Sunday, 29 December 2024

धन्यवाद... आभार... थैंक यू!!

 धन्यवाद... आभार... थैंक यू!!



धन्यवाद! एक ऐसा शब्द जो एक अलग तरह की महीनता लिए हुए है। कई बार ऐसा होता है कि सिर्फ़ एक शब्द ही पूरा सुख बुन देता है और ‘धन्यवाद’ ऐसा ही शब्द है। एक भरा-पूरा शब्द जो किसी भी तरह के सहयोग, सेवा का माल्यार्पण है। हम प्रसन्न होते हैं, किसी का सहयोग पाकर और हमारे अंदर भी बहुत कुछ फैलता है, वही कह देता है धन्यवाद। यह शब्द ‘धन्य और वाद’ के समासीकरण से बना है। इसका समास विग्रह करेंगे तो सामने आएगा- धन्य, ऐसा वाद। धन्य का मतलब ‘कृत या कृतार्थ।’ धन्य + वाद = धन्यवाद। यह संस्कृत का समस्त पद है। आइए इस शब्द को समझते हैं– (धन्य – धन् + यत्) – धनी, धन प्रदान करने वाला, महाभाग, ऐश्वर्यशाली, सौभाग्यशाली, श्रेष्ठ। वैसे अंग्रेज़ी शब्द ‘थैंक्स’ के बारे में बात करें, तो इसका उद्गम 12 वीं शताब्दी में हुआ। इसका वृहद संदर्भ में अर्थ है- ‘आपने जो मेरे लिए किया, वो मैं याद रखूंगा।’

चौकीदार, जो दरवाजा खोलते हुए आपका अभिवादन करता है, आप उसे धन्यवाद तक कहना मुनासिब नहीं समझते। कहने का मतलब यह है कि दुनिया या लोगों से परिचय करने से भी पहले हमारा जिस शब्द से सबसे पहले परिचय करवाया जाता है, वो महज़ शब्द भर तो नहीं होगा? तो फिर क्यों हम उसकी अहमियत को धीरे-धीरे नकारना शुरू कर देते हैं। धन्यवाद कोई शब्द नहीं! यह अंदर से महसूस किए गए आभार का बाहरी प्रदर्शन है। इसे व्यवहार का हिस्सा बनाए रखना ज़रूरी है। जीवन में आपके पास जो भी चीज़ें हैं, चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न हों, उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद कहें। ये चीजें प्रकृति, पौधों, जानवरों, लोगों, भोजन, भगवान और गुरु, ब्रह्मांड और पृथ्वी, स्वास्थ्य और फिटनेस, कार्य, व्यवसाय, कैरियर, वित्तीय और सामाजिक स्थिति, रिश्ते, जुनून, खुशी, प्रेम, जीवन, घर, भौतिक वस्तुओं, शिक्षा, ज्ञान, कौशल, योग्यता, मित्र और प्रौद्योगिकी आदि से संबंधित हो सकती हैं।

भारतीय दर्शन एवं परंपरा के अनुसार, व्यक्ति अनेक प्रकार के ऋण लेकर पैदा होता है। जन्म से लेकर जीवनयापन के दौरान हम पर अनेक लोगों का उपकार होता है। किसी और से मिले चार कंधों के बिना तो जीवनयात्रा भी पूरी नहीं हो सकती। जब यह जीवन इस तरह दूसरों के उपकार और सहयोग से ही आगे चलता है, तो क्यों नहीं हमें उन सबका शुक्रगुज़ार होना चाहिए। जब आप किसी को धन्यवाद बोलते हैं, तो इसका मतलब होता है, प्रकृति के प्रति आभारी रहना।

इस शब्द को हम किसी के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, तो इसका मतलब होता है कि हम उसे उसकी अहमियत या सार्थकता बता रहे हैं। असल में देखा जाए तो इस सृष्टि में कोई भी मनुष्य या जीव-जंतु अपने आप में अकेला क्या है? सब परस्पर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इस जीवनचक्र की यदि एक भी कड़ी टूट जाए, तो सब बिगड़ने लगता है। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि आप अपने जीवन में दूसरों की अहमियत को समझें और उसके लिए आभार व्यक्त करना न भूलें। यदि कोई आपके लिए कुछ करता है, तो उसे यह जताने का प्रयास करें कि जो कुछ भी सामने वाले ने आपके लिए किया है, आप उसकी कद्र करते हैं। उस व्यक्ति को धन्यवाद देना न भूलें। धन्यवाद कहने में दो चीजें निहित हैं। कृतज्ञता, जो कि एक भावना है और उस भावना की अभिव्यक्ति, जो कि एक प्रदर्शन है।

क्यों कहें धन्यवाद?यदि बीच सड़क पर आपकी गाड़ी खराब हो जाए और कोई मैकेनिक न मिले या फिर आपके घर का नल खराब हो जाए और प्लंबर न मिले, तो आप चाहकर भी अपना दिन बेकार होने से नहीं रोक पाएंगे। पैसे हैं और साधन भी हैं, लेकिन फिर भी आप अपने लिए वो सब काम नहीं कर सकते, क्योंकि उस काम को उसका जानकार ही कर सकता है। इस वक्त आपके लिए उस खास इंसान की अहमियत कितनी बढ़ जाती है, लेकिन वही जब आपको सेवा देकर जाता है, तो आप पैसा देकर अपना फर्ज़ पूरा कर लेते हैं। इसी तरह दिनभर में न जाने कितने लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमारे लिए काम करते हैं, हमें इसका अहसास तक नहीं होता। क्या आपने कभी सोचा है कि यदि रोज़मर्रा के जीवन में सफ़ाई कर्मचारी, घर में काम करने वाला, वॉचमैन, रिक्शावाला, वेटर, पुलिस, टीचर, डॉक्टर आदि अपना काम न करें, तो आपकी ज़िंदगी में क्या-क्या समस्या आ सकती हैं? तो क्यों न हमें इनके प्रति आभार व्यक्त करें? इनको धन्यवाद कहना तो बनता है। है न....

दरअसल थैंक्स, आभार या धन्यवाद जैसे शब्द भले ही किसी और के प्रति कृतज्ञता जताने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन ये शब्द कहीं न कहीं आपके व्यक्तित्व को भी उभारते हैं। धन्यवाद देना एक ऐसी प्रक्रिया है, जो हमारे व्यवहार के साथ-साथ हमारे अवचेतन मन पर भी असर करती है। आभार व्यक्त करने वाले इंसान अपेक्षाकृत ज्यादा खुशमिज़ाज होते हैं और उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल होती है।

मार्केटिंग या सेल्स के लोगों को विशेष-तौर पर इसके लिए तैयार करने के पीछे भी यही कारण है कि शुक्रिया बोलने से उनका गुडविल बनता है और लोग उनको सुनने के लिए आकर्षित होते हैं। लोगों को यह बताना कि आप उनके आभारी हैं, केवल एक अच्छी बात या अच्छी आदत ही नहीं है। यह दूसरे व्यक्ति से एक प्रकार का भावनात्मक संपर्क है, जिसकी आवश्यकता हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पड़ती ही है। लोग यह जानना चाहते हैं कि जो वे कर रहे हैं, उस पर ध्यान दिया जाता है और उसकी सराहना होती है। धन्यवाद मिलने से सामने वाला और दोगुने आत्मबल से उस काम को करने का प्रयास करता है। जब आप किसी को धन्यवाद बोलते हैं, तो सामने वाले की नज़र में आपकी इज़्ज़त भी बढ़ती है और वह आपके व्यवहार से प्रभावित होकर, आगे भी आपकी मदद करने को तैयार रहता है।

वेदों, पुराणों और शास्त्रों में धन्यवाद के बारे में बहुत ही विस्तार से बताया गया है। हम मानते हैं कि भगवान सर्वशक्तिमान हैं, जिनकी कृपा से ही यह संसार बना है और चल रहा है। हम सब खुद को परब्रह्म के प्रति आभारी मानते हैं। दरअसल, ईश्वर की भक्ति, पूजा, आराधना भी उन्हें धन्यवाद करने का ही एक रास्ता है। दूसरों के प्रति सम्मान की भावना लाने के लिए खुद को प्रेरित करना ज़रूरी है। एक बार यदि आपके अंदर आभार प्रकट करने की भावना विकसित हो गई, तो फिर वो आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाएगा और आपकी ज़िंदगी खुशहाल रहेगी। कृतज्ञता के अभाव के कारण हम चीज़ों पर अपना अधिकार मानकर बैठ जाते हैं। संतोष का अभाव तथा अनवरत और पाने की लालसा हमें कृतज्ञ होने से रोकती है। कृतज्ञता ज्ञापन के पहले हम अक्सर कर्म या कृपा के परिणामों के उद्घाटित होने तक के लिए प्रतीक्षा पर बल देते हैं। यह विश्वास और आस्था की एक कमी का संकेत देता है और हमें उसी रूप में वापस मिलता है। कृतज्ञता हमें ध्यान के लाभों को समझाने में एक तरह से हमारी मदद करती है।

धन्यवाद देने के लिए किसी विशेष अवसर की ज़रूरत नहीं है। रात के खाने की मेज़ पर भी आप धन्यवाद कर सकते हैं। घर पर बच्चे को अगर आपने कोई काम दिया है, तो उसे इसके लिए धन्यवाद कह सकते हैं। ऐसी छोटी-छोटी चीज़ों के लिए भी धन्यवाद कहिए, जिन्हें आप उनका काम या अपना अधिकार मानते हैं। जैसे आपको तब भी धन्यवाद कहना चाहिए, जब किसी रेस्त्रां में कोई वेटर आपके खाली गिलास में पानी भर देता है। हालांकि, देखा जाए तो तकनीकी रूप से यह उस वेटर का काम ही है, मगर इससे उसके द्वारा किए गए काम की महत्ता तो कम नहीं हो जाती है। आपको उन लोगों से धन्यवाद बोलते रहना चाहिए, जो आपके जीवन को जीने योग्य बनाते हैं। साथ ही अपना आभार व्यक्त करने का अभ्यास करते रहना चाहिए।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया का एक शोध कहता है कि धन्यवाद बोलने के कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी हैं। शोध में कहा गया है कि लोगों का आभार जताने वाले व्यक्ति को अच्छी नींद आती है और उनका इम्यून सिस्टम भी मज़बूत होता है। रिसर्च के अनुसार, यदि हम रोज़ाना के जीवन में आभार व्यक्त करने की आदत अपना लें, तो इससे ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है, अवसाद और चिंता से छुटकारा मिलता है, व्यक्तित्व विकास होता है और गलत आदत और गलत व्यवहार में कमी लाई जा सकती है। किसी के प्रति कृतज्ञता का भाव इंसान को ज़िम्मेदार बनाता है। जब हम किसी को उसके काम के लिए शुक्रिया कहते हैं, तो इससे हमारे व्यवहार में एक तरह का लचीलापन आने लगता है। वहीं, यूएसए की केंट स्टेट यूनिवर्सिटी की मानें, तो धन्यवाद लिखकर व्यक्त करने से भी फायदा मिलता है। ऐसा करने वाले लोग ज्यादा खुशमिज़ाज होते हैं तथा लोगों के साथ उनके रिश्ते भी मज़बूत बने रहते हैं।

किसी भी कार्य के बदले भावनाओं को त्वरित अभिव्यक्त करने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है आभार या धन्यवाद ज्ञापित करना। संबंधों की प्रगाढ़ता को यही धन्यवाद चार चांद लगा देता है। धन्यवाद की अनुपस्थिति संबंधों को रूखा कर सकती है और सेवा या किसी कार्य को भविष्य में उसी भाव से करने में व्यवधान पैदा कर सकती है। इसका भाव एहसान या उससे उत्पन्न होने वाले घमंड से परे है। ऐसा कहा जाता है कि जितने धन्यवाद आप कमाते हैं वही आपकी असली कमाई है। क्योंकि यह सीधे-सीधे तत्काल किसी की मदद और किसी की किसी भी परिस्थिति में मदद से जुड़ा है। यहां कोई दूसरे के लिए कुछ ऐसा कर रहा है कि सामने वाले का मन उसके लिए एक अलग प्रकार की श्रद्धा से भर रहा है। यह श्रद्धा किसी के विश्वास को भी मज़बूत करती है।

एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग में एक दुकानदार ने सिर्फ़ धन्यवाद कहने के लिए सालाना जलसा रखा और अपने ग्राहकों को भोज भी करवाया। इससे ही उसकी ग्राहकी में सत्तर प्रतिशत बढ़ोतरी देखी गई। धन्यवाद जब अनपेक्षित मिलता है, तो उसमें ख़ुशी का एहसास ज़्यादा होता है। अनजानी जगह, अनजाने लोगों के बीच कोई अनजानी सहायता करने के बाद मिले धन्यवाद का एहसास अलग ही होता है। यह हमारे अंदर जोश, आत्मविश्वास और अपनापन भर देता है। सूक्ष्म स्तर पर देखा जाए तो ऐसा है भी, हम सब एक दूसरे के लिए और एक दूसरे से ही बने हैं। इसलिए सारे धर्मों में भी धन्यभागी बन जाने पर ज़ोर दिया गया है।

आभारी लोग ज़्यादा ख़ुश, कम उदास, कम थके हुए और अपने जीवन और सामाजिक रिश्तों से अधिक संतुष्ट होते हैं। धन्यभागी लोगों में अपने वातावरण, व्यक्तिगत विकास, जीवन के उद्देश्य और आत्म स्वीकृति के लिए भी नियंत्रण स्तर उच्च होता हैं। उनके पास जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने के लिए अधिक सकारात्मक तरीक़े होते हैं, उन्हें अन्य लोगों से समर्थन मिलने की संभावना अधिक होती है, वे अनुभव की पुनः व्याख्या करते हैं और उससे आगे बढ़ते हैं और समस्या के समाधान के लिए योजना बनाने में अधिक समय लगाते हैं।

कई अध्ययन बताते हैं कि...धन्यवाद देने का भाव जिन लोगों में प्रबल होता है उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा व चारित्रिक गुण अधिक होते हैं। ऐसे लोगों में गुणात्मक विकास बहुत ज़्यादा होता है। धन्यवाद भी संक्रामक की श्रेणी में आता है। यदि कोई किसी को धन्यवाद ज्ञापित कर रहा है तो सच मानिए तीसरा व्यक्ति भी इसके लिए स्वतः प्रेरित होता है। वास्तव में देखा जाए तो एक छोटा-सा शब्द हमारे मन पर सकारात्मक गहरी छाप छोड़ता है। इसलिए आवश्यक है कि हमारे हिस्से में भी बहुत सारे धन्यवाद आएं और हम भी बहुत सारे धन्यवाद कर सकें।

कृतज्ञता प्रकट करने का रवैया अपनाएं। अपने स्वयं के दृष्टिकोण पर ध्यान देना शुरू करें और आभार प्रकट करने का अभ्यास शुरू करें। शुरुआती तौर पर कृतज्ञता प्रकट करने का अभ्यास करने के लिए आपके पास भूतकाल में जो कुछ भी था और वर्तमान में जो कुछ भी है उसके लिए अपने मन में कृतज्ञता की भावना को लाएं।

हर सुबह की शुरुआत चेतना के साथ सोच-समझ कर करें और इसके लिए भगवान को धन्यवाद दें कि आप जीवित हैं। सुबह में, ‘ईश्वर द्वारा आपको दिए गए आशीर्वादों को गिनें’। इन्हे कहीं भी लिखकर रखना शुरू करें । ऐसे 5 आशीर्वादों की सूची बनायें जिनके लिए आप ईश्वर के आभारी हैं। आभार प्रकट करते समय आपके भावनाओं की गहराई महत्वपूर्ण है। आप इसके लिए एक डायरी रख सकते हैं।जिस किसी ने आपकी मदद कर (चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा हो) आपके दिन को खुशनुमा बयाना हो, उसे एक त्वरित “धन्यवाद” देने के लिए समय निकालें और उसे एक छोटी सी मुस्कान दें ।

मन की शांति, संतुष्टि और जीवन में सफलता के लिए कृतज्ञता एक उत्प्रेरक है। इसे एक आदत बनाएं कि जब भी आपका दिन खत्म हो, आप बैठें और उन सभी चीजों को नोट करें जो उस विशेष दिन में अच्छी हुई थीं। आपको उन सभी क्षणों, घटनाओं, संबंधों, चीजों और संपत्ति के लिए आभारी होना चाहिए। ऐसी छोटी-छोटी चीजों की सूची बनाना, जिनके लिए आप आभारी हैं, आपको पूरी तरह से अलग वक्तित्व प्रदान करेगी। आप हर दिन अपने भीतर एक बदलाव देखना शुरू कर देंगे।

जीवन में सभी ‘नियर मिस’ के लिए आभारी रहें‘। नियर मिस’ का मतलब किसी दुर्घटना या चोट से संयोग वश बच जाना होता है। हम इसे हिंदी में ‘बाल-बाल बचना’ कहते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि प्रत्येक 1000 नियर मिस होने पर एक गंभीर चोट या घातक दुर्घटना घटित होती है। जीवन में ऐसी तमाम नियर मिस के लिए आभारी होना चाहिए। जीवन में कई मौके आते हैं, जब हम किसी समस्याग्रस्त स्थितियों में फंसने से बच जाते हैं। जीवन में ऐसी सभी घटनाओं के लिए आभारी रहें। जैसे कि आप किसी कार दुर्घटना से बचे हों या आपकी किसी गंभीर बीमारी की महत्वपूर्ण चिकित्सा रिपोर्ट में बीमारी के लक्षण न दिखाई दिए हों ।

आपको जीवन के नकारात्मक भागों के लिए आभारी होना चाहिए। आप अभी जो कुछ भी हैं, जीवन में उन नकारात्मक घटनाओं, स्थितियों या क्षणों से मिली सीख के कारण हैं। यदि वे नकारात्मक परिस्थितियां आपके जीवन का हिस्सा नहीं होती , तो आप अपने अंदर ज़रुरी बदलाव नहीं कर सकते थे और अपने व्यक्तित्व में सुधार नहीं ला सकते थे और आज की सफलता के मुकाम तक नहीं पहुंच सकते हैं। जीवन के नकारात्मक क्षणों से अपनी स्पॉटलाइट को स्थानांतरित करें और उन नकारात्मक भागों को सकारात्मक दृष्टिकोणों से देखें। ध्यान दें कि उन नकारात्मक घटनाओं का आपके जीवन में क्या प्रभाव पड़ा है और उससे हुए सकारात्मक परिणामो के लिए आभारी रहें।

आभार को एक भावनात्मक मांसपेशी के रूप में देखें, जो जानबूझकर उपयोग के साथ विकसित होगी और अधिक मज़बूत बनेगी । जब आप अपना आभार व्यक्त करते हैं, तो यह और अधिक विकसित होता है। यदि आप अपने जीवन में धन्यवाद की भावना का अधिक अनुभव करना चाहते हैं, तो ‘धन्यवाद!’ अधिक बार कहें। यह एक छोटी सी बात है, लेकिन जो लोग लगातार कृतज्ञता व्यक्त करते हैं वे अपने जीवन में सभी चीज़ों के लिए उच्च स्तर की जागरूकता विकसित करते हैं, जिनके लिए उन्हें आभारी होना चाहिए।

हर दिन है थैंक्सगिविंग डे। संयुक्त राज्य अमेरिका में, एक विशेष दिन ‘धन्यवाद दिवस’ (थैंक्स गिविंग डे) के रूप में मानते है। यह आभार प्रकट करने के लिए एक निर्दिष्ट दिन है। उनके जीवन में थैंक्सगिविंग डे मनाना बहुत महत्वपूर्ण इवेंट है। धन्यवाद देने से उन्हें अपने जीवन में अच्छी चीज़ों को पहचानने, सराहना करने और उसके लिए आभारी होने में मदद मिलती है। मेरा मानना है कि कृतज्ञता के लिए केवल एक निर्दिष्ट दिन क्यों हो। हमें हर दिन को धन्यवाद दिवस (थैंक्स गिविंग डे) के रूप में जीना चाहिए।

कृतज्ञता जीवन जीने का एक तरीका बन जाना चाहिए, आपकी कोशिकाओं और अवचेतन मन में समाहित और संस्कारित हो जाना चाहिए। आपको अपने दिमाग को सचेत रूप से सोचते हुए “थैंक यू” कहने का अभ्यास करना चाहिए। अधिक चेतना के साथ जानबूझकर धन्यवाद देने पर आप अपने भीतर उत्पन्न कृतज्ञता का और भी अधिक महसूस करेंगें । आपके भीतर कृतज्ञता की भावना बढ़ने के परिणामस्वरूप आपको अधिक समृद्धि, संतुष्टि और मन की शांति की प्राप्ति होगी । आभार (ग्रेटीट्यूड) का स्तर जो आप महसूस और प्रकट (दूसरों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं) करते हैं,उसका स्तर आपकी आंतरिक शांति और खुशी के स्तर के बराबर होगा।

धन्यवाद पाना और देना दोनों ही हमारे सच्चे बैंक बैलेंस हैं जो हमारे साथ जाने वाले हैं।

आप क्या सोचते हैं ? आप कृतज्ञता का अभ्यास कब से शुरू करेंगे? अगले महीने या अगले हफ्ते? या बस इस लेख को पढ़ते ही धन्यवाद देंगे?

आइए, इसे अभी से शुरु करें...

नववर्ष 2025 से शुरू करें.......!!

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और न जाने क्या-क्या?

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