नशा करता है नाश
26 जून को मनाए जाने वाले नशा मुक्त
भारत अभियान एक प्रयास है, जो देशभर में नशा मुक्त समाज की संकल्पना करता
है। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत, नशेबाज़ी के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम, नशे के प्रभावों पर जागरूकता और शिक्षण, सार्वजनिक धार्मिकता के
माध्यम से नशामुक्ति के संकल्प, सुरक्षित और नशामुक्त महानगरों के
विकास, नशामुक्ति नीतियों का निर्माण और कठोर कानूनी कार्रवाई को समर्थन करने जैसे कई
पहलुओं को शामिल किया जाता है।
सहयोग, अनुबंधों, वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता के माध्यम से भी विभिन्न क्षेत्रों के बीच नशा मुक्ति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाता
है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य एक समृद्ध, स्वस्थ्य और नशामुक्त समाज
का निर्माण करना है जहां लोगों को नशा की समस्या से छुटकारा मिले और वे अपनी पूरी
क्षमता से समाज में सक्रिय भागीदारी ले सकें।
नशा करने से तात्कालिक आनंद और सुख की
भावना हो सकती है,
लेकिन यह उसके बाद के परिणामों के साथ खुद को पीड़ित कर
सकता है। नशे के संबंध में आदिकाल से लोगों ने इसके नकारात्मक प्रभावों की चेतावनी
दी है। नशे करने के कुछ मामूली परिणाम शामिल हो सकते हैं, जैसे कि खर्च करने की प्रवृत्ति, ध्यान केंद्रित न होना, संबंधों का प्रभावित होना, और स्वास्थ्य समस्याओं की उत्पत्ति। नशे करने के कारण अनेक लोगों को वित्तीय
संकट, परिवारिक समस्याएं,
व्यक्तिगत संबंधों की समस्याएं, और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं।
नशे का उपयोग संवेदनशीलता, बुद्धिमत्ता,
और व्यक्तित्व के खो जाने के कारण भी हो सकता है। नशे में
रहने से एक व्यक्ति की उच्च सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता, और जीवन को समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसलिए, नशे करने का अभ्यास एक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य, समृद्धि,
और खुशहाली के लिए हानिकारक हो सकता है। ध्यान रखना चाहिए
कि यह केवल एक सामान्य व्याख्या है और व्यक्ति के अनुभव और परिस्थितियों पर निर्भर
करेगी। यदि आप या कोई आपके करीबी व्यक्ति नशे की समस्या से पीड़ित हैं, तो संबंधित स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से संपर्क करना महत्वपूर्ण
होगा।
नशे के प्रकार और युवाओं पर उसका दुष्प्रभाव-
नशे कई प्रकार के हो सकते हैं और इनका युवाओं पर विभिन्न
तरीकों से दुष्प्रभाव पड़ता है। यहां कुछ प्रमुख नशों का उल्लेख किया गया है और
उनके दुष्प्रभावों की चर्चा की गई है:
· मादक पदार्थों का प्रयोग (शराब, सिगरेट, तंबाकू): युवाओं में यह सामान्य नशा है और इसके दुष्प्रभाव शामिल हैं शराबीपन, व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याएं, स्वास्थ्य समस्याएं (उच्च
रक्तचाप, कैंसर,
मस्तिष्क कमजोरी आदि), न्यूरोलॉजिकल प्रभाव, शिक्षा और करियर पर प्रभाव, और निरंतर आर्थिक खपत। शराब एक प्रमुख
नशा है, जिसका व्यापार और उपभोग युवाओं के बीच आम है। यह शराब की लत बनाने, शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने, बुरी आदतें बढ़ाने और अन्य
सामाजिक समस्याओं का कारण बन सकता है। तम्बाकू नशा युवाओं के बीच आपदाप्रद है। यह
निकोटीन के कारण आधिकारिकता प्रदान करता है और धूम्रपान के लंबे समय तक कर्मचारी
अस्थायी लाभ देता है,
जिससे युवाओं को आग्रह और मानसिक निरोध का अनुभव हो सकता
है।
· माध्यमिक और अवैध दवाओं का सेवन:
युवाओं के बीच माध्यमिक और अवैध दवाओं का सेवन भी प्रचलित है। इसमें मारिजुआना, कोकाइन,
मोली, और डीजी जैसी दवाएं शामिल हो सकती हैं।
इन दवाओं का सेवन युवाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक
समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मारिजुआना युवाओं में प्रसिद्ध है। इसके
दुष्प्रभाव में संज्ञानशक्ति और यादाश्त में कमी, निर्णय
लेने की क्षमता में कमी,
बुद्धिमत्ता में कमी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
और सामाजिक संबंधों की प्रभावित हो सकती हैं। यह मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में
देखा जाता है और युवाओं को प्रभावित करता है। इसके दुष्प्रभाव में व्यक्तिगत और
सामाजिक समस्याएं,
जीवन की शिक्षा और करियर पर प्रभाव, फिजिकल हेल्थ के प्रश्न, और आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त
होने की संभावना शामिल हैं।
· नशीली दवाएं: युवाओं में नशीली दवाओं
का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके अधिक सेवन से निर्भय होने की संभावना होती है। इसके परिणामस्वरूप, नशीली दवाओं का अधिक सेवन मानसिक और शारीरिक समस्याएं, निर्णय लेने की क्षमता में कमी, संज्ञानशक्ति में कमी, और निरंतर आर्थिक और सामाजिक परेशानियों को बढ़ा सकता है।
· इंटरनेट और गेमिंग एडिक्शन: युवाओं
में इंटरनेट और गेमिंग नशा भी बढ़ता जा रहा है। यह उन्हें बाधित कर सकता है और
सामाजिक, शैक्षिक और पारिवारिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है। इसके प्रभाव में
आत्महत्या,
ध्यान केंद्रवित नहीं होने की दुर्बलता, और अकादमिक प्रदर्शन में कमी शामिल हो सकती है।
युवाओं पर नशे के दुष्प्रभाव कई हो सकते हैं,
जैसे कि शारीरिक समस्याएं, मानसिक
समस्याएं,
वित्तीय संकट, पढ़ाई और करियर के संबंध
में कमजोरी,
संबंधों की समस्याएं, अपराधिक गतिविधियाँ, और सामाजिक संबंधों में विघ्न आदि। नशे से ग्रस्त युवाओं के लिए सहायता प्रदान
करने वाले संगठनों और सेवाओं की उपलब्धता होती है जो इसमें उपयुक्त सहायता प्रदान
करती हैं। युवाओं के लिए नशा करने के दुष्प्रभाव सामाजिक, आर्थिक,
मानसिक, और शारीरिक हो सकते हैं। यह उनके विकास
और भविष्य को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, युवाओं को नशे के प्रति
सतर्क रहना चाहिए और स्वस्थ और सकारात्मक जीवनशैली का पालन करना चाहिए।
भारत में नशे का प्रसार-प्रचार गंभीर समस्या है और इसका
दुष्प्रभाव समाज के विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है। अवैध शराब की उत्पादन
और बिक्री देश भर में एक समस्या है। यह अस्वीकृत स्वरूप में निकली शराब जो अनुमति
प्राप्त नहीं है,
और घाटक पदार्थों के मिश्रण से बनाई जाती है, जैसे कि रुबिं और दारू के मिश्रण। अवैध शराब के सेवन से अनेक मामलों में
अस्थायी और स्थायी रूप से लोगों की मौत हुई है। नशीले पदार्थों की उत्पादन और
वितरण भी भारत में एक समस्या है। यह मादक पदार्थों की गैरकानूनी व्यापार और
उत्पादन के माध्यम से होता है, जिसमें मादक दवाएं, बीडी,
गुटखा, अफीम, चरस
और अन्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं। नशीले सदंशों की प्रचार-प्रसार: मीडिया और
विज्ञापन के माध्यम से नशीले सदंशों का प्रचार-प्रसार होता है, जो नशे के सेवन को प्रोत्साहित कर सकता है। कई बार मादक पदार्थों को ऐतिहासिक, सामाजिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संकेत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जो युवाओं को इन्हें आकर्षित कर सकता है। एक महत्वपूर्ण विषय है कि नशे के
संबंध में जागरूकता की कमी भी एक मुद्दा है। ज्यादातर युवा अपने नशेले सामरिकों के
प्रभाव में आकर उनके संग्रह और समझ में आने के कारण नशे के खतरों से अनजान हो सकते
हैं।
इस मुद्दे को संघर्ष करने के लिए, सरकार और सामाजिक संगठनों ने नशे के प्रति जागरूकता बढ़ाने, कानूनी कार्रवाई बढ़ाने, नशे के इलाज की सुविधा और संबंधित
सेवाओं को प्रदान करने जैसे कई पहलुओं का समर्थन किया है, परंतु अभी भी बहुत कुछ
करना बाकी है| यदि देश बचाना है, तो नशे की रोकथाम के लिए गंभीर प्रयास करने
होंगे, यदि देश बचाना है, तो युवाओं को इस नाश से बचाना होगा, यदि देश बचाना है,
तो सरकार और सामाजिक संगठनों को घर-घर में नशा-मुक्ति में अलख जगानी पड़ेगी, यदि
देश बचाना है, तो विद्यालयों में विद्यार्थियों में, इन कार्यक्रमों को वर्ष भर
जारी रखना होगा, यदि देश बचाना है, तो नशा-मुक्ति को प्रतिदिन का ध्येय-वाक्य
बनाना होगा|
मीता गुप्ता
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