ध्यान द्वारा जीवन कौशल विकास
ध्यान हिंदू धर्म, भारत की प्राचीन
शैली और विद्या के संदर्भ में महर्षि पतंजलि द्वारा विरचित योगसूत्र में वर्णित
अष्टांगयोग का एक अंग है। ये आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि हैं।
ध्यान का अर्थ किसी भी एक विषय की धारण करके उसमें मन को एकाग्र करना होता है।
मानसिक शांति, एकाग्रता, दृढ़ मनोबल, ईश्वर का अनुसंधान, मन को निर्विचार
करना, मन पर काबू पाना जैसे कई उद्देश्यों के साथ ध्यान किया जाता
है। ध्यान का प्रयोग भारत में प्राचीनकाल से किया जाता रहा है। ‘तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम्’ अर्थात अपने
विचारों को निर्बाध प्रवाह में प्रवाहित करने से चिंतन (ध्यान) होता है। गीता के अध्याय-6 में श्रीकृष्ण द्वारा ध्यान की पद्धति का
वर्णन किया गया है। ध्यान करने के लिए पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठा जा सकता है। शांत और
चित्त को प्रसन्न करने वाला स्थल ध्यान के लिए अनुकूल है। रात्रि, प्रात:काल या संध्या का
समय भी ध्यान के लिए अनुकूल है।
ध्यान से आत्म साक्षात्कार होता है। ध्यान को
मुक्ति का द्वार कहा जाता है। ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी आवश्यकता हमें
लौकिक जीवन में भी है और अलौकिक जीवन में भी। ध्यान को सभी दर्शनों, धर्मों व संप्रदायों में
श्रेष्ठ माना गया है। अनेक महापुरुषों ने ध्यान के ही माध्यम से अनेक महान कार्य
संपन्न किए, जैसे- स्वामी विवेकानंद एवं भगवान बुद्ध आदि।
ध्यान शब्द की व्युत्पत्ति ‘ध्यैयित्तायाम्’ धातु से हुई है, जिसका तात्पर्य है, चिंतन करना।
लेकिन यहाँ ध्यान का अर्थ चित्त को एकाग्र करना, उसे एक लक्ष्य
पर स्थिर करना है। अत: किसी विषय वस्तु पर एकाग्रता या ‘चिंतन की क्रिया’ ध्यान
कहलाती है। यह एक मानसिक प्रक्रिया है,फलस्वरूप मानसिक शक्तियों का एक स्थान पर केंद्रीकरण होने
लगता है। ध्यान एक शक्तिशाली तकनीक है, जो जीवन कौशल विकास में मदद कर
सकती है। ध्यान जीवन कौशल विकास में मदद कर सकता है और हमें एक अधिक संतुलित, खुश और सफल जीवन जीने में मदद करता है।
ध्यान करने के लिए
व्यक्ति की रुचि के अनुसार अनेक प्रकार की पद्धतियां हैं। ध्यान करने के लिए
स्वच्छ जगह पर स्वच्छ आसन पे बैठकर साधक अपनी आँखे बंद करके अपने मन को दूसरे सभी
संकल्प-विकल्पों से हटाकर शांत कर देता है और ईश्वर, गुरु, मूर्ति, आत्मा, निराकार परब्रह्म या
किसी की भी धारणा करके उसमे अपने मन को स्थिर करके उसमें ही लीन हो जाता है।
जिसमें ईश्वर या किसी की धारणा की जाती है, उसे साकार ध्यान और जब किसी की भी धारणा का आधार लिए बिना ही कुशल साधक अपने
मन को स्थिर करके लीन होता है, उसे योग की भाषा में निराकार
ध्यान कहा जाता है।
ध्यान के साथ मन को
एकाग्र करने के लिए प्राणायाम, नामस्मरण (जप), त्राटक का भी सहारा
लिया जा सकता है। ध्यान के साथ प्रार्थना भी कर सकते है। साधक अपने गुरु के
मार्गदर्शन और अपनी रुचि के अनुसार कोई भी पद्धति अपनाकर ध्यान कर सकता है। ध्यान के अभ्यास के प्रारंभ में मन की अस्थिरता और एक ही स्थान पर एकांत में
लंबे समय तक बैठने की अक्षमता जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। परंतु निरंतर
अभ्यास के बाद मन को स्थिर किया जा सकता है। सदाचार, सद्विचार, यम, नियम का पालन और सात्विक भोजन से भी ध्यान में सरलता प्राप्त होती है।
ध्यान के अभ्यास से मन
शांत हो जाता है, जिसको योग की भाषा में चित्तशुद्धि
कहा जाता है। ध्यान में साधक अपने शरीर, वातावरण को भी भूल जाता है और समय का भान भी नहीं रहता। उसके बाद समाधिदशा की
प्राप्ति होती है। योगग्रंथों के अनुसार ध्यान से कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया जा
सकता है और साधक को कई प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त होती है।
ध्यान असाधारण मानसिक
शक्ति प्रदान करता है, यदि इसका लगन से अभ्यास किया जाए, तो आप अपनी संज्ञानात्मक शक्तियों
में धीरे-धीरे और सकारात्मक वृद्धि देखेंगे। नियमित ध्यान अभ्यास आपके दिमाग को
अटूट फोकस विकसित करने के लिए प्रशिक्षित करने का सबसे अच्छा तरीका है। अपने
मानसिक ऊर्जा को एक बिंदु पर इकट्ठा करके अपने दिमाग को विकर्षणों से छुटकारा पाने
के लिए प्रोत्साहित करना ध्यान का एक महत्वपूर्ण तत्व है। ध्यान आपके मानसिक
स्वास्थ्य पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालता है। ध्यान आपको अपने दिमाग में विचारों
के प्रवाह को बदलने और केवल महत्वपूर्ण विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति
देता है। ध्यान आपको अपने भीतर निष्क्रिय ऊर्जाओं को समाप्त करने में मदद करता है, जो तनाव को कम करने में ही मदद नहीं करता , बल्कि आप इसके
प्रतिकूल प्रभावों से खुद को बेहतर तरीके से बचा पाते हैं।
आत्मविश्वास से भरपूर
रखने के कई तरीके हैं, जिनमें से एक सबसे अच्छा तरीका है ध्यान। आराम से बैठकर अपने मन पर ध्यान
केंद्रित करने से आपको भावनात्मक बोझ से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। आप अपने
मन को मुक्त कर सकते हैं और उसे अपनी ताकत के रूप में विकसित कर सकते हैं। ध्यान
करने से आपकी नसों को आराम मिलता है और आपके उत्तेजित मस्तिष्क की कोशिकाएँ शांत
होती हैं, जिससे आपकी चिंता शांत
होती है।
क्या आप उदास महसूस कर
रहे हैं?
क्या आपको लगता है कि
आपका बाकी दिन बिस्तर में लेटे रहना है?
तो अपने बिस्तर से
उठें और ध्यान में ध्यान लगाएँ। अपने मन को तरोताज़ा करने के लिए आपको घंटों ध्यान
करने की ज़रूरत नहीं है। 10 मिनट का एक छोटा सा सत्र भी आपके लिए चमत्कार कर सकता है! आप अपनी मानसिक शक्ति को फिर से कैसे भर सकते हैं, ताकि आप जीवन में आने वाली अन्य गंभीर परिस्थितियों से निपट सकें? हाँ, आपने सही अनुमान
लगाया। यदि आप प्रतिदिन कुछ समय ध्यान में बिताते हैं, तो आपकी आंतरिक शक्ति लगभग हमेशा शीर्ष स्तर पर बनी रहती है। ‘थकान’ केवल शारीरिक स्थिति नहीं है, बल्कि मन की स्थिति भी है। नियमित रूप से और पूरी लगन के साथ ध्यान करना आपके
मन और शरीर को तरोताज़ा करने का सबसे अच्छा तरीका है। लोग अक्सर ध्यान को रॉकेट साइंस समझते
हैं, लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज़्यादा
है। नियमित रूप से ध्यान करें और अपने जीवन में होने वाले जादू को देखें।
ध्यान करने का अर्थ है, शांत रहना। हर बार जब आप ध्यान करते हैं, तो आप एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाते हैं जहाँ सब कुछ शांत होता है। अगर
आपको अपने गुस्से को नियंत्रित करने में परेशानी होती है, तो नियमित रूप से ध्यान करने से आपको बहुत फ़ायदा हो सकता है। ध्यान न केवल
आपको अपने गुस्से को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि आप इसे किसी रचनात्मक ऊर्जा में भी बदल सकते हैं। रात को नींद नहीं आती? या हर समय बहुत नींद आती है? इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप नींद की जिस समस्या से भी जूझ रहे हों, ध्यान आपकी मदद के लिए है। हर दिन एक निश्चित समय पर एक निश्चित अवधि के लिए
ध्यान करें, इससे आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार
होगा। हर दिन ध्यान करने से आपके मस्तिष्क की कोशिकाओं को आराम मिलता है और आपके
मस्तिष्क का निद्रा संचालन सक्षम होता है। यह विश्वास करना कठिन हो सकता है कि नियमित ध्यान
आपके चयापचय पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालता है, परंतु यह सत्य है। आपका चयापचय केवल आपके आहार सेवन और शारीरिक गतिविधि पर
निर्भर नहीं करता है, आपका मानसिक स्वास्थ्य भी आपके चयापचय पर गहरा प्रभाव डालता है। एक शांत और
तनावमुक्त मन शरीर को उसके पोषक तत्वों को सही ढंग से चयापचय करने में मदद करेगा और
आपको एक स्वस्थ जीवन शैली का आनंद लेने में मदद मिलेगी।
ध्यान हृदय और उसके
आस-पास के ऊतकों के सामान्य कार्यों और संरचना को बनाए रखने में बहुत मदद करता है।
ध्यान करने से आपका रक्त संचार बढ़ता है, आपकी रक्त संरचना में सुधार होता है। अच्छा स्वास्थ्य एक स्थिर मन, मज़बूत शरीर और
आध्यात्मिक कल्याण का एक सूक्ष्म मिश्रण है। ध्यान करने से आप अपनी आत्मा से जुड़
सकते हैं और अपने आध्यात्मिक स्वास्थ्य को और अधिक उत्कृष्ट स्तर पर ले जा सकते
हैं। ध्यान उस मार्ग को प्रकाशित करता है, जो आपको आध्यात्मिक जागृति की स्थिति में ले जाएगा और आपके चारों ओर शांति की
स्थिति लाएगा।
किसने कहा कि
गर्भावस्था आसान है? मूड स्विंग, असामान्य भोजन की लालसा, मतली और उल्टी गर्भावस्था को एक मुश्किल यात्रा बना देती है। गर्भवती माताएँ
नियमित रूप से ध्यान करके अपनी इस यात्रा को आसान बना सकती हैं। यदि आप विशेषज्ञ
के मार्गदर्शन में ध्यान करना सीखते हैं, तो आप अपनी गर्भावस्था के दौरान शांत मन और अच्छे मूड को बनाए रखने में सक्षम
होंगी। भारतीय संस्कृति गर्भावस्था के दौरान गर्भ संस्कार पर ज़ोर देती है। गर्भ
संस्कार अजन्मे भ्रूण को अच्छी विचारधारा और सकारात्मकता सिखाने का एक तरीका है।
ध्यान करना गर्भ संस्कार का एक मुख्य तत्व है और इसे मानसिक और शारीरिक रूप से
स्वस्थ भ्रूण के विकास का श्रेय दिया जाता है।
हम सभी जानते हैं कि
मन, शरीर और आत्मा, तीनों को समन्वित और स्वस्थ ढंग से संयोजित करके हम अपने जीवन को अधिक सार्थक
बना सकते हैं। ध्यान वह समग्र पोषण है, जो आपके जीवन के वृक्ष को खिलने
और समृद्ध होने देगा। ध्यान करने से आप अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों के बारे में अधिक जागरूक हो सकते हैं, जिससे आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। ध्यान करने से आप दूसरों की भावनाओं और ज़रूरतों के
प्रति अधिक संवेदनशील और समानुभूतिपूर्ण हो सकते हैं। ध्यान करने से आप अपने विचारों और भावनाओं को अधिक
सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं, जिससे आप अधिक खुश और संतुष्ट महसूस कर सकते हैं। इससे आप अपने रिश्तों
में सुधार ला सकते हैं। ध्यान करने से आप अपने आत्म-विश्वास में वृद्धि कर सकते हैं, क्योंकि आप अपनी क्षमताओं और ताकतों को बेहतर ढंग से समझ सकते
वस्तुतः ध्यान एक
विशाल विषय है, और कोई भी शब्द इसकी प्रभावकारिता को पूरी तरह से समझा नहीं सकता है। अधिक से
अधिक लोग ध्यान को अपनाएं और एक प्रभावकारी स्वस्थ जीवन का आनंद लेने के लिए कृतसंकल्प
हों। ध्यान करने के आपके उद्देश्य और कारण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन परिणाम सदैव
सकारात्मक होते हैं क्योंकि-
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्तिः,पूजामूलं गुरुर्पदम् ।
मन्त्रमूलं गुरुर्वाक्यं,मोक्षमूलं गुरूर्कृपा ॥
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डॉ मीता गुप्ता
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