हैलो.. हैलो.. हैलो..
कभी सोचा है दोस्तों, दिन में कितनी बार हम ‘हैलो’ करते हैं?
आइए, जानें, हैलो,कब और कहां से आया और हमारी बोलचाल का अटूट हिस्सा बन गया और तो
और इसे महिमा-मंडित करने के लिए हर साल 21 नवंबर को ‘विश्व हैलो दिवस’ भी मनाया जाता है| हैलो
दिवस मनाने का उद्देश्य एक दूसरे की बीच पुरानी दुश्मनी को खत्म कर मित्रता को
बढ़ावा देना है| हैलो बहुत कॉमन शब्द है, लगभग सभी लोग फ़ोन रिसीव करते ही
पहला शब्द हैलो ही बोलते हैं| लेकिन क्या आप जानते हैं कि
लोग आम-बोलचाल की भाषा में ‘हैलो’ शब्द का उपयोग क्यों करते हैं? बताया जाता है कि
इजराइल और मिस्र के युद्ध के दौरान हजारों की संख्या में सैनिक और निर्दोष नागरिक
मारे गए थे| युद्ध के अंत में इजराइल और मिस्र में शांति
स्थापित करने के लिए जो पहला शब्द इस्तेमाल किया वह था-हैलो, इसी वजह से विश्व में शांति और मित्रता प्रसार करने के लिए ‘विश्व हैलो दिवस’
मनाने की शुरुआत की गई|
जब कोई इंसान एक दूसरे को हैलो बोलता है, उस वक्त उसकी आपसी
दुश्मनी खत्म हो जाती है, यही कारण है कि देखते ही देखते यह
दिवस विश्व भर में प्रसिद्ध हो गया, और अब यह 180 देशों में मनाया जाता है| हैलो शब्द अभिवादन करने
के साथ-साथ बातचीत की शुरुआत आसानी से करने का एक माध्यम है|
इसे विश्व नमस्कार दिवस के रूप में भी जाना जाता है|
क्या है फ़ोन पर हैलो बोलने की वजह?
दरअसल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टेलीफ़ोन का आविष्कार
वैज्ञानिक ग्राहक बेल ने किया था| ग्राहम बेल के गर्लफ्रेंड का नाम मारग्रेट हैलो था और उसने टेलीफ़ोन के आविष्कार
के बाद सबसे पहले अपने गर्लफ्रेंड को फ़ोन मिलाया और पहला शब्द हैलो बोला, इसके बाद से ही फ़ोन पर काल करते
वक्त पहला शब्द हैलो बोलने की शुरुआत हो गई| हालांकि कई
रिपोर्ट के मुताबिक ग्राहम बेल की गर्लफेंड का नाम मारग्रेट होने का कोई पुख्ता
सबूत नहीं है|
यूं तो ‘हैलो’ एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका जन्म पुराने जर्मन
शब्द हाला या होला से हुआ था| हाला या होला का अर्थ था ‘कैसे
हो’| हालांकि, यह शब्द समय के साथ-साथ
बदलता गया| यह होला से हालो बना और फिर बाद में हालू बन गया| इसी सिलसिले में ये आगे चलकर ‘हैलो’ बन गया| हम अपने
देश की बात करें, तो आज के समय में कोई इंसान पढ़ा-लिखा हो या फिर अनपढ़, फ़ोन करते समय सभी लोग पहले शब्द
के रूप में ‘हैलो’ ही बोलते हैं|
‘हैलो’ शब्द का सबसे पहला इस्तेमाल लिखित रूप में साल 1833 में हुआ था| जबकि फ़ोन कॉल पर सबसे पहले ‘हैलो’
शब्द का इस्तेमाल 1887 में हुआ था| इस
थ्योरी के मुताबिक फ़ोन पर सबसे पहले ‘हैलो’
बोलने का श्रेय एक अन्य महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन को जाता है| थॉमस अल्वा
एडिसन के फ़ोन पर ‘हैलो’ बोलने के बाद से
ही दुनियाभर में फ़ोन कॉल की शुरुआत में ‘हैलो’
बोलने की परंपरा शुरू हुई, जो अभी तक चल रही है| हैरानी की
बात ये है कि आज किसी भी फ़ोन कॉल पर हैलो बोलने
का चलन सिर्फ एक-दो देश में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है|
बताते चलें कि यह सच हो सकता है कि ओके ग्रह पर सबसे अधिक बोला जाने वाला शब्द है,
लेकिन हैलो शब्द ज़्यादातर लोग पहले सीखते हैं।
अभिवादन या अभिवादन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक
पुराना शब्द ओला है, जो मध्य युग का है, लेकिन शेक्सपियर के समय में अभी
भी उपयोग में था; उन्होंने इसे अभिवादन के रूप में
("आपकी कृपा की जय हो") और एक उच्चारण के रूप में ("जय हो, सीज़र!") दोनों का उपयोग किया। दिलचस्प बात यह है कि यह शब्द दूसरों
से संबंधित है जिसका मूल अर्थ "स्वास्थ्य" था, जैसे
कि स्वस्थ, स्वास्थ्य और संपूर्ण। चूँकि ओलों को कभी-कभी
चिल्लाया जाता था (एक घोड़े से, एक नदी के उस पार, एक टॉवर से), यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कई
प्रकार के शब्द दर्ज किए गए हैं, जिनमें होलो, हैलो और हैलो शामिल हैं।
एक पुराना गाना है ‘मेरे पिया गए रंगून,वहां से किया है
टेलीफून’, इस गीत के आरंभ में भी ‘हैलो’ कहा गया है| यह हैलो इतना सुमधुर है, इस हैलो
में प्रेमी की प्रेमिका से मिलने की आकांक्षा, इच्छा और उसके प्रति समर्पण का भाव
झलकता है| इसलिए, एक बात और जो जिस पर विचार किया जाना ज़रूरी है, वह यह कि जब आप
किसी को फ़ोन करते हैं और वह व्यक्ति ‘हैलो’ कहता है, उसके ‘हैलो’ कहने के अंदाज़ से
आप उसके व्यक्तित्व के बारे में, उसके स्वास्थ्य के बारे में, उस समय की उसकी
मनोदशा के बारे में काफ़ी कुछ जान जाते हैं| यदि थका हुआ ‘हैलो’ आता है, तो आप
तुरंत पूछते हैं-‘क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है|’ यदि खुशनुमा ‘हैलो’ आता है, तो आप
समझ जाते हैं कि दूसरी और बैठा हुआ व्यक्ति स्वस्थ और प्रसन्न है| साथियों, एक बात
और यहां मैं जरूर कहूंगी कि ‘हैलो’ कभी बहुत ही गुस्से में या नाराज़गी के साथ या
फिर एग्रेशन से ना बोलें और ना ही ‘हैलो’
बोलते समय कोई रहस्यमय या अलगाव की सी ध्वनि आए| जो व्यक्ति आपको फ़ोन कर रहा है,
वह आपकी अच्छी-मीठी-पॉजिटिव ‘हैलो’ की प्रतीक्षा में आपको फ़ोन कर रहा है| तो आज जब हम ‘हैलो दिवस’ की बात
करते हैं, तो यह भी समझना होगा कि फ़ोन करने और रिसीव करने के एटिकेट्स में, फ़ोन के शिष्टाचार में ‘हैलो’
किस तरह बोला जाए, यह भी सीखना आवश्यक है| तो आइए, आज सब मिलजुल कर ‘विश्व हैलो दिवस’
मनाए और खुशियों से भरे हैलो सबके बीच बांटे और दूसरों के खुशियों से भरे हैलो ग्रहण
करें|
मीता गुप्ता
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