अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस (21
सितंबर) के अवसर पर विश्व के नाम शांतिप्रिय भारत का संदेश
ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः। शं नो भवत्वर्यमा। शं नः इन्द्रो वृहस्पतिः। शं नो विष्णुरुरुक्रमः। नमो ब्रह्मणे। नमस्ते वायो। त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वमेव प्रत्यक्षम्
ब्रह्म वदिष्यामि। ॠतं वदिष्यामि। सत्यं वदिष्यामि। तन्मामवतु। तद्वक्तारमवतु। अवतु माम्। अवतु वक्तारम्।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस सभी देशों
और लोगों के बीच शांति के आदर्शों को मजबूत करने के लिए समर्पित है। ऐसे समय में
जब युद्ध और हिंसा अक्सर हमारे समाचार चक्रों पर एकाधिकार कर लेते हैं, अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस एक प्रेरक
अनुस्मारक है कि हम मिलकर विश्व में शांति का वातावरण बना सकते हैं। जी हाँ शांति।
आइए इसे मौका दें! क्योंकि शांति संभव है। ऐसी दुनिया में जीवन बेहतर होता है, जहां शांति होती है और भारत की
वीरप्रसू धरा पर अनेकानेक शांतिदूत जन्म लेते रहे हैं, चाहे वे महात्मा बुद्ध हों या
महात्मा गांधी। सबने विश्व को शांति का पाठ पढ़ाया, तभी तो वे आज भी वैश्विक समाज में
शांति के अग्रणी दूत माने जाते हैं ।
आइए,अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर शांति का पालन करें, पर कैसे?
1. वैश्विक
"मौन के मिनट" का आयोजन-1984 से गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पाथवे टू पीस मौन का अनुपालन करते हैं ।
शांति-निर्माण के इस साझा और व्यावहारिक कार्य में भाग लेने के लिए व्यक्तियों, संगठनों, समुदायों और राष्ट्रों को आमंत्रित
किया जाता है और वे मिलकर शांति-स्थापना की जागृति बढ़ाने हेतु "मौन के
मिनट" आयोजित करते हैं।मौन बौद्धिक उद्वेलन को जन्म देता है ।
2. एक
वैश्विक शांति पर्व का आयोजन-अपने दोस्तों और
पड़ोसियों को विभिन्न देशों या संस्कृतियों से एक अद्वितीय व्यंजन साझा करने के
लिए प्रोत्साहित करते हुए, एक 'वैश्विक' पोटलक के साथ लोगों को एक साथ लाएं। एक साथ रोटी का टुकड़ा तोड़ना आपके
जीवन में शांति लाने के सबसे पुराने लेकिन सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
इंटरफेथ और इंटरकल्चरल चर्चाएं शाम को और भी समृद्ध बना सकती हैं।
3. शिक्षा
के माध्यम से शांति को बढ़ावा देना-अपने और अपने
परिवार के साथ घर में शांति की शुरुआत करें। अपने बच्चों को प्रमुख अवधारणाएँ
सिखाएँ जो शांति को बढ़ावा देती हैं जैसे कि संघर्ष-समाधान, शांतिपूर्ण संवाद, आम सहमति-निर्माण और अहिंसा का चुनाव।
शांति की संस्कृति क्यों है आवश्यक ?
1. समझने
की कोशिश करें-दुनिया भर में, अलग-अलग संस्कृतियों और अलग-अलग
विचार-धाराओं के लोग रहते हैं। आइए उन्हें समझें और उन्हें महत्व दें।
2. आर्थिक
और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देना-गरीबी, खाद्य असुरक्षा और सामाजिक अन्याय को
खत्म करने से शांति की एक मजबूत संस्कृति बनती है क्योंकि यह अशांति और हिंसा के
सामान्य कारणों को दूर करती है।
3. सभी
मानवाधिकारों का सम्मान करें-शांतिपूर्ण संबंधों के मूल में यह विश्वास है कि सभी मनुष्य मूल्यवान
हैं - कोई भी समूह दूसरे से बेहतर नहीं है; देखें कि आप अपने प्रभाव क्षेत्र में
इस समझ में कैसे योगदान दे सकते हैं।
4. समानता
के पैरोकार बनें- राजनीतिक और
आर्थिक पहल के माध्यम से समाज में महिलाओं की उन्नति का समर्थन करना; अपने समुदाय में महिलाओं और लड़कियों
के खिलाफ हिंसा का सक्रिय रूप से विरोध करें और कार्यस्थल में भेदभाव के उन्मूलन
को बढ़ावा दें।
5. लोकतांत्रिक
सिद्धांत चुनें-अपने समुदाय के
सभी लोगों की लोकतांत्रिक भागीदारी को प्रोत्साहित करें ताकि नागरिक निर्णय लेने
और राजनीतिक नेतृत्व और संचालन में भ्रष्टाचार समाप्त हो सके।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस महत्वपूर्ण है, क्योंकि-
1. यह
हमें एक दूसरे से जोड़ता है-दुनिया भर के
राष्ट्र और समुदाय गरीबी और बीमारी, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के साथ संघर्ष करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय
शांति दिवस हमें याद दिलाता है कि चाहे हम कहीं से भी आए हों या हम कौन सी भाषाएं
बोलते हों, हम अलग होने से कहीं अधिक एक जैसे हैं।
2. यह हमारे
दृष्टिकोण में बदलाव लाता है-हम दिन-प्रतिदिन
के काम और परिवार में फंस सकते हैं। हम शांति तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब हम किसी और के दृष्टिकोण को देखने
का प्रयास करते हैं ।
3. यह
दर्शाता है कि छोटे कार्य बड़े प्रभाव डाल सकते हैं- हर बड़े आंदोलन
या विचारधारा का आरंभ छोटे आंदोलन से ही होता है।हम सभी प्रार्थना, वकालत, शिक्षा और दूसरों का सम्मान करने के
माध्यम से शांति की विश्वव्यापी संस्कृति में योगदान दे सकते हैं।
अंततः प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में- भारत ने हमेशा पूरे विश्व को, मानवता को, शांति, अहिंसा और बंधुत्व का मार्ग दिखाया
है। ये वह संदेश हैं जिसकी प्रेरणा विश्व को भारत से मिलती है। इसी मार्गदर्शन के
लिए दुनिया आज एक बार फिर भारत की ओर देख रही है। भारत का इतिहास, आप देखें तो आप महसूस करेंगे, जब भी भारत को आंतरिक प्रकाश की जरूरत
हुई है, संत परंपरा से कोई न कोई सूर्य उदय हुआ है। अतः इसी आंतरिक प्रकाश से
जगमगाता भारत प्रत्येक पल शांति और सद्भाव का संदेश दे रहा है और हमें इस पर गर्व
है ।
जय हिंद ! जय भारत !
मीता
गुप्ता
8126671717
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