Sunday, 29 December 2024

धन्यवाद... आभार... थैंक यू!!

 धन्यवाद... आभार... थैंक यू!!



धन्यवाद! एक ऐसा शब्द जो एक अलग तरह की महीनता लिए हुए है। कई बार ऐसा होता है कि सिर्फ़ एक शब्द ही पूरा सुख बुन देता है और ‘धन्यवाद’ ऐसा ही शब्द है। एक भरा-पूरा शब्द जो किसी भी तरह के सहयोग, सेवा का माल्यार्पण है। हम प्रसन्न होते हैं, किसी का सहयोग पाकर और हमारे अंदर भी बहुत कुछ फैलता है, वही कह देता है धन्यवाद। यह शब्द ‘धन्य और वाद’ के समासीकरण से बना है। इसका समास विग्रह करेंगे तो सामने आएगा- धन्य, ऐसा वाद। धन्य का मतलब ‘कृत या कृतार्थ।’ धन्य + वाद = धन्यवाद। यह संस्कृत का समस्त पद है। आइए इस शब्द को समझते हैं– (धन्य – धन् + यत्) – धनी, धन प्रदान करने वाला, महाभाग, ऐश्वर्यशाली, सौभाग्यशाली, श्रेष्ठ। वैसे अंग्रेज़ी शब्द ‘थैंक्स’ के बारे में बात करें, तो इसका उद्गम 12 वीं शताब्दी में हुआ। इसका वृहद संदर्भ में अर्थ है- ‘आपने जो मेरे लिए किया, वो मैं याद रखूंगा।’

चौकीदार, जो दरवाजा खोलते हुए आपका अभिवादन करता है, आप उसे धन्यवाद तक कहना मुनासिब नहीं समझते। कहने का मतलब यह है कि दुनिया या लोगों से परिचय करने से भी पहले हमारा जिस शब्द से सबसे पहले परिचय करवाया जाता है, वो महज़ शब्द भर तो नहीं होगा? तो फिर क्यों हम उसकी अहमियत को धीरे-धीरे नकारना शुरू कर देते हैं। धन्यवाद कोई शब्द नहीं! यह अंदर से महसूस किए गए आभार का बाहरी प्रदर्शन है। इसे व्यवहार का हिस्सा बनाए रखना ज़रूरी है। जीवन में आपके पास जो भी चीज़ें हैं, चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न हों, उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद कहें। ये चीजें प्रकृति, पौधों, जानवरों, लोगों, भोजन, भगवान और गुरु, ब्रह्मांड और पृथ्वी, स्वास्थ्य और फिटनेस, कार्य, व्यवसाय, कैरियर, वित्तीय और सामाजिक स्थिति, रिश्ते, जुनून, खुशी, प्रेम, जीवन, घर, भौतिक वस्तुओं, शिक्षा, ज्ञान, कौशल, योग्यता, मित्र और प्रौद्योगिकी आदि से संबंधित हो सकती हैं।

भारतीय दर्शन एवं परंपरा के अनुसार, व्यक्ति अनेक प्रकार के ऋण लेकर पैदा होता है। जन्म से लेकर जीवनयापन के दौरान हम पर अनेक लोगों का उपकार होता है। किसी और से मिले चार कंधों के बिना तो जीवनयात्रा भी पूरी नहीं हो सकती। जब यह जीवन इस तरह दूसरों के उपकार और सहयोग से ही आगे चलता है, तो क्यों नहीं हमें उन सबका शुक्रगुज़ार होना चाहिए। जब आप किसी को धन्यवाद बोलते हैं, तो इसका मतलब होता है, प्रकृति के प्रति आभारी रहना।

इस शब्द को हम किसी के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, तो इसका मतलब होता है कि हम उसे उसकी अहमियत या सार्थकता बता रहे हैं। असल में देखा जाए तो इस सृष्टि में कोई भी मनुष्य या जीव-जंतु अपने आप में अकेला क्या है? सब परस्पर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इस जीवनचक्र की यदि एक भी कड़ी टूट जाए, तो सब बिगड़ने लगता है। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि आप अपने जीवन में दूसरों की अहमियत को समझें और उसके लिए आभार व्यक्त करना न भूलें। यदि कोई आपके लिए कुछ करता है, तो उसे यह जताने का प्रयास करें कि जो कुछ भी सामने वाले ने आपके लिए किया है, आप उसकी कद्र करते हैं। उस व्यक्ति को धन्यवाद देना न भूलें। धन्यवाद कहने में दो चीजें निहित हैं। कृतज्ञता, जो कि एक भावना है और उस भावना की अभिव्यक्ति, जो कि एक प्रदर्शन है।

क्यों कहें धन्यवाद?यदि बीच सड़क पर आपकी गाड़ी खराब हो जाए और कोई मैकेनिक न मिले या फिर आपके घर का नल खराब हो जाए और प्लंबर न मिले, तो आप चाहकर भी अपना दिन बेकार होने से नहीं रोक पाएंगे। पैसे हैं और साधन भी हैं, लेकिन फिर भी आप अपने लिए वो सब काम नहीं कर सकते, क्योंकि उस काम को उसका जानकार ही कर सकता है। इस वक्त आपके लिए उस खास इंसान की अहमियत कितनी बढ़ जाती है, लेकिन वही जब आपको सेवा देकर जाता है, तो आप पैसा देकर अपना फर्ज़ पूरा कर लेते हैं। इसी तरह दिनभर में न जाने कितने लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमारे लिए काम करते हैं, हमें इसका अहसास तक नहीं होता। क्या आपने कभी सोचा है कि यदि रोज़मर्रा के जीवन में सफ़ाई कर्मचारी, घर में काम करने वाला, वॉचमैन, रिक्शावाला, वेटर, पुलिस, टीचर, डॉक्टर आदि अपना काम न करें, तो आपकी ज़िंदगी में क्या-क्या समस्या आ सकती हैं? तो क्यों न हमें इनके प्रति आभार व्यक्त करें? इनको धन्यवाद कहना तो बनता है। है न....

दरअसल थैंक्स, आभार या धन्यवाद जैसे शब्द भले ही किसी और के प्रति कृतज्ञता जताने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन ये शब्द कहीं न कहीं आपके व्यक्तित्व को भी उभारते हैं। धन्यवाद देना एक ऐसी प्रक्रिया है, जो हमारे व्यवहार के साथ-साथ हमारे अवचेतन मन पर भी असर करती है। आभार व्यक्त करने वाले इंसान अपेक्षाकृत ज्यादा खुशमिज़ाज होते हैं और उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल होती है।

मार्केटिंग या सेल्स के लोगों को विशेष-तौर पर इसके लिए तैयार करने के पीछे भी यही कारण है कि शुक्रिया बोलने से उनका गुडविल बनता है और लोग उनको सुनने के लिए आकर्षित होते हैं। लोगों को यह बताना कि आप उनके आभारी हैं, केवल एक अच्छी बात या अच्छी आदत ही नहीं है। यह दूसरे व्यक्ति से एक प्रकार का भावनात्मक संपर्क है, जिसकी आवश्यकता हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पड़ती ही है। लोग यह जानना चाहते हैं कि जो वे कर रहे हैं, उस पर ध्यान दिया जाता है और उसकी सराहना होती है। धन्यवाद मिलने से सामने वाला और दोगुने आत्मबल से उस काम को करने का प्रयास करता है। जब आप किसी को धन्यवाद बोलते हैं, तो सामने वाले की नज़र में आपकी इज़्ज़त भी बढ़ती है और वह आपके व्यवहार से प्रभावित होकर, आगे भी आपकी मदद करने को तैयार रहता है।

वेदों, पुराणों और शास्त्रों में धन्यवाद के बारे में बहुत ही विस्तार से बताया गया है। हम मानते हैं कि भगवान सर्वशक्तिमान हैं, जिनकी कृपा से ही यह संसार बना है और चल रहा है। हम सब खुद को परब्रह्म के प्रति आभारी मानते हैं। दरअसल, ईश्वर की भक्ति, पूजा, आराधना भी उन्हें धन्यवाद करने का ही एक रास्ता है। दूसरों के प्रति सम्मान की भावना लाने के लिए खुद को प्रेरित करना ज़रूरी है। एक बार यदि आपके अंदर आभार प्रकट करने की भावना विकसित हो गई, तो फिर वो आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाएगा और आपकी ज़िंदगी खुशहाल रहेगी। कृतज्ञता के अभाव के कारण हम चीज़ों पर अपना अधिकार मानकर बैठ जाते हैं। संतोष का अभाव तथा अनवरत और पाने की लालसा हमें कृतज्ञ होने से रोकती है। कृतज्ञता ज्ञापन के पहले हम अक्सर कर्म या कृपा के परिणामों के उद्घाटित होने तक के लिए प्रतीक्षा पर बल देते हैं। यह विश्वास और आस्था की एक कमी का संकेत देता है और हमें उसी रूप में वापस मिलता है। कृतज्ञता हमें ध्यान के लाभों को समझाने में एक तरह से हमारी मदद करती है।

धन्यवाद देने के लिए किसी विशेष अवसर की ज़रूरत नहीं है। रात के खाने की मेज़ पर भी आप धन्यवाद कर सकते हैं। घर पर बच्चे को अगर आपने कोई काम दिया है, तो उसे इसके लिए धन्यवाद कह सकते हैं। ऐसी छोटी-छोटी चीज़ों के लिए भी धन्यवाद कहिए, जिन्हें आप उनका काम या अपना अधिकार मानते हैं। जैसे आपको तब भी धन्यवाद कहना चाहिए, जब किसी रेस्त्रां में कोई वेटर आपके खाली गिलास में पानी भर देता है। हालांकि, देखा जाए तो तकनीकी रूप से यह उस वेटर का काम ही है, मगर इससे उसके द्वारा किए गए काम की महत्ता तो कम नहीं हो जाती है। आपको उन लोगों से धन्यवाद बोलते रहना चाहिए, जो आपके जीवन को जीने योग्य बनाते हैं। साथ ही अपना आभार व्यक्त करने का अभ्यास करते रहना चाहिए।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया का एक शोध कहता है कि धन्यवाद बोलने के कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी हैं। शोध में कहा गया है कि लोगों का आभार जताने वाले व्यक्ति को अच्छी नींद आती है और उनका इम्यून सिस्टम भी मज़बूत होता है। रिसर्च के अनुसार, यदि हम रोज़ाना के जीवन में आभार व्यक्त करने की आदत अपना लें, तो इससे ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है, अवसाद और चिंता से छुटकारा मिलता है, व्यक्तित्व विकास होता है और गलत आदत और गलत व्यवहार में कमी लाई जा सकती है। किसी के प्रति कृतज्ञता का भाव इंसान को ज़िम्मेदार बनाता है। जब हम किसी को उसके काम के लिए शुक्रिया कहते हैं, तो इससे हमारे व्यवहार में एक तरह का लचीलापन आने लगता है। वहीं, यूएसए की केंट स्टेट यूनिवर्सिटी की मानें, तो धन्यवाद लिखकर व्यक्त करने से भी फायदा मिलता है। ऐसा करने वाले लोग ज्यादा खुशमिज़ाज होते हैं तथा लोगों के साथ उनके रिश्ते भी मज़बूत बने रहते हैं।

किसी भी कार्य के बदले भावनाओं को त्वरित अभिव्यक्त करने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है आभार या धन्यवाद ज्ञापित करना। संबंधों की प्रगाढ़ता को यही धन्यवाद चार चांद लगा देता है। धन्यवाद की अनुपस्थिति संबंधों को रूखा कर सकती है और सेवा या किसी कार्य को भविष्य में उसी भाव से करने में व्यवधान पैदा कर सकती है। इसका भाव एहसान या उससे उत्पन्न होने वाले घमंड से परे है। ऐसा कहा जाता है कि जितने धन्यवाद आप कमाते हैं वही आपकी असली कमाई है। क्योंकि यह सीधे-सीधे तत्काल किसी की मदद और किसी की किसी भी परिस्थिति में मदद से जुड़ा है। यहां कोई दूसरे के लिए कुछ ऐसा कर रहा है कि सामने वाले का मन उसके लिए एक अलग प्रकार की श्रद्धा से भर रहा है। यह श्रद्धा किसी के विश्वास को भी मज़बूत करती है।

एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग में एक दुकानदार ने सिर्फ़ धन्यवाद कहने के लिए सालाना जलसा रखा और अपने ग्राहकों को भोज भी करवाया। इससे ही उसकी ग्राहकी में सत्तर प्रतिशत बढ़ोतरी देखी गई। धन्यवाद जब अनपेक्षित मिलता है, तो उसमें ख़ुशी का एहसास ज़्यादा होता है। अनजानी जगह, अनजाने लोगों के बीच कोई अनजानी सहायता करने के बाद मिले धन्यवाद का एहसास अलग ही होता है। यह हमारे अंदर जोश, आत्मविश्वास और अपनापन भर देता है। सूक्ष्म स्तर पर देखा जाए तो ऐसा है भी, हम सब एक दूसरे के लिए और एक दूसरे से ही बने हैं। इसलिए सारे धर्मों में भी धन्यभागी बन जाने पर ज़ोर दिया गया है।

आभारी लोग ज़्यादा ख़ुश, कम उदास, कम थके हुए और अपने जीवन और सामाजिक रिश्तों से अधिक संतुष्ट होते हैं। धन्यभागी लोगों में अपने वातावरण, व्यक्तिगत विकास, जीवन के उद्देश्य और आत्म स्वीकृति के लिए भी नियंत्रण स्तर उच्च होता हैं। उनके पास जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने के लिए अधिक सकारात्मक तरीक़े होते हैं, उन्हें अन्य लोगों से समर्थन मिलने की संभावना अधिक होती है, वे अनुभव की पुनः व्याख्या करते हैं और उससे आगे बढ़ते हैं और समस्या के समाधान के लिए योजना बनाने में अधिक समय लगाते हैं।

कई अध्ययन बताते हैं कि...धन्यवाद देने का भाव जिन लोगों में प्रबल होता है उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा व चारित्रिक गुण अधिक होते हैं। ऐसे लोगों में गुणात्मक विकास बहुत ज़्यादा होता है। धन्यवाद भी संक्रामक की श्रेणी में आता है। यदि कोई किसी को धन्यवाद ज्ञापित कर रहा है तो सच मानिए तीसरा व्यक्ति भी इसके लिए स्वतः प्रेरित होता है। वास्तव में देखा जाए तो एक छोटा-सा शब्द हमारे मन पर सकारात्मक गहरी छाप छोड़ता है। इसलिए आवश्यक है कि हमारे हिस्से में भी बहुत सारे धन्यवाद आएं और हम भी बहुत सारे धन्यवाद कर सकें।

कृतज्ञता प्रकट करने का रवैया अपनाएं। अपने स्वयं के दृष्टिकोण पर ध्यान देना शुरू करें और आभार प्रकट करने का अभ्यास शुरू करें। शुरुआती तौर पर कृतज्ञता प्रकट करने का अभ्यास करने के लिए आपके पास भूतकाल में जो कुछ भी था और वर्तमान में जो कुछ भी है उसके लिए अपने मन में कृतज्ञता की भावना को लाएं।

हर सुबह की शुरुआत चेतना के साथ सोच-समझ कर करें और इसके लिए भगवान को धन्यवाद दें कि आप जीवित हैं। सुबह में, ‘ईश्वर द्वारा आपको दिए गए आशीर्वादों को गिनें’। इन्हे कहीं भी लिखकर रखना शुरू करें । ऐसे 5 आशीर्वादों की सूची बनायें जिनके लिए आप ईश्वर के आभारी हैं। आभार प्रकट करते समय आपके भावनाओं की गहराई महत्वपूर्ण है। आप इसके लिए एक डायरी रख सकते हैं।जिस किसी ने आपकी मदद कर (चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा हो) आपके दिन को खुशनुमा बयाना हो, उसे एक त्वरित “धन्यवाद” देने के लिए समय निकालें और उसे एक छोटी सी मुस्कान दें ।

मन की शांति, संतुष्टि और जीवन में सफलता के लिए कृतज्ञता एक उत्प्रेरक है। इसे एक आदत बनाएं कि जब भी आपका दिन खत्म हो, आप बैठें और उन सभी चीजों को नोट करें जो उस विशेष दिन में अच्छी हुई थीं। आपको उन सभी क्षणों, घटनाओं, संबंधों, चीजों और संपत्ति के लिए आभारी होना चाहिए। ऐसी छोटी-छोटी चीजों की सूची बनाना, जिनके लिए आप आभारी हैं, आपको पूरी तरह से अलग वक्तित्व प्रदान करेगी। आप हर दिन अपने भीतर एक बदलाव देखना शुरू कर देंगे।

जीवन में सभी ‘नियर मिस’ के लिए आभारी रहें‘। नियर मिस’ का मतलब किसी दुर्घटना या चोट से संयोग वश बच जाना होता है। हम इसे हिंदी में ‘बाल-बाल बचना’ कहते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि प्रत्येक 1000 नियर मिस होने पर एक गंभीर चोट या घातक दुर्घटना घटित होती है। जीवन में ऐसी तमाम नियर मिस के लिए आभारी होना चाहिए। जीवन में कई मौके आते हैं, जब हम किसी समस्याग्रस्त स्थितियों में फंसने से बच जाते हैं। जीवन में ऐसी सभी घटनाओं के लिए आभारी रहें। जैसे कि आप किसी कार दुर्घटना से बचे हों या आपकी किसी गंभीर बीमारी की महत्वपूर्ण चिकित्सा रिपोर्ट में बीमारी के लक्षण न दिखाई दिए हों ।

आपको जीवन के नकारात्मक भागों के लिए आभारी होना चाहिए। आप अभी जो कुछ भी हैं, जीवन में उन नकारात्मक घटनाओं, स्थितियों या क्षणों से मिली सीख के कारण हैं। यदि वे नकारात्मक परिस्थितियां आपके जीवन का हिस्सा नहीं होती , तो आप अपने अंदर ज़रुरी बदलाव नहीं कर सकते थे और अपने व्यक्तित्व में सुधार नहीं ला सकते थे और आज की सफलता के मुकाम तक नहीं पहुंच सकते हैं। जीवन के नकारात्मक क्षणों से अपनी स्पॉटलाइट को स्थानांतरित करें और उन नकारात्मक भागों को सकारात्मक दृष्टिकोणों से देखें। ध्यान दें कि उन नकारात्मक घटनाओं का आपके जीवन में क्या प्रभाव पड़ा है और उससे हुए सकारात्मक परिणामो के लिए आभारी रहें।

आभार को एक भावनात्मक मांसपेशी के रूप में देखें, जो जानबूझकर उपयोग के साथ विकसित होगी और अधिक मज़बूत बनेगी । जब आप अपना आभार व्यक्त करते हैं, तो यह और अधिक विकसित होता है। यदि आप अपने जीवन में धन्यवाद की भावना का अधिक अनुभव करना चाहते हैं, तो ‘धन्यवाद!’ अधिक बार कहें। यह एक छोटी सी बात है, लेकिन जो लोग लगातार कृतज्ञता व्यक्त करते हैं वे अपने जीवन में सभी चीज़ों के लिए उच्च स्तर की जागरूकता विकसित करते हैं, जिनके लिए उन्हें आभारी होना चाहिए।

हर दिन है थैंक्सगिविंग डे। संयुक्त राज्य अमेरिका में, एक विशेष दिन ‘धन्यवाद दिवस’ (थैंक्स गिविंग डे) के रूप में मानते है। यह आभार प्रकट करने के लिए एक निर्दिष्ट दिन है। उनके जीवन में थैंक्सगिविंग डे मनाना बहुत महत्वपूर्ण इवेंट है। धन्यवाद देने से उन्हें अपने जीवन में अच्छी चीज़ों को पहचानने, सराहना करने और उसके लिए आभारी होने में मदद मिलती है। मेरा मानना है कि कृतज्ञता के लिए केवल एक निर्दिष्ट दिन क्यों हो। हमें हर दिन को धन्यवाद दिवस (थैंक्स गिविंग डे) के रूप में जीना चाहिए।

कृतज्ञता जीवन जीने का एक तरीका बन जाना चाहिए, आपकी कोशिकाओं और अवचेतन मन में समाहित और संस्कारित हो जाना चाहिए। आपको अपने दिमाग को सचेत रूप से सोचते हुए “थैंक यू” कहने का अभ्यास करना चाहिए। अधिक चेतना के साथ जानबूझकर धन्यवाद देने पर आप अपने भीतर उत्पन्न कृतज्ञता का और भी अधिक महसूस करेंगें । आपके भीतर कृतज्ञता की भावना बढ़ने के परिणामस्वरूप आपको अधिक समृद्धि, संतुष्टि और मन की शांति की प्राप्ति होगी । आभार (ग्रेटीट्यूड) का स्तर जो आप महसूस और प्रकट (दूसरों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं) करते हैं,उसका स्तर आपकी आंतरिक शांति और खुशी के स्तर के बराबर होगा।

धन्यवाद पाना और देना दोनों ही हमारे सच्चे बैंक बैलेंस हैं जो हमारे साथ जाने वाले हैं।

आप क्या सोचते हैं ? आप कृतज्ञता का अभ्यास कब से शुरू करेंगे? अगले महीने या अगले हफ्ते? या बस इस लेख को पढ़ते ही धन्यवाद देंगे?

आइए, इसे अभी से शुरु करें...

नववर्ष 2025 से शुरू करें.......!!

Sunday, 22 December 2024

साड़ी दिवस पर विशेष...

 

साड़ी दिवस पर विशेष...



जब कभी मुझे मौका मिलता

मैं चुपचाप अपनी मां की साड़ी की अलमारी खोलकर

उनकी साड़ियों को सहला लेती हूं

कितने प्यारे रंग हैं....इतने प्यारे ढंग है

इतने रंग पर....रंगों के डिब्बे कहीं नहीं

कहीं लहर है, कहीं बादल, कहीं फूल, कहीं पत्ती,

कहीं चटकी हुई कलियां, कहीं कलियों की बूटियां,

कहीं तोता, कहीं मैंना, कहीं मोर और कहीं शानदार हाथी-घोड़े-पालकी,

अरे वाह! रंगों का तो कहना ही क्या?

कहीं आसमानी, कहीं जामुनी,

अरे! वह धानी भी तो है,

गुलाबी-लाल-स्लेटी-बैंगनी-काला-सफेद और न जाने कौन-कौन से रंग....

भगवान की जादुई कूची से बने हुए यह सुंदर-सुंदर रंग....

सोचती हूं जल्दी से बड़ी हो जाऊं...

बड़ी होकर इन सुंदर-सुंदर साड़ियों को पहनकर लहराती चलूं,

कल ही मैंने लेस लगाकर अपनी फ्रॉक अपने हाथों से सिली थी

पर मुझे तो मुझे नानी की साड़ियों से प्यार है,

हां, नानी की चटकदार बैंगनी और गुलाबी कांजीवरम की साड़ी

और उसमें जड़े सुनहरे और गुलाबी मोर

मस्ती से नाचते मोर,नानी की साड़ी है या जादू

साड़ी जो कभी बैंगनी दिखती है तो कभी गुलाबी

नानी खिलखिला कर हंसती और इतराते हुए कहती

यह धूप छांव वाली साड़ी है।

नानी की साड़ी से मोगरे की खुशबू आती 

रोज़-रोज़ वे मोगरे का गजरा जो पहनतीं

उनके माथे की बड़ी-सी बिंदी मुझे उगते सूरज-सी लगती।

अरे देखो, देखो, मेरी बुआ घर आई,

शिखा  बुआ….आसमान के सारे टिमटिमाते तारे टांककर अपनी साड़ी में

शिखा बुआ आई फूलों की पंखुड़ियां उनकी साड़ी में

इत्र की खुशबू आती है उनकी साड़ी में

वैसे अच्छी हैं, पर नाराज़ भी हो जाती हैं कभी-कभी

गंदे हाथों से छू जो लेती हूं उनकी साड़ी

फिर भी मैं तो बुआ की लाडली हूं

बुआ मुझे प्यार से कहती हैं,डॉली

डॉली मतलब गुड़िया.....गुड़िया जो सबकी प्यारी

वे मेरे बालों में गुलाबी रंग का हेयर बैंड लगाती,

लेकिन मुझे तो उनकी वही गुलाबी वाली साड़ी चाहिए...

अब आशा ताई की क्या बात क्या करूं?

वे तो सिंथेटिक साड़ी ही पहनती हैं,

लेकिन सिंथेटिक साड़ी में तो पूरे बगीचे के रंग-बिरंगे फूलों की बहार है, चटकीले रंग हैं,

कैसे-कैसे? न जाने कितने रंगों के फूल हैं,

और फूलों के साथ झूलती हुई डालियां हैं,

जैसे-जैसे आशा ताई घर में झाड़ू और पोंछा लगाती हैं,

वैसे-वैसे ही फूलों की डालियां भी मस्ती में झूलती-झूमती-लहराती हैं,

उनकी साड़ी से हल्दी-कुमकुम-मसाले की खुशबू आती है,

वे मुझे प्यार से ‘लल्ली’ बुलाती हैं,

वैसे मुझे यह नाम अटपटा लगता है क्योंकि....

क्योंकि अब मैं बड़ी हो रही हूं।

और अब मैं बात करती हूं अपनी मां की, मां....जो दुनिया में मुझे सबसे ज़्यादा प्यारी हैं...

उनकी साड़ी रेशम की साड़ी है, जो अजब-गजब सी लगती है,

उसमें जंगल जैसा बना है,

कहीं मछलियां पानी में तैर रही हैं, तो कहीं पंछी आसमान में उड़ान भर रहे,

मां आंचल को सिर पर डालकर आंखें मूंद कर बैठी,

राम लला के भजनों को गाने में लीन,

ये भजन हैं या मिश्री,

इनको सुनकर ही मैं भी केवट मांझी के साथ-साथ नाव पर सवार,

राम-कथा के कई सपने बुन लेती हूं,

मां में एक अनोखी सी खुशबू आती है, अनोखी नायाब खुशबू,

मैं इसे बोतल में कैद करना चाहती हूं,

क्योंकि अगर मां कहीं चली गईं तो....

सोच-सोच कर डरती हूं….मां का सिल्क का पल्लू थाम लेती हूं,

कस कर जकड़ लेती हूं….कहीं छूट न जाए।

हर साड़ी कुछ बोलती है, जी हां, हर साड़ी की अपनी एक कहानी है,

ठीक सुना आपने,

ये साड़ियां हमसे कुछ-कुछ कहती हैं,अपने ताने-बाने में बहुत कुछ कहती हैं,

हर बार एक नई कहानी, मौन रहकर...

चुपचाप..!!

डॉ मीता गुप्ता

ध्यान द्वारा जीवन कौशल विकास

 
ध्यान द्वारा जीवन कौशल विकास




ध्यान हिंदू धर्म, भारत की प्राचीन शैली और विद्या के संदर्भ में महर्षि पतंजलि द्वारा विरचित योगसूत्र में वर्णित अष्टांगयोग का एक अंग है। ये आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि हैं। ध्यान का अर्थ किसी भी एक विषय की धारण करके उसमें मन को एकाग्र करना होता है। मानसिक शांति, एकाग्रता, दृढ़ मनोबल, ईश्वर का अनुसंधान, मन को निर्विचार करना, मन पर काबू पाना जैसे कई उद्देश्यों के साथ ध्यान किया जाता है। ध्यान का प्रयोग भारत में प्राचीनकाल से किया जाता  रहा है। तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम् अर्थात अपने विचारों को निर्बाध प्रवाह में प्रवाहित करने से चिंतन (ध्यान) होता है। गीता के अध्याय-6 में श्रीकृष्ण द्वारा ध्यान की पद्धति का वर्णन किया गया है। ध्यान करने के लिए पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठा जा सकता है। शांत और चित्त को प्रसन्न करने वाला स्थल ध्यान के लिए अनुकूल है। रात्रि, प्रात:काल या संध्या का समय भी ध्यान के लिए अनुकूल है।
ध्यान से आत्म साक्षात्कार होता है। ध्यान को मुक्ति का द्वार कहा जाता है। ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी आवश्यकता हमें लौकिक जीवन में भी है और अलौकिक जीवन में भी। ध्यान को सभी दर्शनों, धर्मों व संप्रदायों में श्रेष्ठ माना गया है। अनेक महापुरुषों ने ध्यान के ही माध्यम से अनेक महान कार्य संपन्न किए, जैसे- स्वामी विवेकानंद एवं भगवान बुद्ध आदि।
ध्यान शब्द की व्युत्पत्ति ध्यैयित्तायाम् धातु से हुई है, जिसका तात्पर्य है, चिंतन करना। लेकिन यहाँ ध्यान का अर्थ चित्त को एकाग्र करना, उसे एक लक्ष्य पर स्थिर करना है। अत: किसी विषय वस्तु पर एकाग्रता या ‘चिंतन की क्रिया’ ध्यान कहलाती है। यह एक मानसिक प्रक्रिया है,फलस्वरूप मानसिक शक्तियों का एक स्थान पर केंद्रीकरण होने लगता है। ध्यान एक शक्तिशाली तकनीक है, जो जीवन कौशल विकास में मदद कर सकती है। ध्यान जीवन कौशल विकास में मदद कर सकता है और हमें एक अधिक संतुलित, खुश और सफल जीवन जीने में मदद करता है।
ध्यान करने के लिए व्यक्ति की रुचि के अनुसार अनेक प्रकार की पद्धतियां हैं। ध्यान करने के लिए स्वच्छ जगह पर स्वच्छ आसन पे बैठकर साधक अपनी आँखे बंद करके अपने मन को दूसरे सभी संकल्प-विकल्पों से हटाकर शांत कर देता है और ईश्वर, गुरु, मूर्ति, आत्मा, निराकार परब्रह्म या किसी की भी धारणा करके उसमे अपने मन को स्थिर करके उसमें ही लीन हो जाता है। जिसमें ईश्वर या किसी की धारणा की जाती है, उसे साकार ध्यान और जब किसी की भी धारणा का आधार लिए बिना ही कुशल साधक अपने मन को स्थिर करके लीन होता है, उसे योग की भाषा में निराकार ध्यान कहा जाता है।
ध्यान के साथ मन को एकाग्र करने के लिए प्राणायाम, नामस्मरण (जप), त्राटक का भी सहारा लिया जा सकता है। ध्यान के साथ प्रार्थना भी कर सकते है। साधक अपने गुरु के मार्गदर्शन और अपनी रुचि के अनुसार कोई भी पद्धति अपनाकर ध्यान कर सकता है। ध्यान के अभ्यास के प्रारंभ में मन की अस्थिरता और एक ही स्थान पर एकांत में लंबे समय तक बैठने की अक्षमता जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। परंतु निरंतर अभ्यास के बाद मन को स्थिर किया जा सकता है। सदाचार, सद्विचार, यम, नियम का पालन और सात्विक भोजन से भी ध्यान में सरलता प्राप्त होती है।
ध्यान के अभ्यास से मन शांत हो जाता है, जिसको योग की भाषा में चित्तशुद्धि कहा जाता है। ध्यान में साधक अपने शरीर, वातावरण को भी भूल जाता है और समय का भान भी नहीं रहता। उसके बाद समाधिदशा की प्राप्ति होती है। योगग्रंथों के अनुसार ध्यान से कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया जा सकता है और साधक को कई प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त होती है।
ध्यान असाधारण मानसिक शक्ति प्रदान करता है, यदि इसका लगन से अभ्यास किया जाए, तो आप अपनी संज्ञानात्मक शक्तियों में धीरे-धीरे और सकारात्मक वृद्धि देखेंगे। नियमित ध्यान अभ्यास आपके दिमाग को अटूट फोकस विकसित करने के लिए प्रशिक्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है। अपने मानसिक ऊर्जा को एक बिंदु पर इकट्ठा करके अपने दिमाग को विकर्षणों से छुटकारा पाने के लिए प्रोत्साहित करना ध्यान का एक महत्वपूर्ण तत्व है। ध्यान आपके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालता है। ध्यान आपको अपने दिमाग में विचारों के प्रवाह को बदलने और केवल महत्वपूर्ण विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति देता है। ध्यान आपको अपने भीतर निष्क्रिय ऊर्जाओं को समाप्त करने में मदद करता है, जो तनाव को कम करने में ही मदद नहीं करता , बल्कि आप इसके प्रतिकूल प्रभावों से खुद को बेहतर तरीके से बचा पाते हैं।
आत्मविश्वास से भरपूर रखने के कई तरीके हैं, जिनमें से एक सबसे अच्छा तरीका है ध्यान। आराम से बैठकर अपने मन पर ध्यान केंद्रित करने से आपको भावनात्मक बोझ से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। आप अपने मन को मुक्त कर सकते हैं और उसे अपनी ताकत के रूप में विकसित कर सकते हैं। ध्यान करने से आपकी नसों को आराम मिलता है और आपके उत्तेजित मस्तिष्क की कोशिकाएँ शांत होती हैं, जिससे आपकी चिंता शांत होती है।
क्या आप उदास महसूस कर रहे हैं?
क्या आपको लगता है कि आपका बाकी दिन बिस्तर में लेटे रहना है?
तो अपने बिस्तर से उठें और ध्यान में ध्यान लगाएँ। अपने मन को तरोताज़ा करने के लिए आपको घंटों ध्यान करने की ज़रूरत नहीं है। 10 मिनट का एक छोटा सा सत्र भी आपके लिए चमत्कार कर सकता है! आप अपनी मानसिक शक्ति को फिर से कैसे भर सकते हैं, ताकि आप जीवन में आने वाली अन्य गंभीर परिस्थितियों से निपट सकें? हाँ, आपने सही अनुमान लगाया। यदि आप प्रतिदिन कुछ समय ध्यान में बिताते हैं, तो आपकी आंतरिक शक्ति लगभग हमेशा शीर्ष स्तर पर बनी रहती है। थकान’ केवल शारीरिक स्थिति नहीं है, बल्कि मन की स्थिति भी है। नियमित रूप से और पूरी लगन के साथ ध्यान करना आपके मन और शरीर को तरोताज़ा करने का सबसे अच्छा तरीका है। लोग अक्सर ध्यान को रॉकेट साइंस समझते हैं, लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज़्यादा है। नियमित रूप से ध्यान करें और अपने जीवन में होने वाले जादू को देखें।
ध्यान करने का अर्थ है, शांत रहना। हर बार जब आप ध्यान करते हैं, तो आप एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाते हैं जहाँ सब कुछ शांत होता है। अगर आपको अपने गुस्से को नियंत्रित करने में परेशानी होती है, तो नियमित रूप से ध्यान करने से आपको बहुत फ़ायदा हो सकता है। ध्यान न केवल आपको अपने गुस्से को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि आप इसे किसी रचनात्मक ऊर्जा में भी बदल सकते हैं। रात को नींद नहीं आती? या हर समय बहुत नींद आती है? इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप नींद की जिस समस्या से भी जूझ रहे हों,  ध्यान आपकी मदद के लिए है। हर दिन एक निश्चित समय पर एक निश्चित अवधि के लिए ध्यान करें, इससे आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार होगा। हर दिन ध्यान करने से आपके मस्तिष्क की कोशिकाओं को आराम मिलता है और आपके मस्तिष्क का निद्रा संचालन सक्षम होता है। यह विश्वास करना कठिन हो सकता है कि नियमित ध्यान आपके चयापचय पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालता है, परंतु यह सत्य है। आपका चयापचय केवल आपके आहार सेवन और शारीरिक गतिविधि पर निर्भर नहीं करता है, आपका मानसिक स्वास्थ्य भी आपके चयापचय पर गहरा प्रभाव डालता है। एक शांत और तनावमुक्त मन शरीर को उसके पोषक तत्वों को सही ढंग से चयापचय करने में मदद करेगा और आपको एक स्वस्थ जीवन शैली का आनंद लेने में मदद मिलेगी।
ध्यान हृदय और उसके आस-पास के ऊतकों के सामान्य कार्यों और संरचना को बनाए रखने में बहुत मदद करता है। ध्यान करने से आपका रक्त संचार बढ़ता है, आपकी रक्त संरचना में सुधार होता है। अच्छा स्वास्थ्य एक स्थिर मन, मज़बूत शरीर और आध्यात्मिक कल्याण का एक सूक्ष्म मिश्रण है। ध्यान करने से आप अपनी आत्मा से जुड़ सकते हैं और अपने आध्यात्मिक स्वास्थ्य को और अधिक उत्कृष्ट स्तर पर ले जा सकते हैं। ध्यान उस मार्ग को प्रकाशित करता है, जो आपको आध्यात्मिक जागृति की स्थिति में ले जाएगा और आपके चारों ओर शांति की स्थिति लाएगा।
किसने कहा कि गर्भावस्था आसान है? मूड स्विंग, असामान्य भोजन की लालसा, मतली और उल्टी गर्भावस्था को एक मुश्किल यात्रा बना देती है। गर्भवती माताएँ नियमित रूप से ध्यान करके अपनी इस यात्रा को आसान बना सकती हैं। यदि आप विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ध्यान करना सीखते हैं, तो आप अपनी गर्भावस्था के दौरान शांत मन और अच्छे मूड को बनाए रखने में सक्षम होंगी। भारतीय संस्कृति गर्भावस्था के दौरान गर्भ संस्कार पर ज़ोर देती है। गर्भ संस्कार अजन्मे भ्रूण को अच्छी विचारधारा और सकारात्मकता सिखाने का एक तरीका है। ध्यान करना गर्भ संस्कार का एक मुख्य तत्व है और इसे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ भ्रूण के विकास का श्रेय दिया जाता है।
हम सभी जानते हैं कि मन, शरीर और आत्मा, तीनों को समन्वित और स्वस्थ ढंग से संयोजित करके हम अपने जीवन को अधिक सार्थक बना सकते हैं। ध्यान वह समग्र पोषण है, जो आपके जीवन के वृक्ष को खिलने और समृद्ध होने देगा। ध्यान करने से आप अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों के बारे में अधिक जागरूक हो सकते हैं, जिससे आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। ध्यान करने से आप दूसरों की भावनाओं और ज़रूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील और समानुभूतिपूर्ण हो सकते हैं। ध्यान करने से आप अपने विचारों और भावनाओं को अधिक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं, जिससे आप अधिक खुश और संतुष्ट महसूस कर सकते हैं। इससे आप अपने रिश्तों में सुधार ला सकते हैं। ध्यान करने से आप अपने आत्म-विश्वास में वृद्धि कर सकते हैं, क्योंकि आप अपनी क्षमताओं और ताकतों को बेहतर ढंग से समझ सकते
वस्तुतः ध्यान एक विशाल विषय है, और कोई भी शब्द इसकी प्रभावकारिता को पूरी तरह से समझा नहीं सकता है। अधिक से अधिक लोग ध्यान को अपनाएं और एक प्रभावकारी स्वस्थ जीवन का आनंद लेने के लिए कृतसंकल्प हों। ध्यान करने के आपके उद्देश्य और कारण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन परिणाम सदैव सकारात्मक होते हैं क्योंकि-
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्तिः,पूजामूलं गुरुर्पदम् 
मन्त्रमूलं गुरुर्वाक्यं,मोक्षमूलं गुरूर्कृपा 
x
डॉ मीता गुप्ता

Thursday, 5 December 2024

सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर भारत के वीर बांकुरों को नमन....

 

  

सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर भारत के वीर बांकुरों को नमन....



 

घाव बदन पे सहता जा तू

भारत-भारत कहता जा तू

पर्वत-पर्वत चढ़ता जा तू

वीर बहादुर लड़ता जा तू

शपथ है तुझको इस माटी की

लड़ना जब तक जान है बाकी

दम रुक जाए, कदम नहीं

सिर कट जाए, सौगंध नहीं ।

जय हिंद की सेना ! 

जय हिंद की सेना !

यूं तो भागदौड़ की ज़िंदगी में शायद ही हमें कभी उन सैनिकों की याद आती हो, जो हमारी सुरक्षा के लिए शहीद हो गए, पर आज के दिन अगर मौका मिले, तो हमें उनकी सेवा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। रेलवे स्टेशनों पर, स्कूलों में या अन्य स्थलों पर आज लोग आपको झंडे लिए मिल जाएंगे, जिनसे आप चाहें तो झंडा खरीद इस नेक काम में अपना योगदान दे सकते हैं।

1949 से 7 दिसंबर को पूरे देश में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि शहीदों और वर्दी में उन लोगों को सम्मानित किया जा सके, जिन्होंने देश के सम्मान की रक्षा हेतु देश की सीमाओं पर बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला किया और अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। सैनिक देश की संपत्ति होते हैं, देश का गौरव होते हैं, देश के रक्षक होते हैं। वे राष्ट्र के संरक्षक भी होते हैं तथा किसी भी कीमत पर नागरिकों की रक्षा करते हैं। देश अपने कर्तव्यों को पूरा करने वाले इन वीर सपूतों का ऋणी रहेगा, जिन्होंने मातृभूमि की सेवा में अपने जीवन लगा दिया है। वे सैनिक ही होते हैं, जो खुद अपनी नींद का त्याग करके हमें चैन से नींद लेने देते हैं। हमारी सुरक्षा के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर देते हैं। जब-जब देश पर संकट के बादल छाए हैं, वीर सैनिकों ने बड़ी ही कुशलता और जांबाज़ी से धरती माता की रक्षा की है। यथा-

वीरों का कैसा हो वसंत

आ रही हिमाचल से पुकार

है उदधि गरजता बार-बार

प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार

सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत

वीरों का कैसा हो वसंत

हमारी सुरक्षा के लिए अपने प्राण त्याग करने वाले सैनिकों को हम नमन करते हैं। भारत सरकार 7 दिसंबर को प्रति वर्ष सशस्त्र बलों की तीन शाखाओं- भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, और भारतीय नौसेना राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अपने प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।

हमारा कर्तव्य है कि हम न केवल शहीदों और सैनिकों की सराहना करें, बल्कि उनके परिवार की भी प्रशंसा करें, जो इस बलिदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। देश की सुरक्षा के लिए हमारे सैनिक दिन-रात एक कर अपना कर्तव्य निभाते हैं। एक सैनिक धर्म-जाति-संप्रदाय-वर्ण आदि के तुच्छ सरोकारों से ऊपर उठ कर केवल और केवल देश के हित के बारे में सोचता है ।ऐसे में कई बार देश की सुरक्षा में सैनिकों को अपने प्राणों की भी आहुति देनी पड़ती है और इन सैनिकों के घरवालों के दर्द से गुज़रना पड़ता है। केंद्र तथा राज्य स्तर पर दी जा रही सरकारी सहायता के अलावा यह हमारे देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह इनकी देखभाल, सहायता, पुनर्वास और वित्तीय सहायता प्रदान करने की दिशा में स्वैच्छिक योगदान करें। झंडा दिवस देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों, युद्ध वीरांगनाओं, दिव्यांग पूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं, शहीदों के आश्रितों की देखभाल करने के लिए मदद सुनिश्चित करता है और उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 

7 दिसंबर, 1949 से शुरू हुआ यह सफ़र आज तक जारी है। देश की सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ देश की आंतरिक सुरक्षा एवं प्राकृतिक आपदा के समय नागरिकों की सुरक्षा में भी सेना का बहुत बड़ा योगदान है। भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस वर्षों से भारत के सैनिकों, नौसैनिक और वायु सैनिक के सम्मान के रूप में इस दिन को मनाने की परंपरा बन गई है।

अंत में मैं श्रद्धानत होकर सभी वीर सैनिकों को नमन करते हुए इस प्रसिद्ध गीत की कुछ पंक्तियां उद्धृत कर रही हूं-

जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली

जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली

थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी

जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

 

कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मद्रासी 

सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी

जो खून गिरा पर्वत पर, वो खून था हिंदुस्तानी

जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी।

जय हिंद!

 

 डॉ मीता गुप्ता

 

और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...