Tuesday, 27 October 2020

कहीं शब्द इसे मैला न कर दें ।

 

कहीं शब्द इसे मैला न कर दें ।



अजीब कशमकश में हूँ आजकल

इक नया सा एहसास साथ रहता है

हर लम्हा, हर पल...

 

कुछ अनूठा, कुछ अदभुत

कुछ पाने की प्यास

कुछ खोने का एहसास

 

कभी झील सा शान्त

तो कभी पहाड़ी नदी सा चंचल

कुछ संजीदा, कुछ अल्हड़

 

क्या है ये अनजाना सा एहसास

भावों का ये कोमल स्पर्श

पता नहीं ... पर अपना सा लगता है

 

कभी जी चाहता है इसे इक नाम दे दूँ

फिर सोचती हूँ बेनाम ही रहने दूँ

मैला ना करूँ...

कहीं शब्द इसे मैला न कर दें ।

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