एग्ज़ाम, तनाव और मार्क्स को लेकर स्टूडेंट्स को मोदी सर
ने दिया “गुरु मंत्र”
मोटिवेशन का कोई फॉर्मूला
नहीं, खुद का आकलन करें कि क्या
आपके लिए ज्यादा सही- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 11
बजे देश-विदेश के विद्यार्थियों के साथ
में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा 5.0 की। इस कार्यक्रम में
एक हज़ार विद्यार्थी शामिल हुए, जबकि 15 लाख विद्यार्थी ऑन लाइन जुड़े रहे। उन्होंने इस दौरान कहा कि
छात्र-छात्राओं को परीक्षा को त्योहारों के रूप में लेना चाहिए। मोदी ने आगे कहा, ‘‘आप इतने घबराए हुए क्यों हैं? आप पहली बार परीक्षा नहीं देंगे। अब आप आखिरी
पड़ाव के करीब बढ़ रहे हैं। आपने पूरा समुद्र पार कर लिया है अब किनारे के पास आकर
आपको डूबने का डर है?’’ पीएम ने आगे कहा कि बेटियां परिवार की
बड़ी ताकत होती हैं।
पीएम मोदी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम
में 'परीक्षा पे चर्चा' के पांचवें संस्करण के दौरान विशेष रूप से
विकलांग स्कूली विद्यार्थियों से मिले । इस दौरान पीएम ने हर विद्यार्थी से मिलने
की कोशिश की और उनसे बातचीत भी की। उन्होंने मंच का संचालन करने वाले बच्चों की
तारीफ भी की। इस दौरान उन्होंने इन बच्चों को अपना ऑटोग्रॉफ भी दिए। पीएम ने अंत
में कहा, 'इस कार्यक्रम से आपको पता नहीं लाभ
होता है कि नहीं लेकिन मुझे हमेशा लाभ होता है। यह कार्यक्रम मुझे बढ़ने और मेरे
सामर्थ्य को बढ़ाने के काम आ रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर हमें जीवन में कुछ
करना है जो एक क्वालिटी विकसित करना चाहिए। किसी में भी अगर हम गुण देखते हैं तो
उसके पुजारी बनते हैं। उससे तो उसे ताकत मिलती है, उसे हमें भी ताकत मिलती है कि अच्छी चीजों को ग्रहण करें। अगर हम
ईष्य़ा भाव पनपने देते हैं, तो हम कभी बड़े नहीं बन सकते हैं। हम औरों की शक्तियों को जानने का
सामर्थ्य विकसित करेंगे तो आगे सफल होंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे इलेक्ट्रॉनिक
गैजेट भी पर्यावरण के लिए संकट बन रहे हैं। भारत सरकार ने नई स्क्रैप पालिसी
निकाली है। हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनना होगा। हमें जीवन में छोटी-छोटी
चीजें लाने होंगी। प्रो, प्लानेट, पीपल (पी थ्री मूवमेंट) से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें। आज देश आज़ादी
का अमृत महोत्सव मना रहा है, आने
वाले 25 साल आपके लिए हैं, आपका योगदान इस 25 साल में क्या हो ताकि हम आन बान शान के साथ देश का शताब्दी बना
सकें। हम कर्तव्यों का पालन करें कि देश में अधिकार के लिए किसी को लड़ना ना पड़े।
हमारे यहां जो वैक्सीनेशन हुआ, जिस
तेजी से बच्चों ने दौड़ दौड़कर वैक्सीनेशन ले लिया है, वो हैरान करने वाला है।
उन्होंने कहा कि जैसे ही परीक्षा को
अच्छे एनवायरमेंट की ज़रूरत होती है वैसे ही पृथ्वी के लिए भी एक अच्छे एनवायरमेंट
की ज़रूरत होती है। मैं अपने देश के बालक बालिकाओं का धन्यवाद अदा करना चाहता हूं।
मैं पीएम बनने के बाद जब पहली बार 15
अगस्त को लालकिले से भाषण दिया था तो मैंने स्वच्छता की बात की तो लोगों ने सवाल
किए और कइयों को आश्चर्य हुआ। लेकिन जो भी आशंकाएं व्यक्त की गई थी, उसे गलत सिद्ध करने का जो काम किया वो मेरे देश
के बालक बालिकाओं ने किया।
केंद्रीय विद्यालय आरके पुरम की छात्रा
पवित्रा राव ने सवाल किया- हमारा भारत और तरक्की की तरफ अग्रसर है, इसके पर्यवरण संरक्षण में क्या योगदान दें नई
पीढ़ी, इसका उत्तर चाहती हूं? चैतन्य नाम के एक छात्र ने सवाल किया- हम अपने
पर्यावरण को स्वच्छ और बेहतर कैसे बना सकते हैं?
उन्होंने
कहा कि बराबरी
हर युग की ज़रूरत है। किसी जमाने में बेस्ट गवर्नेंस के रूप में अहिल्याबाई का नाम
आता है। हमारे यहां तो बेटियों ने कर के दिखाया है। पहली हमारी अपनी मानसिकता है।
आज आपने देखा होगा कि बेटों से ज्यादा बेटियों की संख्या स्कूल में ज्यादा आ रही
है। आज हर परिवार के लिए बेटी बहुत बड़ा एसेट बन गई है। ये बदलाव अच्छा है।उन्होंने
कहा कि समय
का कैसे उपयोग करना है, आउटकम किसे कहते हैं, ये आपको जानना होगा। अपना काम किसी भी
परिस्थिति में करते रहना जीवन में बहुत ज़रूरी है। अगर आपने शिक्षा पूर्ण रूप से
आत्मसात किया है तो फिर आपको कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। अपने आपको को योग्य
बनाने के लिए तैयार करें।
एरिका जॉर्ज नाम की एक छात्रा ने
ऊधमपुर से सवाल किया, 'एकेडमिक फेस के दौरान कई चुनौतियां आती
है। कई बार सही गाइडेंस के कारण वो चीज मिल नहीं पाती है जिसकी हम तलाश करते हैं।' हरिओम प्रसाद ने नोएडा से सवाल किया- 'इस साल कॉलेज एडमिशन प्रकिया में कई बदलाव किए
गए हैं। हम इस दौरान कैसे अपनी तैयारी करें एग्ज़ाम पर फोकस करें या एडमिशन पर?'
उन्होंने
कहा कि हमेशा
हमें जागृत रूप से प्रयास करना चाहिए कि क्या मैं जो समय लगा रहा हूं उसका आउटकम आ
रहा है कि नहीं। मैंने जिनता निवेश किया, उतना
मुझे मिला कि नहीं, उसका हिसाब किताब हम लगा सकते हैं।
गणित में मैंने आज एक घंटे लगाया, उसका
रिजल्ट मुझे मिला कि नहीं ,इसका एनालिसिस करना चाहिए। बहुत कम लोग
ऐसा करते हैं।
एक छात्रा के सवाल का जवाब देते हुए 'पीएम मोदी ने कहा कि परमात्मा की सबसे बड़ी
सौगात वर्तमान है, जो इस वर्तमान को जी पाता है, जान पाता है और आत्मसात करता है उसके लिए
भविष्य के लिए कभी भी सवालिया निशान नहीं होता है। हम कभी भी उस पल को नहीं जी
पाते हैं।मेमोरी जीवन के विस्तार का बहुत बड़ा कैटेलिक एजेंट है। आप मेमोरी का
विस्तार करिए,
जितना करेंगे चीज़ें उतनी जुड़ती जाएंगी। एक बार मन को स्थिर कर लीजिए, तीन चार बार आंख बंद कर डीप ब्रीथिंग कर लीजिए, आपके मन के अंदर पड़ी चीज उपर आना शूरू हो
जाएगी।'
उन्होंने कहा कि हमारे आस पास जो चीज़ें
हैं उन्हें ऑब्जर्व करें,
फिर अपने को रिलेट करें। क्या आप कभी
खुद के एग्ज़ाम लेते हैं, आप अपने एग्ज़ाम भी लीजिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को पहले
खुद को समझने की ज़रूरत है। खुद को जानना ज़रूरी है । कौन सी बातें आपको भटकाती हैं, पहले उसे पहचानिए। इसमें एक दिन, दो दिन, एक
सप्ताह लग सकता है। इसकी पहचान हो जाने पर इससे दूरी बनाइए। विद्यार्थी यह भी देखें कि कौन सी बातें उन्हें
सहज रूप से उन्हें मोटिवेट करती हैं। उसे पहचानें और अपनी उस योग्यता एवं कौशल को
विकसित करें।
क्या परीक्षा को बहुत गंभीरता से लेनी
चाहिए या उसे एक उत्सव की तरह देखना चाहिए, एक
छात्रा के इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सवाल बताता है कि विद्यार्थियों
पर या तो शिक्षक या माता-पिता का दबाव है। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि कि आप अपने सपनों, आकांक्षाओं को अपने बच्चे में डालने की कोशिश न
करें। बच्चा मां-बाप का सम्मान करता है। शिक्षक कुछ और करने के लिए कहता है। ऐसे
में छात्र दुविधा में रहते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। माता-पिता और शिक्षक को
बच्चे की शक्ति, सीमाएं, रुचि, आकांक्षा को बारीकी से समझना चाहिए।
ऐसा न करने पर विद्यार्थी लड़खड़ा जाते हैं।
उन्होंने अभिभावकों से कहा कि शुरूआत
से ही हम शिक्षा नीति के काम पर लगे थे। इसे देश के नागरिकों, विद्यार्थियों और शिक्षकों ने बनाया है। शिक्षा
नीति में खेल को अहम स्थान दिया है। पहले खेल एक्सट्रा एक्टिविटी थी, लेकिन अब इसे शामिल किया गया है। क्या
हम 20वीं सदी की सोच, व्यवस्था, नीति
को लेकर हम 21वीं सदी में आगे बढ़ सकते हैं क्या, नहीं बढ़ सकते हैं। इसलिए हमें 21वीं सदी के अनुरूप अपने आप को ढालना चाहिए।
पीएम मोदी ने बताई ऑनलाइन और ऑफलाइन की महत्ता। उन्होंने
कहा कि ऑनलाइन
को एक अवसर समझिए। इधर उधर भटकते हैं तो फिर टूल भी हैं, जो आपको इंस्ट्रेंक्शन देते हैं जिसका
उपयोग कर आप खुद को अनुशासित कर सकते हैं। जब आप ऑनलाइन भी नहीं होगें, ऑफलाइन भी नहीं होंगे केवल इनरलाइन होंगे।
पीएम मोदी ने परीक्षा पे चर्चा
कार्यक्रम के संयोजकों को स्टेज पर बुलाकर उनका सम्मान किया। आखिर में पीएम ने कहा
कि गुणों के पुजारी बनें। इससे उसे और हमें दोनों को ताकत मिलती है। इर्ष्या भाव
को न पनपने दें। इससे हम खुद को छोटा करते हैं और कभी बड़ा नहीं बन सकते। अपने
जीवन में सफल बनने के लिए अच्छे, सामर्थ्यवान
के लिए सम्मान रखें। पीएम ने कहा कि परीक्षा पर चर्चा से मेरा भी फायदा होता है।
यह मेरे सामर्थ्य को बढ़ा रहा है। इसके बाद पीएम ने सभी को धन्यवाद दिया और उनका
अभिवादन किया।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कार्यक्रम को
केंद्रीय विद्यालय, पूर्वोत्तर रेलवे, बरेली के सभी विद्यार्थियों ने लाइव कार्यक्रम का आनंद उठाया और
प्रधानमंत्री जी की सभी टिप्स से बहुत कुछ सीखा। विद्यालय कप्तान कक्षा 12 के गौरव
आनंद ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा बताए गए गुर बहुत लाभकारी होंगे। विद्यालय
खेल कप्तान ऐश्वर्या यादव, कक्षा 12 ने प्रधानमंत्री जी द्वारा खेलों को बढ़ावा देने की बात पर
प्रसन्नता ज़ाहिर की। कु. आकांक्षा वाल्मीकि, कक्षा 10 के प्रधानमंत्री जी द्वारा तनाव को
दूर करने के उपाय को अत्यंत उपयोगी बताया। प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों
दिव्यांश,
अर्पिता और कनिष्क वर्मा ने भी अपने-अपने विचार रखे। प्राचार्य डॉ अपर्णा सक्सेना
ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद ज्ञापित
करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों को लिए अत्यंत लाभदायक और उपयोगी
होते हैं। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री जी के विचारों को जीवन में
आत्मसात करने का संदेश दिया, जिससे वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें ।
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