मैं सपना देखती हूँ ऐसी धरा का
मैं सपना देखती हूँ ऐसी धरा का,
जहां लोग स्नेह-सूत्र में बंधे हों,
जहां की मिट्टी प्रेम में पगी हो,
और रास्ते शांति की अल्पना से सुसज्जित.....
मैं सपना देखती हूँ ऐसी धरा का,
जहां सब आज़ादी से सांस लें,
जहां अंतरात्मा की मिठास हो,
जहां तेरे सुख में मेरा सुख हो,
और जीवन विश्व कल्याण को अर्पित......
मैं सपना देखती हूँ ऐसी धरा का,
जहां सब समभाव से रहें,
जहां दिलों में सद्भाव हो,
धरती की संपदा के प्रति खिंचाव हो,
और जीवन कल्याण के लिए हो समर्पित.........
मैं सपना देखती हूँ ऐसी धरा का,
जहां हर कोई आज़ाद हो,
मानवता जहां आबाद हो,
कली कली जहां शाद हो,
और लोग हों उल्लसित, तरंगित, आत्मार्पित.....
मैं सपना देखती हूँ ऐसी धरा का,
मैं सपना देखती हूँ ऐसी धरा का ॥
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