Friday, 31 March 2023

सोशल मीडिया पैसा कमाने का ज़रिया भी...

 

सोशल मीडिया पैसा कमाने का ज़रिया भी...



 

सोशल मीडिया का प्रयोग आज समस्त संसार भर में सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर है और यह निरंतर बढ़ रहा है। मासिक सक्रिय उपभोक्ता के मामले में भारत फेसबुक के लिए दुनिया में नंबर एक देश बन गया है| ‘वी आर सोशल’ द्वारा 2017 डिजिटल ईयरबुक के सर्वे से आप देख सकते हैं कि दुनिया भर में एक्टिव सोशल मीडिया यूजर्स पहले से ही 3 बिलियन यूजर्स को छूने वाले हैं और कोरोना-काल के बाद इसमें भारी उछाल दिखने को मिला है| ज़रा सोचिए कि सोशल का मार्केट कितना बड़ा है! आपको बस इतना करना है कि इस मार्केट का प्रभावी ढंग से दोहन करना है। एक बात सदैव याद रखें कि सोशल मीडिया का प्राथमिक उद्देश्य सामाजिक संबंध बनाना है, लेकिन इसका अर्थ बिलकुल भी नहीं है कि आप इसका इस्तेमाल पैसे कमाने के लिए नहीं कर सकते।

लगभग डेढ़ दशक पूर्व इंटरनेट की दुनिया में एक नई क्रांति हुई, एक नया मीडिया का आविष्कार हुआ, जिसे ‘सोशल मीडिया’ नाम दिया गया। सोशल मीडिया का मूल मंत्र लोगों को एक-दूसरे से जोड़ना है। पेन फ्रेंड से ईमेल के दौर में पहुंचे समाज को सोशल मीडिया ने कुछ ही पलों में जुड़ने और बातचीत करने का मौक़ा दिया। उत्कृष्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में शामिल हैं: फेसबुक, यूट्यूब, टिकटॉक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, लिंक्डइन,चैट जी पी टी आदि। सोशल मीडिया की प्रसिद्धि यूं बढ़ी कि किसी ने पुराना यार खोजा तो किसी ने पुराना प्यार...जहां लोग हैं, वहां प्यार है और व्यापार भी। सोशल मीडिया जो शुरू में जुड़ने का माध्यम था, विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम था, वह अब विज्ञापन एवं व्यापार को बढ़ाने का बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है। यहां व्यापार का अर्थ विशुद्ध रूप से व्यापार ही न समझा जाए, बात हर उस संभावना की है जहां किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग किया जा रहा है। मिसाल के तौर पर, राजनेताओं को देखिए, उनके लिए सोशल मीडिया जनता तक अपनी बात पहुंचाने से लेकर अपनी एक विशेष छवि बनाने का माध्यम है। मेरे जैसे कई लेखक सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने पाठकों तक पहुंचने के लिए कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर आप किस उद्देश्य से हैं और इसका इस्तेमाल किसलिए करना चाहते हैं? यदि यह सिर्फ़ अपने मित्रों से जुड़े रहने को है तो आपको ज़्यादा कुछ नहीं करना, किंतु यदि आप नेटवर्किंग करना चाहते हैं, पर्सनल ब्रांडिंग करना चाहते हैं, अपने व्यापार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना होगा।

तो, सोशल मीडिया से पैसे कैसे कमाएं?

सोशल मीडिया से पैसे कमाने के कई तरीके हैं, और सभी तरीकों में निरंतरता और कड़ी मेहनत लगती है। हम कहेंगे कि जब भारत में सोशल मीडिया से पैसे कमाने की बात आती है तो कड़ी मेहनत करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है निरंतरता। आज हम उन सभी लोकप्रिय तरीकों के बारे में बात कर रहे हैं, जो आपके सोशल मीडिया गेम को अगले स्तर तक ले जाने में आपकी मदद कर सकते हैं और सोशल मीडिया से पैसे कमा सकते हैं। सोशल मीडिया से पैसे कमाने के लिए आप बस एक कंप्यूटर, स्मार्टफोन और एक अच्छी इंटरनेट एक्सेस का उपयोग कर सकते हैं। शोध से पता चलता है कि एक औसत व्यक्ति प्रतिदिन औसतन लगभग 2 घंटे सोशल मीडिया पर बिताता है और कुछ लोग तो इससे भी अधिक सोशल मीडिया के व्यसनी हैं। यहां, हम सोशल मीडिया के दीवानों की निंदा नहीं कर रहे हैं क्योंकि आप अपनी शौक (लत) को पैसे में बदल सकते हैं, है ना? यह तभी होगा जब आप उसी समर्पण का उपयोग करते हैं जिसका उपयोग आप स्क्रॉलिंग में जानबूझकर पैसा कमाने के लिए करते हैं।

सबसे पहलेचाहिए एक रणनीति

किसी भी सफल काम के लिए रणनीति की आवश्यकता होती है। सोशल मीडिया एक दुधारी तलवार है और इसका उचित इस्तेमाल आपको नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। इसकी रणनीति बनाने के लिए तीन महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखनी चाहिए–

·       आपकी टारगेट ऑडियंस

·       सही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का चुनाव

·       एंगेज करने वाला कंटेंट।

ऑडियंस को पहचानें-इस दुनिया में हम सभी किसी न किसी की ऑडियंस हैं। सोशल मीडिया पर भी यह सत्य लागू होता है। ब्यूटी प्रॉडक्टस के लिए महिलाएं ऑडियंस हैं, तो शेविंग ग्रूमिंग प्रॉडक्ट के लिए पुरुष। ये ऑडियंस सिर्फ़ लिंग के आधार पर नहीं बांटे जाते| इन्हें उम्र, स्थान, शिक्षा, आय, रुचि, राजनैतिक विचार एवं कई अन्य आधार पर आगे और बांटा जाता है। आपकी ऑडियंस कौन है? क्या आप उसे पहचानते हैं? कई बार लोग कहते हैं कि मैं तो अपने विचार प्रकट करता हूं, मेरी बात हर किसी के लिए है। एक लेखक कह सकता है कि कोई भी जो पढ़ सकता हो वह मेरी ऑडियंस है। यह पूर्ण सत्य नहीं है। आप पर्सनल ब्रांडिंग करें, किताब प्रमोट करें या व्यापार बढ़ाना चाहें, हर हाल में आपका ख़ास वर्ग आपकी टारगेट ऑडियंस होगी। उदाहरण के लिए, मेरी किताबें हर हिंदी पाठक पढ़ सकता है लेकिन उसका कंटेंट एक ख़ास आयु वर्ग एवं कुछ ख़ास तरह की किताबें पढ़ने वाले को अधिक आकर्षित करने वाला है। यह आयु वर्ग ही मेरी ऑडियंस है और सोशल मीडिया पर मैं काफ़ी कुछ इन्हें आकर्षित करने के लिए लिखता हूं। अगर हम दुपहिया वाहन की बात करें तो हर कोई इसे चला सकता है लेकिन आप नोटिस करेंगे कि स्कूटर और मोटरसाइकल के विज्ञापन एक वर्ग के लिए होते हैं। इनमें भी अलग-अलग ब्रांड के मोटरसाइकल एक ख़ास वर्ग को आकर्षित करते हैं, जैसे कोई पेट्रोल की बचत की बात करता है तो कोई सिर्फ़ पॉवर की। आप समझ सकते हैं कि कितनी आमदनी वाला एवं कौन-सा आयु वर्ग इनकी ऑडियंस है। आप भी अपनी ऑडियंस तय करें।

उपयुक्त मंच चुनें-उचित प्लेटफॉर्म का चुनाव तभी हो सकता है, जब आपको अपनी टारगेट ऑडियंस पता हो। आपको यह पता हो कि वह किस प्लेटफॉर्म पर है और क्यों है? सोशल मीडिया कई प्रकार के हैं लेकिन हमारे देश में चार बहुप्रचलित माध्यम हैं। इनमें से एक आपको अपने वीडियो बनाकर डालने की अनुमति देता है, तो वहीं एक माध्यम आपको सिर्फ़ तस्वीरों से अपनी बात कहने की सुविधा देता है। एक माध्यम आपको अपनी बात सिर्फ़ 240 शब्दों में करने की अनुमति देता है तो एक आपको पूरा निबंध लिख देने की अनुमति देता है। फोटो और वीडियो इन दोनों माध्यमों पर भी चलते हैं| आपको सभी माध्यमों का चुनाव करना है या एक-दो माध्यमों पर ही ध्यान देना है, यह व्यवसाय और उद्देश्य पर निर्भर करता है। मसलन, मीडिया इंडस्ट्री इन सभी माध्यमों का उपयोग करती है, वह 240 शब्दों में कोई ब्रेकिंग न्यूज़ देती है तो पूरा बुलेटिन वीडियो के माध्यम से पहुंचाती है। एक लेखक अपने विचारों को विस्तार से लोगों तक पहुंचाना चाहता है तो उसके लिए माध्यम वह होगा जहां निबंध जैसा लिखने का ऑप्शन मिले।

यह है सबसे अहम-सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले हर व्यक्ति को एक मूलमंत्र याद रखना है - कंटेंट इज़ द किंग! ये सभी प्लेटफॉर्म आपको अपनी बात अलग-अलग रूप में रखने का मौक़ा देते हैं। यदि आप पर्सनल ब्रांडिंग करना चाहते हैं, अपनी कंपनी या प्रॉडक्ट की एक ख़ास छवि बनाना चाहते हैं या आप कुछ बेचना चाहते हैं तो आपको अपना कंटेंट उसी तरीक़े से तैयार करना होगा। यह कंटेंट लिखित रूप से लेकर फोटो, वीडियो के रूप में भी हो सकता है। आपको अपने प्रॉडक्ट या अपने उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कंटेंट इन सभी रूपों में या संबंधित रूपों में तैयार करना है और उसे चुने हुए प्लेटफॉर्म्स पर डाल देना है। सोशल मीडिया पर अच्छे एवं बुरे कंटेंट की भीड़ में अपने कंटेंट की तरफ़ ध्यानाकर्षण करवाना ही सबसे चुनौतीपूर्ण काम है। सोशल मीडिया इंडस्ट्री का सबसे महत्वपूर्ण शब्द है – एंगेजमेंट। इसका अर्थ हुआ कि कितने लोगों ने आपके कंटेंट में रुचि ली। क्या वे आपकी पोस्ट पर रुके, देखा और प्रतिक्रिया दी? सोशल मीडिया के लिए जो कंटेंट बने कि पहले तो लोग उसे देखने रुकें और जब रुकें तो प्रतिक्रिया देकर जाएं।

अपना प्रदर्शन और गुणवत्ता को मापें- डिजिटल की दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत बात यह है कि यहां आपके हर एक्शन पर हुए रिएक्शन काे आप माप सकते हैं। अपने सोशल मीडिया चैनल का विश्लेषण लगातार करें, देखें कैसा एंगेजमेंट आ रहा है। फॉलोअर बढ़ रहे हैं या नहीं। इस एनालिटिक्स से आप जान पाएंगे कि किस तरह का कंटेंट आपके ऑडियंस को पसंद आ रहा है। कहां एंगेजमेंट गिर रहा है। किस समय आपकी ऑडियंस सबसे ज़्यादा सोशल मीडिया पर होती है। इन सारी सूचनाओं के बाद आप अपनी ज़रूरत अनुसार सोशल मीडिया की रणनीति को जारी रखें या बदलें।

अंत में एक ज़रूरी बात-सोशल मीडिया पर्सनल ब्रांडिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण माध्यम है। आप कंपनी हों या एक व्यक्ति- एक ख़ास बात का ध्यान रखनी है कि आपका कंटेंट लोगों को जितना अधिक छुएगा, लोग आपसे जुड़ेंगे। लोग फेक को पहचान लेते हैं, आपके कंटेंट में ईमानदारी होनी आवश्यक है और यही ईमानदारी आपको आपकी ऑडियंस से जोड़ेगी।

कैसे करें अपने सोशल नेटवर्क का विस्तार?

फॉलोअर कैसे बढ़ाएं?

आप कहेंगे ज्ञान तो सारा दिया मगर फॉलोअर कैसे आएंगे? जवाब है– कंटेंट। कंटेंट ऐसा हो कि उसे लोग शेयर करें। पोस्ट का शेयर होना हमेशा आपको नए फॉलोअर देगा। आप अपने कंटेंट के लिए क्रॉस-प्रमोशन टाई-अप कर सकते हैं जिससे आपको नए फॉलोअर मिलें। उदाहरण के लिए, यदि आपकी पेंसिल बनाने की कंपनी है तो इरेज़र बनाने वाले या नोटबुक बनाने वाले से टाई-अप करें।

पेड प्रमोशन का विकल्प-सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपको अपने पोस्ट/पेज को विज्ञापन के ज़रिए प्रमोट करने देते हैं। मेरी नज़र में इस उपाय को तभी अपनाएं जब आपको जल्दी टारगेट पूरा करना हो या आपके पास बजट काफ़ी हो। ऐसा इसलिए कि आप एक बार विज्ञापन चलाएंगे तो आपकी पोस्ट की ऑर्गेनिक रीच कम हो जाएगी। ऑर्गेनिक रीच उस स्थिति को कहते हैं, जहां ऑडियंस अपने आप पोस्ट पर आई।

कैसे कमाएं पैसे?

1.        सोशल मीडिया यूजर्स के लिए मोनिटाइज़ेशन का अवसर पैदा करता है।

2.        ब्रांड पार्टनरशिप्स। एक कंटेंट निर्माता के रूप में, आप अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेस को बढ़ावा देने के लिए ब्रांडों के साथ पार्टनरशिप कर सकते हैं|

3.        विज्ञापन, प्रभावशाली मार्केटिंग और विभिन्न प्रकार की पेड पार्टनरशिप के लिए आदर्श प्लेटफार्म

4.        नई कंपनियों और प्रोडक्ट्स के लिए महत्वपूर्ण

5.        इन्फ्लुएंसर्स (निर्माताओं) को अपने उत्पाद और प्रचार कंटेंट को अपने कंटेंट के भीतर रखने और इसे अपने ऑडियंस के लिए प्रचारित करने के लिए ब्रांडों द्वारा भुगतान करने की अनुमति

6.        अन्य सुविधाएं जैसे लाइव स्ट्रीम पर दान बैज, रील्स में एड मॉनिटाइज़ेशन, फैन मेम्बरशिप्स

7.        अद्भुत कविताएँ, लघु कथाएँ और विभिन्न प्रकार की कंटेंट लिखकर पैसे कमाएं

8.        अपनी किताब बेचें

9.        एक प्रोग्राम बनाएं जहां आपके शीर्ष प्रशंसकों को आपके साथ लाइव आने के लिए भुगतान करना होगा

10.     अपने पेज पर किसी के काम की समीक्षा करने और उसका प्रचार करने के लिए पैसे पाएं

11.     एक छोटा सा पेड-कोर्स बनाएं और इसे अपने लिंक में बेचें

12.     एफिलिएट मार्केटिंग, संक्षेप में, अन्य कंपनियों के प्रोडक्ट्स (जैसे एमेजॉन। कॉम आदि) को बढ़ावा देकर

13.     यदि आप सोशल मीडिया कम्युनिटीज के निर्माण में अच्छे हैं और सोशल मीडिया विज्ञापनों का उपयोग करके एफिलिएट प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दे सकते हैं (बस याद रखें कि आपके विज्ञापन की लागत आपके द्वारा अर्जित धन से कम है) तो आप एक अच्छी रकम कमा सकते हैं

14.     आप डिजिटल और फिजिकल के साथ अपने खुद के प्रोडक्‍ट भी बना सकते हैं। हालांकि मैं डिजिटल प्रोडक्ट्स (जैसे ई-बुक्स, कोर्स, आदि) से शुरुआत करने की सलाह दूंगी क्योंकि प्रोडक्ट्स को विकसित करने के लिए शुरुआत में उन्हें बनाना और प्रमोट करना और कम राशि लेना आसान होता है। उदाहरण के लिए, आप अपनी ईबुक को अमेज़ॅन किंडल या क्लिक बैंक पर लिस्‍टेड कर सकते हैं और फिर विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों पर अपनी ईबुक के लिंक को प्रमोट कर सकते हैं। और एक बार जब सेल्‍स शुरू हो जाती है, तो आपको भुगतान एकत्र करने के अलावा कुछ नहीं करना होता है (डिजिटल प्रोडक्ट होने के नाते, आप इसे कई बार बेच सकते हैं!)

15.     यदि आपने सीधे सोशल मीडिया पर बेचने का फैसला किया है, तो आपको शिपिंग, कस्टमर केयर, लॉजिस्टिक्स आदि का ध्यान रखना होगा, जबकि अन्य ई-कॉमर्स स्टोर के साथ, वे इन पहलुओं का ध्यान रखते हैं।

16.     कोलैबरेट और ब्रांडों के साथ सशुल्क कंटेंट बनाने, अपने प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने, या अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए ब्रांडों के साथ कोलैबरेट करना और काम करना

अगर आप सोशल मीडिया पर हर दिन घंटों बस स्क्रॉल करते रह जाते हैं तो निश्चित ही आप एक बड़ी संभावना को यूं ही जाने दे रहे हैं। इस मीडिया के विभिन्न मंच आपको अपनी और अपने कामकाज की ब्रांडिंग का प्रभावी और असीमित अवसर देते हैं– वह भी मुफ़्त...!

 

मीता गुप्ता

 

नए शैक्षणिक वर्ष की चुनौतियां

 

नए शैक्षणिक वर्ष की चुनौतियां



 

नई कक्षा, नई संकाय, नया पाठ्यक्रम, नया अध्ययन कार्यक्रम; यह एक नया शैक्षणिक वर्ष है। नए सत्र में आप सभी को नई शैक्षणिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सभी समस्याओं से निपटने के लिए बस अपने मन को उसी के अनुसार तैयार करें और इस नए सत्र को अपने लिए एक बड़ी सफलता बनाएं।

यह लेख उन सभी चुनौतियों के बारे में है जो सीबीएसई, यूपी बोर्ड या किसी अन्य राज्य बोर्ड के विद्यार्थियों को नई कक्षा में, नए शैक्षणिक सत्र में सामना करना पड़ेगा। यहां, आप इन चुनौतियों से पार पाने के गुर भी सीखेंगे और इस वर्ष अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाएंगे।

नए शैक्षणिक सत्र में प्रतीक्षारत चुनौतियाँ नीचे सूचीबद्ध हैं:

1. नई व्यवस्था-यह बिलकुल स्पष्ट है कि नई कक्षा में सब कुछ नया होगा। आपके लिए, सभी नए विषय लीक से हटकर कुछ प्रतीत होंगे। नए विषयों को पढ़ाने के लिए नए शिक्षक आ जाते हैं, जिससे आपकी परेशानी और बढ़ जाती है। आप अपने पिछली कक्षा के शिक्षकों द्वारा अपनाए गए शिक्षण मानदंडों से पहले ही परिचित हो गए होंगे। अब, आपको नए संकायों द्वारा अनुसरण की जाने वाली शिक्षण विधियों के अनुकूल होने के लिए अपनी बुद्धि को संयोजित करने की आवश्यकता है। जितनी जल्दी आप नई शिक्षण तकनीकों को आत्मसात करेंगे, उतनी ही आसानी से आप चीजों को सीखेंगे।

2. नई समय सारिणी-नए अध्ययन पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए अलग-अलग टाइम स्लॉट की व्यवस्था की जाएगी। जैसा कि आपने पिछली कक्षा में पढ़ा था, उसकी तुलना में पाठ्यक्रम विशाल और कठिन (कुछ हद तक) होगा, इसलिए हो सकता है कि कठिन विषयों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था करने के लिए मनोरंजन की अवधि घटा दी जाए। उच्च कक्षाओं के लिए, विद्यालय  समय-सारिणी में व्यावहारिक गतिविधियों के लिए अधिक अवधि की शुरुआत करेगा। इसलिए, आश्चर्यचकित न हों, यदि आप विद्यालय  के घंटों के दौरान ब्रेक लेने या अपने दोस्तों के साथ गेम खेलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं।

नए शैक्षणिक वर्ष में नई कक्षा में शामिल होने से पहले क्या करें?

नई कक्षाओं में अध्ययन कई चुनौतियों से भरा होता है। लेकिन बेहतर ध्यान केंद्रित करने के लिए अध्ययन करने के लिए इन युक्तियों का पालन करें-

1. एक लक्ष्य निर्धारित करें- आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है- एक व्यक्तिगत लक्ष्य बनाना। जब आप स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो अपना समय प्रबंधित करना और अपने कार्यों के साथ टिके रहना आसान हो जाता है। याद रखें कि आप क्यों पढ़ रहे हैं। अपने अंतिम लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें और जब आप अपनी कक्षाएं समाप्त कर लें तो आप क्या हासिल कर सकते हैं? यह पर्याप्त प्रोत्साहन और प्रेरणा होनी चाहिए।

2. एक अध्ययन योजना बनाएं-नई कक्षाएं शुरू होने से पहले, एक अध्ययन योजना बनाएं। यह शीर्ष पर बने रहने में आपकी सहायता कर सकता है। आप उन कार्यों और कार्यों को व्यवस्थित करने में सहायता के लिए किसी की मदद भी ले सकते हैं| रूपरेखा कार्यक्रम और पढ़ने या शोध के लिए प्रति सप्ताह घंटे निर्धारित करें। शेड्यूल से चिपके रहें, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर इसे समायोजित भी करें।

3. समय प्रबंधन का अभ्यास करें- विद्यार्थियों को समय-प्रबंधन का अभ्यास करना चाहिए। अपना काम करने के लिए आखिरी मिनट तक प्रतीक्षा न करें! इससे न केवल आपको तनाव होगा। यह आपको अपने काम में हड़बड़ी भी करेगा और निम्न-गुणवत्ता वाला काम सबमिट करेगा। टाइम मैनेजमेंट के बिना, आप हर समय थका हुआ और तनावग्रस्त महसूस करेंगे। इसलिए पढ़ाई और अपने कार्यों को करने के लिए एक समय निर्धारित करें। अनुमान लगाएं कि आपको अपने कार्यों के लिए कितना समय चाहिए और उसी के अनुसार उन्हें शेड्यूल करें। सबसे महत्वपूर्ण या सबसे अधिक समय लेने वाले कार्यों से प्रारंभ करें, और फिर आसान कार्यों को अंतिम रूप से निपटाएं। इस तरह, आपके पास अधिक समय होगा और यहां तक कि अपने आप को थोड़ा आराम करने की अनुमति भी होगी।

4. समर्पित अध्ययन स्थान बनाएं- आपको घर पर अपना स्वयं का अध्ययन-क्षेत्र बनाने की आवश्यकता है। आपका अध्ययन स्थान आपके शयनकक्ष, बैठक कक्ष, या यहां तक कि रसोईघर में भी हो सकता है। बस यह सुनिश्चित कर लें कि आप उस स्थान का उपयोग विशेष रूप से अध्ययन के लिए करते हैं और जब आप इस स्थान में अध्ययन करते हैं तो आप अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। समर्पित अध्ययन स्थान होने से आपको व्यवस्थित रहने में भी मदद मिल सकती है। यदि आपकी ज़रूरत की हर चीज़ एक ही स्थान पर है, तो आपको अपनी किताब लेने या हैंडआउट प्रिंट करने के लिए अपना अध्ययन क्षेत्र छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। नतीजतन, आपकी गति बाधित नहीं होती ।

5. विकर्षणों को दूर करें-कंप्यूटर के सामने काम करते समय औसत व्यक्ति हर 40 सेकंड में विचलित होता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जब अध्ययन का समय हो तो स्वयं को विकर्षणों से दूर रखें। अपने फोन को बंद कर दें, या कम से कम इसे साइलेंट पर रख दें। कभी-कभी संगीत सुनना भी विचलित करने वाला हो सकता है, इसलिए एक ऐसी प्लेलिस्ट का चयन करना सुनिश्चित करें, जो आपको बाधित करने के बजाय आपकी एकाग्रता को बढ़ाए। इसके अलावा, अपने परिवार के सदस्यों से कहें कि वे आपके समर्पित अध्ययन के घंटों के दौरान आपको परेशान न करें।

6. सोशल मीडिया से दूर रहें- सोशल मीडिया से दूर रहना बहुत मददगार हो सकता है। अपने पसंदीदा इंस्टाग्राम पोस्ट या टिकटॉक वीडियो के ब्लैक होल में खो जाना निश्चित रूप से मज़ेदार है। लेकिन जब पढ़ाई का समय आता है, तो आपको अपना फोनअपने पास से हटाना ही पड़ेगा| पढ़ाई का समय होने पर अपने सभी सोशल मीडिया खातों से लॉग ऑफ करें। यदि आप अभी भी अपने फोन को उठाने से नहीं रोक पा रहे हैं, तो इसे अपने अध्ययन स्थान से दूर रखें।

7. अपनी सीखने की शैली का पता लगाएं-दिन के किस समय आप अपना सर्वश्रेष्ठ महसूस करते हैं, और आप अपने सबसे ऊर्जावान या उत्पादक कब होते हैं? यदि आप मॉर्निंग पर्सन हैं, तो सुबह अपने कार्यों के लिए समय निकालें। और यदि आप रात के उल्लू अधिक हैं, तो रात को अध्ययन करें और रात में अपना काम करें। सीखने की शैली एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है। कुछ दृश्य के माध्यम से सीखते हैं, जबकि अन्य ऑडियो सामग्री को सुनकर बेहतर सीखते हैं। सीखने की जो भी शैली आप पसंद करते हैं, उपलब्ध शिक्षण उपकरणों का लाभ उठाएं। पठन सामग्री के रूप में इन्फोग्राफिक्स बनाने पर विचार करें या ऑडियो और वीडियो-आधारित पाठ्यक्रम सामग्री देखें।

8. लगे रहें- अपनी पाठ्यक्रम सामग्री को बेहतर ढंग से समझने में मदद के लिए अपने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में भाग लें। दिए गए विषय के बारे में अपने सहपाठियों से बात करें। यदि आपकी कक्षा ऑनलाइन फ़ोरम प्रदान करती है, तो अपनी अंतर्दृष्टि वहाँ साझा करें। पूछें कि आपके सहपाठी क्या सोचते हैं और पता करें कि आपके शिक्षक इन मंचों पर क्या कह रहे हैं। यदि आप संघर्ष कर रहे हैं और महसूस कर रहे हैं कि आप पिछड़ रहे हैं, तो अपने शिक्षक से बात करने में संकोच न करें। स्पष्टीकरण या अन्य पूरक सामग्री के लिए पूछें, जो आपके पाठों को बेहतर ढंग से समझने में आपकी सहायता कर सकते हैं।

9. ऑनलाइन संसाधनों का लाभ उठाएं- यदि आपका विद्यालय  एक ऑनलाइन पुस्तकालय प्रदान करता है, तो इसका उपयोग उन प्रासंगिक सामग्रियों को खोजने के लिए करें जो आपके असाइनमेंट में मदद कर सकती हैं। यदि आप वर्तनी और व्याकरण संबंधी त्रुटियों की जांच कर रहे हैं, तो व्याकरण जैसे ब्राउज़र एक्सटेंशन ऐड-ऑन का उपयोग करें। आपकी शब्दावली में मदद के लिए ऑनलाइन शब्दकोश भी उपलब्ध हैं। अन्य ऑनलाइन संसाधन जो उपयोग के लायक हैं, उनमें मुफ्त पुस्तकों के लिए प्रोजेक्ट गुटेनबर्ग, कार्य प्रबंधन के लिए ट्रेलो और ओपन-सोर्स पाठ्यक्रमों के लिए एडेक्स। ओआरजी आदि शामिल हैं।

10. पूछने से न डरें- एक सक्रिय कक्षा में विद्यार्थी प्रश्न पूछता है, खासकर यदि आप किसी विषय के साथ संघर्ष कर रहे हैं। जैसे ही आपके मन में कोई प्रश्न आए, प्रश्न पूछें। अगर कुछ भ्रमित कर रहा है, तो अपने शिक्षक से और ठोस उदाहरण देने के लिए कहें। यह आपको बाद में इसे स्वयं समझने का प्रयास करने में समय बचाएगा। अपने शिक्षक की मदद लें। उन्हें आपके सवालों का जवाब देने में ज्यादा खुशी होगी।

11. ऑनलाइन अध्ययन समूहों में शामिल हों-अपने सहपाठियों के साथ एक आभासी (वर्चुअल) या भौतिक अध्ययन समूह का हिस्सा बनें और नियमित चर्चा करें। इन सत्रों को नियमित रूप से शेड्यूल करें ताकि आप एक-दूसरे के विचारों को समझ सकें और उन विषयों पर एक-दूसरे की मदद कर सकें, जो आपको चुनौतीपूर्ण लगते हैं।

12. कुछ समय निकालें- बाहर टहलना, झपकी लेना या अपने परिवार के सदस्यों से बात करना आपको फिर से ऊर्जावान बना सकता है। यदि आप अपने आप को एक विशेष रूप से कठिन कार्य पर काम करते हुए पाते हैं, तो भी ऐसा ही करें। कुछ मिनटों के लिए अपने डेस्क से दूर जाना, एक या दो गाने सुनना, या शायद हल्का नाश्ता करना भी आपको नए विचारों के बारे में सोचने में मदद कर सकता है कि अपने कार्य को कैसे निपटाया जाए।

13. व्यक्तिगत समय सीमा निर्धारित करें- शिक्षा में नई चुनौतियों से निपटना एक संघर्ष है। टालमटोल कर इसे और भी चुनौतीपूर्ण न बनाएं। यदि आपका पेपर शुक्रवार को होने वाला है, तो इसे गुरुवार की रात तक करने की प्रतीक्षा न करें। आप सिर्फ अनावश्यक तनाव और चिंता पैदा कर रहे हैं। बस अपने-आप से कहें कि आपके असाइनमेंट कम से कम एक दिन पहले होने वाले हैं। इससे आपको सब कुछ खत्म करने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाएगा। यदि आपको संशोधन करने की आवश्यकता है, तो कम से कम आपके पास जमा करने से पहले ऐसा करने का समय है।

14. जवाबदेह बनें- एक पारंपरिक कक्षा में, आपके शिक्षक आपको लगातार याद दिलाएंगे कि आपका असाइनमेंट कब देय होगा। लेकिन जमा करने की तारीखों और समय सीमा का ध्यान रखना आपके ऊपर भी है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप भूल न जाएं, परिवार के किसी सदस्य को जवाबदेही भागीदार बनने के लिए कहें। वे आपको आपके कार्यों की याद दिला सकते हैं और जब वे देय हों। लेकिन दिन के अंत में, आपको याद दिलाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए क्योंकि एक विद्यार्थी  के रूप में यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप इन बातों को जानें।

15. अपने आप को स्वस्थ रखें- देर से न जागें और ब्रेकफास्ट स्किप न करें। अगर आप सतर्क और ऊर्जावान रहना चाहते हैं तो आपको अच्छी नींद और पोषण की जरूरत है। खाने के लिए ब्रेक लें और हाइड्रेटेड रहें। यह आपको अपने कार्यों पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा। इसके अलावा, अपनी प्रतिरक्षा को सक्षम बनाने के लिए बैलेनसेड डाइट लें, ताजे व मौसमी पहल खाएं और आवश्यकता पड़ने पर मल्टीविटामिन भी लें ।

अंतिम संदेश कविवर कुँवर नारायण जी के शब्दों में-

 

दुर्गम वनों और ऊँचे पर्वतों को जीतते हुए

जब तुम अंतिम ऊँचाई को भी जीत लोगे—

जब तुम्हें लगेगा कि कोई अंतर नहीं बचा अब

तुममें और उन पत्थरों की कठोरता में

जिन्हें तुमने जीता है—

जब तुम अपने मस्तक पर बर्फ़ का पहला तूफ़ान झेलोगे

और काँपोगे नहीं—

तब तुम पाओगे कि कोई फ़र्क़ नहीं

सब कुछ जीत लेने में

और अंत तक हिम्मत न हारने में।

 

 

 

 

मीता गुप्ता

 

 

Tuesday, 28 March 2023

हिंदी साहित्य में एक नवीन धारा की नींव डालता-‘वर्षावास’ उपन्यास

 

हिंदी साहित्य में एक नवीन धारा की नींव डालता-वर्षावास उपन्यास






 

"यह समीक्षातीत और समयातीत किताब है। इस किताब का गद्य ऐंद्रजालिक है। इसके मोह से बाहर आने के लिए जानलेवा प्रयत्न करना पड़ता है। इस किताब को हर नई क़लम को अनिवार्य रूप से पढ़ना चाहिए। रिजेक्ट करना हो, तो भी पढ़ना चाहिए।"- धीरेंद्र अस्थाना

उपन्यास आरंभ होता है, इन शब्दों के साथ- सबका मंगल हो। वे जो इश्क के खंजर से हलाक होते हैं, उन्हें ग़ैब से हमेशा एक नई ज़िंदगी मिलती है। पर महात्मा बुद्ध तो रियलिस्ट थे, ग़ैब से क्या लेना देना? ग़ैब यानी कोई अदृश्य ताकत। प्रकृति, अल्लाह या कुछ और...जिन्न, भूत प्रेत शायद,या विदेशी हाथ...या हमारा अंतस...या हमारा छुपा हुआ प्यार...या हिंसा...या काला धन।

वर्षावास बौद्ध धर्म की रीतियों से जुड़ा हुआ है। महात्मा बुद्ध ने यह समयकाल खुद बनाया था। बरसात के मौसम में तीन महीने यानी आषाढ़ की पूर्णिमा से लेकर अश्विन की पूर्णिमा तक बौद्ध भिक्षुओं को एकांत में रहकर चिंतन-मनन करना होता था क्योंकि बारिश के मौसम में आने-जाने में तकलीफ़ होती थी, कार्य भी ठीक से नहीं होता था।

पर वर्षावास में भिक्षुओं को शील और विनय का आचरण करना होता है। लेकिन अविनाश मिश्र के उपन्यास वर्षावास में शील और विनय दोनों से ही छत्तीस का आंकड़ा है, या उनहत्तर का। एक तो यह बौद्धिक ताप का उपन्यास है, जो कि दो और दो चार के फॉर्मूले पर नहीं चलता है। दूसरा कि इसमें लेखन और संभोग को समानांतर रखा गया है। संभोग ऐसी क्रिया है नहीं जिससे कोई मुंह चुरा सकता है। बल्कि इंसान की सारी इच्छओं के पूरा हो जाने के बाद भी इच्छा (ज़रूरत) बनी रहती है। राजाओं ने सब कुछ हासिल कर लेने के बाद इसके लिए युद्ध किए। एक आलोचक, एक प्रकाशक, एक लेखक, एक भिक्षु- इनके जीवन में क्या मिसिंग है? पता नहीं। पर इस किताब में बौद्ध भिक्षु जो करते हैं, उसके लिए महात्मा बुद्ध ने उनको मना किया था। इस किताब का एक पात्र ज्योतिषी भी है, पर वह भविष्य की बात नहीं करता, वह पूरे समय अपने भूतकाल की घटनाओं को याद करते रहता है।

एक उपन्यासकार का मस्तिष्क बहुत हाल के नहीं अपने पूर्वज उपन्यासकारों के पाठ और कथा-विवेक से बनता है। यहां एक सुविधा के लिए मान लीजिए कि अब तक हुए सुप्रतिष्ठित उपन्यासकारों के मार्ग विविध-विभिन्न सही, पर उनका केंद्रीय लक्ष्य एक ही रहा होगा-उपन्यास की अब तक प्रस्तुत-प्रचलित परिभाषाओं, कथाओं और संरचनाओं से बाहर चले जाना। इसमें सफलता या असफलता भविष्य का कष्ट है, लेकिन सार्वजनिक होने के बिल्कुल अंतिम क्षणों तक इस प्रयत्न और प्रक्रिया में बने रहना एक महत्त्वपूर्ण विचार-अनुभव है।

भाषा और कथानक के स्तर पर उपन्यास लेखन की पारंपरिक शैली से आगे जाकर एक नई परिपाटी की नींव डालता है यह उपन्यास। समय व काल के अनुसार सिनेमा और हर कला में बदलाव आया है। साहित्य में भी बदलाव आया है, यह उपन्यास लेखन में एक नई दृष्टि का सूत्रपात करता है। इस उपन्यास में जीवन के बारे में बात की गई है। जीवन हर युग में यथास्थिति में विद्यमान रहता है।

इस उपन्यास में ढेर सारे पात्र हैं, जो अपनी कहानी कहते हैं। किताब, लेखक, प्रूफरीडर, आलोचक, लाइब्रेरियन, संपादक, ज्योतिषी, कवि, लेखिका, भिक्षु, अमीन इत्यादि। पर कई बार वे कहानी नहीं, विचार कहते हैं, जिनसे आपको उनकी कहानी खुद समझनी है। वह नहीं बताते कि उन्होंने कैसे कपड़े पहने हैं, आपको अनुमान लगाना है कि उनके कपड़े कैसे होंगे। यह भी नहीं पता चलता कि वे कैसे दिखते हैं। आपको उनकी मनःस्थिति से अनुमान लगाना है कि वे कैसे दिखते होंगे। इस उपन्यास में पात्र सिर्फ़ अपने मन की बातें बोलते हैं। पर उनके वाक्य निर्विकार भाव से बोले हुए हैं-या तो गहरे संताप के बाद या क्षोभ के बाद या फिर विरक्ति के बाद। चूंकि इसके मूल में महात्मा बुद्ध हैं, तो यह बातें माकूल मालूम पड़ती हैं। इसकी सबसे कठिन बात यह है कि इसमें आपको अपनी भावनाएं खर्च करनी हैं,अपनी तरफ से, जो सच कहूं तो मेरे जैसे विचारवान पाठक के लिए भी यह कठिन था।

जीवन क्या है? क्या लेखन, लेखक या कोई किताब किसी जीवन से बड़ी है? कदापि नहीं। एक जीवन में इतनी चीजें होती हैं जिनसे समस्त विश्व का लेखन किया जा सकता है। तो उपन्यास किस चीज के बारे में होता है? जीवन के बारे में? पता नहीं। पर यह पता है कि उपन्यास में कहानी नहीं, कथ्य महत्वपूर्ण होता है। वर्षावास में कथ्य बहुत मजबूत है। क्या किताब का लिखा जाना और उसका प्रकाशन जीवन जीने की तरह नहीं है? इस जीवन को जीने में भाषा का बहुत बड़ा रोल है। उपन्यास में एक जगह लिखा गया है-

मैं क्या था?

मेरे पास क्या था?

मुझे क्या आता था?

इन तीनों सवालों का एक ही जवाब है- भाषा।

तो जब किताब के लिखे जाने और उसके प्रकाशन को हम जीवन को जिए जाने की तरह देखते हैं, तो पात्रों की बातों की गंभीरता समझ आती है। जैसे इसमें मां की कहानी अलग अलग तरीकों से, अलग अलग पात्रों के मुंह से अलग अलग जगहों पर आती है। अगर इस किताब का नाम ‘मां’ भी होता तो आश्चर्य नहीं होता। मां को लेकर कई जगह जो बातें लिखी गई हैं, वे जनसामान्य को उद्वेलित करने वाली हैं। इसी तरह भिक्षुणियों के कथानक में जीवन के उस पहलू का जिक्र है, जो बातचीत में क्या, विचार में भी नहीं आता है। पर जो पात्र इन बातों को बोल रहे होते हैं, वे अनाम हैं, निर्गुण चित्रण है उनका, रूप रंग, स्वाद, सुगंध से विहीन। उनके पास बस एक चीज है- भाषा।

यह उपन्यास पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि जैसे कोई मधुशाला पूरी तरह मधुमय होकर खुद मधु होने का अभिनय कर रही हो, पर उसे पता है कि वह कितनी गंभीर बातें कर रही है। इसमें सलाह नहीं है, समाधान नहीं है, समस्या का भी ज़िक्र नहीं है- बस जीवन की विसंगतियों का जिक्र है।

अतः संक्षेप में कहा जाए तो वर्षावास संताप और खुद के प्रति क्षोभ का कथ्य है। इस नवीन कथ्य को अवश्य पढ़ें।

 

Friday, 24 March 2023

अर्थ ऑवर-पृथ्वी संरक्षण का अद्भुत अभियान

 

अर्थ ऑवर-पृथ्वी संरक्षण का अद्भुत अभियान






2007 के बाद से, अर्थ ऑवर को "लाइट ऑफ" पल के लिए जाना जाता है, दुनिया भर के लोग पृथ्वी के लिए प्रतीकात्मक समर्थन दिखाने और इसे प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने घरों/कार्यालयों में लाइट बंद कर देते हैं। आज हम अपनी जलवायु और प्रकृति संकट के चरम बिंदु पर हैं, जिससे हमारा ग्रह और हम सभी भविष्य का खतरे में पड़ गया है। हम 2030 तक पेरिस जलवायु समझौते द्वारा निर्धारित 1.5 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान वृद्धि की सीमा का उल्लंघन करने जा रहे हैं और प्रकृति, जो हमारी आजीविका का स्रोत और जलवायु संकट के खिलाफ हमारे सबसे बड़े सहयोगियों में से एक है,भी गंभीर खतरे में है और इसका विश्व स्तर पर अभूतपूर्व दर से नुकसान होने की संभावना बढ़ती जा रही है ।

अगले 7 साल हमारे सभी भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमें अपने ग्रह को अपरिवर्तनीय क्षति से बचने के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस जलवायु-सीमा के तहत रखना होगा, और हमें 2030 तक प्रकृति के नुकसान को कम-से-कम करने की ज़रूरत है। इस  दशक को सबसे अधिक प्राकृतिक और जैविक विविधता को समाप्त करने वाले दशक के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा करने के लिए लोगों, समुदायों, व्यवसायों और सरकारों को हमारे ग्रह को बचाने और पुनर्स्थापित करने के लिए अपने प्रयासों को तत्काल तेज़ करना चाहिए।

अर्थ ऑवर 2023 एक विशेष वैश्विक कार्यक्रम है। यह हमारे ग्रह की रक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। यह आयोजन जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने की आवश्यकता की समयोचित याद दिलाता है। इस दिन, लोगों को ऊर्जा बचाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए सभी गैर-आवश्यक रोशनी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को एक घंटे के लिए बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

अर्थ ऑवर का मकसद सिर्फ एक घंटे के लिए ऊर्जा बचाना नहीं है; यह एक प्रतीकात्मक वैश्विक घटना भी है, जो दिखाती है कि हम सभी जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अपने छोटे से योगदान से भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन सहित विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों के कारण, अर्थ ऑवर आइडिया इन मुद्दों से निपटने के लिए बचाव के रूप में आया। अर्थ ऑवर डे का इतिहास वर्ष 2007 से शुरू होता है, जब इसे पहली बार सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में मनाया गया था। यह आयोजन पर्यावरणीय गिरावट के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को ग्रह की रक्षा के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया था। अर्थ ऑवर डे तब से एक वैश्विक घटना बन गया है, जिसमें 192 देश सालाना भाग लेते हैं।

इस वर्ष अर्थ ऑवर डे मनाने के लिए शनिवार, 25 मार्च  को दुनिया भर के लोग एक घंटे के लिए अपनी लाइट बंद करेंगे। यह स्थानीय समयानुसार रात 8:30 बजे शुरू होगा और स्थानीय समयानुसार रात 9:30 बजे समाप्त होगा। अर्थ ऑवर का लक्ष्य प्रकृति संरक्षण, जलवायु परिवर्तन समाधानों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, और कैसे हम सभी के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

अर्थ ऑवर के बारे में कुछ रोचक तथ्य-

1. यह दुनिया के सबसे बड़े पर्यावरण आंदोलनों में से एक है।

2. एक दशक से अधिक के इतिहास के साथ इसकी शुरुआत 2007 में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में एक छोटे ज़मीनी आंदोलन के रूप में अर्थ ऑवर की शुरुआत हुए 16 अद्भुत वर्ष हो चुके हैं।

3. यह केवल लाइट्स स्विच ऑफ करने की तुलना में ऊर्जा के पुनर्निर्माण और संरक्षण के बारे में अधिक है। अर्थ ऑवर वह क्षण है जब स्थानीय और वैश्विक समुदाय एकजुट होते हैं और अपने घरों/कार्यालयों की रोशनी बंद करते हैं, ताकि यह दिखाया जा सके कि वे हमारे ग्रह, हमारे सबके एक साझा घर के भविष्य की परवाह करते हैं।

4. यह वास्तव में एक शानदार, वैश्विक घटना है - हर साल, दुनिया भर में करोड़ों लोग, प्रसिद्ध स्थल, स्थानीय व्यवसाय और सामुदायिक समूह अर्थ ऑवर के कार्यक्रमों और गतिविधियों में भाग लेते हैं।

5. कठिनाई के समय में रचनात्मक समाधान का नेतृत्व किया - 2020 में, अर्थ ऑवर यूके में पहली बार पूरी तरह से डिजिटल हो गया। लाइट बंद करने के साथ-साथ कई लोग घंटे के दौरान डिजिटल इवेंट्स और लाइव स्ट्रीम में शामिल होकर ऑनलाइन जुड़े।

6. अर्थ ऑवर वनों की कटाई से निपटने में मदद कर रहा है। दुनिया का पहला 'अर्थ ऑवर फॉरेस्ट' डब्ल्यूडब्ल्यूएफ युगांडा द्वारा पूर्वी अफ्रीका में 2,700 हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने के लिए अपने अर्थ ऑवर 2013 अभियान के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।

7. आपका दोस्त स्पाइडर-मैन भी पर्यावरण के अनुकूल हो गया है। स्पाइडर-मैन 2014 में अर्थ ऑवर के लिए वैश्विक राजदूत बनने वाला पहला सुपरहीरो है, जो अर्थ ऑवर आंदोलन के लिए बहुत आवश्यक वैश्विक ध्यानाकर्षण का केंद्र बना।

8.अर्थ ऑवर ने अंतरिक्ष में जगह बनाई। 2015 में, इतालवी अंतरिक्ष यात्री सामंथा क्रिस्टोफोरेटी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के अंदर तैरते हुए 'चेंज क्लाइमेट चेंज' साइन को पकड़कर अंतरिक्ष से अर्थ ऑवर आंदोलन में शामिल हुईं।

9. इसने फोन चार्ज करने के लिए एक शानदार हरित नवाचार का नेतृत्व किया।पूरे शंघाई में अर्थ ऑवर के लिए 'सौर वृक्ष' स्थापित किए गए हैं, जो जनता को अपने मोबाइल उपकरणों को नवीकरणीय हरित ऊर्जा से चार्ज करने की अनुमति देता है।

10. इस महीने अर्थ ऑवर हो रहा है - शनिवार 25 मार्च 2023 को स्थानीय समयानुसार रात 8:30-9:30 बजे, भारत और दुनिया भर में लाखों घरों में रोशनी बंद होगी, यह दिखाने के लिए कि हम सब अपने ग्रह पृथ्वी के भविष्य की परवाह करते हैं।कवयित्री पूजा लूथरा के शब्दों में-

आओ हम सब मिलकर,ये संकल्प उठाएं,

धरती माँ को फिर से, सुंदर और स्वच्छ बनाए।

हो सके स्वच्छ जिससे, भूमि, जल और वायु,

आरोग्य बने, स्वस्थ रहे, और हो सके जिससे सब दीर्घायु।

हरियाली फैली हो,हो धरा रंगीली,

सुंदर पुष्पों से महके वन उपवन,खेतों में फ़सलें हो फूली।

हो स्वच्छ और सुंदर नभ भी,और पक्षी पंख लहराए,

गाए गीत खुशी के वो,निडर वो उड़ते जाए।

आओ मिलकर हम सब,ये संकल्प उठाएं,

धरती माँ के आँचल को,स्वर्ग सा सुंदर सजाएं।

मीता गुप्ता

 

और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...