भारत का इतिहास, यहां
की संस्कृति और सभ्यता
बहुत प्राचीन है। इसकी यही प्राचीन संस्कृति व सभ्यता,
वैचारिक उन्नतिशीलता व संवेदनशीलता
तथा आध्यात्मिक
पवित्रता व निर्मलता इसे समृद्ध बनाती
है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’
की परंपरा वाले हमारे देश ने पूरी पृथ्वी
को एक परिवार के
रूप में समझा और सदा ही पूरी दुनिया की
भलाई का पक्षधर
रहा, इसीलिए भारत को ‘शांति दूत’ भी कहा गया
है। यही
वैश्विक पारिवारिकता की भावना भारत की
आत्मा है, जिसे
बनाए रखने के लिए भारत कृत-संकल्प
है। भारत की भौतिक समृद्धि उसकी जलवायु, हरी-भरी
उपजाऊ ज़मीन, जंगल, पहाड़ और यहां के खनिजों से है। यहां की ऋतुएं और यहां के किसान धरती से सोना
उपजाते हैं, जिसके चलते इस देश को खाद्यान्न की कभी कमी
नहीं होती। हमारे अन्न भंडार हमेशा भरे
रहते हैं। विश्व में किसी भी तरह की
प्राकृतिक आपदा में हमारा देश हमेशा से लोगों की मदद करता आ रहा है।
पर्यावरण
संरक्षण, स्वच्छता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक कृषि पद्धति से
खेती की ओर पूरी निष्ठा और सतर्कता से नित नए बढ़ते कदम इसे कृषि जनिक नई
ऊँचाइयों की ओर ले जा रहे हैं। आक्रांताओं
और कई सौ सालों तक गुलाम रहने के बावजूद भारत देश आज भी मजबूत और शक्तिशाली
है। दुनिया में सर्वाधिक युवा शक्ति वाले
हमारे देश के जांबाज सैनिकों की शूर वीरता के चलते हमारी सीमाएं सदा सुरक्षित
हैं। अपनी सीमाओं की सुरक्षा के प्रति
विशेष सतर्कता के चलते, हमारी सेनाएं आज अत्याधुनिक उपकरणों, मिसाइलों, लड़ाकू
जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों से सुसज्जित हैं। पिछले कुछ वर्षों
में भारत की सामरिक शक्ति कई गुना बढ़ गई है। युद्धक विमानों की संख्या भी अब कई
गुना बढ़ी है। हवा में ही दुश्मन के जहाजों के छक्के छुड़ाने वाले फाइटर जेट चिनकू, अपाचे
के साथ ही राफेल के शामिल होने से हमारी ताकत कई गुना बढ़ गई। कश्मीर से कन्याकुमारी
तक थल सेना, नौसेना और वायुसेना हर मोर्चे पर हमारी सीमाओं
की अनवरत रक्षा कर रही है, तभी तो हम अपने घरों में चैन से सोते हैं। यही नहीं, हमारे
पड़ोसी दुश्मन देश भी हमारी ओर गलत नजर डालने से पहले कई बार सोचते हैं। कूट नीति और विदेश नीति में भारत आज अव्वल
है।
मातृभूमि की पूजा-आराधना
व भारत माता के कर्मठ सुपुत्रों के मान-सम्मान के प्रति सतर्कता ने देश की दशा और
दिशा ही बदल दी है। भारत विगत कुछ वर्षों
से कन्याओं की शिक्षा, सुरक्षा और उनके सामाजिक विकास के प्रति भी
कड़ी सतर्कता और बड़ी खूबसूरती से अपनी महती भूमिका निभा रहा है। हर आम व्यक्ति की सुख-सुविधा को लेकर भी भारत
पूरी तरह से सतर्क है, गांव को शहर से और शहर को महानगरों से जल, थल, वायु
मार्गों से जोड़ने का बेजोड़ काम किया जा रहा है, इससे
ग्रामीण, दूर-दराज़ व आदिवासी सभी क्षेत्रों में ‘सबका साथ और सबका विकास’
प्रबल हो रहा है। गरीबों, श्रमिकों, किसानों, हर
तबके के पास सूचना-प्रौद्योगिकी की पहुँच से उनको सक्षम बनाने के लिए बनायी गई
समूची योजनाएं सुविधापूर्वक, आसानी से व सार्थकतापूर्वक लागू हुई हैं, जिससे
उनमें आत्मनिर्भरता बढ़ी है।
ज्ञान-विज्ञान, पर्यावरण, सुरक्षा
आदि सभी क्षेत्रों में समय रहते सतर्कता के चलते सशक्त, संपन्न
व समृद्ध भारत की परिकल्पना साकार हो रही है।
आन कठिन भारत की
लेकिन, नर-नारी का सरल वेश है,
देश और भी हैं
दुनिया में, पर गाँधी का यही देश है ।
जहाँ वास कँकड़
में हरि का, वहाँ नहीं चाँदी चमकीली,
मेरा देश बड़ा
गर्वीला, रीति-रसम-ऋतु-रंग-रंगीली ॥
जय हिंद ! जय भारत !
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