बॉडी लैंग्वेज समझना भी है कला
बॉडी लैंग्वेज अपने आप में एक भाषा है। यह भाषा
क्या है, इसे कैसे पढ़ा जा सकता है, बता रहे हैं सौरभ सुमन हमारे आस-पास कई तरह के लोग होते हैं। कुछ
अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, जबकि कुछ लोग...
हमारे आस-पास कई तरह के लोग होते हैं। कुछ अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, जबकि कुछ लोग इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह जाते हैं। हमारे दिमाग में चलता बहुत कुछ है, लेकिन अपनी हर बात को शब्दों में बयां नहीं कर पाते। कभी-कभी हमारी बॉडी लैंग्वेज काफी कुछ बयां कर देती हैं। यह बात हर कोई आसानी से नहीं समझ पाता है। सामने वाले इंसान के भीतर चल रहे विचार, सोच और इरादों की परख कुछ ही लोगों को होती है। ऐसे लोग इंसान की मानसिकता को समझने में ज्यादा गलतियां नहीं करते। कह सकते हैं, इन्हें किताबों की तरह इंसानों को पढ़ना बखूबी आता है।
क्या है बॉडी लैंग्वेज
शरीर की मुद्रा
शरीर की अलग-अलग अवस्था इंसान के चरित्र और व्यक्तित्व की सबसे बड़ा संकेत है। संतुलित और सीधी अवस्था आत्मविश्वास और खुद से आश्वस्त होने का संकेत है। इसी तरह बैठने की अवस्था भी बॉडी लैंग्वेज का मूलभूत हिस्सा है। बैठने के दौरान आगे की ओर झुक कर बैठना आपके मित्रवत होने का संकेत है। अगर कोई अपना सिर उठाते समय मुस्कुराता है तो वह शख्स स्वभाव से चंचल मन हो सकता है या फिर मजाकिया हो सकता है। सिर नीचे झुकाता हुआ शख्स कुछ छिपा रहा होता है।
चेहरे का भाव
अधिकांश लोगों के लिए बॉडी लैंग्वेज चेहरा का अध्ययन करना है। चेहरे पर का भाव भी अपनी नाराजगी, खुशी, जलन, चिंता और चंचलता को सामने ला देता है। हर दिन ऐसे कई मौके होते हैं, जब लोग अपनी प्रतिक्रिया अपने चेहरे पर बने प्रतिबिम्ब से दे देते हैं। अगर कुछ पसंद नहीं आ रहा हो तो नाक सिकोड़ते हैं। बच्चे नाराज हों तो मुंह फुला लेते हैं।
आंखों से बात
निश्चित रूप से आंख अभाषिक रूप सब कुछ कह देने वाला बड़ा माध्यम है। चाहे कम हो या ज्यादा, किसी भी इंसान को समझने के लिए बिना जाने या समझे उसकी आंखों में झांकते हैं। मानव में यह स्वभाव जन्म से ही होता है। आंख के द्वारा न सिर्फ इंसान के मूड को पढ़ा जा सकता है, बल्कि उसके अन्दर क्या चल रहा है, उसे भी अच्छी तरह से समझा जा सकता है।
बॉडी लैंग्वेज के संकेत
तरोताजा होने के साथ सीधा खड़ा रहना-आत्म
विश्वास
हिप्स पर हाथ रख कर खड़ा रहना-तैयार व आक्रामक
पैर पर पैर चढ़ा कर बैठना- उचाट दिखना
पैर फैलाकर बैठना- आराम की मुद्रा
छाती पर बांह पर बांह फंसाना-बचाव की मुद्रा
पॉकेट में हाथ डालकर चलना-उदासी
गाल पर हाथ रखना- चिंता व सोचना
नाक को थोड़ा-थोड़ा छूना और रगड़ना - अस्वीकृति,
शंका
आंख रगड़ना- शंका व अविश्वास
दोनों हाथों पर गाल टिकाना और नीचे देखना - उचाट दिखना
जरा गौर करें
अनुमान है कि इंसान चेहरे पर 2,50,000 हाव-भाव उत्पन्न कर सकता है।
झूठ बोलने वाला इंसान नजरें मिलाकर बात नहीं कर
सकता।
कभी भी तेजी से बोलने वाले सेल्समैन पर भरोसा न
करें।
परखी गयी बॉडी लैंग्वेज हमेशा सही नहीं होती,
इसलिए प्रतिक्रिया देने से पहले सोच समझ लें।
किसी को सिर्फ उसकी बॉडी लैंग्वेज से जज करना सही नहीं है।
बॉडी लैंग्वेज को नाट्य शास्त्रों में अंग से अभिनय ऐसा कहा गया है। जैसे कि हम रोज 24 घंटे बात नहीं करते और भी चीजें करते हैं, जैसे कि हम कुछ इशारे करते हैं इस सभी को बॉडी लैंग्वेज कहते है।
स्टेटस के हिसाब से भी बॉडी लैंग्वेज बहुत ज्यादा चेंज होता है। आपने देखा होगा कि अगर गांव में किसी की मौत हो जाती है तो वहां पर चिल्ला चिल्ला कर खुल के रोते हैं खुलकर अपनी बॉडी लैंग्वेज एक्सप्रेस करते हैं लेकिन अगर आपने बहुत बड़े या Sophisticated लोगों को देखा होगा वो एकदम से सफेद कुर्ता पहन कर आते हैं और मुंह पर रुमाल रखकर या हाथ रखकर रोते हैं।
दोनों का दुख एक ही है दोनों को एक जैसे ही दुख हो रहा है लेकिन बॉडी का लैंग्वेज अलग है। बॉडी लैंग्वेज जो है वह स्टेटस के हिसाब से, टाइम के हिसाब से, वातावरण के हिसाब से और इमोशन के हिसाब से बदलता है। तो उसे आपको ऑब्जर करना चाहिए।
बॉडी लैंग्वेज कैसे सीखें?
सामने देख के बोले।
Confident रहे।
Situations Imagine करे।
लोगो को Observe करे।
Relax या शांत रहे।
खुद को Express करे।
चीज़ो से बॉडी लैंग्वेज सीखे।
प्रैक्टिस करते रहे।
अलग अलग करैक्टर की कोशिश करे।
Inner और Outer Observation करे।
आप जानवरों से भी बॉडी लैंग्वेज सीख सकते हैं।
जैसे कि आपने Actress Priyanka Chopra की बॉडी
लैंग्वेज एतराज फिल्म में देखी हुई, कैसी लग रही थी
जैसे कि किसी बिल्ली से मैच करती है इसके बाद अपनी गली ब्वॉय में एमसी शेर का
कैरेक्टर देखा होगा किसी लायन के जैसे लग रहा था एकदम शांत रिलैक्स।
राजपाल यादव का कैरेक्टर आपने देखा होगा वह जब
कॉमेडी करते हैं तो वह बंदर के जैसे कैरेक्टर लगते हैं ऐसा नहीं है की आप सिर्फ Living
Things से बॉडी लैंग्वेज सीख सकते हैं आप Non
living things से भी सीख सकते हैं Body Language को समझने के लिए अपने आप के बैलेंस को और वजन को समझना बहुत जरूरी
है।
बॉडी लैंग्वेज एक्टिंग में भी बहुत ज्यादा
महत्वपूर्ण है क्योकि एक्टर बनने में बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता
है करैक्टर का बोलने के साथ साथ चलने का ढंग यह सब बॉडी लैंग्वेज से ही पता चलते
है।
बॉडी लैंग्वेज की प्रैक्टिस कैसे करे?
प्रैक्टिस के लिए आप घर में ही ऐसे सोचो कि एक
ट्रेन की पटरी के ऊपर चल रहे हैं या फिर किसी रस्सी के ऊपर आपने सर्कस में देखा
होगा। उस पर बैलेंस करने की कोशिश करते हुए चले वह सब imagination होगा। ऐसा नहीं है कि आपको सच में उस पर चलना है।आपको सिर्फ Imagine
करना है कि आप उस पर चल रहे हैं तो आप अपने बॉडी के वजन को और बैलेंस
करते हुए आप आगे बढ़े इस तरह से आप प्रैक्टिस कर सकते हैं।
अब से आप जो भी मूवी, टीवी
शो या फिर सीरियल देखेंगे। उसमें आप कैरेक्टर की बॉडी लैंग्वेज को नोटिस कीजिए और
उनमें से अगर आपका कोई फेवरेट एक्टर है तो आप उनको अलग अलग मूवी में उन्होंने अपना
कैरेक्टर किस तरह से निभाया उसको observe करना है।
बॉडी लैंग्वेज के प्रकार (types of body
language)
हम अभी बॉडी लैंग्वेज को और आसानी से समझने के
लिए उसको दो हिस्सों में बांटते हैं।
बॉडी लैंग्वेज ऑफ़ डिफरेंट करैक्टर
बॉडी लैंग्वेज ऑफ़ करैक्टर इन डिफरेंट सिचुएशन
1. बॉडी लैंग्वेज ऑफ़ डिफरेंट करैक्टर
आपने अमिताभ बच्चन सर को गुलाबो-सिताबो मूवी
में देखा होगा तो उसमें उन्होंने झुकाऊदार, अपने
स्पाइन को टेढ़ा करके एक अलग ही प्रकार का कैरेक्टर निभाया है। विद्या बालन
उन्होंने कहानी मूवी में प्रेग्नेंट वुमन का रोल किया है, इसमें
उनकी Body language आपने देखा होगा कि बहुत ही अलग थी।
आपने ऐसी बहुत सारी फिल्म देखी होगी जैसे कि
सीता और गीता, राम और श्याम, चालबाज
या फिर खून भरी मांग जहां पर आपने देखा होगा कि इन फिल्मों में दो-दो कैरेक्टर एक
की एक्टर ने प्ले किए हैं। एक में कुछ अलग दिख रहे है और दूसरे में कुछ अलग जिसमें
एक्टर बॉडी लैंग्वेज चेंज कर देते हैं जिससे आपको दोनों कैरेक्टर अलग लगते हैं।
2. बॉडी लैंग्वेज ऑफ़ करैक्टर इन डिफरेंट
सिचुएशन
आप जो सोच रहे हैं, एक्सप्रेस
कर रहे हैं आप बॉडी के जरिए करते हैं और सबसे बड़ा प्रॉब्लम यह होता है कि हम शुरु
शुरु में कुछ बोलने जाते हैं तो हाथ कहा रखे यह समझ में नहीं आता है।
जैसे कि इंट्रो देने जाते हैं या फिर स्टेज पर
जाते हैं हाथ कहां पर रखे समझ में नहीं आता। आपके अंदर Stress आता है और आप हाथ छुपाने की कोशिश करते है। इससे क्या होता है कि आप
कुछ बोल रहे हैं और आपकी बॉडी कुछ और रिएक्ट कर रही है। जैसे मान लो कि एक सीन है
की आपको बहुत ज्यादा ठंड लग रही है। आप हाथ जोड़कर बोल रहे हैं कि कितनी ठंडी है
यार, बहुत ठंड लग रहा है।
आपकी बॉडी कुछ रिएक्ट नहीं कर रही है सामने
वालों को समझ में नहीं आएगा और फिल ही नहीं आएगा। आप अगर अपने हाथ एक-दूसरे हाथ
में रगड़ रहे हैं मुंह से आवाज आ रही है तभी समझ में आएगा कि आपको ठंड लग रही है
तो बिना बोले ही आप बॉडी लैंग्वेज से जता सकते हैं कि आपको ठंड लग रही है।
कैरेक्टर की बॉडी लैंग्वेज कैसी बनती है?
बॉडी लैंग्वेज के लिए ऑब्जरवेशन बहुत जरूरी है
इसके लिए आप आउटर और इनर ऑब्जर्वेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। आउटर ऑब्जर्वेशन
मतलब आप बाहर के लोगों को ऑब्जर करें और इनर ऑब्जर्वेशन मतलब कि आप क्या करते हैं
आपकी बॉडी किस तरह से React करती है।
एक एक्टर के लिए दुनिया का हर इंसान एक
कैरेक्टर है आपको सबको ऑब्जर करते रहना चाहिए। बॉडी लैंग्वेज को समझने के लिए आपके
पास ऑब्जरवेशन होना बहुत जरूरी है। आप आसपास के अलग-अलग कैरेक्टर को ऑब्जर्व कर
सकते हैं। जैसे उनके बोलने का ढंग, चलने का ढंग, बात
करने का ढंग।
बॉडी लैंग्वेज के लिए स्पाइन एक महत्वपूर्ण
हिस्सा है। आप एकदम सीधा खड़े रह कर बात करते हैं तो आप अलग तरीके से बोलते हैं।
अगर आप स्पाइन को थोड़ा सा झुक कर बोलते हैं तो आपका बोलने का तरीका अलग हो जाता
है। इसी तरह से आपको आपने Character Build करना है।
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