Sunday, 24 October 2021

समस्या बनी ऑनलाइन गेमिंग की लत: पैरेंट्स के लिए है खतरे की घंटी?

 

 

समस्या बनी ऑनलाइन गेमिंग की लत: पैरेंट्स के लिए है खतरे की घंटी?







यह लेख उन करोड़ों माता-पिता के लिए है, जो अपने बच्चों की ऑनलाइन गेम खेलने की लत से परेशान हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए स्कूलों और पैरेंट्स के लिए एक एडवाइज़री जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चों पर विशेष नजर रखी जाए।लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन गेमर्स की संख्या तेज़ी से बढ़ी है । भारत में 23 वर्ष तक के 88 प्रतिशत युवा मानते हैं कि वे समय बिताने के लिए किसी भी दूसरी गतिविधि के मुकाबले ऑनलाइन गेम खेलना ज्यादा पसंद करते हैं। शौक के लिए या समय बिताने के लिए कुछ देर के लिए ऑनलाइन गेम खेलने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन समस्या तब पैदा होती है, जब ये शौक एक बुरी आदत में बदल जाता है, जिसे गेमिंग एडिक्शन  कहते हैं।

ऑनलाइन गेम की इस लत का शिकार सबसे ज़्यादा बच्चे हो रहे हैं, क्योंकि वे इसके खतरों को ठीक से समझ नहीं पाते। इसलिए अगर आपके घर में भी ऑनलाइन गेम खेलने के शौकीन बच्चे हैं, तो आप उन्हें अपने पास बुला लीजिए क्योंकि हमारी अगली रिपोर्ट आपको बताएगी कि ये शौक एक बुरी आदत में बदल जाने पर कितना नुकसानदायक हो सकता है।भारत में इस समय गूगल प्लेस्टोर पर 30 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन एप्लीकेशन मौजूद हैं। इनमें से 4 लाख 44 हजार 226 ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स हैं। इन गेमिंग ऐप्स में से 19 हजार 632 ऐप्स भारत में ही विकसित हुए हैं। वर्ष 2018 में भारत में ऑनलाइन गेम्स खेलने वाले यूजर्स की संख्या 26 करोड़ 90 लाख थी। वर्ष 2020 में ऐसे यूजर्स की संख्या बढ़ कर 36 करोड़ 50 लाख हो गई। अनुमान है कि वर्ष 2022 में ये संख्या 51 करोड़ हो जाएगी।

एडवाइजरी में क्या लिखा है?

भारत सरकार ने अपनी एडवाइज़री में कहा है कि माता-पिता और टीचर्स बच्चों को ये बताएं कि कई घंटे तक लगातार ऑनलाइन गेम खेलने से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा बच्चों को समझाया जाए कि वे ऑनलाइन गेम खेलते हुए वेबकेम, ऑडियो, प्राइवेट मैसेज या ऑनलाइन चैट के ज़रिए किसी अंजान व्यक्ति से बात ना करें, क्योंकि इससे इंटरनेट पर होने वाली हिंसा का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा पैरेंट्स को ये ध्यान रखने के लिए भी कहा गया है कि वे बच्चों को इन-ऐप परचेज़  न करने दें। अपने मोबाइल फ़ोन या स्मार्ट टीवी पर पेमेंट मोड को इस तरह से सेट करें कि बिना ओटीपी के बच्चे अपने आप कुछ भी पचेज़ ना कर पाएं।

अननोन सोर्स से डाउनलोड न करें

इन-ऐप परचेज़ का मतलब होता है कि ऐप का इस्तेमाल करते समय उसके किसी खास फीचर को डाउनलोड करने के लिए पैसे देना, जो फीचर आमतौर पर मुफ्त में उपबल्ध नहीं होता। ऑनलाइन गेम खेलते हुए गेम के एडवांस स्टेज में पहुंचने के लिए अक्सर इन ऐप परचेज़ का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा गेमिंग ऐप्स में डेबिट या क्रेडिट कार्ड को रजिस्टर करने से बचें। क्योंकि अगर ऐप में कार्ड डिटेल्स ही नहीं होगी, तो बच्चे इन-ऐप परचेज़ नहीं कर पाएंगे। टीचर्स और पैरेंट्स बच्चों को समझाएं कि वे किसी अननोन सोर्स से कोई सॉफ्टवेयर या गेम डाउनलोड न करें।

 

अपने स्क्रीन नेम का इस्तेमाल करें

इसके अलावा बच्चों को सिखाया जाए कि वे इंटरनेट पर किसी भी नए लिंक, पॉपअप या इमेज पर क्लिक न करें क्योंकि इसमें वायरस भी हो सकता है और अश्लील कंटेंट भी। इसके अलावा गेम खेलते हुए या गेम डाउनलोड करते हुए अपनी पर्सनल डिटेल्स फीड करने से बचें। क्योंकि अपराधी इनका भी गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। इस एडवाइजरी में ये भी बताया गया है कि पैरेंट्स और टीचर्स को क्या करना चाहिए। अगर गेम खेलते हुए लगता है कि कुछ गलत हो रहा है, तो तुरंत रुक जाएं और गेम का एक स्क्रीनशॉट लेकर रख लें। माता-पिता बच्चों को बताएं कि गेम खेलते हुए अपने असली नाम का इस्तेमाल करने की बजाय स्क्रीन नेम का इस्तेमाल करें, जिसे Avtar कहा जाता है।

पैरेंट्स को भी बच्चों के साथ खेलना चाहिए गेम

आपका बच्चा जो ऑनलाइन गेम खेलता है, उसकी ऐज रेटिंग जरूर जांच लें। यानी अगर कोई गेम आपके बच्चे की उम्र के लिए सही नहीं है, तो आप उसे वे गेम ना खेलने दें। अगर ऑनलाइन गेम खेलते हुए कोई आपके बच्चे को तंग कर रहा है, तो अपने बच्चे से कहें कि वे तुरंत प्रतिक्रिया न दें। बल्कि आप उस व्यक्ति के बारे में पुलिस को रिपोर्ट करें। कभी-कभी आप भी अपने बच्चे के साथ ऑनलाइन गेम खेलें, ताकि आपको पता चल सके कि गेम खेलते हुए आपका बच्चा कैसा व्यवहार करता है। इसके अलावा टीचर्स और पैरेंट्स बच्चों को ये समझाएँ कि ऑनलाइन गेम को इसी तरह से डिजाइन किया जाता है, ताकि वे ज़्यादा से ज़्यादा पैसा खर्च करें। इसलिए बच्चों को चाहिए कि वे ऑनलाइन गेम पर पैसा खर्च करने से बचें।

अगर ऐसा हो तो पैरेंट्स हो जाएं अलर्ट

माता-पिता के तौर पर आपको तब सावधान हो जाने की ज़रूरत है, कब? जब आपका बच्चा अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को आपसे छिपाने लगे। आपका बच्चा अचानक से ज़रूरत से ज़्यादा समय इंटरनेट पर बिताने लगे, आपके द्वारा पूछने पर अगर वह अचानक अपने डिजिटल डिवाइस की स्क्रीन बदल दे, तो समझ जाए कि वे कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए। अगर आपका बच्चा इंटरनेट इस्तेमाल करने के बाद अचानक चिड़चिड़ा हो जाए, तो ये भी इशारा है कि कुछ गड़बड़ है। इसके अलावा अगर आपके बच्चे की डिजिटल डिवाइस में अचानक से आपको बहुत सारे फोन नंबर्स या ईमेल एड्रेस दिखाई दें तो भी आपको सावधान होने की ज़रूरत है।

निष्कर्ष

भारत की तरह चीन भी ऑनलाइन गेमिंग का एक बहुत बड़ा बाज़ार है। लेकिन अब चीन की सरकार ने वहां के बच्चों को इसकी लत से बचाने के लिए नए नियम बना दिए हैं, जिसके मुताबिक चीन की ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे हफ्ते में तय दिनों पर तय घंटों के लिए ही ऑनलाइन गेम खेल पाएं। जो कंपनियां ऐसा नहीं करेंगी कि उनके खिलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। लगता है कि  भारत में बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए ऐसे ही नियमों का सख्ती से पालन करवाना होगा, नहीं तो भारत का सुनहरा भविष्य पाताल की गहरी काली गुहाओं में कहीं खो जाएगा ।

मीता गुप्ता

 

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