जानिए पढ़ाई का बेस्ट टाइम
सुबह होती है शाम होती है, उम्र यूं ही तमाम होती है
- मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
मेरे
लिए पढ़ाई करने का बेस्ट टाइम क्या है, जिससे मैं अपना परफॉरमेंस सुधार लूं? प्रिय
स्टूडेंट्स, क्या आप भी इस प्रश्न में उलझ रहे हैं? आज मैं आपको सही समाधान दूंगी ।
विज्ञान
क्या कहता है...और प्रैक्टिकली क्या होता है-वैज्ञानिक रिसर्च कहती है कि सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच और शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक इंसान का दिमाग सीखने के मोड
में होता है, इसलिए यह पढ़ने का सबसे सही समय है। लेकिन
प्रैक्टिकली देखा जाए, तो यहाँ दो फैक्टर्स काम करते हैं: पहला आपके दिन का पैटर्न
क्या है - मतलब आपके स्कूल-कॉलेज जाने के टाइम के अनुसार आपके पास पढ़ने के लिए समय
कब है, और दूसरा आपका बायोलॉजिकल साइकिल क्या है - मतलब आप
कब सबसे ज्यादा अलर्ट और एनर्जेटिक महसूस करते हैं। आज हम कॉलेज, स्कूल और कोचिंग के कंपल्सरी टाइम के नहीं, आपके
स्वेच्छा से तय टाइम की बात करेंगे।
पहले
एक प्यारी कहानी सुनिए-जंगल में एक आश्रम में एक ज्ञानी साधु रहते थे। ज्ञान
प्राप्ति की चाह में विद्यार्थी उनके पास आया करते थे। एक बेहद आलसी छात्र की मां
उसे लाई, और बाबा से समाधान मांगा। ज्ञानी साधु ने आलसी बालक
को अपने पास बुलाया और उसे एक पत्थर देते हुए कहा, 'यह कोई
सामान्य पत्थर नहीं, बल्कि पारस पत्थर है। लोहे की जिस भी
वस्तु को यह छू ले, वह सोना बन जाती है। मैं तुमसे प्रसन्न
हूं, इसलिए दो दिनों के लिए ये पारस पत्थर तुम्हें दे रहा
हूं। अगले दो दिनों के बाद तुमसे ये पारस पत्थर ले लूंगा। जितना चाहो, उतना सोना बना लो।'
आलसी
छात्र बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने सोचा, इससे मैं इतना सोना बना लूंगा कि मुझे जीवन भर काम करने की आवश्यकता नहीं
रहेगी। फिर उसने अपनी आदत से सोचा कि अभी तो पूरे दो दिन हैं। ऐसा करता हूं,
एक दिन आराम करता हूं। जब दूसरा दिन आया, तो
उसने सोचा कि आज बाज़ार जाकर ढेर सारा लोहा ले आऊंगा और पारस पत्थर से छूकर उसे
सोना बना दूंगा। लेकिन इस काम में अधिक समय लगेगा नहीं। इसलिए पहले भरपेट भोजन
करता हूं। भरपेट भोजन करते ही उसे नींद आने लगी। ऐसे में उसने सोचा कि अभी मेरे
पास शाम तक का समय है। कुछ देर सो लेता हूं।
फिर
क्या? वह गहरी नींद में सो गया। जब उसकी नींद खुली, तो सूर्य अस्त हो चुका था और दो दिन का समय पूरा हो चुका था। साधु ने कहा,
'सूर्यास्त के साथ ही दो दिन पूरे हो चुके हैं। तुम मुझे वह पारस
पत्थर वापस कर दो।' आलसी रोने लगा। इसी तरह जीवन में आलस्य
से लड़ाई सतत होती है और आप इस लड़ाई में हारना मत। अवसर का पारस पत्थर बेकार हो
जाएगा। एक प्रसिद्ध गीत है-आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इसमें ज़िंदगी बिता दो, पल जो ये जाने वाला है। इस भाव का हमेशा
ध्यान रखना ज़रूरी है|
कैसे पता लगाएं, कौन-सा समय पढ़ने के लिए बेस्ट है?
सबसे
पहले अपने शेड्यूल में देखे कि आप किस वक्त पढ़ाई के लिए समय निकाल सकते हैं। क्रोनोबायोलॉजी
(उचित समय के विज्ञान) के अनुसार मनुष्य शरीर का विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शन
हमारे डीएनए से जुड़ा है और हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक (जो हमें भूख, प्यास, नींद का अहसास कराती है) पर निर्भर करता है। इसलिए
एक बार शेड्यूल में उपलब्ध टाइम पता चल जाने पर यह देखें कि उसमें कौन सा समय आपके
शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक पर फिट बैठता है।
सुबह, दोपहर, शाम - एक एनालिसिस-
सुबह:
सुबह पढ़ते वक्त दिमाग फ्रेश होता है, वातावरण में प्राकृतिक ठंडक और रोशनी के कारण पढ़ने में मन ठीक से लगता है,
वातावरण शांत होता है। शास्त्रों में इसे ब्रह्ममुहूर्त कहा गया
हैं। एक फायदा और है कि सोशल मीडिया का डिस्ट्रैक्शन कम होता है। कई लोग हैं
जिन्हें सुबह उठने में परेशानी होती है, क्योंकि उनका रात का
शेड्यूल परमिट नहीं करता। तो आपकी बायो क्लॉक, आपका शेड्यूल
और आपकी आदत से ही तय करें, किसी के बोलने से नहीं।
दोपहर:
दोपहर में पढ़ाई करने के अपने फ़ायदे हैं- आप ग्रुप स्टडी कर सकते हैं और यदि आप को
पढ़ाई में कुछ डाउट्स आते हैं, तो आप टीचर्स और
दोस्तों से पूछ सकते हैं। लेकिन यदि खाने पर नियंत्रण नहीं, और
हैवी लंच लेते हैं या आपको दिन में सोने की आदत है, तो
दिक्कत है!
रात:
कई क्रिएटिव लोग रात को काम करते हैं। फायदे- डिस्टर्बेंस कम होता है (सब लोग सोए
होते हैं), पढ़ने के के बाद सोने से दिमाग को
सूचनाओं को अरेंज करने का समय मिलता है और मेमोरी में सुधार होता है, और सोशल मीडिया भी उतना एक्टिव होता है। हालांकि, यदि
पर्याप्त नींद (घंटों में) ना लेने का हेल्थ पर असर पड़ सकता है और दिन के समय
एकाग्रता की कमी हो सकती है। एक बात और, कई बार दिन भर की
थकान (शारीरिक और मानसिक) के कारण काम की क्वालिटी पर असर पड़ सकता है।
तो
आज का विचार यही है कि पढ़ाई के टाइम की प्लानिंग हर स्टूडेंट को अपने पर्सनल बायो
क्लॉक, आदतों और ज़रूरतों से तय करनी चाहिए। हाँ, यह ज़रूरी है कि हम अपने शरीर, अपनी दिनचर्या, अपने समय, अपने परिवेश और अपनी आदतों को पहचानें और
उसके अनुसार पढ़ाई के टाइम की प्लानिंग करें।
मीता
गुप्ता
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