तुम्हारी मुस्कान
लगती है ठंड में
उज्ज्वल धूप की तरह
और प्रकाशित करती है
हृदय के हर कोण को ।
तुम्हारी निश्छल मुस्कान
भुला देती है संबधों की परिभाषा
परिचय का आदान-प्रदान
यहाँ तक कि नाम भी,भाषाओं के भेद भी,
बनी रहनी चाहिए
तुम्हारी यह पवित्र निश्छल मुस्कान
जीवन के इस वसंत से
अनंत तक
बनी रहे यूँ ही सदा
तुम्हारी यह पवित्र निश्छल मुस्कान
जीवन के इस वसंत से
अनंत तक
यह पवित्र निश्छल स्नेहिल मुस्कान ।
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