ये इंद्रधनुषी बच्चे
अब
इतिहास में दर्ज होगा एक ऐसा समय,
जब
संसार हो गया निश्चल,
जब
सपरिवार रहे भीतर,
कभी-कभी
खिड़कियों से झाँकते,
उस
साफ होते आसमान को देखते,
जो
इतना नीला कभी न था,
जो
उन्होंने बरसों से ना देखा था,
वह
फूलों का खिलना,
वह
सूरज का निकलना,
वह
बादलों का आना-जाना,
और
हां, वह रंग बिरंगा इंद्रधनुष,
जिसकी
आभा को न जाने कब से नहीं देखा था ।।
अब
इतिहास में दर्ज होगा एक ऐसा समय,
जब
खेलते थे बच्चे,
तब
टोकते थे बड़े,
“घास पर मत खेलो......घास पर मत खेलो !!”
अब
भी तरस रहे हैं वे भी,
कब
बच्चे अपने कलरव से,
घास
को रौंदेंगे,
और
अपनी मखमली हंसी से,
घास
को और हरा कर देंगे ॥
अब
इतिहास में दर्ज होगा एक ऐसा समय,
जब
संसार हैरान,
कुछ
हैरान....कुछ परेशान,
पर
फिर भी हैं सब एक साथ,
चाहे
वह दो हाथों की ताली हो,
या
फिर चम्मच और थाली हो,
सलाम
उनको जो खड़े हैं काल के सामने दीवार बनकर,
अविचल....निष्कंप.....सामाजिक
सरोकार बनकर,
स्कूल
हैं बंद,
पढ़ाई
है जारी,
बाधाओं
को धकेल बच्चे करते तैयारी ॥
अब
इतिहास में दर्ज होगा एक ऐसा समय,
जब
शीर्ष पर मनुजता थी,
हाथ
भले न मिलें,
पर
मिलने की व्याकुलता थी,
बच्चे
चंचलता से गंभीरता की ओर बढ़ चले,
उनकी
आकांक्षाएं,
उनकी
कल्पनाएँ,
उनका
विश्वास,
उनके
सपने,
सब
सूरज सूरज चांद तारों पर चढ़ चले,
अब
इतिहास में दर्ज होगा एक ऐसा समय....
अब
इतिहास में दर्ज होगा एक ऐसा समय ॥
द्वारा-मीता
गुप्ता