घर
सभी धर्म-ग्रंथों से पवित्र
ईश्वर और अल्लाह से बड़ा
स्वर्ग से भी बढ़कर
लुप्त हो चुकी महान सभ्यताओं से भी खूबसूरत
मैं कहूंगी—घर!
माँ की गोद-सा गरम और नरम
पिता के हाथों-सा भरापूरा
कभी न भूले जा सकने वाले
प्रणय-संबंध-सा अविस्मरणीय
मैं कहूंगी—घर!
हवाएं जहां मंद-मंद मुस्काती हैं
बदरी जहां मुक्तछंद-सी बरसती है,
झूम-झूम राग गाती हैं
दीवारें एक-दूजे से खिलंदड़ी करना
जहाँ कभी नहीं भूलती
मैं कहूंगी—घर!
सुबह जहां बच्चे-सी मासूम और
शाम इंद्रधनुषी मालूम जान पड़ती है
चांद पंख फैलाए जहां, जहां रोशन करता है
रंगीन ख़्वाबों-सा घर
दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत शब्द
मैं कहूंगी—घर!
नए घर में प्रवेश की बधाई!
नया संग मंगलमय बना रहे!
यही आशीर्वाद हमारा.. !!
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