विश्व
युवा कौशल दिवस (15 जुलाई) के अवसर पर युवाओं के नाम संदेश.....
दिन हो, रात हो अब युवा हिंद के करते आराम
नहीं,
समाज बदल रहा है, व्याकुलता का अब काम नहीं,
भारत माँ की
वेदी पर, लाए
निज प्राणों के उपहार,
शक्ति भुजा में, उजास ज्ञान में, लाए निज उर के उद्गार,
नित नए प्रयासों
से युवा बढ़ते जा रहे हैं।
देखो युवा
स्वर्ग धरती पर लाने जा रहे हैं ॥
भारत
वास्तविक अर्थों में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मुझे यकीन है कि अपने देश को हम तमाम
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दुनिया का बेहतरीन देश बना सकते हैं। हमारे युवाओं
में ज़बरस्त संभावनाएं हैं, ऊर्जा है और कुछ कर गुज़रने की भावना भी है। हमें एक ऐसे भारत का
निर्माण करना है, जिसमें
लोगों का जीवन स्तर ऊंचा हो- और यह तभी हो सकता है, जब हम अपने युवाओं को बेहतर शिक्षा, श्रेष्ठ प्रशिक्षण और विकास के अनुकूल वातावरण प्रदान कर सकेंगे।
भारत
इस समय बहुत ही सुनहरे दौर से गुज़र रहा है। हमारे देश में इस समय युवाओं की संख्या
ज़्यादा है। जिस देश में युवाओं की आबादी जितनी ज़्यादा हो, वह उतनी ही तेज़ी से तरक्की करता है,इतिहास इसका गवाह है। ऐसे में यह सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम युवाओं
की ऊर्जा का उपयोग सही ढंग से करें। उन्हें सभी क्षेत्रों में ज़्यादा से ज़्यादा
अवसर मुहैया कराएं,जिससे
वे पॉजिटिव सोच के साथ राष्ट्र निर्माण में अपना रोल निभा सकें। आज भारत में
बेरोज़गारी के उन्मूलन के लिए हमें रोज़गार दिलाने वाली शिक्षा का इंतज़ाम करना होगा।
मेरा मानना है कि अगर हम युवा-शक्ति को ताकत दें और उनके जीवन को बदलने का बीड़ा
उठाएं, तो
भविष्य उजला होकर रहेगा।हम स्वयं को तब तक एक विकासशील राष्ट्र नहीं कह सकते, जब तक तीन में से एक आदमी अपना नाम तक
नहीं लिख सकता। बिना शिक्षा के प्रचार-प्रसार के एक सेहतमंद समाज की कल्पना नहीं
की जा सकती और बिना सेहतमंद समाज के एक गौरवपूर्ण राष्ट्र का ख्वाब नामुमकिन है।चाणक्य
नीति में कहा भी गया है-
संतोषस्त्रिषु कर्तव्यः स्वदारे
भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्तव्योऽध्ययने
तपदनायोः।।
स्त्री, भोजन और धन इन तीनो का संतोष करना
चाहिए किन्तु विद्या अध्ययन, तप और दान का संतोष नहीं करना चाहिए।
भगवान
ने हर इंसान को अलग-अलग बनाया है। इस पृथ्वी पर कोई भी दो आदमी एक जैसे नहीं हैं।
ईश्वर की इस कृति का आदर कर हर इंसान को यह समझना होगा कि उसके अंदर अपार क्षमताएं
हैं, संभावनाएं हैं
और असीमित ऊर्जा का भंडार है। एक बड़े खिलाड़ी, अभिनेता, चित्रकार
या कवि के भीतर जैसी क्षमता छिपी है, वैसी ही एक सामान्य से दिखने वाले व्यक्ति के अंदर भी है। ज़रूरत है तो
बस उसे अपने अंदर खोजने की। जाहिर है, हमें अपने युवाओं में यह भाव भरना होगा। नए भारत में हमें किसी के
प्रभाव या दबाव में न आकर स्वविवेक से अपनी अस्मिता, एकता व अखंडता की रक्षा करनी होगी।
युवाओं
से यह उम्मीद की जाती है कि वे भारतवर्ष को उन्नत व विकसित देशों की कतार में लाने
के लिए अपना कीमती योगदान देंगे, ताकि हमारा राष्ट्र विश्व में अपनी अनुपम व अमिट पहचान बना सके। देश
के अमर शहीदों ने भारत के लिए जो सपने देखे थे, उन्हें साकार करने में युवाओं की अहम भागीदारी हो। ऐसा तभी मुमकिन
होगा, जब
देश का हर वर्ग, चाहे
वह अमीर हो या गरीब, दुकानदार
हो या व्यापारी या किसी भी जाति से संबंध रखता हो, देश के लिए कुछ न कुछ समय निकाले, आधुनिक और तकनीकी नज़रिए के साथ उसे उन्नति के शिखर पर पहुंचाने की
भावना रखे। ऐसा करके ही हम अपने आपको एक
सच्चा भारतीय सिद्ध कर सकते हैं। मुझे यकीन है, यदि हमारे युवा और अधिक सकारात्मक,सत्यनिष्ठ और कर्तव्यनिष्ठ बनने का प्रयास करेंगे, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत महाशक्ति
बन कर उभरेगा ।
निश्चित
ही-
इन काली सदियों
के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा
जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नगमें गाएगी
वो सुबह हमीं से आएगी....
वो सुबह हमीं से आएगी.....॥
मीता गुप्ता
हिंदी प्रवक्ता, केवि,पूरे,
बरेली
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