Friday, 24 September 2021

कहां लें एडमिशन? आज का सबसे बड़ा प्रश्न ?? 20.09.2021

 

कहां लें एडमिशन? आज का सबसे बड़ा प्रश्न ??



किसी भी स्टूडेंट के जीवन में हायर सेकेंडरी पास करने के बाद सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होता है कि उसे किस कॉलेज में एडमिशन लेना चाहिए?

अक्सर लुभावने विज्ञापन, सुनी-सुनाई बातों और दूसरों की देखा-देखी बच्चे और अभिभावक गलत कॉलेज का चुनाव कर लेते हैं, जो स्टूडेंट के करियर के लिए बुरा साबित होता है|8 बातें एडमिशन से पहले पता करेंः

एक्रीडिटेशन-किसी भी संस्थान के एक्रीडिटेशन की जांच जरूर करें। सच तो यह है कि जॉब मार्केट में उसी डिग्री को मान्यता दी जाती है जो किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी या कॉलेज से हासिल की गई हो।

ग्रैजुएशन रेट-किसी भी यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट होने वाले छात्रों की संख्या का सही अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इससे दाखिला संबंधी संभावना की जानकारी आपको मिल सकेगी।

रिटेंशन रेट-अगर किसी यूनिवर्सिटी की ऊंची रिटेंशन रेट है तो इसका सीधा-सा मतलब है कि वहां के बच्चे पढ़ाई से संतुष्ट हैं। यही वजह है कि नए क्लास में जाने पर यूनिवर्सिटी या कॉलेज नहीं बदल रहे हैं।

करियर पर ध्यान-यह इस बात को बताता है कि यूनिवर्सिटी में बच्चों के करियर को लेकर कितनी संजीदगी है। अगर काउंसलिंग की सुविधाएं, इंटरव्यू की तैयारी, रेज्यूमे रिव्यू और जॉब हंटिंग जैसी बातों पर भरपूर ध्यान दिया जाता है तो इसका मतलब है कि माहौल बेहतर है।

प्लेसमेंट-यह काफी अहम है। किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज का प्लेसमेंट रेकॉर्ड कैसा है, यहां वहां के पूर्व छात्रों या यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के जरिए पता कर सकते हैं। इसके अलावा, पिछले 5 बरसों का प्लेसमेंट रेकॉर्ड और इंटर्नशिप देने वाली कंपनियों की लिस्ट की जानकारी भी हासिल करें।

सोशल मीडिया-यूनिवर्सिटी या कॉलेज की वेबसाइट के अलावा सोशल मीडिया मौजूदगी पर भी ध्यान देना जरूरी है। यहां से आपको पता चलेगा कि कितने छात्र खुश हैं और कितने नाखुश। इसमें पूर्व छात्रों के टेस्टिमोनियल और इंटरनेट पर मौजूद फोरम बेहद मददगार होते हैं।

फैकल्टी-एडमिशन से पहले यह जरूर पता करें कि जिस सब्जेक्ट में आप एडमिशन ले रहे हैं, उसकी फैकल्टी कैसी है। अगर पढ़ाने वाले ढंग के नहीं मिले तो एडमिशन लेने का कोई मतलब नहीं है।

एजुकेशन लोन-किसी कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले एजुकेशन लोन के बारे में पूछताछ करें। अमूमन एजुकेशन लोन सिर्फ उन्हीं कॉलेजों को दिया जाता है जो मान्यता प्राप्त होते हैं।

हायर एजुकेशन के संस्थान

सेंट्रल यूनिवर्सिटी-इन यूनिवर्सिटीज़ की स्थापना केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा संसद में पारित ऐक्ट के आधार पर की जाती है।

डीम्ड यूनिवर्सिटी-डीम्ड यूनिवर्सिटी का स्टेटस उच्च शिक्षा देने वाले ऐसे संस्थानों को दिया जाता है जो किसी खास क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हों। यह मान्यता केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यूजीसी ऐक्ट 1956 के सेक्शन 3 के तहत दी जाती है। इसके अंतर्गत ऐसे संस्थानों को यूनिवर्सिटी जैसे अधिकार मिल जाते हैं और ये डिग्री दे सकते हैं।

एफिलिएटेड इंस्टिट्यूट‌-ये किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध संस्थान/कॉलेज होते हैं और उस यूनिवर्सिटी के विभिन्न कोर्स संचालित करने का इनको अधिकार होता है। ये खुद न तो एग्जाम करा सकते हैं और न ही कोई डिग्री प्रदान कर सकते हैं।

रेकग्नाइज्ड यूनिवर्सिटी- भारत में किसी भी यूनिवर्सिटी को डिग्री प्रदान करने की अनुमति केंद्र सरकार द्वारा स्थापित यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) देता है। यूजीसी जिसे यह अनुमति देती है उसे रेकग्नाइज्ड यूनिवर्सिटी कहा जाता है।

रजिस्टर्ड संस्थान-सोसायटी ऐक्ट/एनजीओ ऐक्ट आदि के तहत पंजीकृत संस्थाओं को रजिस्टर्ड संस्थानों की श्रेणी में रखा जाता है। जरूरी नहीं कि इनके द्वारा संचालित कोर्स भी मान्यता प्राप्त होंगे ही।

प्राइवेट यूनिवर्सिटी-प्राइवेट यूनिवर्सिटी की शुरुआत राज्य विधानसभा द्वारा ऐक्ट पारित करने और यूजीसी द्वारा उसे गजट में शामिल करने के आधार पर हो सकती है। इनको यूजीसी द्वारा एस्टाब्लिशमेंट एंड मेंटेनेंस ऑफ़ स्टैंडर्ड इन प्राइवेट यूनिवेर्सिटिज़ रेग्यूलेशन 2003 द्वारा रेग्युलेशंस किया जाता है।

एडमिशन लेने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है-

1. ब्रोशर देखकर और वादे पर भरोसा कर कभी भी एडमिशन का फैसला न करें। हमेशा फैक्ट चेक करें, प्लेसमेंट का पता लगाएं, सरकारी वेबसाइट्स का सहारा लें और उन पर ही यकीन करें।

2. सिर्फ कॉलेजों की टॉप रेटिंग या टॉप चार्ट देखकर ही तसल्ली न करें बल्कि बारीकी से इनकी जांच करे और हर कसौटी पर कसने के बाद ही एडमिशन के बारे में सोचें। इन संस्थानों की विश्वसनीयता की जांच के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और यूजीसी जैसी मान्य सरकारी निकायों ने कई पैरामीटर्स तय किए हैं। आपको भी इन पैरामीटर्स को देखना चाहिए और तभी एडमिशन के बारे में सोचना चाहिए।

3. कोई भी संस्थान मान्यता प्राप्त है या नहीं, यह सबसे बड़ा मुद्दा है। संभव है कि ऐसे संस्थान/ यूनिवर्सिटी/ कॉलेज जिनकी बिल्डिंग अच्छी हो और जो सौ फीसदी प्लेसमेंट का दावा करता हो, जहां के हॉस्टल्स भी शानदार हों, उन्हें सरकारी मान्यता ही नहीं मिली हो। बिना मान्यता प्राप्त संस्थान की सारी खासियतें बेकार हैं क्योंकि जब आप उस यूनिवर्सिटी या कॉलेज से डिग्री लेकर बाहर निकलेंगे तो उसकी कोई वैल्यू नहीं होगी। ऐसा भी मुमकिन है कि कॉलेज अपना दावा मजबूत करने के लिए कैंपस प्लेसमेंट भी करा दे, लेकिन तब भी वह डिग्री किसी काम का नहीं क्योंकि ऐसा देखा गया है कि गैरमान्यता प्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी में मिली हुई कैंपस प्लेसमेंट की लाइफ ज्यादा लंबी नहीं होती। अमूमन 4 से 6 महीनों में यहां के स्टूडेंट्स को यह कहकर निकाल दिया जाता है कि वे योग्य नहीं हैं। इसके बाद दूसरी कंपनियों में जॉब ढूंढना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।

4. वहीं डीम्ड यूनिवर्सिटी सबसे ज्यादा गड़बड़ी दूसरी जगहों पर स्टडी सेंटर खोलने में करती है। संसद और विधानसभाओं के एक्ट द्वारा बनाई गई यूनिवर्सिटी ही दूसरे कॉलेज और इंस्टिट्यूट को कोर्स चलाने के लिए खुद से संबंद्ध कर मान्यता दे सकती है। डीम्ड यूनिवर्सिटी को अपने मेन कैंपस के अलावा दूसरे किसी कैंपस या संस्थान में कोर्स चलाने की इजाजत नहीं है।

खुद ऐसे करें चेकिंग

अगर आप किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने जा रहे हैं और संस्थान या उसके चलाए जाने वाले कोर्स के बारे में क्रॉस चेक करना चाहते हैं तो इन पर निगरानी और कंट्रोल रखने वाले कुछ संस्थानों के नाम और वेबसाइट हम यहां दे रहे हैं। अगर संदेह फिर भी न मिटे तो इन वेबसाइट्स पर जरूरी कॉन्टैक्ट भी उपलब्ध होते हैं, जहां फोन कर आप पूरी जानकारी ले सकते हैं।

1. www.ugc.ac.in

बारहवीं के बाद की पढ़ाई के मामले में यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) ही वह संस्था है और इसकी वेबसाइट वह जगह है, जहां आप पूरी जानकारी ले सकते हैं। जिस भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज की बारे में जानकारी चाहिए, उसके बारे में पूरी जानकारी यहां मिल जाएगी। कोई भी संस्थान अगर डिग्री कोर्स करा रहा है और अगर वह असली है तो उसकी जानकारी इस वेबसाइट पर सर्च में नाम करने पर मिल जाएगी।

2. www.aicte-india.org

यह टेक्निकल एजुकेशन की मान्यता के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की परिषद है जो मानव संसाधन मंत्रालय के तहत काम करती है। कोई भी संस्थान जो इंजिनियरिंग, मैनेजमेंट आदि जैसे तकनीकी क्षेत्रों में डिग्री या डिप्लोमा देता हो, उसे एआईसीटीई से मान्यता लेना जरूरी होता है। यह अपने पैरामीटर्स के अनुसार भारतीय शिक्षा संस्थानों में पोस्ट ग्रैजुएशन और ग्रैजुएशन स्तर के कार्यक्रमों को मान्यता देती है। इसकी वेबसाइट www.aicte-india.org है। इस संस्था के तहत निम्न तरह की तकनीकी पढ़ाई आती है:

- इंजिनियरिंग,टेक्नॉलजी,मैनेजमेंट स्टडीज,वोकेशनल एजुकेशन,फार्मेसी,आर्किटेक्चर,होटेल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नॉलजी,इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी,टाउन एंड कंट्री प्लानिंग,अप्लाइड आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स ।

ऊपर वाले कोर्सों में से किसी में अगर कोई संस्थान डिग्री या डिप्लोमा करा रहा है तो इस वेबसाइट पर जाकर सर्च में उसका नाम टाइप करने पर अगर उसके बारे में और उस कोर्स के बारे में जानकारी आती है तो वह असली है।

किसी संस्थान की कोई स्पेशलाइज्ड कोर्स मान्यता प्राप्त है या नहीं, नीचे दी गई उससे जुड़ी वेबसाइट पर जाकर सर्च में संस्थान का नाम डालें:

- टीचर्स एजुकेशन www.ncte-india.org

- लॉ www.barcouncilofindia.org

- डेंटल कोर्स www.dciindia.gov.in

- फार्मेसी www.pci.nic.in

- होम्योपैथी डिग्री www.cchindia.com

- यूनानी : www.ccimindia.org

- एग्रिकल्चर www.icar.org.in

यदि आप ये सावधानियाँ बरतेंगे और सजग होकर कॉलेज में प्रवेश लेंगे, तो निश्चित ही आप न केवल अपने मनपसंद विषय को पढ़ेंगे, बल्कि आपकी योग्यता सार्थक सिद्ध होगी और आप राष्ट्र हित में काम करने के लिए और भी तत्पर होंकर अपना संपूर्ण योगदान दे पाएंगे ।

मीता गुप्ता

8126671717

दान का महत्व 22.09.2021

 

दान का महत्व



पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की परंपरा है, हिंदू धर्म में इसका महत्व है। पितृ पक्ष पर पितरों की मुक्ति के लिए कर्म किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ रुष्ट हो जाएं तो घर की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। यही कारण है कि पितृ पक्ष में पितरों को खुश करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध किए जाते हैं।

यूं तो हर धर्म में दान करने का बहुत महत्व माना जाता है और कहा जाता है कि दान करने से मनुष्य का इस लोक के बाद परलोक में भी कल्याण होता है। लेकिन आज के बदलते समय में लोगों के लिए दान का अर्थ केवल धन दान तक ही सीमित रह गया है चाहे इसे समय की कमी कहें, या कुछ और। दान कर्म को पुण्य कर्म में जोड़ा जाता है। भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से ही दान करने की परंपरा चली आ रही है। हिंदू सनातन धर्म में पांच प्रकार के दानों का वर्णन किया गया है। ये पांच दान हैं, विद्या, भूमि, कन्या, गौ और अन्न दान...

भूमि दान-पहले के समय में राजाओं द्वारा योग्य और श्रेष्ठ लोगों को भूमि दान किया जाता था। भगवान विष्णु ने बटुक ब्राह्मण का अवतार लेकर तीन पग में ही तीनों लोक नाप लिए थे। यदि सही प्रकार से इस दान को किया जाए तो इसका बहुत महत्व होता है। यदि आश्रम, विद्यालय, भवन, धर्मशाला, प्याउ, गौशाला निर्माण आदि के लिए भूमि दान किया जाए तो श्रेष्ठ रहता है।

गौदान-सनातन संस्कृति में गौ दान को विशेष महत्व माना जाता है। इस दान के संबंध में कहा जाता है कि जो व्यक्ति गौदान करता है, इस लोक को बाद परलोक में भी उसका कल्याण होता है। दान करने वाले व्यक्ति और उसके पूर्वजों को जन्म मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है।

अन्न दान-अन्न दान करना बहुत ही पुण्य का कार्य होता है। यह एक ऐसा दान है, जिसके द्वारा व्यक्ति भूखे को तृप्त कराता है। यह दान भोजन की महत्वता को दर्शाता है। सभी प्रकार की सात्विक खाद्य सामाग्रियां इसमें समाहित हैं।

कन्या दान-कन्या दान को महादान कहा जाता है। सनातन धर्म में कन्या दान को सर्वोत्तम माना गया है। यह दान कन्या के माता-पिता द्वारा उसके पाणिग्रहण संस्कार पर किया जाता है। इस दान में माता-पिता अपनी पुत्री का हाथ वर के हाथ में रखते हुए संकल्प लेते हैं और उसकी समस्त ज़िम्मेदारियां वर को सौंप देते हैं।

विद्या दान-विद्या धन का दान गुरु द्वारा प्रदान किया जाता है। इस दान से मनुष्य में  विद्या, विनय औऱ विवेकशीलता के गुण आते हैं। जिससे समाज और विश्व का कल्याण होता है। भारतीय संस्कृति में सदियों से गुरु-शिष्य परंपरा में विद्या दान चला आ रहा है। विद्या एक ऐसा धन है जो बांटने से और भी बढ़ता है।

न चोर हार्यम् न च राज हार्यम् ,न भ्रातु भाज्यम् न च भारकारी ।

व्यये कृते वर्धते एव नित्यम्,विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।।

किंतु दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। यहां समझने वाली बात यह है कि देना उतना जरूरी नहीं होता जितना कि 'देने का भाव'। अगर हम किसी को कोई वस्तु दे रहे हैं लेकिन देने का भाव अर्थात इच्छा नहीं है तो वह दान झूठा हुआ, उसका कोई अर्थ नहीं। इसी प्रकार जब हम देते हैं और उसके पीछे यह भावना होती है, जैसे पुण्य मिलेगा या फिर परमात्मा इसके प्रत्युत्तर में कुछ देगा तो हमारी नजर लेने पर है, देने पर नहीं तो क्या यह एक सौदा नहीं हुआ? दान का अर्थ होता है देने में आनंद, एक उदारता का भाव, प्राणीमात्र के प्रति एक प्रेम एवं दया का भाव, किंतु जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है?

गीता में भी लिखा है कि कर्म करो, फल की चिंता मत करो। हमारा अधिकार केवल अपने कर्म पर है, उसके फल पर नहीं। हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, यह तो संसार एवं विज्ञान का धारण नियम है। इसलिए उन्मुक्त हृदय से श्रद्धापूर्वक एवं सामर्थ्य अनुसार दान एक बेहतर समाज के निर्माण के साथ-साथ स्वयं हमारे भी व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है और सृष्टि के नियमानुसार उसका फल तो कालांतर में निश्चित ही हमें प्राप्त होगा।

मीता गुप्ता

8126671717

 

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस (21 सितंबर) के अवसर पर विश्व के नाम शांतिप्रिय भारत का संदेश 21.09.2021

 

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस (21 सितंबर) के अवसर पर विश्व के नाम शांतिप्रिय भारत का संदेश




ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः। शं नो भवत्वर्यमा। शं नः इन्द्रो वृहस्पतिः। शं नो विष्णुरुरुक्रमः। नमो ब्रह्मणे। नमस्ते वायो। त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वमेव प्रत्यक्षम् ब्रह्म वदिष्यामि। ॠतं वदिष्यामि। सत्यं वदिष्यामि। तन्मामवतु। तद्वक्तारमवतु। अवतु माम्। अवतु वक्तारम्। 

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस सभी देशों और लोगों के बीच शांति के आदर्शों को मजबूत करने के लिए समर्पित है। ऐसे समय में जब युद्ध और हिंसा अक्सर हमारे समाचार चक्रों पर एकाधिकार कर लेते हैं, अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस एक प्रेरक अनुस्मारक है कि हम मिलकर विश्व में शांति का वातावरण बना सकते हैं। जी हाँ शांति। आइए इसे मौका दें! क्योंकि शांति संभव है। ऐसी दुनिया में जीवन बेहतर होता है, जहां शांति होती है और भारत की वीरप्रसू धरा पर अनेकानेक शांतिदूत जन्म लेते रहे हैं, चाहे वे महात्मा बुद्ध हों या महात्मा गांधी। सबने विश्व को शांति का पाठ पढ़ाया, तभी तो वे आज भी वैश्विक समाज में शांति के अग्रणी दूत माने जाते हैं ।

आइए,अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर शांति का पालन करें, पर कैसे?

1. वैश्विक "मौन के मिनट" का आयोजन-1984 से गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पाथवे टू पीस मौन का अनुपालन करते हैं । शांति-निर्माण के इस साझा और व्यावहारिक कार्य में भाग लेने के लिए व्यक्तियों, संगठनों, समुदायों और राष्ट्रों को आमंत्रित किया जाता है और वे मिलकर शांति-स्थापना की जागृति बढ़ाने हेतु "मौन के मिनट" आयोजित करते हैं।मौन बौद्धिक उद्वेलन को जन्म देता है ।

2. एक वैश्विक शांति पर्व का आयोजन-अपने दोस्तों और पड़ोसियों को विभिन्न देशों या संस्कृतियों से एक अद्वितीय व्यंजन साझा करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, एक 'वैश्विक' पोटलक के साथ लोगों को एक साथ लाएं। एक साथ रोटी का टुकड़ा तोड़ना आपके जीवन में शांति लाने के सबसे पुराने लेकिन सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। इंटरफेथ और इंटरकल्चरल चर्चाएं शाम को और भी समृद्ध बना सकती हैं।

3. शिक्षा के माध्यम से शांति को बढ़ावा देना-अपने और अपने परिवार के साथ घर में शांति की शुरुआत करें। अपने बच्चों को प्रमुख अवधारणाएँ सिखाएँ जो शांति को बढ़ावा देती हैं जैसे कि संघर्ष-समाधान, शांतिपूर्ण संवाद, आम सहमति-निर्माण और अहिंसा का चुनाव।

शांति की संस्कृति क्यों है आवश्यक ?

1. समझने की कोशिश करें-दुनिया भर में, अलग-अलग संस्कृतियों और अलग-अलग विचार-धाराओं के लोग रहते हैं। आइए उन्हें समझें और उन्हें महत्व दें।

2. आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देना-गरीबी, खाद्य असुरक्षा और सामाजिक अन्याय को खत्म करने से शांति की एक मजबूत संस्कृति बनती है क्योंकि यह अशांति और हिंसा के सामान्य कारणों को दूर करती है।

3. सभी मानवाधिकारों का सम्मान करें-शांतिपूर्ण संबंधों के मूल में यह विश्वास है कि सभी मनुष्य मूल्यवान हैं - कोई भी समूह दूसरे से बेहतर नहीं है; देखें कि आप अपने प्रभाव क्षेत्र में इस समझ में कैसे योगदान दे सकते हैं।

4. समानता के पैरोकार बनें- राजनीतिक और आर्थिक पहल के माध्यम से समाज में महिलाओं की उन्नति का समर्थन करना; अपने समुदाय में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा का सक्रिय रूप से विरोध करें और कार्यस्थल में भेदभाव के उन्मूलन को बढ़ावा दें।

5. लोकतांत्रिक सिद्धांत चुनें-अपने समुदाय के सभी लोगों की लोकतांत्रिक भागीदारी को प्रोत्साहित करें ताकि नागरिक निर्णय लेने और राजनीतिक नेतृत्व और संचालन में भ्रष्टाचार समाप्त हो सके।

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस महत्वपूर्ण है, क्योंकि-

1. यह हमें एक दूसरे से जोड़ता है-दुनिया भर के राष्ट्र और समुदाय गरीबी और बीमारी, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के साथ संघर्ष करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस हमें याद दिलाता है कि चाहे हम कहीं से भी आए हों या हम कौन सी भाषाएं बोलते हों, हम अलग होने से कहीं अधिक एक जैसे हैं।

2. यह हमारे दृष्टिकोण में बदलाव लाता है-हम दिन-प्रतिदिन के काम और परिवार में फंस सकते हैं। हम शांति तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब हम किसी और के दृष्टिकोण को देखने का प्रयास करते हैं ।

3. यह दर्शाता है कि छोटे कार्य बड़े प्रभाव डाल सकते हैं- हर बड़े आंदोलन या विचारधारा का आरंभ छोटे आंदोलन से ही होता है।हम सभी प्रार्थना, वकालत, शिक्षा और दूसरों का सम्मान करने के माध्यम से शांति की विश्वव्यापी संस्कृति में योगदान दे सकते हैं।

अंततः प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में- भारत ने हमेशा पूरे विश्व को, मानवता को, शांति, अहिंसा और बंधुत्व का मार्ग दिखाया है। ये वह संदेश हैं जिसकी प्रेरणा विश्व को भारत से मिलती है। इसी मार्गदर्शन के लिए दुनिया आज एक बार फिर भारत की ओर देख रही है। भारत का इतिहास, आप देखें तो आप महसूस करेंगे, जब भी भारत को आंतरिक प्रकाश की जरूरत हुई है, संत परंपरा से कोई न कोई सूर्य उदय हुआ है। अतः इसी आंतरिक प्रकाश से जगमगाता भारत प्रत्येक पल शांति और सद्भाव का संदेश दे रहा है और हमें इस पर गर्व है ।

जय हिंद ! जय भारत !

मीता गुप्ता

8126671717

और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...