Wednesday, 2 June 2021

घर

 घर




घर वो जहां अपने

कुछ सपने होते हैं,

घर अपना घर

जहां अरमान जगते हैं,

घर अपना घर

जहां पहचान पाते हैं।

घर वो जो सबको बांधे,

घर वो जो सबको समेटे,

घर वो कि जिसकी दीवारें

आपस में प्यार की चादर लपेटे।


घर अपना घर

जिसे सजाना संवरना

दिल को भाता है,

घर अपना घर

जहां थक हार

कोई अपना आता है।


घर अपना घर

जिसकी छाया में

होती अनोखी माया,

घर अपना घर

जहां तन को आराम

ओर मन को चैन आया।


जीवन में

खुशियों की बहार है घर,

सपना जो अब है हकीकत

घर जो घर तो है,                  

 पर है इबादत। 

 खुश रहो, 

आबाद  रहो, 

मंगल हो, 

कल्याण हो।

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