ज़िंदगी के सफ़र को खूबसूरत कैसे बनाएं ?
बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं
पांवों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं
निज हाथों में हंसते हंसते
आग लगा कर जलना होगा,
कदम मिला कर चलना होगा।
आज की बात की शुरूआत एक कहानी से करते हैं, एक जंगल में राजा शेर और कई तरह के जानवर रहते थे-भालू, चीता, गीदड़, बाघ, हिरण, हाथी आदि ।एक बार उस जंगल में भयानक आग लग गई।
चारों तरफ लपटें आसमान का छूने लगीं। जिसको जहाँ जगह मिली,
वह वहीं से भागने लगा। हिरण, शेर, गीदड़
सभी दुम दबा कर भाग रहे थे।
उसी जंगल में एक पेड़ पर चिड़िया रहती थी, भयानक आग को देखकर वह घबरायी नहीं। जल्दी से उड़कर पास के तालाब पर गई और
चोंच में पानी भर-भरकर लाकर आग पर डालने लगी। चिडि़या की यह क्रियाविधि दूसरे पेड़
पर बैठा एक कौआ देख रहा था। उससे रहा नहीं गया, और वह चिड़िया
से बोला- “चिड़िया रानी, तुम इतनी छोटी हो और यह तुम भी जानती
हो कि तुम्हारी चोंच भर पानी से यह आग नहीं बुझने वाली है,
तो फिर क्यों बार बार प्रयास कर रही हो?”
तब चिड़िया ने उसे जवाब दिया- “मैं जानती हूं कि
मेरे अकेले के प्रयासों से यह भयानक आग नहीं बुझने वाली है, पर जिस दिन इस जंगल का इतिहास लिखा जाएगा, उस दिन
तेरा नाम देखने वालों में और मेरा नाम बुझाने वालों में लिखा जाएगा।”
यह कहानी मैंने बचपन में पढ़ी थी और आज भी इसका एक-एक
शब्द दिल में बसा है। यह कहानी हमें संदेश देती है कि कठिनाई चाहे कितनी भी बड़ी
हो, पर अपने हौंसले से बड़ी नहीं होती। जब कठिनाई बहुत
बड़ी लग रही हो तब भी प्रयास करना ज़रूरी है। हो सकता है कि उन्हीं प्रयासों से उस
समस्या का हल निकल आए।
दोस्तों, हमारा जीवन चुनौतियों का सागर है। जब तक जीवन है, छोटी-बड़ी
चुनौतियां आती ही रहेंगी। इसलिए हमें अपने जीवन की हर चुनौती को सहर्ष स्वीकार
करना चाहिए क्योंकि हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर हम जीवन-सागर में उठती-गिरती
लहरों को देखकर डर गए, तो हम इसे पार कैसे करेंगे?
ज़िंदगी एक खूबसूरत एक सफ़र है। दोस्तों, अगर आपने कभी नाव में बैठकर यात्रा की होगी, तो
आपने तीन तरह के लोगों को देखा होगा। एक तरह के लोग वे होते हैं, जो नदी या सागर में उठती लहरों को देखकर नाव में बैठते ही नहीं। दूसरी तरह
के लोग वे होते हैं, जो डरते-डरते नाव में तो बैठ जाते हैं,
परंतु वे जैसे-तैसे थरथराते हुए सफ़र को पूरा करते हैं, और तीसरे प्रकार के लोग वे होते हैं, जो उस सफ़र को
इंजॉय करते हैं, जो उस सफ़र का मज़ा लेते हैं। सोचिए, आप किस श्रेणी में आते हैं ?
बुरे वक्त में भी हौसला बनाए रखिए । अब शायद आप
यही सोचेंगे कि कहने और करने में बहुत फ़र्क होता है। जिस इंसान के ऊपर मुसीबत आती
है, उसका दर्द सिर्फ़ वही जानता है,
तो ठीक है, मैं इस बात को मानती हूं, लेकिन
जब हमारे पास दो ऑप्शन हों, 'लड़ो या मरो' तो फिर हम लड़कर क्यों न मरें? हम लड़ने से पहले ही चुनौतियों के सामने घुटने क्यों टेकें? खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से इतना सक्षम बनाएं कि हम विषम
परिस्थितियों में भी न टूटें।
खुद को बेहतर बनाएं । बेहतरी की कोई सीमा नहीं
होती । दुनिया का कोई भी इंसान अगर चाहे,
तो वह खुद में अपनी इच्छानुसार बदलाव करने में सक्षम होता है। अगर आपको लगता है कि
आप कमज़ोर हैं,तो जंक फ़ूड, तंबाकू,पान मसाला, और शराब जैसी हानिकारक वस्तुओं का सेवन
करने के बजाए,सेब अनार,केला संतरे जैसे
ताज़े फलों और हरी सब्ज़ियों, दूध, घी, पनीर जैसे पौष्टिक और शक्तिवर्धक खाद्य पदार्थों का सेवन कीजिए। रोज़ाना
कसरत कीजिए, योग कीजिए, दौड़ लगाइए।
कुछ भी कीजिए लेकिन खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत बनाइए। अपने अंदर
आत्मविश्वास पैदा कीजिए क्योंकि जीवन की कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए आपका
स्वस्थ और फ़िट रहना अति आवश्यक है।
अपने सपने को अपना बनाएं । सपने अपने होते हैं और
उन्हें पूरा करने में जो आनंद आता है,
वह अतुलनीय होता है । अपने सपनों को पूरा करने में लगन और परिश्रम से जुट जाइए, फिर कोई उन्हें पूरा होने से नहीं रोक सकता । जीवन में चाहे कितनी ही
मुश्किल घड़ी क्यों न आ जाए,चाहे कितना भी बुरा वक्त क्यों
ना आ जाए, कभी निराश न हों, कभी हिम्मत
मत हारें और अगर हारना भी पड़े, तो बहादुरों की तरह लड़कर हारें,
कायरों की तरह आत्महत्या नहीं।
कभी उम्मीद का दामन न छोड़ें । और हां, एक बात हमेशा याद रखें, अगर आपके जीवन में कभी ऐसा
वक्त आ जाए कि आपको कोई रास्ता दिखाई न दे,हर तरफ़ अंधेरा ही
अंधेरा नज़र आए, तो जल्दीबाज़ी में कोई फ़ैसला न करें। थोड़ा
ठहर जाएं, थोड़ा इंतज़ार करें, थोड़ा
धैर्य रखें क्योंकि दुखों का कोहरा, चाहे कितना भी घना हो, सूरज की किरणों को निकालने से नहीं रोक सकता। आप बस हौसला रखें, ईश्वर पर विश्वास करें और स्वयं पर विश्वास बनाए रखें। आप देखेंगे कि
उम्मीद की एक किरण अंधेरे को चीरते हुए धीरे-धीरे आपकी तरफ़ बढ़ रही है।
पूर्वप्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के अनुपम शब्दों को सदैव याद रखिए-
हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं,
गीत नया गाता हूं।
मीता गुप्ता
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