Saturday, 14 November 2020

तुम एक बार आना !

 तुम एक बार आना ! 



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कभी तो जरूर आना !! 

जैसे पलाश के फूल आते हैं बसन्त आने पर 

जैसे गुलमोहर खिलता है पतझड़ जाने पर 

जैसे कभी बिना ऋतु के  

बादल यूँ ही चले आते हैं  जेठ में भी  

त्तप्त धरा  की पुकार  पर ! 

 

सम्बन्धों की परिधि में तो तुम्हें कभी नहीं रखा 

किसी अदभुत सबंध में बंध कर आना!! 

जब भी आना फागुन में आना  

उस दिन जो तुम्हारे पास ही छूट गए थे रंग 

अबकी उन्हें साथ ही लाना 

 

तुम आना ... कभी चले आना.... 

जैसे कृष्ण आये थे विदुर के घर 

जैसे राम आये थे साकेत लौटकर  

 

तुम आना !क्यों कि मैने ,गाँधी , ईशा 

और गौतम को नहीं देखा 

मैं अनुमान लगा लूँगी उनकी श्रेष्ठता का 

तुम्हारे व्यक्तित्व को देखकर ! 

 

तुम आना ...! 

एक दिन जरूर आना .! 

जैसे कुछ पल के लिए सिद्धार्थ लौटे थे  

यशोधरा के पास 

जैसे मिलने चले गये थे भरत  

वन प्रांतर में राम के पास! 

 

तुम एक बार जरूर आना ! 

बस एक बार .! 

जैसे जीवन मरण एक बार होता है !! 

ठीक उसी तरह !! 

मैं भी बस एक बार इन आँखों से पल भर के लिए 

तुम्हें देखना चाहती हूँ! 

 

और इसलिए भी तुम्हें एक बार देखना है 

क्यों कि मैंने ईश्वर को कभी नहीं देखा । 

 

        

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