आज़ादी के बाद के सबक
आज़ादी के बाद सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि भारत को विकसित बनाने के लिए हमें पांच प्रमुख क्षेत्रों में पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम करने की ज़रूरत है। इनमें कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा व स्वास्थ्य सुरक्षा, सूचना व संचार तकनीक, भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक पॉवर, महत्वपूर्ण तकनीक में आत्मनिर्भरता। ये पांचों क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़े तो हैं ही, एक-दूसरे पर प्रभाव भी डालते हैं। इसलिए इनमें बेहतर सामंजस्य होना चाहिए। यह देश की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही हममें यह सकारात्मक सोच भी होनी चाहिए कि हम कुछ नया आविष्कार करके ही अपने देश में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, क्योंकि विज्ञान और तकनीक से ही मानव कल्याण, शांति और खुशहाली आ सकती है।
भारत ने वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए ढेर सारी चुनौतियों को पार करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक बनने के लिए छोटे कदम उठाए। भारत ने आज़ादी के बाद से एक लंबा सफर तय किया है,
कई सही और गलत फैसलों से परहेज़ किया है, जो कई ऐसे स्थलों को पीछे छोड़ता है, जो विभाजन की पीड़ा से एक मज़बूत, शक्तिशाली और विकासशील राष्ट्र की यात्रा को परिभाषित करते हैं। हाल ही के दशकों में भारत धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय स्थान पर अपना वर्चस्व बनाता जा रहा है और इसके कारण विश्व की एक प्रमुख महाशक्ति के रूप में इसका वैश्विक प्रभाव भी नज़र आने लगा है। पिछले चार दशकों में एक ज़बरदस्त ताकत के रूप में उभरकर सामने आया है और भारत ने भी काफ़ी ऊँचाइयाँ हासिल कर ली हैं। इसके कारण विश्व की आर्थिक शक्ति का केंद्र यूरोप और उत्तरी अमेरिका से हटकर एशिया की ओर स्थानांतरित होने लगा है।
उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है। यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है। हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमज़ोर पड़ जाता है।
लोकतंत्र की सफलता के लिए मतदान को अनिवार्य बनाना, जैसा कि कम से कम 30 लोकतंत्रों में किया गया है, जिससे मतदान प्रतिशत बढ़कर 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है। वर्तमान में, भारत में मतदान प्रतिशत कम है। सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम के लिए राज्य सशस्त्र पुलिस और केंद्रीय अर्ध-सैन्य पुलिस का उपयोग करना चाहिए। घुसपैठ, भाड़े के सैनिकों, आतंकवादियों और आतंकवादियों से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के नागरिक क्षेत्रों से सशस्त्र बलों को अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास ले जाने के लिए अधिनियम को हटाना एक मजबूत मामला है।
देश की खाद्य सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी सहित एक आधुनिक कृषि नीति ढांचे को अपनाने और लागू करने की कमी है। भारत में सामाजिक राजनीतिक अशांति के बावजूद नेताओं द्वारा कई कठोर निर्णय सुधार किए गए। हम उस नेतृत्व की सराहना करते हैं जिसने भारत को "चट्टान से गिरने" से बचाया और भुगतान संकट के आसन्न संकट के साथ फंड और बैंक की मजबूरी के तहत सुधारों का प्रबंधन किया।
1960 में भारत में हरित क्रांति ने गेहूं और दालों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास के साथ खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि देखी। भारत ने 1998 में पोखरण में परमाणु बम परीक्षण किए, "ऑपरेशन शक्ति" कोडनेम के साथ निरस्त्रीकरण के वैश्विक दबाव में कठोर निर्णय लिया। इसने भारत को एक पूर्ण परमाणु राष्ट्र बना दिया।
आज़ादी के बाद सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि सुधारों की प्रक्रिया को अधिक परामर्शी, अधिक पारदर्शी और संभावित लाभार्थियों को बेहतर ढंग से संप्रेषित किया जाना है। यह समावेशिता ही है जो भारत के लोकतांत्रिक कामकाज के केंद्र में है। हमारे समाज की तर्कशील प्रकृति को देखते हुए, सुधारों को लागू करने में समय और विनम्रता लगती है। लेकिन ऐसा करना सुनिश्चित करता है कि हर कोई जीत जाए। भारत को विकसित बनाने के लिए हमें पांच प्रमुख क्षेत्रों में पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम करने की ज़रूरत है। इनमें कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा व स्वास्थ्य सुरक्षा, सूचना व संचार तकनीक, भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक पॉवर, महत्वपूर्ण तकनीक में आत्मनिर्भरता। ये पांचों क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़े तो हैं ही, एक-दूसरे पर प्रभाव भी डालते हैं। इसलिए इनमें बेहतर सामंजस्य होना चाहिए। यह देश की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही हममें यह सकारात्मक सोच भी होनी चाहिए कि हम कुछ नया आविष्कार करके ही अपने देश में अच्छा बदलाव ला सकते हैं, क्योंकि विज्ञान और तकनीक से ही मानव कल्याण, शांति और खुशहाली आ सकती है।
छोटे से छोटे भ्रष्टाचार का सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है। करप्शन फ्री इंडिया के सपने को साकार करने के लिए इंडिया बात करने लगा है। कभी फिल्म और स्पोर्ट्स में दिलचस्पी रखने वाला भारत अब भ्रष्टाचार मुक्त देश बनना चाहता है। आज भी भारत में बहुत से स्थान ऐसे हैं जहां लड़कियों को सिर्फ इस लिए नहीं पढ़ने दिया जाता क्यों कि वो लड़की हैं। ऐसे भी ये कहना गलत नहीं होगा कि इस देश का हर नागरिक स्वतंत्र नहीं है। यदि वास्तव में देश को आगे बढ़ाना है तो लिंग भेद को समाप्त करना होगा। आज का भारत मर्डर, रेप जैसे बड़े क्राइम्स के साथ साथ बहुत से छोटे क्राइम्स से भी परेशान है। कहीं न कहीं इन क्राइम्स के पीछे एक बड़ा कारण बेरोजगारी भी है लेकिन सोच बदलकर कर रोजगार मुहैया करवाकर क्राइम पर कंट्रोल किया जा सकता है।
जितना हिंदू- मुसलमान सोशल मीडिया पर दिखाई देता है उतना है नहीं। आज का भारत किसी के बहकावे में आने वाला नहीं है। बदलते भारत के लोगों में अपने विवेक के आधार पर निर्णय करके देश को प्राथमिकता देने जैसी बातें प्रमुखता से सामने आईं। बिना साक्षरता के कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसे में सभी शिक्षित हों तभी सारी समस्याओं से आज़ादी पाई जा सकती है।। साक्षरता के साथ-साथ देश भर में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं को गुलामी का अहसास देती है, आखिर वो कब इस से आजाद होगा। सोचना होगा।
डॉ मीता गुप्ता
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