बचपन के दिन भले थे कितने,
सोच सकें हम चाहे जितने,
बचपन के दिन भले थे कितने|
याद है हमको वो झूमती रातें,
राजा-रानी, परियों की बातें,
ख्वाबों के हम महल में रहते,
परी के संग परीलोक भी जाते|
वो दिन आज बने हैं सपने,
बचपन के दिन भले थे कितने|
कंचा-गिल्ली प्रिय थे हमको,
लट्टू भी कुछ कम नहीं भाते,
धूप में सारा दिवस गंवाते,
झूमते-गाते, पतंग उड़ाते|
वो दिन आज रहे न अपने,
बचपन के दिन भले थे कितने|
खेल-खेल में शादी रचाते,
झूमते-गाते बारात लाते,
सखी कोई दुल्हन बन जाती,
सखा हमें सेहरा पहनाते|
वो दिन बीत गए अब अपने,
बचपन के दिन भले थे कितने|
बाल दिवस की शुभकामनाएं
🥳
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