प्रकृति
एक
चट्टान,
एक
नदी,
एक
वृक्ष,
जिन
पर छाप छोड़ी थी कभी जीवन
की,
हमारे
ग्रह पर अपने अस्तित्व के प्रमाण छोड़े थे
उनकी
त्वरित विनाश की व्यापक चेतावनी
युगों
के धुंधलके में कहीं खो हो गई थी,
लेकिन
आज, चट्टान हमें चीख-चीख
कर पुनः पुकारती है
स्पष्टता
और दृढ़ता के साथ
आओ,
मेरी पीठ पर खड़े हो जाओ
अपनी
सुदूर नियति का सामना करो
पर
मेरी छाया में किसी स्वर्ग को मत तलाशना
मैं
तुम्हें छिपने का कोई स्थान नहीं दे सकती
हे
मनुष्य, तुम देवदूतों से बस कुछ ही कमतर समझते हो स्वयं को
चिरकाल
से भीषण अंधेरे में दुबके, अज्ञानता में चेहरा
छुपाए
आज
चट्टान हमें चीख-चीख कर पुनः पुकारती है
तुम
मेरे ऊपर खड़े तो हो सकते हो
पर
देती हूँ तुम्हें….त्वरित विनाश की व्यापक चेतावनी......
विश्व
की चौहद्दी के पार…एक नदी सुंदर गीत गाती थी
कहती
थी आओ मेरे पास, विश्राम
करो
पर
हे मनुष्य ! तुम अनोखे ढंग से गर्वित
सदैव
आक्रामक…विजय के तुम्हारे सशस्त्र संघर्ष
छोड़
गए हैं मेरे किनारे कचरे के ढेर
मेरी
छाती पर मलबे के प्रवाह
फिर
भी मैं आज तुम्हें अपने तट पर बुलाती हूँ
हाँ
आओ तो,
तुम
युद्ध के बारे न सोचना,
शांतिदूत
बनकर आना.... मैं गीत गाऊंगी
गीत,जो विधाता ने मुझे सौंपे थे
जब
मैं और वृक्ष और चट्टान एक थे
जब
तुम्हारी भृकुटि कुटिलता से रक्तरंजित
न थी
और
जब तुम जानते थे कि तुम
कुछ नहीं जानते
तब
जो गीत नदी गाती थी ….वही गीत !
एक
सच्ची तड़प है
गाती
हुई नदी में
बुद्धिमान
चट्टान में
वृक्ष
की बात में
और
तुम...अनेक महत्वाकांक्षाएँ संजोए आए –
तुमने
बेचा, खरीदा और लूटा
यहाँ,
मेरे पास, अपनी जड़ें जमा दीं।
सुनो...
मैं
नदी द्वारा रोपा वह वृक्ष हूँ
जिसे
हटाया नहीं जा सकता..
मैं,
चट्टान, मैं नदी, मैं वृक्ष
मैं
तुम्हारा हूँ….तुम्हारी यात्राओं का भुगतान हो चुका है
अपने
चेहरों को ऊपर उठाओ
तुम्हें
सख्त ज़रूरत है इस उज्ज्वल सुबह की
जो
तुम्हारे लिए उदित हो रही है
इतिहास
के साथ तो जीना ही पड़ता है
आओ, अब मुकाबला हिम्मत से किया जाए
तो
फिर डरने की ज़रूरत नहीं है
अपनी
आंखें ऊपर उठाओ, देखो
यह
दिन तुम्हारे लिए उदित हुआ है
फिर
से एक नए सपने को
जन्म दो
इसे
अपनी अंजलि में ले लो
इसे
अपनी सबसे सुंदर छवि के
रूप में गढ़ो
अपने
दिलों को ऊंचा उठाओ
एक
नई शुरुआत के लिए
हर
घड़ी नई संभावनाओं से भरी है
चिरकालीन
पाशविकता के दासत्व में
सदैव
डर के साथ मत जियो
क्षितिज
आगे झुका है…तुम्हारे नए कदमों को स्थान देने के लिए
यहाँ,
इस शुभ दिन के अवसर पर
तुम्हारे
भीतर साहस होना चाहिए
कि
तुम चारों ओर देख सको
मुझे
– इस चट्टान, नदी, वृक्ष को
और....
इस
नई सुबह की बेला में
मुझे
स्वीकार करो...
मुझे
बाहों में भरो....
विश्व-कल्याण
करो...
नया
भविष्य गढ़ो...
हरा
भविष्य गढ़ो......!!
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