सफल जीवन का आधार- सकारात्मक विचार यानी पॉज़िटिव
थॉट्स
“है अंधेरी रात,
पर दीवा जलाना कब मना है ?”
सकारात्मकता की शुरुआत आशा और विश्वास से होती है| किसी जगह पर चारों ओर
अँधेरा हो, कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा हो,
वहां यदि हम एक छोटा-सा दीपक प्रज्वलित कर देंगे, तो उस दीपक में इतनी
शक्ति होती है कि उसकी रोशनी चारों ओर फैले अँधेरे को एक पल में दूर कर देगी| इसी तरह आशा की एक
किरण सारे नकारात्मक विचारों को एक पल में मिटा सकती है| नकारात्मकता को
नकारात्मकता समाप्त नहीं कर सकती, नकारात्मकता को तो केवल सकारात्मकता ही समाप्त कर
सकती है| इसीलिए
जब भी कोई छोटा सा नकारात्मक विचार मन में आए, उसे उसी पल सकारात्मक
विचार में बदल देना चाहिए|
सकारात्मकता हमारे जीवन का सबसे अहम भाव है। सकारात्मक व्यक्ति अपने जीवन में कभी
भी विफल नहीं होता। जीवन में उतार-चढ़ाव तो होते ही हैं क्योंकि जीवन का चक्र है,परंतु हर परिस्थिति में अपनी सकारात्मकता
को बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।
आइए, जानें कि सकारात्मकता
पाने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए जाने ज़रूरी हैं-
अच्छी सोच -
हमें मानव जीवन इसलिए मिला है ताकि हम अपने विचारों और सोच को कभी
नकारात्मकता की ओर न जाने दें क्योंकि हम जैसा सोचते हैं, हमारे साथ वैसा ही घटित भी होता है। अच्छी
सोच हमारे नज़रिए को, हमारे दृष्टिकोण को एक नया आकार देती है ।
प्रतिदिन कुछ
नया करना - प्रत्येक
व्यक्ति को अपने जीवन में प्रतिदिन कुछ नया कार्य करने के लिएएक प्लान बनाना
चाहिए। हर नया कार्य हमें सफलता की ओर लेकर जाता है। वैसे तो किसी भी कार्य की दो ही
परिणतियां होती हैं, या तो कार्य सफल होगा या असफल, परंतु हमें दोनों ही परिस्थिति में अपनी
सोच को सकारात्मक रखते हुए उसके सफल होने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
दूसरों के
प्रति सद्भाव रखना – स्नेह,प्यार,आदर,कृतज्ञता ऐसे
धन हैं, जो किसी पर लुटाने से कभी कम नहीं होते, बल्कि बढ़ते ही जाते हैं। हमारे मन में
उत्पन्न स्नेह,प्यार,आदर,कृतज्ञता के भाव हमें सकारात्मकता की ओर अग्रसर करते है और आगे बढ़ने के
लिए प्रेरित करते हैं।
शब्दों का
प्रयोग तौलकर एवं विराम लगाकर करना – भाषा के माध्यम से हम स्वयं को अभिव्यक्त
करते हैं, इसलिए हमें अपने शब्दों का प्रयोग सोच-समझकर बहुत ही स्पष्टता एवं मधुरता
के साथ प्रयोग करना चाहिए। कभी-कभी शब्द तीर के समान कार्य करते हैं, या तो किसी
के मन में छिद जाते हैं या उसे टूटने से बचा लेते हैं। शब्दों के घाव को भरना बहुत
मुश्किल होता है। बिना सोचे-समझे कहे गए शब्द हमारे मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव
डालते हैं इसलिए शब्दों का इस्तेमाल करते समय उसे बहुत सोच समझकर तोलमोल कर , विराम लगाकर करना चाहिए। भाषा मनुष्य के
चरित्र को दर्शाती है, इसीलिए
मनुष्य को शब्दों का इस्तेमाल बहुत ही ज़िम्मेदारी से करना चाहिए।अच्छे शब्द
सकारात्मकता की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
अच्छी
संगति/दोस्ती - किसी भी मनुष्य की संगति उसके जीवन की नई
राह की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाती है, फिर चाहे वे आपके दोस्त हों, या अच्छी
किताबें। दोस्त और किताबें, दोनों ही हम स्वयं चुनते हैं। मैं आपको कुछ किताबों को पढ़ने का सुझाव
अवश्य दे सकती हूं, जैसे- ‘जीत आपकी’,’रहस्य’,’अच्छा बोलने की कला’ आदि-आदि। ऐसी अनेक किताबें हैं, जो हमें सकारात्मक रखने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाती हैं।अच्छी संगति में रहने से मनुष्य दिन-प्रतिदिन ऊंचाइयों को
प्राप्त करता है, जबकि बुरी संगति हमेशा नकारात्मक प्रभाव डालती है। यदि हम सकारात्मक बनना
चाहते हैं, तो सकारात्मक लोगों के बीच में रहें।
उत्साहित रहना
– हमारे लिए मोटिवेटेड रहना अत्यंत
महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्साहित या उत्प्रेरित व्यक्ति ही दूसरों को मोटिवेट कर
सकता है और यह तो सर्वविदित है कि निष्ठा के साथ कर्मशील रहने वाले लोग सकारात्मक
रहकर अपने कार्य को संपन्न करते हैं । यही उनकी प्रेरणा भी होती है और कार्य का
आधार भी ।
बार-बार शिकायत
न करना - सफल जीवन
का मूल मंत्र है सफलता और सफल होने के लिए हमारे मन में शिकायतों का भंडार नहीं
होना चाहिए। एक साधारण मनुष्य के मन में हमेशा एक शिकायत का भाव रहता है, कभी भगवान
से शिकायत,कभी जीवन से, कभी
परिस्थितियों से, तो कभी किसी व्यक्ति-विशेष से । शिकायत करने या मन में शिकायत का भाव
रखने से हम सफल नहीं होंगे। शिकायत करने से हम सकारात्मक नहीं होंगे। हमें अपने
लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मन में सकारात्मक विचार एवं शिकायतों से दूर रहकर जीवन
में आगे बढ़ना है। यही सफलता का भी मूल मंत्र है और सकारात्मकता का भी।
विचारों को
लिखें -आप जो भी सोचते हैं, दिमाग में जिस तरीके के विचार आते हैं उन्हें
ज़रूर लिखें, और इसे रात
को सोने से पहले लिखने की कोशिश करें। 10 या उससे अधिक बातों को रोज़ लिखकर उसका
मूल्यांकन करें। इसमें अपने घरवालों, आसपास के माहौल, दोस्तों और सहकर्मियों के बारे में सकारात्मक
बातें लिखें। इससे आप अपने आस-पास मौजूद पॉज़िटिविटी को महसूस कर पाएंगे ।
मुस्कान है ज़रूरी - आपकी एक छोटी सी मुस्कान न केवल आपके
अंदर ऊर्जा का संचार करती है, बल्कि इससे आपके आसपास मौजूद लोगों में
सकारात्मकता की भावना पैदा होती है। इसलिए हमेशा मुस्कान बिखेरते रहें। मुस्कराने
की कई वजहें हो सकती हैं, उन वजहों और
उन हसीन पलों को याद करके मुस्कराएं और सकारात्त्मक सोच को बढ़ाते रहें।
क्रोध और ईर्ष्या
हैं दुश्मन- गुस्सा और जलन, दोनों ही
आग के समान जलाती हैं। दूसरे के प्रति राग, द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध रखने से मन में हीन भावना पैदा
होती है और यह हमारे अंदर मौजूद अच्छाई को समाप्त करती है। इसलिए दूसरों की
उपलब्धियों, उनकी अच्छाइयों को न केवल सहर्ष स्वीकार करें, बल्कि उनकी
सराहना भी करें ।
कुछ न कुछ
करते रहें -हीन भावना, नकारात्मक सोच आदि विचार हमारे दिमाग में तब आते हैं, जब हमारे
पास करने के लिए कुछ नहीं होता और हम खाली होते हैं, कहा भी गया है-खाली दिमाग .शैतान का घर।
इसलिए हमेशा कुछ न कुछ करते रहें, खुद को अच्छे कामों में संलग्न रखें। अगर आपके पास करने के लिए कुछ न हो, तो ज़रूरतमंद
लोगों की मदद करें, पौधों में पानी दें, अलमारी की झाड़-पोंछ करें या कोई भी ऐसा
कार्य करें, जिसमें आप तन्मयता से जुड़ सकें। यह आपके अंदर अच्छी सोच पैदा करेगा।
हमारे विचार उस रंगीन चश्में की तरह हैं, जिसे पहन
कर हर चीज उसी रंग में रंगी दिखाई देती है। सकारात्मक विचारों को जीवन में अपनाने
से हमारे जीवन में सार्थक और सफल परिवर्तन संभव हो सकते है। हम सबके भीतर एक ऐसी ताकत होती है, जो अद्वितीय है, और वह है सकारात्मकता की ताकत। अब आप कहेंगे, यह तो केवल एक भावना है, फिर हम इसे अद्वितीय शक्ति क्यों कह रहे
हैं? इसलिए क्योंकि सकारात्मकता वह भावना है, जो जीवन के प्रति आपके दृष्टिकोण को पूरी
तरह से बदल सकती है। जब व्यक्ति सकारात्मक होता है, तब वह उज्ज्वलता की ओर अग्रसर होता है
और मानवता का कल्याण करता है । इसीलिए सकारात्मक सोच को सफलता की कुंजी माना जाता
है।
मीता गुप्ता
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