Friday, 6 January 2023

न बदले बस हौसला।

 

है शाश्वत परिवर्तन,

पल बदला, दिनांक बदला,

बदल गया वर्ष,

न बदले बस हौसला।

 

रूप बदले, स्वरूप बदले,

बदलते रहें मौसम,

न बदले ,बस न बदले,

हमारे मन का हौसला।

 

अच्छे-बुरे परिवर्तन की,

नई-नई चुनौतियों का,

हौसले के दम पर ही,

करते हैं हम सामना ।

 

तारीख बदलने भर से,

समय नहीं बदला करता,

हौसला ही है जो,

समय है बदल देता।

 

उपलब्धियों में ढलती,

कल की तमाम चुनौतियां,

भविष्य की संभावनाएँ,

देती हौसले को हौसला।

 

नया पल है, नई गति है,

नया है सम्पूर्ण परिवेश,

लें नया यह संकल्प,

उड़ें नये हौसले संग।

........................................

मेरे अंदर एक देश बसता है ।

ज़िंदगी से हारकर जब उदास होती हूं मैं,

तब यह प्यार देता है, दुलार देता है ।

अपनी बाँहों में कसता है ।

मेरे अंदर एक पर्वत है ।

जिसकी चोटी नभ को चूमती है

जिसकी नस-नस अपनत्व में झूमती है ।

मेरे अंदर कुछ पवित्र नदियां हैं

जो धरती के कोरे पन्नों पर

लिखती हैं नित प्यार के नए गीत,

और कहती हैं....

जागो, जागो, जागो, ओ मेरे मीत ।

मेरे अंदर मंदिर हैं, मसजिद हैं, गिरजा है 

जहां केवल श्रद्धा के फूल चढ़ते हैं,

और सब प्यार से हिलते-मिलते हैं।

मेरे अंदर एक सभ्यता है, एक संस्कृति है

जो जीने की राह बताती है

सदियों पुरानी होकर भी, अमर- नवीन कहलाती है

स्कूल- कॉलेज- अस्पताल, कल- कारखाने, खेत,

नहरें- बाँध- पुल हैं, जहां श्रम के फूल खिलते हैं

और एक सौ चालीस करोड़ लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं

मेरे अंदर कश्मीर ताज अजंता एलोरा का

कुंआरा रूप झिलमिलाता है

जो हर नई सांस के संग

एक नया सूरजमुखी खिलखिलाता है

मेरे अंदर एक देश बसता है ।

ज़िंदगी से हारकर जब उदास होती हूं मैं,

तब यह प्यार देता है, दुलार देता है ।

अपनी बाँहों में कसता है ।

                    

 

No comments:

Post a Comment

और न जाने क्या-क्या?

 कभी गेरू से  भीत पर लिख देती हो, शुभ लाभ  सुहाग पूड़ा  बाँसबीट  हारिल सुग्गा डोली कहार कनिया वर पान सुपारी मछली पानी साज सिंघोरा होई माता  औ...