जिन्होंने मुझे
स्नेह दिया
उनका हृदयतल से
आभार,
जो बहे
मेरी भावनाओं में
और जिन्होंने
समय दिया
उनका भी आभार,
उम्र यूँ ही गुज़र जाएगी
बीता हुआ
यह एक पल
सदा याद आएगा ,
बीते हुए पलों को
जब दर्पण में
देखती हूँ
रंग बिरंगी सा
एक इंद्रधनुष उभर कर आता है,
कहीं लाल
कहीं हरा
कहीं बैंगनी
कहीं नीला
मेरी मुट्ठी में
समाता जाता है,
इसलिए तो कहती हूं आभार
आभार...आभार...आभार
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