Saturday, 24 December 2022

ईसा मसीह : एक प्रेम भरी संभावना

 

ईसा मसीह : एक प्रेम भरी संभावना



ईसा मसीह और ईसाई धर्म लगभग पर्यायवाची हैं। मगर ‘ईश्वर के पुत्र’ के नाम पर, क्या हम उस असाधारण मानवता का मूलतत्व खो बैठे हैं, जिसके प्रतीक ईसा मसीह थे। क्रिसमस के मौके पर आइए याद करें कि ईसा मसीह की भावना को अपने दिल में लाने का क्या आखिर अर्थ क्या है?

जब हम ईसा मसीह की बात करते हैं, तो हम उस व्यक्ति की बात नहीं करते, जो 2000 साल पहले इस दुनिया में था, बल्कि एक खास संभावना की बात करते हैं, जो हर इंसान में मौजूद होती है। यह ज़रूरी है कि हर व्यक्ति मानवता के गुण को अपने अंदर फलने-फूलने दे, क्योंकि आजकल लोग धर्म के नाम पर अपनी मानवता को खो रहे हैं।

ईसा मसीह की शिक्षा का सबसे अहम पहलू अपने-पराए का भेदभाव किए बिना, बगैर किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के जीवन बिताना है। तभी हम ईश्वर के साम्राज्य को जान सकते हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा, ‘ईश्वर का साम्राज्य कहीं ऊपर नहीं है, वह आपके अंदर ही है।’ केवल अपने शुरुआती ‘मार्केटिंग चरण’ में ईसा मसीह ने आपको ईश्वर के साम्राज्य तक ले जाने की बात की। जब काफी लोग उनके आस-पास जुट गए, तो वह पलटे और कहा, ‘ईश्वर का साम्राज्य आपके अंदर ही है।’ उनकी शिक्षा का सार यही है।

दुर्भाग्य से, 99 फीसदी लोग अपने अंदर मौजूद शानदार चीज़ को देख नहीं पा रहे हैं। अगर वह कहीं दूर होता, तो हो सकता है कि आप वहां तक का सफर नहीं करना चाहते। मगर जब वह यहीं है, और तब भी आप उससे चूक रहे हैं, तो क्या यह दुखद नहीं है? अगर ईश्वर का साम्राज्य आपके अंदर है, तो आपको उसे अपने अंदर ही ढूंढना चाहिए। यह कितना सरल है।

ईसा मसीह के अनुसार आपके भीतर उस आयाम, जो सृष्टि का स्रोत है, तक पहुंचने के वैज्ञानिक तरीके भी हैं, आपका शरीर अपने अंदर से ही बना है। ईसा मसीह को अपने जीवन में विज्ञान पर विचार करने का पर्याप्त समय नहीं मिला, इसलिए उन्होंने निष्ठा की बात की, जो एक तीव्र तरीका है। जब उन्होंने कहा, ‘केवल बच्चे ही ईश्वर के साम्राज्य में प्रवेश कर पाएंगे,’ तो वे छोटे बच्चों की बात नहीं कर रहे थे, वह ऐसे लोगों की बात कर रहे थे, जो बच्चों की तरह सरल और निश्छल हों, जो किसी भी चीज़ के बारे में पहले से धारणा बनाकर नहीं रखते हैं और पक्षपात से मुक्त होते हैं।

ईसा मसीह की शिक्षा का सबसे अहम पहलू अपने-पराए का भेदभाव किए बिना, बगैर किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के जीवन बिताना है। तभी हम ईश्वर के साम्राज्य को जान सकते हैं।उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, ‘ईश्वर का साम्राज्य कहीं ऊपर नहीं है, वह आपके अंदर ही है।’ आप जो भी निष्कर्ष निकालें, उसमें आप गलत हो सकते हैं क्योंकि जीवन आपके किसी निष्कर्ष में सही नहीं बैठता। जो इंसान बहुत सारे निष्कर्ष रखता है, उसके लिए न तो जीवन, न ही जीवन का स्रोत किसी रूप में मददगार होगा। अगर आप उस भार को नीचे रख देते हैं, तो सब कुछ बहुत सरल हो जाता है।

उनके जीवन के अंत के समय, जब यह लगभग निश्चित हो गया था कि ईसा मसीह को मृत्यु का सामना करना ही होगा, उनके शिष्यों के दिमाग में आने वाला इकलौता प्रश्न यह था कि ‘जब आप अपना शरीर छोड़ेंगे और अपने पिता, अर्थात ईश्वर के साम्राज्य में जाएंगे, तो आप उनके दाहिनी ओर बैठेंगे। हम कहां होंगे? हममें से कौन आपके दाहिनी ओर बैठेगा?’ मगर उस व्यक्ति की विशेषता देखिए, जो विशेषता उन्होंने पूरी ज़िंदगी प्रदर्शित की, चाहे हर कोई किसी भी रूप में उन पर दबाव डाल रहा हो, वे जो स्थापित करना चाहते हैं, उस लक्ष्य पर दृढ़ बने रहते हैं। तो वे अपने शिष्यों के प्रश्न का उत्तर देते हैं, ‘जो लोग यहां सबसे आगे खड़े हैं, वे वहां पंक्ति में पीछे होंगे। जो लोग यहां सबसे पीछे खड़े हैं, वे वहां सबसे आगे होंगे।’ उन्होंने पदक्रम को नष्ट कर दिया, कि यह कुहनी मार कर स्वर्ग में घुसने की बात नहीं है। आंतरिक क्षेत्र में सिर्फ शुद्धता काम आती है।

ईसा मसीह की मूल भावना को जीवित रखें-

यह आस्थाओं और विश्वासों से परे जाकर जीवन को उस रूप में, जैसा वह वाकई है, देखने का समय है। आखिरकार, सृष्टि का स्रोत आपके अंदर है। अगर आप उसे काम करने दें, तो सब कुछ तालमेल में होगा, और ईसा मसीह की शिक्षा का मूल आधार यही है। ईसा मसीह के शब्द दुनिया में काफी बलिदान, भक्ति और प्रेम लाए हैं मगर उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू, उनकी शिक्षा का सार और मूल भाव है, ‘ईश्वर का साम्राज्य आपके अंदर है।’

अगर वह अंदर है, तो यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। एक आध्यात्मिक प्रक्रिया का अर्थ कोई समूह, संप्रदाय या फैन क्लब नहीं है। यह एक व्यक्तिगत खोज है, जो पूर्व में योग और आध्यात्मिक प्रक्रिया का मूल तत्व है। दुर्भाग्यवश, ईसा मसीह ने जो बातें कहीं, उसके सबसे महत्वपूर्ण तत्व भुला दिए गए हैं। अब उनके शब्दों के मूल तत्व को वापस लाने का समय है, किसी खास ग्रुप के लिए नहीं, बल्कि हर किसी के लिए। इसलिए ईसा मसीह की मूल भावना को जीवित रहने दें, कम से कम उस संभावना को जीवित रहने दें।

                मीता गुप्ता

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