Friday, 1 September 2023

कौशल विकास में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की परिवर्तनकारी भूमिका

 

कौशल विकास में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की परिवर्तनकारी भूमिका

 

"शिक्षा में प्रौद्योगिकी अनुकूली सीखने, व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप निर्देश तैयार करने के अवसर प्रदान करती है, जिससे विभिन्न प्रकार के कौशल का पोषण होता है और समावेशी कौशल विकास की सुविधा मिलती है।" - डॉ. अमांडा थॉम्पसन, शैक्षिक प्रौद्योगिकी सलाहकार।

अनेक देशों ने आर्थिक विकास और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिए विकास के मॉडल बनाए हैं। यदि मानव संसाधन तकनीकी रूप से अद्यतन और सुयोग्य हो जाता है, तो यह सफलता की राह में सकारात्मक प्रभाव डालता है। आज वैश्विक परिदृश्य में अपनी साख बनाए रखने, उद्योगों और विनिर्माण सेवाओं को विकसित करने की चाह में सभी सरकारें और अन्य हितधारक तकनीकी और वैज्ञानिक क्षमताओं को विकसित करने के लिए कुशल कार्यबल को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। आज मजबूत आर्थिक विकास दर के लिए आर्थिक चुनौतियों को अंगीकार कर उनका सामना करने की आवश्यकता है। आज के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल में, विद्यार्थियों की सफलता के लिए अपेक्षित प्रासंगिक कौशल महत्वपूर्ण हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश की शिक्षा प्रणाली के लिए एक परिवर्तनकारी खाका है, जिसने शिक्षकों और स्कूलों के बीच व्यापक नवउत्साह पैदा किया है। यह दूरदर्शी नीति ज्ञान प्रदान करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है और शिक्षा के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में कौशल विकास पर ज़ोर दे रही है।

कौशल विकास में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका को पहचानते हुए, सरकार ने एक विस्तृत रूपरेखा पेश की है जो सभी शिक्षा-स्तरों पर कौशल विकास को एकीकृत करती है। बुनियादी स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य विद्यार्थियों को तेजी से बढ़ती दुनिया में आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण दक्षताओं और क्षमताओं से लैस करना है और भविष्य की चुनौतियों और अवसरों को स्वीकार करने तथा भारत में समावेशी विकास हासिल करने और अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से कुशल विद्यार्थियों की एक पीढ़ी तैयार करना है।

इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति 2020 में अनिवार्य व्यावसायिक प्रशिक्षण का प्रावधान रखा गया है। बदलती तकनीकी प्रगति की तीव्र गति में व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थी अपने भविष्य के कैरियर और आजीवन सीखने के लिए अपने कौशल को बढ़ाने में सक्षम होंगे। कौशल विकास का नया मॉडल श्रमिकों की रोज़गार क्षमता बढ़ाने और उनकी संपूर्ण आजीविका में स्थिरता के नवीन दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। इसमें कौशल विकास की तत्काल जरूरतों का विश्लेषण करने के लिए निजी क्षेत्र में लगे पेशेवरों सहित नीति निर्माताओं, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं का योगदान शामिल है, जिसके लिए विद्यांजलि कार्यक्रम का ज़िक्र करना आवश्यक है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मुख्य रूप से बच्चों की बुनियादी शैक्षणिक शिक्षा के साथ-साथ उनके कौशल को विकसित करने पर केंद्रित है। रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच, संचार, समय प्रबंधन, टीम वर्क, नवाचार, समस्या समाधान आदि जैसे प्रभावी सॉफ़्ट स्किल्स को विकसित करना भी भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख उद्देश्य हैं तथा कौशल विकास पाठ्यक्रम में व्यवसाय प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल, पोषण, मनोविज्ञान और मानविकी जैसे अन्य अनिवार्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। विद्यार्थी अपने तकनीकी ज्ञान, व्यावसायिक कौशल, डिजिटल कौशल, हस्तांतरणीय कौशल और अन्य रोज़गार आवश्यकताओं को विकसित करेंगे, जो उनकी संपूर्ण आजीविका को बनाए रखने में सहायक होंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की एक और उल्लेखनीय भूमिका व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण पर जोर देना है। नीति व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और इंटर्नशिप को बढ़ावा देकर शिक्षा और रोज़गार के अंतर को पाटने पर जोर देती है। यह दृष्टिकोण विद्यार्थियों को व्यावहारिक कौशल और उद्योग-विशिष्ट ज्ञान से लैस करता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों के लिए कई लाभ लेकर आया है, जिसका लक्ष्य उनके लिए एक परिवर्तनकारी और समग्र सीखने का माहौल बनाना है। तो सवाल उठता है- "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों के लिए कैसे फायदेमंद है?" राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को लागू करके, स्कूली विद्यार्थी आधुनिक दुनिया की चुनौतियों का सामना करने, अपने जुनून को आगे बढ़ाने और अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए असाधारण रूप से तैयार हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करके समग्र विकास के महत्व को स्वीकार करती है। यह विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण सोच, रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल को बढ़ावा देते हुए कई विषयों और विषयों की खोज करने के लिए प्रेरित करता है। यह नीति शिक्षार्थियों को उनकी स्कूली शिक्षा यात्रा में लचीलापन और विकल्प प्रदान करती है। यह विद्यार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण पर केंद्रित है, जो विद्यार्थियों को उनकी व्यक्तिगत रुचियों, शक्तियों और करियर आकांक्षाओं के आधार पर विषयों का चयन करने में सक्षम बनाता है। कौशल विकास में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका महत्वपूर्ण है। नीति मानती है कि सफलता के लिए केवल अकादमिक ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है। इसलिए, नीति समस्या-समाधान, आलोचनात्मक सोच, संचार और डिजिटल साक्षरता जैसे कौशल को पाठ्यक्रम में एकीकृत करती है, जिससे विद्यार्थी 21वीं सदी के नौकरी बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार हो जाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020  विद्यार्थियों के बीच व्यावसायिक प्रशिक्षण को भी एकीकृत करता है, उनके व्यावहारिक कौशल और उद्योग-विशिष्ट ज्ञान प्रदान करता है। यह माध्यमिक स्तर से शुरू होने वाले व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और इंटर्नशिप को प्रोत्साहित करता है और सुनिश्चित करता है कि वे रोज़गार और उद्यमिता के लिए अच्छी तरह से तैयार होकर नियमित रचनात्मक और संकल्पनात्मक रुझान, भाषाओं और संचार कौशल में प्रवीणता, आवश्यक विषयों और कौशलों का समावेश और कला समेकित समझ विकसित कर पाएंगे।

यदि हम गहराई से देखें तो हम विश्लेषण कर सकते हैं कि विद्यार्थी संसाधनों, इंटरनेट, स्मार्टफोन आदि की कमी के कारण दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा के वैकल्पिक विकल्पों तक नहीं पहुंच पाते हैं। भारत सक्षम व्यक्तियों के लिए बेहतर अवसर पैदा करने के लिए कुशल कार्यबल के निरंतर विकास और रोज़गार के अवसर बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। कुशल युवाओं को रोज़गार के लिए उपयुक्त इंटर्नशिप संभावनाएं प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना बनाई गई है। अल्पकालिक प्रशिक्षण पहल के साथ सरकार ने उद्योग आधारित शिक्षा के तहत लोगों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। सरकार और नीति निर्माता दूरदराज के क्षेत्रों में उद्यमिता के क्षेत्र के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी पहल कर रहे हैं। यदि युवा अपने विचारों को वैश्विक बाजार और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित और आश्वस्त महसूस करते हैं, तो वे निश्चित रूप से सफलता की राह पर पहुंचेंगे और बेरोज़गारी कम होगी। योग्य उम्मीदवारों को बेहतर अवसरों की तलाश में अन्य शहरों, देशों में प्रवास करने की आवश्यकता नहीं होगी जो उनके कामकाजी लक्ष्यों और नैतिकता को पूरा कर सकें।

नई शिक्षा नीति ने पारंपरिक शिक्षण विधियों में क्रांति ला दी है और शिक्षा क्षेत्र को बदल दिया है। स्कूल प्रबंधन और माता-पिता दोनों ने कौशल विकास और शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका को पहचाना है। विशिष्ट कार्यबल में काम करने के लिए कुशल भारतीय उम्मीदवारों को सक्षम बनाने के लिए समावेशी कौशल विकास महत्वपूर्ण कदम है। सीखने की कोई सीमा नहीं है, सतत विकास में बने रहने के लिए व्यक्ति में अधिक सीखने और अधिक विकास करने की उत्सुकता होनी चाहिए।निश्चित तौर से यह कहा जा सकता है कि कौशल विकास की नीति देश को कुशल और सक्षम बनाएगी-

कौशल और कुशलता परिश्रम से मिलती है,

परिश्रम से ही जिंदगी की बर्फ़ पिघलती है॥

 

 

मीता गुप्ता

 

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