Monday, 16 August 2021

कुछ ऐसी बातें, जो आपके रिश्तों में मिठास घोल देंगी

 

कुछ ऐसी बातें, जो आपके रिश्तों में मिठास घोल देंगी



 

रूठे सुजन मनाइए , जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।।

प्रस्तुत दोहे में महाकवि रहीम कहते हैं कि जब भी कोई हमारा अपना प्रियजन हमसे रूठ जाए, तो उसे मना लेना चाहिए, भले ही हमें उसे सौ बार ही क्यों ना मनाना पड़े ,प्रियजन को अवश्य ही मना लेना चाहिए। रहीम इस दोहे के माध्यम से हमें प्रियजनों के महत्त्व को बता रहे हैं। वे कहते हैं कि जिस प्रकार मोतियों की माला के बार-बार टूटने पर भी हर बार मोतियों को पिरोकर हार बना लिया जाता है, वैसे ही हमें भी प्रियजनो को मना लेना चाहिए।मैं रहीम के संदेश का समर्थन करती हूँ क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है रिश्ते केवल सामाजिक व्यवस्थाओं की धुरी ही नहीं हैं, वे इंसानियत के क्रमशः विकास के महत्वपूर्ण उत्प्रेरक भी हैं। बिना समाज के, बिना परिवार के या बिना रिश्तों के वह रह ही नहीं सकता रिश्तों की नाज़ुक डोर प्यार और विश्वास पर टिकी होती है| रिश्ता चाहे पति-पत्नी का हो, दोस्ती का हो या गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड का, आपसी समझ होना जरूरी है। क्या इसके लिए हम कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं ? हाँ, क्यों नहीं !

स्पेशल फील कराएं-

ज़रूरी नहीं कि हर रिश्ते में किसी को स्पेशल फील करवाने में तोहफ़े की ज़रूरत पड़े। अक्सर आपका बर्ताव भी दूसरों को स्पेशल करवा देता है। दोस्त या पार्टनर की सराहना करें। उनके किसी अचीवमेंट पर उन्हें प्यारा-सा उपहार दें, अपने कीमती समय से कुछ खास पल उन्हें दें

एक-दूसरे का करें सम्मान-

सम्मान हर रिश्ते को मजबूत बनाता है। फिर वह चाहे आपसे छोटा हो, हमउम्र हो या आपसे बड़ा। अगर आप दूसरों का आदर करेंगे तो दूसरे भी आपका सम्मान करेंगे। इससे रिश्ता और गहरा होता जाएगा। हर रिश्ते को अहमियत दें।

भरोसा है रिश्ते की बुनियाद-

किसी भी रिश्ते की नींव प्यार और विश्वास पर टिकी होती है। अगर आप दोनों के बीच भरोसा है, तो कोई भी तीसरा व्यक्ति आपके रिश्ते में दरार नहीं डाल सकता। एक-दूसरे पर विश्वास बनाए रखने के लिए यह ध्यान रखें कि किसी के बहकावे या कहने पर एक-दूसरे पर शक करें। खुद भी कभी अपने साथी का भरोसा तोड़ें।

साथ-साथ समय बिताएं-

आज की दौड़भाग भरी जीवनशैली में सभी व्यस्त हैं। जिस तरह आप अपने सबसे ज़रूरी कामों के लिए समय चुरा ही लेते हैं, वैसे ही दोस्त या पार्टनर को भी समय देना ज़रूरी है। रिश्ते मजबूत बने रहें इसके लिए बीच-बीच में घूमने जाएं ।अधिक समय नहीं, तो क्वालिटी टाइम साथ-साथ बिताएँ

अच्छे श्रोता बनें-

रिश्तों में मिठास बरकरार रखने के लिए एक-दूसरे को सुनना बहुत ज़रूरी है| जब तक आप एक-दूसरे को सुनेंगे नहीं, समस्या का हल निकलेगा नहीं। हमेशा अपनी बात रखने की बजाए, दूसरे की भी सुनें।

खाना साथ-साथ खाएँ-

साथ में खाना ज़रूर खाएं बेहतर रिश्तों के लिए दिन में कम से कम एक बार साथ खाना बहुत ज़रूरी है। खाने के टेबल पर परिवार से जुड़ी बातें ही करें।

बहुत अधिक अपेक्षाएँ करें-

रिश्तों में आपकी तरफ़ से अगर अपेक्षाएं कम और ज़िम्मेदारी का बोध ज़्यादा होगा, तो रिश्ते अपने आप मधुर होते जाएंगे।

ईगो को बीच में आने दें-

किसी भी रिश्ते को निभाते समय अपना अहंकार या ईगो बीच में आने दें। ईगो के चलते अविश्वास और ईर्ष्या की भावना का जन्म होता है, जो मधुर संबंधों के लिए हानिकारक है

अपनी प्रोफ़ेशनल लाइफ़ को ऑफ़िस तक ही सीमित रखें-

कोरोना काल में यह असंभव हो गया है कि अपनी प्रोफ़ेशनल लाइफ़ और पर्सनल लाइफ़ को अलग-अलग रखा जाए क्योंकि अधिकतर ऑफ़िस अभी वर्क फ़्रॉम होम ही करवा रहे हैं ।पर प्रयास किया जा सकता है कि समय-समय पर डिजिटल डीटॉक्सिंग की जाए, नोटिफ़िकेशन ऑफ़ रखे जाएं और जब आप अपने परिवारजनों के साथ हों, तो कंप्यूटर या फ़ोन का इस्तेमाल कम से कम करें।

संवादहीनता की स्थिति आने दें-

किसी भी परिस्थिति में रिश्तों के बीच संवादहीनता आने दें। चुप्पी रिश्ते को ख़त्म कर देती है। यदि कोई रिश्ता बिगड़ रहा हो, तो उसे बातचीत से ठीक करें। कभी-कभी लंबी ड्राइव पर जाकर बात-चीत की जा सकती है

समर्थ ही क्षमा करते हैं-

रिश्तों में क्षमादान बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए माफ़ करना और अपने किसी ग़लत व्यवहार के लिए माफ़ी मांगना भी सीखें

नज़रिया रखें सकारात्मक-

गुस्सा एक ऐसी चीज है जिसमें हम होश खो बैठते हैं इसलिए ध्यान रखें कि यह गलती आपके रिश्ते में दूरी ला सकती है आप एक-दूसरे के प्रति सकारात्मक रहें, एक-दूसरे की बातों को समझें और सकारात्मक नजरिये से आगे बढ़ें।

कुछ और बातें-

घर के सारे काम एक-दूसरे के साथ बांटकर करें। इससे काम करने में मज़ा भी आएगा और आपसी रिश्ते भी मज़बूत होंगे।परिवार के प्रत्येक सदस्य को प्राइवेसी भी मिलनी चाहिए, फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा, उसे स्पेस मिलनी ही चाहिए।अपने आपको रिश्ते के हर उतार-चढ़ाव और हर परिस्थिति में ढालने के लिए तैयार रखें ।किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए आपका ख़ुद का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है, इसलिए अपनी सेहत का ख़ास ख़्याल रखें। दूसरों से वैसा ही व्यवहार करें, जैसा कि आपको अपने लिए अपेक्षित है

कहा जाता हैं की रिश्तों को संभालने के लिए विश्वास और समझदारी की ज़रूरत पड़ती है। अगर इन दोनों में से एक भी कम हुआ तो आपके रिश्ते में खटास सकती  है। पर यदि रिश्तों को थोड़े प्यार और समझदारी से जिया जाए, तो यही रिश्ते ज़िंदगी को खुशनुमा बना देते हैं।यथा-

 

रिश्तों को सीमाओं में नहीं बाँधा करते,

उन्हें झूठी परिभाषाओं में ढाला नहीं करते।

उड़ने दो उन्हें उन्मुक्त पंछियों की तरह

बहती हुई नदी की तरह,

तलाश करने दो उन्हें अपनी सीमाएं

वे खुद ही ढूँढ लेंगे उपमाएं,

होने दो वही

जो क्षण कहे,

सीमा वही हो

जो मन कहे॥

 

 

 

-मीता गुप्ता

हिंदी प्रवक्ता, केंद्रीय विद्यालय, पूर्वोत्तर रेलवे बरेली

 

 

 

 

No comments:

Post a Comment

और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...