वसंत को आने दो
वसंत को आने दो,
न रोको मन के तारों को,
बावरे मन को गाने दो,
आज फिर चटकी हैं कलियाँ
आज वसंत को आने दो।।
सुवासित कली यह सुंदर
शोभायुक्त खिल आई है
ऋतु लिए एक नव आगमन का
होकर प्रफुलित, हर्षोल्लास
अब नवपरिवर्तन लाने दो,
वसंत को आने दो।
नवनिर्मित बीजों से
पुष्प-गुच्छों से लदे,
कली कोई सुंदर, शोभायुक्त,
करके उल्लास फिर खिल जाने दो,
वसंत को आने दो।
वन के इस उद्यान में
भू, नीर, तना,
कुछ उसके संग साथी हैं,
कुछ निर्मोही, हठीले
तीव्र प्रवाह पवन के झोंके
संघर्ष उसे जीवन का सिखलाने दो,
वसंत को आने दो।
कोकिल कूके, भौंरे गुंजित,
सरसी सरसों फूले,
बोया अंकुर किसी ने
या स्वयं होकर अंकुरित
इस वसुंधरा पर उग आई है वल्लरी,
देखो सखा आज इसे झूल जाने दो,
वसंत को आने दो।
मन मौन रहा सकुचाई भाषा
अंधकार ओर घोर निराशा
अब तो इस बंधन को काटो
मन में उमंग समाने दो।।
नई खुशी में नए रंग में
मन को फिर हर्षाने दो।
न रोको मन के तारों को,
बावरे मन को गाने दो,
आज फिर चटकी हैं कलियाँ
आज वसंत को आने दो।।
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