता, इसका सही उपयोग भी एक चुनौती बन कर उभर रहा है ।

7.खाई को पाटना-विविधता बढ़ाने और असमानता कम करने में तरक्की के बावजूद कार्यक्षेत्रों में, मीडिया प्रतिनिधित्व में और दुनिया भर के नेतृत्व में विभाजन की खाई चौड़ी है ।इसे पाटने के लिए नई समावेशी नीतियों और कार्यक्रमों के साथ-साथ ज़मीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और टिकाऊ दुनिया के लिए यह आधार आवश्यक भी है ।

8. बढ़ता राजकोषीय घाटा-इस महामारी के दौर में जब सरकार की आय न के बराबर है और खर्चे विस्तृत रूप से बढ़ते जा रहे हैं तो राजकोषीय घाटे का बढ़ना स्वाभाविक है, यह भी एक बड़ी चुनौती है ।भारत में यह लड़ाई दोतरफा है-एक, इस बीमारी से लड़ने के लिए साधन जुटाना और दूसरा, इस लड़ाई के दौरान समाज के एक बहुत बड़े गरीब तबके की सुरक्षा सुनिश्चित करना ।

9.अस्थायी बेरोजगारी, स्थायी प्रभाव-देशव्यापी लॉकडाउन के खुलने के बाद स्थितियां सामान्य तो हुई हैं, पर क्या यह डरा-सहमा मजदूर दोबारा उन फैक्ट्रियों तक जाने की हिम्मत जुटा भी पाएगा, यह विचारणीय प्रश्न है ।अगर वे समयबद्ध तरीके से वापस कारखानों में नहीं लौटते हैं, तो यह निश्चित है कि भारत की उत्पादन क्षमता पर बेहद नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।

10.ऑनलाइन शिक्षा-आज स्कूलों और कॉलिजों ने ऑनलाइन शिक्षा को अपनाकर विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाने का प्रयत्न तो किया है, परंतु भारत जैसे अनेक देशों में, जहाँ लंबा-चौड़ा गरीब तबका है, यह नाकाफ़ी है और फिर ऑनलाइन शिक्षण की अपनी बाध्यताएं और सीमितताएं भी हैं ।

लेकिन फिर भी कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है  को चरितार्थ करते हुए अब 2021 अपने आगाज़ पर है और नई चुनौतियां के साथ-साथ नई आशाएं और नई संभावनाएं अपनी झोली में लिए हमें बुला रहा है ।इक्कीसवीं सदी के दूसरा दशक में हमने दुनिया को बदलते देखा है, अब तीसरे दशक में भी दुनिया इसी तरह बदलेगी...बदलती रहेगी....नई मंज़िलों की ओर बढ़ेगी। तो आइए, चलें पूरे उत्साह के साथ नए दशक और नए साल में नई राहों की ओर....नई आशाओं के दीप लिए...


मीता गुप्ता

8126671717

एकांत


 एकांत

विश्व विख्यात कवि और उपन्यासकार डी.एच लॉरेंस की प्रसिद्ध रचना है-सॉलीट्यूड, जिसके अंश से एकांत की बात आरंभ करते हैं-

 

लोग अकेलेपन की शिकायत करते हैं

मैं समझ नहीं पाता

वे किस बात से डरते हैं

अकेलापन तो जीवन का

चरम आनंद है, जो है निःसंग

सोचो तो, वही है स्वच्छंद 

जो है अकेला

झांककर देखता है आगे की राह को

पहुंच से बाहर की दुनिया अथाह को

तत्वों के केंद्र-बिंदु से होकर एकतान

बिना किसी बाधा के करता है ध्यान

विषम के बीच छिपे सम का

अपने उद्गम का ।

वास्तव में एकांत ढूँढने के कई सकारात्मक कारण हैं । एकांत की चाह किसी घायल मन की आह भर नहीं, जो जीवन के कांटों से बिंध कर घायल हो चुका है, एकांत सिर्फ उसके लिए शरण मात्र नहीं । यह उस इंसान की ख्वाहिश भर नहीं, जिसे इस संसार में ‘फेंक दिया गया हो’ और वह फेंक दिए जाने की स्थिति से भयभीत होकर एकांत ढूंढ रहा हो । हम जब एकांत में होते हैं, वही वास्तव में होते हैं ।एकांत हमारी चेतना की अंतर्वस्तु को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है ।

अंग्रेज़ी का एक शब्द है-आइसोनोफीलिया । इसका अर्थ है-अकेलेपन, एकांत से गहरा प्रेम । पर इस शब्द को गौर से समझें, तो इसमें अलगाव की एक परछाई भी दिखती है । एकांत प्रेमी हमेशा ही अलगाव की अभेद्य दीवारों के पीछे छिपना चाह रहा हो, यह ज़रूरी नहीं । एकांत की अपनी एक विशेष सुरभि है । जो भीड़ के अशिष्ट प्रपंच में फंस चुका हो, ऐसा मन कभी इसका सौंदर्य नहीं देख सकता । एकांत और अकेलेपन में थोड़ा फ़र्क समझना ज़रूरी है । एकांतवासी में कोई दोष या मनोमालिन्य नहीं  होता  ।वह किसी  भी  व्यक्ति  या  परिस्थिति  के तंग आकर एकांत  की  शरण में  नहीं  जाता  । न  ही  आततायी नियति के विषैले बाणों से घायल होकर वह एकांत की खोज करता है । अंग्रेज़ी कवि लॉर्ड बायरन ऐसे एकांत की बात करते हैं । वे कहते हैं कि ऐसा नहीं कि वे इंसान से कम प्रेम करते हैं, बस प्रकृति से ज़्यादा प्रेम करते हैं ।

बुद्ध अपने शिष्यों से कहते हैं कि वे जंगल में विचरण करते हुए गैंडे के सींग की तरह अकेले रहें । वे कहते हैं-‘प्रत्येक जीव जंतु के प्रति हिंसा का त्याग करते हुए किसी की भी हानि की कामना न करते हुए, अकेले चलो-फिरो, वैसे ही जैसे किसी गैंडे के सींग । हक्सले ‘एकांत के धर्म या रिलिजन ऑफ़ सॉलिट्यूड’ की बात करते हैं । वे कहते हैं, जो मन जितना ही अधिक शक्तिशाली और मौलिक होगा, एकांत के धर्म की तरफ उसका उतना ही अधिक झुकाव होगा । धर्म के क्षेत्र में एकांत, अंधविश्वासों, मतों और धर्मांधता के शोर से दूर ले जाने वाला मंत्र होता है । इसके अलावा एकांत धर्म और विज्ञान के क्षेत्र में अंतर्दृष्टियों को भी जन्म देता है । ज्यां पॉल सार्त्र इस बारे में बड़ी ही खूबसूरत बात कहते हैं । उनका कहना है-ईश्वर एक अनुपस्थिति है। ईश्वर है इंसान का एकांत । गुरुवर रवींद्र नाथ टैगोर एकला चौलो रे ! कहकर एकांत का ही प्रतिपादन करते दीखते हैं ।

क्या एकांत लोग इसलिए पसंद करते हैं कि वे किसी को मित्र बनाने में असमर्थ हैं ? क्या वे सामाजिक होने की अपनी असमर्थता को छुपाने के लिए एकांत को महिमामंडित करते हैं ? वास्तव में एकांत एक दुधारी तलवार की तरह है । लोग क्या कहेंगे इसका डर भी हमें अक्सर एकांत में रहने से रोकता है । यह बड़ी अजीब बात है क्योंकि जब आप वास्तव में अपने साथ या अकेले होते हैं, तभी इस दुनिया और कुदरत के साथ अपने गहरे संबंध का एहसास होता है । इस संसार को और अधिक गहराई और अधिक समानुभूति के साथ प्रेम करके ही हम अपने दुखदाई अकेलेपन से बाहर हो सकते हैं । इसीलिए बच्चन जी कहते हैं-

तट पर है तरुवर एकाकी,

नौका है, सागर में,

अंतरिक्ष में खग एकाकी,

तारा है, अंबर में,

भू पर वन, वारिधि पर बेड़े,

नभ में उडु खग मेला,

नर नारी से भरे जगत में

कवि का हृदय अकेला!

-मीता गुप्ता 8126671717

 

Monday, 16 November 2020

This Diwali

 This Diwali is different. This Diwali is not about whether my house is sparkling clean, it is not about whether I have prepared and distributed a variety of mithais and namkeens, & gifts,,  it is not about whether I have that perfect ethnic attire and accessories  for the occasion, it is not about a bucketful of bucks , that someone would be spending on shopping and firecrackers, it is not about having a grand vacation at an exotic location, it is not even about whether we got a promotion or a raise , or even hired for new job or fired in job...


This Diwali is more about Survival. It is about being grateful that we are still able to breathe and alive for this day. It is about being thankful for the love and care from our loved ones, It about being with the family, safe and fine under one roof and spending time together, It is about lighting a Diya for all those dear and near souls who left us, It is about extending support and spreading cheer to family and friends who have lost their people...It is about praying for healing and extending support & strength to those who are under medical treatment,,   It is about spreading happiness & positivity to those who have suffered losses in jobs and businesses... 


This Diwali is more about being hopeful, being positive ,  for a  healthy & happy tomorrow.💐🎊🎊🎊🌹🙏🏼


This Diwali is only & only about being in Gratitude,  Thanksgiving,   Shukrana Hi Shukrana To Divine God Almighty for every moment,,for everything,   🙏🏻🌹🙏🏻

बाल दिवस

 



बचपन के दिन भले थे कितने,

सोच सकें हम चाहे जितने,

बचपन के दिन भले थे कितने|

याद है हमको वो झूमती रातें,

राजा-रानी, परियों की बातें,

ख्वाबों के हम महल में रहते,

परी के संग परीलोक भी जाते|

वो दिन आज बने हैं सपने,

बचपन के दिन भले थे कितने|

कंचा-गिल्ली प्रिय थे हमको,

लट्टू भी कुछ कम नहीं भाते,

धूप में सारा दिवस गंवाते,

झूमते-गाते, पतंग उड़ाते|

वो दिन आज रहे न अपने,

बचपन के दिन भले थे कितने|

खेल-खेल में शादी रचाते,

झूमते-गाते बारात लाते,

सखी कोई दुल्हन बन जाती,

सखा हमें सेहरा पहनाते|

वो दिन बीत गए अब अपने,

बचपन के दिन भले थे कितने|

बाल दिवस की शुभकामनाएं 

🥳

Saturday, 14 November 2020

तुम एक बार आना !

 तुम एक बार आना ! 



____________ 

कभी तो जरूर आना !! 

जैसे पलाश के फूल आते हैं बसन्त आने पर 

जैसे गुलमोहर खिलता है पतझड़ जाने पर 

जैसे कभी बिना ऋतु के  

बादल यूँ ही चले आते हैं  जेठ में भी  

त्तप्त धरा  की पुकार  पर ! 

 

सम्बन्धों की परिधि में तो तुम्हें कभी नहीं रखा 

किसी अदभुत सबंध में बंध कर आना!! 

जब भी आना फागुन में आना  

उस दिन जो तुम्हारे पास ही छूट गए थे रंग 

अबकी उन्हें साथ ही लाना 

 

तुम आना ... कभी चले आना.... 

जैसे कृष्ण आये थे विदुर के घर 

जैसे राम आये थे साकेत लौटकर  

 

तुम आना !क्यों कि मैने ,गाँधी , ईशा 

और गौतम को नहीं देखा 

मैं अनुमान लगा लूँगी उनकी श्रेष्ठता का 

तुम्हारे व्यक्तित्व को देखकर ! 

 

तुम आना ...! 

एक दिन जरूर आना .! 

जैसे कुछ पल के लिए सिद्धार्थ लौटे थे  

यशोधरा के पास 

जैसे मिलने चले गये थे भरत  

वन प्रांतर में राम के पास! 

 

तुम एक बार जरूर आना ! 

बस एक बार .! 

जैसे जीवन मरण एक बार होता है !! 

ठीक उसी तरह !! 

मैं भी बस एक बार इन आँखों से पल भर के लिए 

तुम्हें देखना चाहती हूँ! 

 

और इसलिए भी तुम्हें एक बार देखना है 

क्यों कि मैंने ईश्वर को कभी नहीं देखा । 

 

        

और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...