सौंदर्य की अनुभूति
सौंदर्य की अनुभूति शाश्वत है...चिरंतन है
यह सौंदर्यवान वस्तु से अधिक समय तक बनी रहती है,
इसकी शोभा अतुलनीय...अबाध....झरने के वेग वाली
चाहे शून्य हो या साकार
चाहे शांत हो या बवंडर
मेरे लिए वह एक नींद मीठे सपनों से भरी,
और शांत श्वास से भरी।
इसलिए मैं हर कल का स्वागत करती
मानो माल्यार्पण करती
सुंदर धरती को बांधने के लिए एक फूलदार वृक्ष
निराशा के बावजूद, चाहे हो अमानवीयता
चाहे हों अंधेरे
सब के बावजूद,
सुंदरता का कोई रूप, कोई पल
सूरज-चाँद सा चमकेगा,
हरी-भरी दुनिया, स्वच्छ लहरें
कि कस्तूरी की सुगंध,
गुलाब की पंखुडियों का खिलने
भव्य..दिव्य..अलौकिक
अमर प्रेम का दिल का झरना....अंतहीन,
स्वर्ग के कगार पर खटखटाता।
हम केवल इन तत्वों को आत्मसात करते
मंदिर की घंटी... मसजिद की अज़ान...
कुछ फुसफुसाहट जैसी
चंद्रमा भी करता है जिसका पान,
अनंत सौंदर्य....अमिट अनुभूति,
रोशनी से भरपूर....जगमग...,
हमारी आत्माओं की भांति, अजर...अमर...,
सुंदरता जो मन में...तन में...आत्मा में समाई है,
अटल है....शाश्वत है....अनंत है।
कभी मृदंग की भांति बजती-सी.....
कभी बांसुरी की धुन पर थिरकती-सी,
कभी कान्हा-सी रास रचाती....
कभी मेघ-मल्हार गाती-सी,
कभी संगीत की सुरमयी लहरिया-सी,
मेरे अस्तित्व की बानगी-सी...
विटप की उस फुनगी-सी,
सुखद, सुमधुर,सुकृति,सुदीक्षित,स्वर्णिम आभा-सी,
सौंदर्य की अनुभूति शाश्वत है...चिरंतन है
ऐसी अनुभूति जो मुझे अभिभूत कर दे......
सौंदर्य की अनुभूति शाश्वत है...चिरंतन है॥
-मीता गुप्ता
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