कृतज्ञता
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही को धन्यवाद।
जब-जब कविवर शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की ये पंक्तियां पढ़ती हूं, तो सोचने लगती हूं कि उन्होंने जाने-अनजाने
हर राही को धन्यवाद क्यों दिया होगा ? गंभीरता से सोचने पर पाती हूं कि कृतज्ञता ही तो मनुष्य जीवन की
सर्वोत्कृष्ट विशेषता है। यह प्रकृति ईश्वर की देन है।ईश्वर ने हमें बनाया, यह श्वास दी, तो सर्वप्रथम हम उस ईश्वर के प्रति कृतज्ञ हैं|यदि जीवन में हम अपने प्रति किसी भी रूप में की गई सहायता के प्रति
कृतज्ञता प्रकट करते हैं, तो हमारा यह जीवन कर्तव्य है।ईश्वर के बाद हमें अपने माता-पिता के प्रति भी
कृतज्ञ होना चाहिए, जिनकी कृपा से हमें यह जीवन मिला है| हमें अपने गुरुओं के प्रति भी कृतज्ञ होना
चाहिए, जिनकी कृपा से हमने जीवन जीना सिखा। इसी तरह हमें अपने जीवन के भागीदार
प्रत्येक व्यक्ति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
कृतज्ञता
इस दुनिया का सबसे महान गुण है। कृतज्ञता हमें यह एहसास दिलाती है कि अपने जीवन
में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में किसी न किसी के द्वारा जो सहायता की गई है, हम अगर बदले में उसको कुछ ना दे सकें,
तो कोई बात
नहीं ,परंतु उसको हृदय से आभार जरूर प्रकट करना चाहिए।
कृतज्ञता का आशय है कि अपने प्रति की हुई हर छोटी-बड़ी सहायता के लिए
शुक्रगुजार होना और सहायता या उपकार करने वाले व्यक्ति को धन्यवाद बोल कर उसके
प्रति सम्मान प्रकट करना।कृतज्ञता एक दिव्य प्रकाश भी है। जिस मनुष्य के हृदय में
कृतज्ञता का प्रकाश होता है, वह दूसरों के प्रति आभार प्रकट करना जानता
है| उस व्यक्ति के आसपास सदैव दैवीय शक्ति का वास होता है। ऐसा व्यक्ति अपने
जीवन में हर खुशी व सफलता को प्राप्त करता है।कृतज्ञता एक पवित्र यज्ञ की तरह होता
है जो अपनी अग्नि ( तेज ) में आसपास की हवा व मनुष्य को शुद्ध करता हैं|
गीता में भी कहा गया है कि कृतज्ञता रूपी यज्ञ से तुम देवताओं को उन्नत करो
और देवता तुम्हें उन्नत करेंगे और इसी तरह निस्वार्थ भाव से एक दूसरे को उन्नत
करते हुए अंत में परम कल्याण को प्राप्त करोगे।जो व्यक्ति धन्यवादपूर्ण ईश्वर की
स्तुति करता है, वह अपने जीवन में सफलता व खुशियां
प्राप्त करता है।जब हम सुबह सोकर उठते हैं,
तो
सर्वप्रथम अपना पांव धरती पर रखते ही उस ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए, जिनकी कृपा से ही हमें एक और नया दिन जीने के लिए मिला है।
प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की कृपा का ऋणी होना चाहिए , जिन की कृपा से ही रोटी- कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो रही
हैं।इसी तरह हमें अपने जीवन में घटने वाली हर छोटी से छोटी घटना जो हमको खुशी देती
है के प्रति आभार प्रकट करना चाहिए|
अगर आभार
प्रकट करने की आदत को हम अपनी जीवनशैली बना लेंगे,
तो हम
देखेंगे कि धीरे-धीरे जीवन में जैसा हम चाहते हैं वैसा ही होने लगता है और यह सब
हमारा ईश्वर के प्रति कृतज्ञ होने का असर है।
ईश्वर ने हमें एक पूर्ण शरीर दिया है,
तो यह उनकी
हमारे ऊपर सबसे बड़ी कृपा है। रंग या रूप से नहीं बल्कि मन की सुंदरता से ही
व्यक्ति अन्य व्यक्ति के प्रति दया व मदद की भावना रखता है। जो व्यक्ति जीवन की हर
सांस के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता है और यह मानता है कि जो हुआ वह अच्छे के लिए
हुआ है तो यकीन मानिए ऐसा व्यक्ति दुनिया का सबसे भाग्यशाली व्यक्ति है क्योंकि वह
अपने जीवन में ईश्वर की कृपा को समझ गया है।इसलिए अगर जीवन में हर परिस्थिति में
हम ईश्वर को धन्यवाद करना सीख जाएं,तो हमें उनकी कृपा का एहसास भी हो जाएगा।
और धीरे-धीरे जीवन की प्रत्येक घटना हमारी इच्छा के अनुसार होने लगती है| यह ईश्वर के प्रति हमारा कृतज्ञता प्रकट करने का ही नतीजा है और ऐसे ही
ईश्वर की कृपा से जीवन में अनगिनत सुखमय घटनाएं घटने लगती है।
कृतज्ञता
को कुछ ही शब्दों में समेटकर नहीं लिखा जा सकता है ।यह तो अपने आप में पूरा
ब्रह्मांड है।जो व्यक्ति अपने जीवन में कृतज्ञता रूपी कवच को धारण कर लेता है तो
उसके चारों तरफ ईश्वरीय शक्ति का वास होता है और वह उस मनुष्य को और अधिक सशक्त और
सक्षम बनाती है और इससे मिलने वाली खुशी व सफलता निरंतर बनी रहती है|
अंत में, जब आप कृतज्ञ होते हैं तो आप दूसरों के प्रति
तो आभार प्रकट करते ही हैं, उसका मन तो
निर्मल होता ही है,पर इसके साथ
ही साथ आपका भी उन्नयन होता है, आपका मन भी
निर्मल होता चला जाता है ।तो आइए, मिलकर उन सभी के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रस्तुत करें, जिनके कारण हम है, हमारा सारा वजूद है, हमारा सारा अस्तित्व है।
मीता गुप्ता
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