‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार
मिले’-भारतीय समाज में, विवाह में बेटी को विदा करते समय बाबुल भावनात्मक रूप से कई
विचार और भावनाएं अनुभव करते हैं। कुछ भावनाएं सामान्य रूप से उनके मन में उत्पन्न
होती हैं, जैसे बाबुल अपनी बेटी
पर गर्व करते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को शिक्षा, संस्कार और सामाजिक मूल्यों से युक्त किया है और वह अब एक नए
जीवन की शुरुआत के लिए तैयार है। उनका दिल विदा
करते समय दुखी भी होता है। वे अपनी बेटी के बिना अकेलेपन का अहसास करते हैं और
उन्हें याद करने का दुःख महसूस करते हैं। वे अपनी बेटी से गहरा प्यार करते हैं और नए
जीवन के लिए उसे शुभकामनाएं और आशीर्वाद देते हैं। बाबुल का दिल विवाह के समय
संवेदनशील होता है। वह बेटी के भविष्य के लिए चिंतित भी हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अपनी बेटी का सबसे अच्छा भविष्य चाहिए। साथ ही वे चिंतित भी होते हैं कि उनकी बेटी का नया जीवन न जाने कैसा
होगा?
वह वहां खुश रहेगी या नहीं, उसकी सुरक्षा और सुख-शांति का ध्यान कौन रखेगा ? वे अपनी बेटियों की विदाई पर कभी उत्साह, कभी उदासी, कभी प्रेम, कभी आशा और कभी रोमांच के भाव से परिपूरित
हो जाते हैं।।
बेटी में भी विदाई के समय पर अनेक भावनाएं हो सकती हैं,
जैसे कि उत्सुकता, दुख, प्रसन्नता,
असमंजस आदि। यह एक बड़ा पल होता है, जिसमें वह एक नये जीवन की शुरुआत के लिए अपने
पिता के बिना घर से बाहर जा रही होती है। इस समय पर वह अपने परिवार और अपने पिता
से जुड़ी यादें और विचारों को भी साथ लेती है। कुछ बेटियां उत्सुकता और नई जिंदगी के संदेश के साथ इसे
देखती हैं। इस समय पर बेटी अपने पिता की सीख, प्यार और समर्थन को भी याद करती हैं और इसके साथ ही नए
संबंध और जीवन की नई चुनौतियों का सामना भी करती हैं।
सामाजिक, सांस्कृतिक और
व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर, हर बेटी की भावनाएं और सोच अलग-अलग हो सकती हैं। इन सभी भावनाओं का मिश्रण
विवाह के समय बेटी के मन में उत्पन्न होता है। वह इस नई यात्रा को अपने जीवन का
महत्त्वपूर्ण हिस्सा मानती है और उम्मीद करती है कि वह इसमें खुशियों और समृद्धि
से भरा होगा।
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