Wednesday, 9 April 2025

इन्हेलर

 इन्हेलर 

(कभी-कभी रिश्तों को बचाने के लिए हम इन्हेलर बन जाते है। कभी बरनोल, कभी डिस्प्रीन, कभी डस्टबीन, तो कभी-कभी बेसिन भी, रिश्ते फिर भी नहीं बचते)

तुम मेरी इमोशनल जरुरत हो यानी साँसों की जरुरत

जैसे ये इन्हेलर...

तुम इन्हेलर हो मेरी

तुम्हारा प्रेम ही तो भरा है इसमें।

जब-जब भी मेरी सांसे टूटती है,

उखड़ती हैं घुटती या अटकती है

तुम झट से इन्हेलर बन जाती हो।

तुम्हे खोजता हूँ इस दुनिया के घर में

बदहवास सा...

तुम स्पेशल हो मेरे लिए, ख़ास भी

मैं इन्हेलर के बिना साँस नहीं ले सकता।

वो बोली, हाँ... जानती हूँ...

उस दिन से वो उस इन्हेलर को खूब संभालकर रखती

और उसे कहती तू नहीं मैं ख़ास हूँ समझे?

सौ बार इन्हेलर को निहारती,

तो दो सौ बार खुद को आईने में देखती, इतराती...

फिर एकदिन वो अचानक उसे छोड़ गया,

उसका इन्हेलर भी टेबल पर ही छूट गया।

उसने पूछा था एकदिन,

फोन पर ये इन्हेलर तो यहीं रह गया।

तुम्हारी सांसों की जरुरत...

क्या परदेश में साँसों की जरुरत नहीं?

ओह प्रिये, आते ही नया खरीद लिया,

तुम तो जानती हो न


हाँ... जानती हूँ...

...इन्हेलर के बिना तुम जी नहीं सकते।



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