Sunday, 25 July 2021

गुरू.शिक्षक,अध्यापक से सुगमकर्ता तक का सफ़र

 

गुरू.शिक्षक,अध्यापक से सुगमकर्ता तक का सफ़र

(गुरू पूर्णिमा पर विशेष)





“गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु गुरूर्देवो महेश्वर: ।

गुरूः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः”

संस्कृत में, गुरू का शाब्दिक अर्थ है अंधकार को दूर करने वाला।  मूलतः गुरू वह है, जो ज्ञान दे। संस्कृत भाषा के गुरू का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है। इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरू माता-पिता को माना जाता है। दूसरा गुरू शिक्षक होता है, जो अक्षर ज्ञान करवाता है। उसके बाद कई प्रकार के गुरू जीवन में आते हैं जो बुनियादी शिक्षाएं देते हैं। "संरक्षक, मार्गदर्शक, विशेषज्ञ" सब गुरू के ही अनेकानेक रूप हैं ।

विश्वविजेता सिकंदर और सम्राट चन्द्रगुप्त के बीच का संघर्ष इन दो राजाओं का ही नहीं था, यह संघर्ष था दो महान गुरूओं की प्रज्ञा-चेतना का , दो महान गुरूओं के अस्तित्व का .......एक थे सामान्य किंतु विलक्षण, भारतीय युवा-गुरू,तक्षशिला-स्नातक 'चाणक्य' और दूसरे थे यूनान के कुल-गुरू,राजवंशियों के गुरू 'अरस्तू' ! परिणाम सामने था ! यहीं से पश्चिम के मन में भारतीय गुरू-परंपरा को लेकर आदर का भाव संचरित हुआ । यही कारण है कि मैकाले के मानस-पुत्रों ने भारत को जो भीषण कष्ट दिए हैं, उन में से एक यह भी है कि पूरी शिक्षा-पद्धति से षड्यंत्र-पूर्वक 'गुरू' को हटा कर उस की जगह 'शिक्षक' को बिठा दिया।

वर्तमान समय में विद्यार्थियों के संदर्भ में एक शिक्षक की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। क्योंकि आज विद्यार्थी बहुत ही सजग, कुशल, अद्यतन होने के साथ-साथ बहुत अस्थिर और अविश्वासी भी होते जा रहे हैं। इसके कारण चाहे जो कुछ भी हों, परंतु एक शिक्षक को आज के ऐसे ही विद्यार्थियों को उचित प्रशिक्षण, सदुपयोगी शिक्षण और सटीक, कल्याणकारी और सकारात्मक मार्गदर्शन प्रदान करते हुए उन्हें देश के भावी कर्णधार,ज़िम्मेदार नागरिकों में परिणित करना है। उसे न केवल उनका बौद्धिक, नैतिक, मनोवैज्ञानिक ,शारीरिक विकास करना है, अपितु सामाजिक, चारित्रिक, एवं सांवेगिक विकास को भी दृष्टिगत रखना है। जिस प्रकार शिक्षा एक अंतहीन और सतत प्रक्रिया है,उसी प्रकार शिक्षण भी अंतहीन और सतत प्रक्रिया है क्योंकि प्रत्येक मनुष्य पूरी ज़िंदगी सीखता-सिखाता रहता है।

कोरोना काल में यह चुनौती और भी दुस्साध्य बन गई है । ऐसे में जब विद्यार्थी केवल आभासी (वर्चुअल) तौर पर उपलब्ध हैं, तो पाठ्यक्रम पूर्ण करने के साथ-साथ उनके बौद्धिक, नैतिक, मनोवैज्ञानिक ,शारीरिक ,सामाजिक, चारित्रिक, एवं सांवेगिक विकास को ध्यान में रखना टेढ़ी खीर है । एक तो इस अप्रत्याशित समय में ऑनलाइन कक्षाओं को अपनाना कई शिक्षकों के लिए कठिन रहा है और दूसरे दिन-प्रतिदिन के शिक्षण-कार्य में उसे सहजता से अपनाते हुए विभिन्न प्लेटफ़ार्मों के सभी टूल्स को कक्षा में क्रियान्वित करना भी दुष्कर दीख पड़ता है । कक्षा की समय-सीमा में ही पाठ्यक्रम को पूर्ण करवाना, जबकि विद्यार्थियों के स्क्रीन-टाइम को ध्यान में रखते हुए कक्षाओं की संख्या कम की गई हैं, फिर एक चुनौती बन रहा है ।साथ ही विद्यार्थी इस बदले हुए परिवेश में कई मनोविकारों से भी जूझ रहे हैं ।

किंतु राष्ट्र-निर्माता शिक्षक यदि ठान लें, तो अपने अनुभव, शिक्षा, प्रेम, समर्पण,सृजन-शक्ति, त्याग, धैर्य आदि के साथ-साथ तकनीकी जानकारी प्राप्त कर विद्यार्थियों को अभिप्रेरित कर सकते हैं। पहले गुरू,फिर शिक्षक और आज सुगमकर्ता, इन पड़ावों को पार कर आज एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के और भी नज़दीक हैवे अपनी कक्षा को रोचक बनाने के प्रयत्नों में विषयानुरूप नवाचार करने का प्रयास करें, जैसे घर-परिवार के सदस्यों को कक्षा में जोड़ना,रोल-प्ले करवाना, विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सामग्री उपलब्ध करवाना (केवल विश्वसनीय और प्रतिष्ठित सूत्रों की), अतिथि-वक्ताओं को कक्षाओं में आमंत्रित करना, भाषा-खेल, प्रश्नोत्तरी, काव्य-पाठ, विषय के साथ कला को एकीकृत करना, नाटक-प्रस्तुतीकरण और हाँ, कक्षा के आरंभ में मानसिक स्वास्थ्य हेतु संदेश प्रसारित करना, आदि अनेक ऐसे नवप्रवर्तन शिक्षक कर सकते हैं, जिनसे न केवल श्रेष्ठ अधिगम होगा, अपितु विद्यार्थी उत्सुकता से आपकी कक्षा की प्रतीक्षा करेंगे ।

अंत में, गुरू पूर्णिमा के अवसर पर जीवन में प्रथम-गुरू 'माँ' से लेकर हर उस गुरू के चरणों में सादर-साष्टांग प्रणाम । जिन गुरूओं की कृपा से मनुष्यता की यात्रा सहज-सुगम हो सकी और जिन्होंने मुझे संवारा-निखारा-बुहारा, उन सभी 'गुरूओं' के सतत् आशीष की अपेक्षा में ... शुभमस्तु।


मीता गुप्ता

हिंदी प्रवक्ता, केवि,पूरे, बरेली

 

 

 

 

कारगिल विजय दिवस पर रण-बांकुरों को नमन

 

कारगिल विजय दिवस पर रण-बांकुरों को नमन





जो भरा नहीं है भावों से,

बहती जिसमें रस-धार नहीं।

वह हृदय नहीं है पत्थर है,

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं॥     

गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ जी द्वारा रचित ये पंक्तियां हमें स्मरण करवाती हैं कि देशभक्ति, देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना है। देशभक्त अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम तथा उस पर गर्व करने के लिए जाने जाते हैं। देशभक्ति की भावना लोगों को एक-दूसरे के करीब लाती है। किसी भी व्यक्ति का देश के प्रति अमूल्य और निःस्वार्थ प्रेम और भक्ति, देशभक्ति की भावना को परिभाषित करती है। जो लोग सच्चे देशभक्त होते हैं, वे अपने देश के प्रति अपने प्राणों को न्योछावर करने से पीछे नहीं हटते।

देश की आज़ादी के बाद अनेक ऐसे अवसर आए जब भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस,पराक्रम और शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मन के दाँत खट्टे किए हैं । ऐसा एक अवसर आया 1999 में, जब भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच लगभग 60 दिनों तक संघर्ष हुआ और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत को विजय प्राप्त हुई। इसी लिए भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस  मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान और  उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है।

यूँ तो 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई सैन्य संघर्ष होते रहे हैं। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए,जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम "ऑपरेशन बद्र" रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता रहा है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।

प्रारंभ में भारत ने घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि घुसपैठियों को कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर बनाई गई है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ।

स्वतंत्रता का अपना ही मूल्य होता है, जो वीरों के रक्त से चुकाया जाता है. कारगिल युद्ध में हमारे लगभग 500 से ज़्यादा वीर योद्धा शहीद हुए और 1300 से ज्यादा घायल हो गए। इनमें से ज़्यादातर 30 वर्ष से कम आयु के नौजवान थे । इन शहीदों ने भारतीय सेना की शौर्य व बलिदान की उस सर्वोच्च परंपरा का निर्वहन किया, जिसकी सौगंध हर सिपाही तिरंगे के समक्ष लेता है।

आज का दिन है, उन शहीदों को याद कर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण करने का, जो हंसते-हंसते मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह दिन उन महान और वीर सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने हमारे भविष्य को सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान के शब्दों में-

वीरों का कैसा हो वसंत?

आ रही हिमाचल से पुकार,

      है उदधि गरजता बार-बार,

      प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,

      सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत,

      वीरों का कैसा हो वसंत?


मीता गुप्ता

हिंदी प्रवक्ता,केवि,पूरे, बरेली

Wednesday, 21 July 2021

मूड : यह क्या बला है ?

 

मूड : यह क्या बला है ?




आपने अक्सर लोगों के मुँह से सुना होगा: भई आज मूड नहीं है या आज मूड बहुत अच्चा है ।हर कोई मूडी हो जाता है। कुछ दिन आप दुनिया के शीर्ष पर महसूस करेंगे और अन्य दिनों में आपको दूना के नीचे रहने का मन करेगा। कभी-कभी उदास होना भी ठीक है।

ज्यादातर लोग जानते हैं कि वे कब 'मूड में' महसूस कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं 'मूड' का मतलब क्या होता है? या आपका मूड कहां से आता है? या अपना मूड कैसे बदलें?

बस, एक मूड आपकी भावनात्मक लय का हिस्सा है, लेकिन एक भावना से थोड़ा कम तीव्र है। और इसमें आमतौर पर एक ट्रिगर होता है, जैसे कोई घटना या अनुभव।

आप शायद जानते हैं कि जब आप सकारात्मक मूड में होते हैं तो आप अच्छा महसूस करते हैं (जैसे कि जब आप संतुष्ट, प्यार या उत्साहित महसूस करते हैं)। और आप शायद जानते हैं कि जब आप नकारात्मक मूड में होते हैं तो आप बहुत बुरा महसूस करते हैं (जैसे कि जब आप चिंतित, घृणा या नाराज़ महसूस करते हैं)।

आपका मूड आपके लिए उपयोगी है। और वे इस बात का एक बड़ा हिस्सा हैं कि आप कैसे व्यवहार करना और सोचना चुनते हैं। एक नकारात्मक मनोदशा उस समस्या का एक उपयोगी संकेतक हो सकता है जिससे निपटने की आवश्यकता है।

अधिकांश मूड एक-दो दिन में गुजर जाते हैं। और, एक सपाट मूड में भी, आप अभी भी अपनी दैनिक गतिविधियों के बारे में जा सकते हैं। लेकिन अगर उदास या उदास मूड आपके जीवन को महत्वपूर्ण रूप से बाधित कर रहा है, तो यह गंभीर है ।

मूड का कारण क्या है ?

मूड और भावनाएं जटिल हैं। ऐसा माना जाता है कि मस्तिष्क में उन्हें बनाने के लिए तीन कारक मिलते हैं: जीवविज्ञान (उदाहरण के लिए, हार्मोन और मस्तिष्क रसायन), मनोविज्ञान (जैसे व्यक्तित्व और सीखी प्रतिक्रियाएं), और पर्यावरण (बीमारी और भावनात्मक तनाव की तरह)। नकारात्मक मनोदशा के सामान्य, दैनिक कारण हैं:तनाव,खराब नींद, थकान और अधिक काम,भूख,अपने आसपास के लोगों के साथ बातचीत,समाचार,मौसम,हार्मोनल परिवर्तन, व्यायाम की कमी,एक विराम की आवश्यकता।

नकारात्मक मूड के अन्य कारणों में शामिल हो सकते हैं:नशीली दवाएँ और शराब,खराब पोषण,दवा के दुष्प्रभाव,डिप्रेशन,चिंता ।आपके वातावरण में कुछ रसायन एक नकारात्मक प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं, जैसे कि भोजन में एडिटिव्स और प्रिजर्वेटिव, या खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक आदि ।ध्वनि प्रदूषण,खराब वायु गुणवत्ता, प्राकृतिक आपदाएं आदि भी आपके दिमाग और शरीर को तनाव में डाल सकती हैं।

यदि आप अपने मूड के बारे में अधिक जागरूक हैं, तो आप अपने जीवन शैली विकल्पों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने, सूचित स्वास्थ्य निर्णय लेने, नकारात्मक मूड के ट्रिगर को रोकने या उससे बचने और जीवन की बेहतर गुणवत्ता की दिशा में काम करने में सक्षम हो सकते हैं।

आमतौर पर, एक कम अच्छा मूड बहुत जल्दी चला जाता है और उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन, यदि आपका मूड दो सप्ताह से अधिक समय तक बना रहता है और आप ज्यादातर समय उदास, उदास या दुखी महसूस करते हैं या अपनी अधिकांश सामान्य गतिविधियों में रुचि खो चुके हैं, तो आपको अवसाद हो सकता है।

बुरे मूड को ठीक करने के कुछ तरीके:उन चीजों को करने के लिए समय निकालें जो आपको पसंद हैं या कुछ नया करने की कोशिश करें,दूसरों के साथ जुड़ें,आनंद लेने के लिए समय निकालें,अपने बगीचे में कुछ समय बिताएं, टहलने जाएं, या कुछ संगीत सुनें,रुचियां साझा करें, जैसे पेंटिंग या किसी स्पोर्ट्स क्लब में शामिल होना,अपने समुदाय में योगदान दें,अपना ख्याल रखें अपने बाल कटवाएं, या तैरने जाएं,अपने आप को चुनौती दें, कुछ नया पकाएं,व्यवस्थित करें, योग कक्षा करें या ध्यान का प्रयास करें,आराम करें, पूरी नींद लें,किसी मित्र या परिवार के सदस्य को कॉल करें, और उनसे बात करें आदि

बच्चों का मूड

जहां बच्चों में मिजाज़ आम है, वहीं कई बार उनका मिजाज़ कुछ ज्यादा गंभीर होने का भी संकेत हो सकता है। अपने बच्चों से बात करें , बात करने से अनेक समस्याओं का समाधान हो जाता है। यदि आप चिंतित हैं कि कुछ और गंभीर हो रहा है, तो किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से मिलें।

याद रखिए...

हर कोई मूडी हो जाता है। मूड आपकी भावनात्मक लय का एक स्वाभाविक हिस्सा है।अपने मूड को समझने से आप उन्हें प्रबंधित कर सकते हैं और तेज़ी से बेहतर महसूस कर सकते हैं।कभी-कभी मनोदशा एक गंभीर चिकित्सा स्थिति का संकेत देती है जिसे 'मूड डिसऑर्डर' के रूप में जाना जाता है, जिसके लिए पेशेवर स्वास्थ्यकर्मी या थेरेपिस्ट से अवश्य मिलें।

 

मीता गुप्ता

हिंदी प्रवक्ता, केवि,पूरे, बरेली

Friday, 16 July 2021

हिंदी भाषा में सूचना प्रोद्योगिकी का प्रयोग

 

हिंदी भाषा में सूचना प्रोद्योगिकी का प्रयोग





















सूचना प्रोद्योगिकी क्या है?

              सूचना प्रौद्योगिकी का अर्थ है, सूचना का एकत्रीकरण, भंडारण, प्रोसेसिंग, प्रसार और प्रयोग। यह केवल हार्डवेअर अथवा सॉफ़्टवेअर तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस प्रौद्योगिकी के लिए मनुष्य की महत्ता और उसके द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना, इन विकल्पों के निर्माण में निहित मूल्य, यह निर्णय लेने के लिए प्रयुक्त मानदंड है कि क्या मानव इस प्रौद्योगिकी को नियंत्रित कर रहा है  और इससे उसका ज्ञान संवर्धन  हो रहा है। किसी भी क्षेत्र मे सूचना प्रोद्योगिकी का मतलब उन क्रिया-कलापों से हैं जो सूचना का उत्पादन, संग्रहण, आसवन,पुनर्मुद्रण, वितरण एवं सम्प्रेषण तकनीकी एवं प्रोद्योगिकी रूप मे किया जाए विशेषतः कंप्यूटर तकनीकी के माध्यम से |

आवश्यकता क्यों ?

बढ़ती हुई जागरूकता |

कंटेंट (सामग्री) की  अनुपलब्धता |

हिंदी की बहुआयामिता |

उपभोक्ताओं तक पहुँच |

हिंदी को तकनीकी भाषा बनाने में योगदान |

सरकारी आदेशों की अनुपालना |

वक्त की मांग |

सभी के लिए मंच |

हिंदी भाषा को चुनौती

       आज टेक्नाँलाँजी की भाषा को आम आदमी के नज़दीक पहुँचाने की आवश्यकता बढ़ गई है। मुक्त बाज़ार और वैश्वीकरण के दबावों ने हिन्दी को ज़रुरत और मांग के अनुकूल ढालने में भूमिका निभाई है। विश्व में अब उसी भाषा को प्रधानता मिलेगी जिसका व्याकरण संगत होगा, जिसकी लिपि कंप्यूटर की लिपि होगी।

हालांकि हिन्दी में कंप्यूटर शब्दावली के निर्माण में प्रयास किए जा रहे हैं फिर भी अभी भी हिन्दी तकनीकी दृष्टि से पूरी तरह विकसित नहीं है। विश्व स्तर के कई साँफटवेयर में अभी तक हिन्दी का समावेश नहीं किया गया है।आज इंटरनेट की 83 प्रतिशत सामग्री अंग्रेज़ी में उपलब्ध है। भारत के लिए आवश्यक है कि इंटरनेट की प्रौद्योगिकी से अपने को जोड़े रखे और नई तकनीकी को हिंदी सहित भारतीय भाषाओं में विकसित करें।

विश्व स्तर पर इस चुनौती का सामना कैसे करे हिंदी ?

              हिंदी विश्व की तीन सबसे बड़ी भाषाओं में से एक है। लगभग एक करोड़ बीस लाख भारतीय मूल के लोग विश्व के 132 देशो में बिखरे हुए हैं जिनमें आधे से अधिक हिंदी भाषा को व्यवहार में लाते हैं। गत पचास वर्षों में हिंदी की शब्द - संपदा का जितना विस्तार हुआ है उतना विश्व की शायद ही किसी भाषा में हुआ हो। विदेशों में हिंदी के पठन-पाठन और प्रचार-प्रसार का कार्य हो रहा है। दूर संचार माध्यमों, फिल्मों, गीतो, हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं आदि ने भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपनी अहम भूमिका अदा की है।

राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती का सामना

              आज विंडोज़ प्लेटफार्म में काम करने वाले अनेक हिंदी साँफटवेयर मार्केट में उपलब्ध है, जैसे, सी-डैक का इज्म आँफिस, लीप आँफिस, अक्षर फार विंडोज़, सुविंडोज़ और आकृति आदि। हाल ही में युनिेकोड फान्ट के प्लेटफार्म पर विकसित माइक्रोसाँफट आँफिस हिन्दी में स्क्रीन का समस्त परिवेश जैसे कमान, संदेश, फाइल नाम आदि भी हिंदी में उपलब्ध है।

हिंदी में सूचना तकनीकी के प्रयोग

       भारत सरकार के नेशनल सेंटर फार सॉफ्टवेयर टेक्नालाजी इंस्टीटयूट ने सभी भारतीय भाषाओं की लिपि को कंप्यूटर पर स्थापित करने के लिए विशेष अभियान चलाया है। अमेरिकन माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने एन सी एस टी (NCST) के साथ एक संयुक्त योजना के तहत विश्व प्रसिद्ध विंडोज प्रणाली पर भारतीय-भाषाओं को विकसित करने का कार्य शुरू किया है।

              इंटरनेट सेवा के अंतर्गत ई-मेल, चेटिंग, वायस मेल, ई-ग्रीटिंग आदि बहुपयोगी क्षेत्र में हिंदी भाषा का विकास एवं संप्रेषण की संभावनाएं अधिक है। कंप्यूटर पर हिंदी भाषा ध्वनि, चित्र, एनीमेशन के सहारे विकसित की जा रही है। कई इंटरनेट साइट में प्रमुख भारतीय-भाषाओं के लिए उपयुक्त संपर्क सूत्र, ई-मेल, साँफटवेयर, आदि जानकारी उपलब्ध है जैसे:- www.rajbhasa.com

     www.indianlanguages.com

     www.hindinet.com  

              भारतीय-भाषाओं को विकसित करने हेतु सी-डैक मुंबई में इंडियन लैंग्वेज रिर्सोसेस सेंटर के तहत कंप्यूटर के क्षेत्र में अनुसंधान जारी है। अब तक हिंदी शब्दों का विशाल भण्डार हिन्दी वर्ड नेट पर विकसित किया गया है। इससे हिंदी भाषा को विश्व की प्रमुख भाषाओं के साथ जोड़ा जाएगा।

हिंदी भाषा के कुछ आंकड़े......

भारत मे पिछले वर्षों मे बोली जाने वाली हिंदी के कुछ जनसांख्यिकीय आंकड़े प्रतिशत मे इस प्रकार हैं :-

       1971-                                     36.99%
                1981-                                     38.74%
                1991-                                     39.29%
                2001-                                     51.03%
                2011-                                     59.00%
                2021-                                     65%संभावित

हिंदी मे सूचना तकनीकी के प्रयोग के माध्यम 

ब्लॉग

ई-कंटेंट

वेबसाईट

ऑनलाइन पत्रिकाएं

पीपीटी

दृश्यविस्तारक यन्त्र

अंतराकर्षण पटल

 विकिपीडिया

फ्रीलांसिंग

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हिंदी कुंजीपटल

हिंदी ई-बैनर

ई-सदस्यता

ऑनलाइन अनुवादन

              सबसे महत्त्वपूर्ण है ऑनलाइन अनुवादन, इसमें इस तरह कि सेवा उपलब्ध करवाने वाली किसी भी वेबसाइट के सदस्य बनने के बाद वह व्यक्ति जो हिंदी मे निपुणता रखता हो उसे अपना प्रवीणता प्रमाण देना होता है और वह पूरी दुनिया के लोगों के लिए हिंदी अनुवादक के तौर पर औपचारिक एवं अनौपचारिक रूप से अपनी सेवायें दे सकता है |

 आवश्यक पत्रकों की उपलब्धता

राजभाषा विभाग, भारत सरकार

हम इसका प्रयोग क्यों करें?

हिंदी के वैश्वीकरण के कारण ।

राष्ट्र के सम्मान हेतु ।

हिंदी भाषा संपर्क भाषा होने के कारण।

अन्य भाषाओं के साथ प्रतियोगिता ।

अनेक वे सब कारण जिनको आप समझते हैं कि वे उचित एवं उपयुक्त हैं |

धन्यवाद !

और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...