तिरंगे की यात्रा-इतिहास के झरोखे से
भारत के हृदय में बसी वीरता की धरा,
तिरंगे की शान से रंगती यह धरा।
सजले रंगों में चमकता ज्ञान और विज्ञान,
तिरंगे की चमक से रोशन करता जगमगान।
लहराता ध्वज हमारा, बलिदान की
भाषा,
साहस, समर्पण, त्याग की बनी इसकी प्रतिमा।
श्वेत, हरा, और केसरिया रंगों का मिला जब संगम,
विश्वास की दृष्टि से सारे धर्म के सम्मान।
गांधी, नेहरू, भगत सिंह और सरदार के सपने इसमें बसे हैं,
तिरंगे के रंगों में अमर भारतीयों की आत्मा समाई
हैं।
प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना
एक ध्वज होता है। यह एक स्वतंत्र देश होने का संकेत है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज
को इसके वर्तमान स्वरूप में 22
जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया
था,
जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व
की गई थी। इसे 15 अगस्त 1947 और 26
जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और
इसके पश्चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में "तिरंगे" का अर्थ
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। 22
जुलाई को भारत में "तिरंगा दिवस" या "नेशनल फ्लैग दिवस" के
रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय ध्वज (तिरंगा) को सम्मान करने के लिए
स्वतंत्रता और गर्व का अनुभव कराने के लिए निर्धारित किया गया है। यह दिन भारतीय
ध्वज के अधिकारिक निर्माण की स्मृति और यात्रा के रूप में मनाया जाता है। 22 जुलाई 1947 को भारतीय ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में आधिकारिकता
दी गई। इस दिन पर भारतीय ध्वज के प्रति समर्पण और आदर्शों को पुनः स्वीकार किया
जाता है और तिरंगा राष्ट्रीय एकता और समरसता का संदेश देता है।
पहला भारतीय राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त, 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था।
ध्वज के तीन प्रमुख रंग थे जैसे लाल, पीला और हरा।
वर्तमान भारतीय तिरंगे के करीब पहला संस्करण 1921 में पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था। इसके दो
प्रमुख रंग थे- लाल और हरा।
1931 में, तिरंगे
झंडे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाते हुए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित
किया गया था। यह ध्वज, जो
वर्तमान का अग्रभाग है, केंद्र
में महात्मा गांधी के चरखा के साथ केसरिया, सफेद और हरे रंग का था।
कुछ संशोधनों के साथ, जिसमें केसरिया और सफेद रंग, अशोक चक्र सम्राट अशोक की शेर राजधानी से शामिल था, भारतीय तिरंगा को आधिकारिक तौर पर 22 जुलाई, 1947 को अपनाया गया था। इसे पहली बार 15 अगस्त, 1947 को फहराया गया था।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां
हैं,
सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों
समानुपात में हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3
का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की
राजधानी के सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी
की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
ध्वज के रंग
भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है
जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के
साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
चक्र
इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी
ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र
को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।
इससे पहले, भारतीय
नागरिकों को चुनिंदा अवसरों को छोड़कर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी।
यह कानून उद्योगपति नवीन जिंदल द्वारा एकदशक की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बदल गया, जिसकी परिणति 23 जनवरी, 2004 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में हुई, जिसमें घोषित किया गया था कि राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान के
साथ स्वतंत्र रूप से फहराने का अधिकार एक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है।
तिरंगे का इतिहास भारतीय जनता के लिए एक गर्वशील और
सम्माननीय चिह्न है, जो उनके
एकता,
स्वतंत्रता, और भारतीय शौर्य को प्रतिष्ठान करता है। इसे देखकर भारतीय
लोग अपने देश प्रेम में और भारतीय भावना में उन्मुख होते हैं।
तिरंगा राष्ट्रीय
भावना,
एकता, और
स्वतंत्रता की अद्भुत प्रतीक है। यह लोगों को सामाजिक और राष्ट्रीय उद्दीपना देती
है और राष्ट्रीय भावना को संवर्धित करने में मदद करती है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता का
महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह ध्वज भारत के अधिकांश सार्वजनिक स्थानों पर विकसित होता
है और राष्ट्रीय और सामाजिक अवसरों पर धारण किया जाता है। तिरंगा राष्ट्रीय एकता, भारतीय एकता और समरसता का प्रतीक है। यह ध्वज भारतीय जनता
के साथ एकजुट होने का संदेश देता है और सभी भारतीयों को एक साथ रहने के लिए
प्रेरित करता है। तिरंगा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता का प्रतीक बना
रहा। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया
और यह भारतीय जनता के संघर्ष और त्याग को स्मरण करता है। तिरंगा देश प्रेम और
राष्ट्रीय गर्व के साथ भारतीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसे देखकर
भारतीय लोग अपने देश के प्रति अपना अनुभव एवं समर्पण दिखाते हैं। तिरंगे के रंग
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं। नारंगी रंग वीरता और धर्म को दर्शाता
है,
सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है और हरा रंग
प्राकृतिक सौंदर्य और कृषि को दर्शाता है । तिरंगा भारत के आधिकारिक राष्ट्रीय
ध्वज के रूप में उच्च स्थान रखता है। यह भारत के अधिकारिक दस्तावेज़ों पर और
सरकारी संबंधित अवसरों पर उचितता से उपयोग किया जाता है। तिरंगे को भारत की पहचान
के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है। राष्ट्रीय ध्वज
राष्ट्रीयता, एकता, स्वतंत्रता, और गर्व का प्रतीक है और भारतीय लोगों के दिल में
देशोत्सर्ग की भावना जगाता है।
ध्वज संहिता
26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया और स्वतंत्रता
के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्टरी में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति
मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा
सकते है। बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और तिरंगे की
शान में कोई कमी न आने दें। सुविधा की दृष्टि से भारतीय ध्वज संहिता,
2002 को तीन भागों में बांटा गया है।
संहिता के पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है। संहिता के दूसरे
भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज
के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्द्रीय और राज्य
सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के
विषय में जानकारी देता है।
मीता गुप्ता
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