Wednesday, 2 July 2025

17 कोई ये कैसे बताए के, वो तन्हा क्यूँ है?

 17 कोई ये कैसे बताए के, वो तन्हा क्यूँ है?

वो जो अपना था वो ही, और किसी का क्यूँ है?
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यूँ है?
यही होता है तो आख़िर, यही होता क्यूँ है?

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उसके सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी क़ुर्बत है तो फिर, फासला इतना क्यूँ है?

दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं, अब तक कोई
इक लुटे घर पे दिया करता है, दस्तक कोई
आस जो टूट गई फिर से, बंधाता क्यूँ है?

तुम मसर्रत का कहो या, इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता है, जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो, बदलता क्यूँ है?

कैफ़ी आजमी 

[9:23 AM, 4/12/2025] मीता गुप्ता🌈💫📚✍🏻🇮🇳: अक्सर लोगों को कहते सुना ही है कि फला फला व्यक्ति से उनका कोई पुराना नाता है शायद पिछले जन्म का वरना ऐसे ही कोई दिल को अच्छा कैसे लगने लगता है चंद मुलाकातों में रिश्ता इतना गहरा हो गया कि लगने लगा जैसे सदियों की नाटी हूं मजे की बात तो यह की कुछ ही दिनों में यह जन्मों के रिश्ते अदालत में लड़ते दिखते हैं एक दूजे के प्रति जहर उगलते दिखते हैं एक बार किसी शायर ने पूछा था की है जो जन्म है जो यह जन्म का रिश्ता तो बदलते क्यों है पिछले दिनों एक मित्र ने बताया कि उसके जीवन में एक नया नया रिश्ता बना है लेकिन ऐसा कि जैसे सदियों से भी एक दूजे को जानते हैं पहली मुलाकात में रह का नाता हो गया आपस में क्या यह संभव है लोग तर्क देते हैं कि इतनी बड़ी दुनिया में एक चेहरा ही हमें क्यों लुभाता है जरूर उससे कोई पुराना नाता होगा वरना कोई एक ही खास क्यों लगता है क्या है उसे चेहरे में जो किसी और में नहीं दिखता

[9:37 AM, 4/12/2025] मीता गुप्ता🌈💫📚✍🏻🇮🇳: कोई किसी की मुस्कान को अतुलनीय मुस्कान कहता है कोई किसी के अंदाज पर फिदा है कोई किसी की आंखों की गहराई में खो गया है तो कोई किसी के गोरे रंग या सामने रंग या सुंदर दिए या आकर्षक नैनो का दीवाना हो गया है किसी को किसी की हंसी में सिक्कों की खनखनाहट सुनाई देती है कोई किसी की आवाज से मदहोश हो जाता है इस खास किस्म की पसंद के पीछे की प्रक्रिया आखिर है क्या यानी कोई किसी को क्यों लुभाता है और यह जन्मों का रिश्ता ऐसे ही कैसे बन जाता है और क्या इस आकर्षण से रूह का कोई संबंध है इसमें भी कोई रहस्य है क्या कोई जादू है या कोई अदृश्य प्रेरणा

[9:39 AM, 4/12/2025] मीता गुप्ता🌈💫📚✍🏻🇮🇳: मैं सोचती हूं दोस्तों व्यक्ति का किसी खास के प्रति व्यवहार का सक्रियता का परिवेश के साथ अंतर गूंथन होता है लंबे समय तक इस अनुकूलन लंबे समय तक अनुकूलन भी इसके लिए जिम्मेदार है हम जिस परिवेश में रह रहे होते हैं हम वैसे ही परिस्थितियों में खुद को सहज पाते हैं अच्छा महसूस करते हैं हमें अपने परिवेश की चीजों की खास गुनावत आकार और अन्य गुण धर्म के प्रति एक खास किस्म का अनुराग होता है परिचित अभ्यस्त बुनावट हमें सहज रखती है जबकि अपरिचित बुनावट हमें और सहज करती है हम कुछ खास आवाजों चेहरों रंगो बनावट या बुनावट के प्रति आकर्षित होते हैं लेकिन फिर वही बात की 100 सुंदर व्यक्तियों के बीच कोई एक ही प्रेम का पात्र कैसे बन जाता है

[9:40 AM, 4/12/2025] मीता गुप्ता🌈💫📚✍🏻🇮🇳: क्या इस खास लगावत के पीछे इस खास आकर्षण के पीछे कोई रासायनिक क्रिया कार्य करती है यह कोई सहयोग और रहस्य तो नहीं लगता इसका अर्थ यह है कि मानसिक अवस्थाओं और विकारों को रासायनिक क्रियो और प्रतिक्रियाओं के आधार पर समझा जा सकता है जैसे अगर सेराट सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे हार्मोन का अल्प या अधिक शराब इसे तय कर सकता है कि मनुष्य का व्यवहार कैसा होगा उसकी मानसिक दशाओं में भी परिवर्तन इन हार्मोन के कारण हो सकता है थोड़ा और समझे तो यदि कोई व्यक्ति किसी खास व्यक्ति के प्रति घोर उत्साही है या किसी के प्रति एकदम विमुख है तो यहां भी यह रसायन जिम्मेदार हैं किसी वजह से घर निराशावादी होना या कारण अवसाद ग्रस्त होना

[10:00 AM, 4/12/2025] मीता गुप्ता🌈💫📚✍🏻🇮🇳: या प्रमाण ग्रस्त होना भी यह हार्मोन ही तय करते हैं अब वापस इस बात पर आते हैं कि क्यों दुनिया की भीड़ में कोई एक ही चेहरा हमें लोक आता है क्या कारण क्या वजह हो सकती है यानी 100 व्यक्तियों को आपके सामने खड़ा करके किसी एक का चुनाव संयोगिक रूप से किया जाए तो सवाल उठता है कि वही क्यों इस संयोगिता के पीछे क्या रहस्य है इसके पीछे चुन्नी वाले के सौंदर्य बोध के अपने मन ढांड और अंतर संबंधों के बारे में उसकी मान्यताएं जाने अनजाने महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है सुंदरता के अपने-अपने बन जाते हैं और वह व्यक्ति उन्हें से मिलते-जुलते रूप को ही पसंद करता है किसी को मधुबाला लुभाती है तो किसी को मीना कुमारी कोई कैटरीना की सुंदरता को देखकर बुद्ध होता है कोई उम्र दराज श्रीदेवी को देखकर रोमांचित होता है यही वजह है कि किसी को किसी की मुस्कान लुभाती है किसी को किसी का चेहरा उसके अंगों की खास बनावट आकर्षित करती है तो किसी को किसी का सेंस ऑफ़ ह्यूमर कई पुरुष या महिलाएं गोरे रंग के प्रति आकर्षण आकर्षित होते हैं या सुंदर देश के प्रति तो कोई किसी में बुद्धि विवेक और चतुराई खोजना है यानी कि उसका चुनाव इन्हीं बातों पर निर्भर करता है ना कि एकदम सहयोगिक या किसी देवी या रहस्यमई प्रेरणा पर अक्सर लोग इस आकर्षण को रूप का नाता पिछले जन्म का संबंध या कोई रहस्य मान लेती है यह ना समझी के अलावा और कुछ नहीं है

[10:02 AM, 4/12/2025] मीता गुप्ता🌈💫📚✍🏻🇮🇳: शुरुआती आकर्षक और चुनाव में शारीरिक गुना की माहिती भूमिका होती है पर असली परीक्षा तो आपसी अंतर क्रियो यानी व्यक्तित्व के आंतरिक व्यावहारिक गुना के प्रशिक्षण में होती है सर यह है कि कोई चेहरा आपको लुभा रहा है पसंद आ रहा है आप किसी व्यक्ति विशेष के आकर्षण में बुरी तरह खींची जा रहे हैं और आप इसे कोई नशा या जादू समझने की भूल न करें आप जरूर अपना हॉरमोन टेस्ट करवा यकीन यह खेल हार्मोन की गड़बड़ी का है किसी का मिलन आपके जीवन में उसका आना और आ जाना आपको विचलित कर देना यह महेश कुछ चीजों पर निर्भर सहयोग मंत्र हो सकता है आपको कोई यूं ही नहीं लुभा रहा उसे लुभाने के पीछे कोई साड़ियों का नाता नहीं है ना ही कोई रहस्य में प्रेरणा है ना कोई पूर्व जन्म का संबंध है बल्कि इसके पीछे आपकी सौंदर्य बोध के माने दंड आपकी अंतर संबंधों के बारे में मान्यता और कुछ जैव रसायन कम कर रहे हैं हमें निरपेक्ष भाव से यह देखना होगा कि देखा और देखते समय इस गहराई में जाना होगा बजाय इसके कि हम जादू पूर्व नियत संयोग या इसे कोई पुराना नाता समझे इसलिए अब अगर कोई आपको लगाई तो 100 बार सोची कि यूं ही कोई दिल को लगता नहीं है लुभाता नहीं है


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