Monday, 23 January 2023

‘परीक्षा पे चर्चा’-एक सार्थक पहल

 

परीक्षा पे चर्चा’-एक सार्थक पहल



 

आपके मन में परीक्षा को लेकर यह डर क्यों होता है? क्या आप पहली बार परीक्षा देने जा रहे हैं? आप सभी बहुत सारे एग्जाम दे चुके हैं।आप एक बात तय कर लीजिए की परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है। जीवन के यह छोटे-छोटे पड़ाव है जिनसे हमें गुजारना है और हम पहले गुजर भी चुके हैं।

परीक्षा में शामिल होने जा रहे व परीक्षा के तनाव से ग्रस्त छात्रों की चिंता को दूर करने के लिए ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम भी शुरू किया गया था। ‘परीक्षा पे चर्चा’ मनाने का उद्देश्य परीक्षाओं को एक आनंददायक गतिविधि बनाने की दिशा में अपने प्रयास को जारी रखना था। एनसीपीसीआर के मुताबिक परीक्षा एक पर्व है, एक जश्न है, जिसका उद्देश्य एक मंच पर परीक्षा के कारण होने वाले तनाव के प्रति बच्चों के दृष्टिकोण में बदलाव लाना और परीक्षा परिणाम से पहले उनकी चिंता को दूर करना था।

परीक्षा पे चर्चा एक ऐसी पहल है, जो हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की मन की बात को सुनना और उनके मन में समाए परीक्षा के डर को निकालना है। परीक्षा पर चर्चा 2018 से हर साल आयोजित होने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। इस आयोजन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री देश भर के विद्यार्थियों, शिक्षकों पर अभिभावकों के साथ बातचीत करते हैं। बोर्ड की परीक्षाएं प्रत्येक विद्यार्थी के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है। इन परीक्षाओं में बच्चों को अंक प्राप्त करने के लिए काफी मेहनत करनी होती है। यही कारण है कि इस परीक्षा का अच्छा परिणाम प्राप्त करने के लिए बच्चों के अंदर साहस बढ़ाया जाए।

‘परीक्षा पे चर्चा’ का मुख्य उद्देश्य बोर्ड के विद्यार्थियों का साहस और हौसला बढ़ाना है। चूंकि परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है। सच मानें तो जीवन ही एक परीक्षा है। परीक्षा हमारे विकास की यात्रा के छोटे-छोटे पड़ाव माने जाते हैं। ऐसे में इन पड़ावों से बहादुरी से निकलना ही परीक्षा पे चर्चा का मुख्य उद्देश्य माना जाता है। प्रधानमंत्री से परीक्षा पर चर्चा करने के लिए विद्यार्थियों को आमतौर पर एक प्रतियोगिता के माध्यम से चुना जाता है। प्रतियोगिता के विजेताओं को परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में भाग लेने का मौका दिया जाता है और कुछ विजेताओं को प्रधानमंत्री के साथ सीधे बातचीत करने का मौका मिलता है। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेकर विद्यार्थियों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना जागती है।

प्रधानमंत्री जी द्वारा परीक्षा को त्योहार के रूप में मनाने का आगाज किया। वर्तमान समय में शिक्षा के माध्यम से ही व्यक्ति सफलता को प्राप्त कर सकता है। ऐसे में विद्यार्थियों को भविष्य की परीक्षाओं में भी बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए बोर्ड की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना बेहद आवश्यक हो जाता है।

इस पहल के तहत परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों का बढ़ा हुआ तनाव कम हुआ है। इसी के साथ विद्यार्थियों को परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए टिप्स मिले, जिसे उन्होंने अपने जीवन में उतारा। बच्चों का बोर्ड परीक्षा को लेकर तनाव कम हुआ है। साथ ही इसके माध्यम से बच्चों का बोर्ड को लेकर बढ़ने वाला डर भी दूर हुआ है। इस प्रकार परीक्षा पे चर्चा इस देश के विद्यार्थियों के लिए काफी फायदेमंद रहा है। इस योजना अथवा पहल के तहत विद्यार्थी, शिक्षक और माता-पिता सभी अत्यधिक लाभान्वित हुए हैं।

इन चर्चाओं में प्रधानमंत्री जी एग्ज़ाम फीयर के साथ-साथ शिक्षा से जुड़े अन्य विषयों पर भी बातचीत करते हैं। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के सवाल पर प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि यह न्यू नहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है, जो व्यक्तित्व के विकास पर जोर दे रही है। ज्ञान के भंडार से ज्यादा जरूरी स्किल डेवलपमेंट है। हमने इस तरह का खाका बनाया है, जिसमें अगर पढ़ाई के बीच में आपको मन ना लगे, तो आप छोड़ कर दूसरा कोर्स भी कर सकते हैं। हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि खेले बिना कोई खिल नहीं सकता। किताबों में जो हम पढ़ते हैं, उसे आसानी से खेल के मैदान से सीखा जा सकता है।

प्रधानमंत्री जी मां-बाप को बच्चों की स्थिति को समझते हैं और उनके विचार से माता-पिता जो अपने जीवन में करना चाहते थे, उसे बच्चों पर लागू करना चाहते हैं। माता-पिता आज के दौर में अपनी महत्वाकांक्षा और सपने को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। दूसरी बात टीचर भी अपने स्कूल का उदाहरण देकर उस पर दबाव बनाते हैं। हम बच्चों के स्किल को समझने की कोशिश नहीं करते हैं, जिससे कई बार बच्चे लड़खड़ा जाते हैं। वे मानते हैं कि हर बच्चे की अपनी एक विशेषता होती है। परिजनों के, शिक्षकों के तराजू में वो फिट हो या न हो, लेकिन ईश्वर ने उसे किसी न किसी विशेष प्रयोजन के साथ भेजा है।

प्रधानमंत्री जी मोटिवेशन के विषय में भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है। कोई फॉर्मूला नहीं होता है। आप खुद देखें कि कौन सी ऐसी चीज है, जिससे आप डिमोटिवेट हो जाते हैं। अपनी हताशा की असली वजह जानें। किसी पर निर्भर न रहें। अपनी पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों चीजों को समझें। इससे आप अपने आप को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और किसी दूसरे के मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

प्रधानमंत्री जी विद्यार्थियों को संदेश देते हैं कि खुद की परीक्षा लें, मेरी किताब एग्जाम वॉरियर्स में लिखा है कि कभी एग्जाम को ही एक चिट्ठी लिख दो- हे डियर एग्जाम मैं इतना सीख कर आया हूं। इतनी तैयारी की है तुम कौन होते हो मेरा मुकाबला करने वाले। मैं तुम्हें नीचे गिराकर दिखा दूंगा। रीप्ले करने की आदत बनाइए। एक दूसरे को सिखाइए। ऐसी बातें बच्चों को बहुत प्रभावित करती हैं। उनके अनुसार पढ़ी हुई चीजें एग्जाम हॉल में भूलने के सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि आप यहां बैठे हैं और सोच रहे हैं कि मम्मी घर पर टीवी देख रही होंगी। मतलब आप यहां नहीं हैं, आपका ध्यान कहीं ओर है। ध्यान को सरलता से स्वीकार कीजिए। यह कोई साइंस नहीं है। आप जहां वर्तमान में हैं उस पल को जी भरकर जीने की कोशिश कीजिए। ध्यान बहुत सरल है। आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए। अगर आप उस पल को जी भरकर जीते हैं तो वो आपकी ताकत बन जाता है। ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है

प्रधानमंत्री जी के अनुसार कॉम्पिटिशन को हमें जीवन की सबसे बड़ी सौगात मानना चाहिए। अगर कॉम्पिटिशन ही नहीं है तो जिंदगी कैसी। सच में तो हमें कॉम्पिटिशन सा स्वागत करना चाहिए, तभी तो हमारी कसौटी होती है। कॉम्पिटिशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का एक अहम माध्यम होता है, जिससे हम अपना आकलन भी कर सकते हैं।

इन बातों के साथ-साथ वे पर्यावरण-सुरक्षा और संरक्षण की बातें भी करते हैं। वे कहते हैं कि हमें यूज एंड थ्रो कल्चर को रोकना होगा और री-साइकल पर शिफ्ट होना होगा। हमारा दायित्व है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ देकर जाएं। हमे प्रकृति और पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों चाहिए।

निष्कर्षतः परीक्षा पे चर्चा” कार्यक्रम विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों सभी के लिए एक अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम है।

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