Friday, 28 February 2025

घर

 

घर

सभी धर्म-ग्रंथों से पवित्र

ईश्वर और अल्लाह से बड़ा

स्वर्ग से भी बढ़कर

लुप्त हो चुकी महान सभ्यताओं से भी खूबसूरत

मैं कहूंगी—घर!

 

माँ की गोद-सा गरम और नरम

पिता के हाथों-सा भरापूरा

कभी न भूले जा सकने वाले

प्रणय-संबंध-सा अविस्मरणीय

मैं कहूंगी—घर!

 

हवाएं जहां मंद-मंद मुस्काती हैं

बदरी जहां मुक्तछंद-सी बरसती है,

झूम-झूम राग गाती हैं

दीवारें एक-दूजे से खिलंदड़ी करना

जहाँ कभी नहीं भूलती

मैं कहूंगी—घर!

 

सुबह जहां बच्चे-सी मासूम और

शाम इंद्रधनुषी मालूम जान पड़ती है

चांद पंख फैलाए जहां, जहां रोशन करता है

रंगीन ख़्वाबों-सा घर

दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत शब्द

मैं कहूंगी—घर!

नए घर में प्रवेश की बधाई!

नया संग मंगलमय बना रहे!

यही आशीर्वाद हमारा.. !!

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