अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना में शिक्षा की भूमिका
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना एक अत्यंत आवश्यक अवधारणा है। नित्य नूतन खोज एवं आविष्कारों ने राष्ट्रों के बीच की दूरी इतनी कम कर दी है कि एक राष्ट्र में होने वाली प्रघटनाओं, परिवर्तनों का प्रभाव सभी राष्ट्रों पर पड़ता है। राष्ट्रों के मध्य सद्भावना एवं सहयोग स्थापित करने में शिक्षा एक सशक्त माध्यम है, जिसके द्वारा राष्ट्रों के मध्य पनपते तनाव को समाप्त किया जा सकता है।
आज जब वैश्वीकरण की अवधारणा ने संपूर्ण विश्व को एक मंच पर ला दिया है, तब यह आवश्यक है कि सभी राष्ट्र अन्य राष्ट्रों के प्रति एक आदर्श पड़ोसी की भूमिका में हों, जिनमें ‘हम’ की भावना हो। इस क्रम में हम कह सकते हैं कि विश्व नागरिकता एवं विश्व बंधुत्व अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना को आधार प्रदान करते हैं। यह संकल्पना इस बात की ओर संकेत करती है कि संसार के प्रत्येक मनुष्य में भाईचारे का संबंध हो तथा विश्व के समस्त राष्ट्र एक कुटुंब के सदस्यों की भांति प्रतीत हों। इस दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना विश्वमैत्री, विश्व-बंधुत्व और मानव कल्याण पर बल देती है। यह वैश्विक कुटुंब के प्रति प्रेम, सहानुभूति तथा सहयोग की ओर संकेत करती है और प्राचीन वैदिक आदर्श की सत्यता को पुनः स्थापित करती है-
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया|
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुखभाग्भवेत ॥
अंतर्राष्ट्रीयता की संकल्पना को प्रगतिशील स्वरूप प्रदान करने के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस बिंदु पर वैश्विक स्तर पर सभी शिक्षाशास्त्री, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ तथा वैज्ञानिक एकमत से अपना बयान दर्ज करा चुके हैं और बहुत से लोग निरंतर इस दिशा में काम कर रहे हैं। विद्यालय स्तर पर ही विद्यार्थियों में अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना की समझ विकसित की जा सकती है। इसके तर्क में हम कह सकते हैं कि विद्यालय समाज का लघु रूप होता है, जहां विविध भाषा क्षेत्र एवं समुदाय के विद्यार्थी इंद्रधनुष के सातों रंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। कहने का निहितार्थ यह है कि विद्यालय एक ऐसा वातावरण प्रदान करता है, जिसमें हम अपनी संस्कृति का संवर्धन व हस्तांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को करते हैं। शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का विकास माना जाता है। अतः शिक्षा को इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ की आधारशिला इसी संकल्पना को लेकर रखी गई थी। विश्व शांति की स्थापना में शिक्षा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा भले ही राजनीतिक दृष्टिकोण से अंतर्राष्ट्रीयता को न ला सके, परंतु शिक्षा ही एक ऐसा साधन है, जिसके द्वारा इस भावना का विकास होना संभव है। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है, जो आम जनमानस का ध्यान अंतर्राष्ट्रीय भावना की ओर ले जाता है।
हमारी प्यारी वसुंधरा संपूर्ण मानव जाति का कुटुंब है। अगर भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए, तो ऐसी कोई भी प्राकृतिक सीमा रेखा नहीं है, लेकिन मानव ने अपने स्वार्थ के लिए कृत्रिम रेखाओं द्वारा इस वसुंधरा को अलग-अलग राष्ट्रों में विभाजित कर दिया है इन राष्ट्रों का अलग-अलग की अलग-अलग व्यवस्था एवं प्रबंध हैं प्रत्येक राष्ट्र ने अपने विद्यार्थियों के लिए शिक्षा व्यवस्था अलग अलग तरीके से रखी है कुछ महत्वाकांक्षी राष्ट्र अपने बालकों को प्रारंभ से ही यह शिक्षा देते हैं और मानते हैं कि हमारा राष्ट्र अन्य राष्ट्रों से श्रेष्ठ है इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था में विद्यार्थियों की भावना को संकुचित कर दिया है जिसके परिणाम स्वरूप उनमें युद्ध स्तर की गला काट प्रतियोगिता ने जन्म लिया है जो आगे चलकर दो राष्ट्रों के मध्य युद्ध का रूप धारण करती है इन युद्धों के परिणाम स्वरुप मानव जाति को अनेकानेक दुखों को सहन करना पड़ता है भयंकर विनाशकारी परिणाम वाले 2 विश्व युद्ध होने तथा वर्तमान में जारी रूस और यूक्रेन के युद्ध में कम से कम यह तो सिद्ध कर ही दिया है कि क्षुद्र और आक्रमणकारी राष्ट्रीयता के संकीर्ण बंधनों को तोड़ देना चाहिए तथा प्रेम गया एवं सहानुभूति पर आधारित मानव संबंधों का विकास करने के लिए देशों की दीवार से रहित मानव जाति के संघ का निर्माण किया जाना चाहिए जब प्रत्येक मानव की कणिकाएं लाल हैं तो बाहरी आकार के आधार पर काले गोरे का भेद क्यों जब प्रकृति मानव मानव के मध्य भेद नहीं करती तो मानव को क्या अधिकार है कि वह अन्य मांगों के साथ भेदभाव करें महा कवि रामधारी सिंह दिनकर जी कहते हैं-
संकुचित भावना द्वारा प्रभावित विचार कि मेरा देश जो उचित या अनुचित करता है कि है हमारी जाति वर्ग सर्वोपरि है आदि निराधार और अहम वादी भाग को दर्शाता है यद्यपि विश्व के समस्त राष्ट्रों में भिन्न-भिन्न रंग रूप जाति धर्म के लोग रहते हैं परंतु सबकी मानवीय आत्मा एक है मानव मात्र में किसी भी प्रकार का विवाद नहीं होना चाहिए भेज बस इतना कि हम जिस निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में देश में निवास करते हैं उस नाम से पुकारे जाने लगते हैं जबकि सत्य यह है कि यह वसुंधरा एक विश्व कुटुंब है और हम सब इस विश्व परिवार के अंग हैं इस अनेकता को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रद्धा भावना की अवधारणा को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के लिए कुछ उपाय पूछे जा सकते हैं बौद्धिक सहयोग राष्ट्र भावना से अंतर्राष्ट्रीय भावना में प्रवेश करने के लिए बौद्धिक सहयोग एक महत्वपूर्ण माध्यम है विश्व में समस्त राष्ट्र बौद्धिक क्षमता में एक समान नहीं है इस क्रम में शिक्षा ही वह माध्यम है जो संपूर्ण विश्व को एक बौद्धिक मंच पर लाकर खड़ा करती है कहने का निहितार्थ यह है कि जो राष्ट्र शिक्षा के क्षेत्र में बिकने हैं उनकी सहायता उन्नत राष्ट्रों को करनी चाहिए जो साथी हाथ बढ़ाना की उक्ति को चरितार्थ करती है इस माध्यम से शिक्षित होने पर विद्यार्थियों में वैश्विक नागरिकता का भाव विकसित होगा और साथ ही साथ उन्हें मौलिकता वह नवाचार भी विकसित होगा अध्यापक और विद्यार्थियों की गतिशीलता अध्यापक गतिशील होंगे तो वह अपने विद्यार्थियों में भी इस प्रकार की गतिशीलता का भाव उत्पन्न कर सकेंगे कि बिना आपसी सहयोग के हम उत्तरोत्तर प्रगति शील नहीं हो सकते अंतर्राष्ट्रीय ताकि शिक्षा सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत पर अवलंबित होनी चाहिए अर्थात प्रत्येक विद्यार्थी को प्रारंभ से ही इस बात की शिक्षा देनी चाहिए कि समस्त विश्व एक है और हमें विश्व नागरिक के तौर पर चिंतन करना चाहिए
विशेषज्ञों के विचारों का आदान-प्रदान अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का भाव स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न राष्ट्रों में शिक्षा विज्ञान तथा संस्कृति के क्षेत्रों में आपसी विविधता तथा अलगाव को भूलकर विश्व संस्कृति की संकल्पना को विकसित किया जाए इसकी प्रतिपुष्टि तभी संभव हो सकती है जब विविध राष्ट्रों के शिक्षा शास्त्री दर्शन शास्त्री साहित्यकार आमने-सामने की स्थिति की में अंतर क्रिया अंतर क्रिया स्थापित करें और एक दूसरे से निकटता का भाव उत्पन्न करें तथा विभिन्न समस्याओं का समाधान करें विशेषज्ञों का इस प्रकार दृष्टि दृष्टिकोण और विचारों का आदान-प्रदान अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना की संकल्पना को मजबूती प्रदान करेगा अन्य राष्ट्रों का अन्वेषण अन्य राष्ट्रों के अन्वेषण के माध्यम से राष्ट्रों की परिस्थितियां कठिनाइयां अच्छाइयां सांस्कृतिक विशेषताओं एवं वास्तविकता ओं का पता चलेगा इस प्रकार के अन्वेषण से विविध राष्ट्रों की अच्छाइयों को अपनाते हुए उनकी कठिनाइयों का निराकरण करने के उपाय भी समझ आने लगेंगे तथा विभिन्न राष्ट्रों के मध्य संदेश ईर्ष्या तथा द्वेष आदि समाप्त करने में सहायता मिलेगी
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा पाठ्यचर्या अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना के प्रसार हेतु प्रचलित पाठ्यचर्या में आवश्यक परिवर्तन परिवर्तन और संशोधन किया जाना नितांत आवश्यक है पाठ्यचर्या में विश्व नागरिकता को आधार बनाकर उनके नागरिकों के धर्मों आदर्शों आचार विचार रीति रिवाज रहन-सहन आदि का समावेश करना समावेश तो करना ही चाहिए साथ ही इन राज्यों के साहित्य संगीत कला कृतियों एवं चित्रकला को भी उचित स्थान देना चाहिए
इतिहास अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिए यह आवश्यक है कि इतिहास के माध्यम से अन्य राष्ट्रों की संस्कृतियों और सभ्यताओं का वास्तविक एवं तार्किक विवेचन किया जाए संकुचित विचारों संघर्षों एवं वंशावली यों के स्थान पर मानवतावादी दृष्टिकोण को प्रमुख स्थान दिया जाए इतिहास के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रों में सामाजिक एवं नैतिक उत्थान का ज्ञान करते हुए जिन महान नेताओं ने वर्तमान संस्कृति और सभ्यता के विकास में सहयोग किया है उनकी जीवनी या तथा शिक्षा का वास्तविक ज्ञान करवाया जाना चाहिए
भूगोल भूगोल मानवीय क्रियाकलापों रहन-सहन संस्कृतियों आदि की जानकारी विद्यार्थियों को प्रदान करता है संपूर्ण वसुंधरा एक कुटुंब है भौगोलिक परिस्थितियों का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है मानव किन भौगोलिक परिस्थितियों में रहकर दैनिक जीवन में काम करने वाली वस्तुओं का उत्पादन करता है एक राष्ट्र का दूसरे राष्ट्र से संबंध व्यापार आदि की विस्तृत जानकारी भूगोल विषय के माध्यम से दी जा सकती है इस प्रकार भूगोल के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रों के प्रति मंत्री विश्व बंधुत्व की भावना के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना को भी सरलता से विकसित किया जा सकता है
गणित पाठ्यचर्या में गणित विषय को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए गणित तत्व तथा सत्यता का विषय है जिस के अध्ययन से विद्यार्थियों का दृष्टिकोण व्यापक तर्क शक्ति का विकास और तत्वों को परखने की क्षमता बढ़ती है तो अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिए अति आवश्यक है गणित विभिन्न देशों की जनसंख्या व्यापार वाणिज्य संपदा आदि के आंकड़ों के माध्यम से सही और वास्तविक जानकारी देता है इस ज्ञान के आधार पर विद्यार्थी यह निर्णय कर सकता है कि कौन सा राष्ट्र सबल पर और कौन सा दुर्ग और इस आधार पर दुर्बल राष्ट्रों को की को मदद और मजबूत राष्ट्रों को सहयोग दिया जा सकता है
विज्ञान और तकनीकी विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में होने वाले आविष्कारों नवा चारों से विद्यार्थियों को अवगत कराना चाहिए मानव जीवन को किस प्रकार से सुखी व संपन्न में बनाया जा रहा है आदि की जानकारी विज्ञान विषय के माध्यम से दी जाए जिससे विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हो सके वह विश्व को एक परिवार मानकर मानव को दुखों से छुटकारा दिलवाने के लिए प्रेरित हो सकें
भाषा और साहित्य एवं कला भाषा और साहित्य की व्यापकता किसी एक विशेष व्यक्ति तक सीमित नहीं होती बल्कि उसमें मानव की प्रकृति का आभास मिलता है जो किसी व्यक्ति व राष्ट्र के संकुचित बंधन से मुक्त होता है कला जाति धर्म और देश की दीवारों को स्वीकार नहीं करती कलाकृतियों तथा चित्रकला का आदान-प्रदान राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जहां दर्शन के माध्यम से एक राष्ट्र का दर्शन दूसरे राष्ट्र के दर्शन को प्रभावित करता है जिससे आपसी मैत्री भाईचारा संबंध आदि संबंध मजबूत होते हैं वही मैन मनोवैज्ञानिक मनोविज्ञान के माध्यम से व्यक्तिक विभिन्नता का सम्मान करते हुए भी एक आत्मकथा का बोध कराया जा सकता है
विद्यालयों में वार्षिकोत्सव के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय झलक दिखाने वाले अंतर्राष्ट्रीय झलक को प्रतिदिन प्रतिबिंबित करने वाले कार्यक्रमों झांकियों एवं लोकगीत आदि को सम्मिलित किया जा सकता है प्राकृतिक आपदा आज की परिस्थिति में विद्यार्थियों को इस विकट परिस्थिति ने अपने विश्व परिवार के सदस्यों की सहायता करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है विद्यालय की प्रार्थना सभा में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं का के कार्यक्रमों को समाविष्ट किया जा सकता है विद्यालय समाचार पत्र एवं प्रमाण विद्यालय पत्रिकाओं में ऐसे लेख प्रकाशित किए जा सकते हैं जिनमें अंतर्राष्ट्रीय ताकि भावना परिलक्षित होती हो विद्यार्थियों को अंतर्राष्ट्रीय खेलों को खेलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है यदि संभव हो तो विभिन्न देशों की यात्राएं विद्यार्थियों को शैक्षिक भ्रमण के रूप में करवाई जा सकती हैं विभिन्न देशों की संस्कृति को परिलक्षित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी यों और मेलों का आयोजन किया जा सकता है
वसुदेव कुटुंबकम एक यूटोपिया है किंतु मानव यात्रा का यह एक सार्थक पड़ाव है यह मनुष्य के लिए वरदान वह दिन मनुष्य के लिए वरदान सिद्ध होगा जब राष्ट्र की नकली दिवारी रह जाएंगी और संपूर्ण विश्व एक विश्व राज्य में परिलक्षित परिणत होगा अभी मनुष्य के समक्ष कल्पना या ख्याली पुलाव हैं किंतु हम इस ओर कदम तो बढ़ा ही सकते हैं
हमें अपनी राष्ट्र की राष्ट्रीय और सांस्कृतिक विरासत को संभालना तो है ही साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखना है कि हम विश्व संस्कृति और विरासत से अलग होकर जीवन की गतिशीलता नहीं प्रदान कर सकते अगर हम विरक हो गए तो संपूर्ण विश्व से कट जाएंगे हमारी संस्कृति विश्व संस्कृति से जुड़ाव रखती है हमारी कार्य संस्कृति विश्व की संस्कृति यूरो भारतीय संस्कृति है क्योंकि आरिफ यूरोप से मध्य एशिया में चलकर भारत आए भारतीय आर्य भाषाओं में वैदिक भाषा यूरोप की लैट्रिन और अरब की शुरू से अभिन्न रूप से जुड़ी है इसे अलग-अलग खंडों में केवल सुविधा हेतु विभाजित किया गया है हमारी सोच अंतर्राष्ट्रीय स्तर की होनी चाहिए हमारी समझ भी अंतर्राष्ट्रीय होनी चाहिए संपूर्ण विश्व की युवा पीढ़ी को अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना की थी और शिक्षा देनी है इन्हें हम विश्व इन्हें इस विचार से अवगत करवाना है कि हम केवल राष्ट्रीयता की चारदीवारी में रहकर अंतर्राष्ट्रीय ताकि उपेक्षा नहीं कर सकते संपूर्ण विश्व के विद्यार्थियों को समय-समय पर अन्य राष्ट्रों में जाकर उनकी संस्कृति और सभ्यता की अस्मिता की को पहचानना होगा तभी अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना को प्राप्त करने की शिक्षा प्राप्त करने में शिक्षा एक सार्थक भूमिका निभा सकेगी
कहो, तुम्हारी जन्मभूमि का है कितना विस्तार ?
भिन्न-भिन्न यदि देश हमारे तो किसका संसार ?
धरती को हम काट-छाँटें,
तो उस अंबर को भी बांटे,
एक अनल है, एक सलिल है, एक अनिल- संचार |
कहो,तुम्हारी जन्मभूमि का है कितना विस्तार ?
एक भूमि है, एक व्योम है,
एक सूर्य है,एक सोम है,
एक प्रकृति है, एक पुरुष है, अगणित रूपाकार
कहो, तुम्हारी जन्मभूमि का है कितना विस्तार ?
-मीता गुप्ता
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