राष्ट्रीय शिक्षा नीति
2020- विद्यार्थियों में 21वीं सदी के कौशल का निर्माण
21वीं सदी के कौशल
या 21 सेंचुरी स्किल्स वे ज्ञान-संबंधी, जीवन कौशल-संबंधी और कैरियर-संबंधी कौशल होते हैं,
जो आज के तेजी से बदलते तकनीकी, सामाजिक,
और व्यापारिक वातावरण में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक होते
हैं। ये कौशल लोगों को उनके करियर में बेहतर प्रदर्शन करने और जीवन के विभिन्न
पहलुओं में समृद्धि पाने में मदद करते हैं। विद्यार्थियों को उनके करियर और जीवन
के लिए बेहतर तैयार करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों की रणनीतिक योजनाओं में 21वीं
सदी के कौशल शामिल हैं। सबसे अधिक प्रासंगिक कौशलों में आलोचनात्मक सोच, सहयोग और समस्या-समाधान कौशल शामिल हैं।
21वीं सदी की शिक्षा
और नवाचार कौशल आज अत्यधिक मायने रखते हैं क्योंकि सॉफ्ट कौशल उच्च-स्तरीय
पाठ्यक्रमों और कार्यस्थलों में सफलता दिलाती है। यह विद्यार्थियों को उन नौकरियों
के लिए तैयार किया जाता है, जो आज भी लोकप्रिय नहीं हैं। ऐसी कैरियर तैयारी के
लिए उन्हें ऐसे कौशल से लैस करने की आवश्यकता है। इंटरनेट युग ने विद्यार्थियों के
लिए विशाल जानकारी को सुलभ बना दिया है। उन्हें सामाजिक परिस्थितियों और अन्य
परिस्थितियों से निपटने के दौरान आने वाली चुनौतियों पर काबू पाकर इस जानकारी को
संसाधित करने और विश्लेषण करने का कौशल दिलाती है। पाठ्यपुस्तकों से प्राप्त
सैद्धांतिक ज्ञान अब पर्याप्त नहीं है। जटिल समस्याओं को कुशलतापूर्वक हल करने के
लिए विद्यार्थियों को उनके व्यावहारिक अनुप्रयोग को समझने की आवश्यकता है, जो 21 सदी के कौशलों के विकास से ही संभव है। इसके साथ-साथ कैरियर के
सवालों का समाधान, स्वावलंबन,विशेषज्ञता,
अंतरराष्ट्रीय यानी ग्लोबल पटल पर मौजूदगी दर्ज करवाने के लिए तथा
सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को समझने और साझा करने में भी मदद कर करते हैं।
21वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल-
डिजिटल ज्ञान, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग,
डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और एआई,
साइबर सुरक्षा, डिज़ाइन और उपयोगकर्ता अनुभव,
क्रिएटिविटी और इंनोवेशन,अनुसंधान और विकास,संचालन और प्रबंधन, समसामयिक समस्या पर सोचना,
संचालनीय और समाजशास्त्रीय बुद्धिमत्ता. विपणन, साक्षरता, व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन, सोशल और संवादात्मक कौशल,व्यक्तिगत विकास, तार्किक विचारशीलता: ताकतवर कृतिक विचारशीलता कौशल,सामाजिक
और सांस्कृतिक सजीवता, वित्तीय साक्षरता, स्वच्छता और आपूर्ति कौशल, टीम वर्क,अनुसंधान कौशल, ग्लोबल विचारधारा, सामग्री प्रबंधन कौशल और व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन जीने कौशल।
राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 2020 में दिए गए प्रावधान-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत के शिक्षा प्रणाली को सुधारने और मौखिक और
लिखित भाषाओं के बीच गुणवत्ता और पहुँच में सुधार करने के लिए एक बड़ा कदम है। इस
नीति के अंतर्गत, विद्यार्थियों को विभिन्न आवश्यकताओं और
प्रौद्योगिकी अद्यतनता के साथ उनमें 21 सदी के कौशलों का विकास करने के लिए कई पहल
की जा रही हैं-
कौशल विकास केंद्र: नीति के तहत, स्कूलों में कौशल विकास
केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें विद्यार्थियों को
विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जैसे कि कंप्यूटर
प्रोग्रामिंग, डिजिटल मार्केटिंग,और
अन्य 21 सेंचुरी कौशल।
विशेष प्रशासनिक उपक्रम: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, विद्यार्थियों को विशेष प्रशासनिक उपक्रमों के माध्यम से विभिन्न
क्षेत्रों में विचार करने और कौशल विकसित करने का मौका मिलेगा, जो उनके 21 सेंचुरी कौशल को बढ़ावा देगा।
कौशल विकास पाठ्यक्रम: नीति में कौशल विकास पाठ्यक्रमों को प्रमोट करने का
भी प्रावधान है, जिनमें विभिन्न 21 सेंचुरी कौशल का
प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि छात्र उन्हें अपनी पसंद के हिसाब से चुन सकें।
बाह्य शिक्षा और आउटरीच सक्रियताएँ: नीति के अनुसार, विद्यार्थियों को विभिन्न स्कूली और बाह्य शिक्षा कार्यक्रमों का हिस्सा
बनाया जा रहा है, जैसे कि बाह्य क्षमता विकास प्रोग्राम,
जिनमें 21 सेंचुरी कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।
ऑनलाइन शिक्षा: डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए, नीति में ऑनलाइन शिक्षा के साथ 21 सेंचुरी कौशल को सिखाने की योजना शामिल
है, ताकि विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी के लिए
तैयार हो सकें।
व्यावासिक शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में व्यावासिक शिक्षा को
महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है, जिसमें छात्रों को विभिन्न
नौकरियों और व्यावासिक क्षेत्रों की प्रशिक्षण दी जाती है, ताकि
वे पेशेवर योग्यता हासिल कर सकें।
इंटर्नशिप और कौशल विकास कार्यक्रम: शिक्षा नीति के तहत, छात्रों को व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र में इंटर्नशिप्स और कौशल विकास
कार्यक्रमों का मौका मिलेगा, जिससे वे अपने करियर के लिए
तैयार हो सकें।
करियर काउंसलिंग: छात्रों को करियर काउंसलिंग के माध्यम से उनके प्राथमिक
रूप से रुचियों और कौशलों के आधार पर करियर के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक
किया जाएगा।
स्वयं सहायता और नौकरी कौशल: शिक्षा नीति के तहत, छात्रों को स्वयं सहायता और नौकरी कौशल के विकास के लिए समर्थ किया जाएगा,
ताकि वे आगे बढ़कर अपने लिए और समाज के लिए उपयोगी बन सकें।
कौशल विकास और नौकरी प्रशिक्षण: छात्रों को कौशल विकास कार्यक्रमों के
माध्यम से विभिन्न कौशल और पेशेवर योग्यताओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो उनके भविष्य के करियर के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कौशल-विकास और प्रशासनिक समर्थन: शिक्षा नीति के तहत, शिक्षा संस्थानों को छात्रों के कौशल और प्रशासनिक समर्थन के लिए उनके पास
आवश्यक संसाधनों का प्रबंधन करने की सलाह दी जाती है।
करिकुलम में परिवर्तन: नई शिक्षा नीति में सर्कुलम में परिवर्तन की बात की
गई है जिसमें नौकरियों के अनुसार कौशल सीखाने के लिए विशेष कोर्सेस और मॉड्यूल
होंगे। इससे छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में 21 सेंचुरी कौशल का परिचय होगा।
आधारभूत कौशलों को समर्थन: शिक्षा नीति में आधारभूत कौशलों को समर्थन देने
का भी जिक्र किया गया है, जैसे कि मानसिक स्वास्थ्य,
सामाजिक संवाद कौशल, समस्या समाधान कौशल,
और नौकरी कौशल।
स्वायत्तता और प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा: छात्रों को स्वायत्तता से सोचने और
सीखने का मौका देने के लिए प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें वे अपनी पसंदीदा 21 सेंचुरी कौशल को विकसित कर सकते हैं।
तकनीकी शिक्षा और डिजिटल उपयोग: शिक्षा नीति में तकनीकी शिक्षा और डिजिटल
उपयोग को बढ़ावा देने की बात की गई है, जिससे छात्र विभिन्न तकनीकी
कौशलों को सीख सकें।
सामाजिक और आधारित शिक्षा: नीति ने सामाजिक और आधारित शिक्षा को महत्वपूर्ण
भूमिका दी है, जिसमें विद्यार्थियों को भौतिक, भौगोलिक, और सामाजिक जगहों पर शिक्षा दी जाएगी,
जो उनके सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देगी।
कौशल-विकास और नौकरी तैयारी: नीति में कौशल और नौकरी तैयारी को महत्वपूर्ण
बताया गया है। विद्यार्थियों को व्यावासिक कौशल, उद्यमिता,
और नौकरी तैयारी के लिए तैयार किया जाएगा।
उत्कृष्टता की दिशा में शिक्षा: नीति ने विद्यार्थियों के उत्कृष्टता की
दिशा में शिक्षा को प्राथमिकता दी है। उन्हें अपने रुझानों और रुचियों के आधार पर
शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलेगा।
कौशल और रोजगार: नीति में कौशल और रोजगार के लिए विद्यार्थियों को तैयार
करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जाएंगे, जैसे कि उद्यमिता की शिक्षा
और प्रशिक्षण कार्यक्रम।
संवाद कौशल का विकास: नीति में विद्यार्थियों के संवाद और कौशल का विकास को
प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
साक्षरता: नीति ने साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रोग्रामों का
समर्थन किया है, जिससे विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिल
सके।
सामाजिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा: नीति में सामाजिक और नैतिक मूल्यों की
शिक्षा को महत्वपूर्ण भूमिका दी है, जिससे विद्यार्थियों का
सामाजिक और नैतिक विकास हो सके।
स्वतंत्र और सक्रिय शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, विद्यार्थियों को स्वतंत्रता और सक्रिय शिक्षा का मौका दिया जा रहा है,
जिससे वे अपने रुझानों और रुचियों के हिसाब से अध्ययन कर सकते हैं।
गतिशील शिक्षा: नई शिक्षा नीति के अनुसार, गतिशील
और तकनीकी तरीकों से शिक्षा देने के लिए गुणवत्ता बढ़ाने के उपायों पर काम किया जा
रहा है।
प्रैक्टिकल शिक्षा: शिक्षा नीति 2020 उद्देश्यों में से एक है कि
विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल शिक्षा और हाथ-से-हाथ कौशलों का समर्थन किया जाए।
आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की प्रोत्साहना: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
विद्यार्थियों को आत्मनिर्भरता और उद्यमिता के माध्यम से खुद का रोजगार बनाने के
लिए प्रोत्साहित करती है।
व्यक्तिगत प्रगति योजनाएं: शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, विद्यार्थियों को उनके रुचियों और कौशलों के हिसाब से व्यक्तिगत प्रगति
योजनाएं तैयार करने का मौका मिलेगा।
अध्यापकों की प्रशिक्षण: नयी शिक्षा नीति के तहत, अध्यापकों को 21 सेंचुरी कौशल के शिक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा
ताकि वे अपने छात्रों को इन कौशलों को सिखाने में सहायक हो सकें।
समयगत प्रयोग कार्यक्रम: शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, विद्यार्थियों को विशेषकर स्कूलों और कॉलेजों में समयगत प्रयोग
कार्यक्रमों का समर्थन दिया जाएगा जो 21 सेंचुरी कौशल की सीख प्रदान करते हैं।
इस प्रकार राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से, विद्यार्थियों को 21 सेंचुरी कौशल
के कई पहलू सिखाए जा रहे हैं, जो उन्हें अपने करियर और जीवन
में सफल होने के लिए तैयार करेंगे। उपरोक्त रणनीतियों को लागू करने से विद्यार्थियों
को पाठ्यपुस्तकों से नियमित ज्ञान के अलावा 21वीं सदी के कौशल हासिल करने में मदद
मिलेगी। प्रारंभ में, कुछ लोगों को इस नई शिक्षण पद्धति के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई हो
सकती है, लेकिन धीरे-धीरे, यह उन्हें
सशक्त महसूस कराएगा। वे आलोचनात्मक और रचनात्मक रूप से सोचना शुरू कर देंगे और
चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना करके प्रतिस्पर्धी दुनिया में आगे बढ़ने के लिए
बेहतर अनुकूल होंगे।
मीता
गुप्ता
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