आत्मविश्वास (सेल्फ़-कॉन्फिडेंस)
क्यों है ज़रूरी?
विश्वास भरा हो मन में,स्फूर्ति जगे तन-मन में,
कोई कार्य नहीं इस जग में,जो पूर्ण न हो जीवन में।
तुम हार कभी न मानो,चाहे कितना भी मुश्किल हो।
रहो आत्मबल से पूरित,हर संघर्ष विजित जीवन में।।
जब हमारे भीतर आत्मविश्वास होता है, तो सफलता हमारे कदम चूमती है और हमें
सफल बनने के लिए प्रेरित करती रहती है। आत्मविश्वास के वजह से हम अपने लक्ष्य को
आसानी से पूरा कर सकते हैं और जीवन की उन ऊंचाइयों तक पहुंच सकते है, जिनका हम सपना देखते हैं। सच कहा जाए
तो आत्मविश्वास ही हमारे जीवन का आधार, संबल और प्रेरणा होता है ।
आत्मविश्वास (सेल्फ़-कॉन्फिडेंस) का अर्थ है, स्वयं पर विश्वास। आत्मविश्वास की
शक्ति ही ऐसी है कि वह किसी को भी महान बना सकती है। आत्मविश्वास पर्वतों को भी हिला सकता है, इसलिए हम स्वयं पर कदापि शक न करें।
आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम–ये तीन ही जीवन
को परम शक्तिवान और संपन्न बनाते हैं। विद्वानों का कहना भी यही है कि आत्मविश्वास
ही सफलता का प्रथम और मुख्य रहस्य है। आत्मविश्वास की शक्ति ही ऐसी शक्ति है, जिससे कोई महान और सफल इंसान बन सकता
है। आत्मविश्वास जैसा कोई दूसरा मित्र
नहीं है। आत्मविश्वास ही भावी उन्नति का मूल आधार है। कठिन कार्य में सफल होने पर
आत्मविश्वास बढ़ जाता है। आत्मविश्वासी समुद्र के मध्य जहाज नष्ट हो जाने पर भी
तैरकर उसे पार कर लेता है क्योंकि आत्मविश्वास ही उन्नति की प्रथम सीढ़ी है। हमेशा
यह आत्मविश्वास रखें कि हम पृथ्वी पर किसी महान उद्देश्य के लिए आए हैं, जिसे पूर्ण करना हमारा प्रथम कर्तव्य
है।
आत्मविश्वास में बड़ी ताकत होती है क्योंकि अपने
आत्मविश्वास और चरित्र के बल पर एक साधन रहित व्यक्ति भी महान सफलता प्राप्त कर सकता है। हमें यह कभी
नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी कठिनाई का नतीजा अविश्वास नहीं है, क्योंकि अविश्वास से कठिनाई पैदा होती है। हम आत्मविश्वास
को अमूल्य मानें और ज्ञान
तथा कर्म से अपने अभीष्ट को प्राप्त करें । हम जहाँ भी जाएँ, अपने आत्मविश्वास को साथ लेते जाएँ।
यह आत्मविश्वास रखें कि हम ही धरती पर सबसे अमूल्य हैं, अपनी नज़रों में अपनी कीमत कभी कमतर न
होने दें क्योंकि परीक्षाएँ तब ही कठिन मालूम होती हैं, जब हम परिश्रम से, जी जान से और आत्मविश्वास से उसका मुकाबला नहीं
करते। हम यदि ज्ञान के प्रकाश का दीपक बुझा देंगे , तो व्यावहारिक ज़िंदगी में एक कदम भी आत्मविश्वास से नहीं चल सकेंगे।
मेरी शक्ति असीम है क्योंकि मेरा हृदय पवित्र
है, ऐसा
विश्वास अपने अंदर रखना ज़रूरी है। चुनौती और विरोध एक ऐसी मिट्टी है, जिससे अंततः शौर्य और आत्मविश्वास के
प्रासाद का निर्माण होता है, इसलिए हमेशा आत्मविश्वास बनाए रखें, विपरीत परिस्थितियों से घबराए नहीं क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में
आत्मविश्वास ही हमें इन परिस्थितियों से निकाल सकता है। हमें याद रखना है कि डर एक ऐसा नकारात्मक भाव है, जो इंसान को अंदर से कमज़ोर कर देता है, इसलिए आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सबसे
पहले डर पर काबू पाएं। जिस काम को करने में हमें डर लगता है, वही काम सबसे पहले करें और ठान लें कि इस काम
को तो पूरा करना ही है। जब हम अपने डर को खत्म कर देंगे, तो हमारा आत्मविश्वास बहुत ज्यादा बढ़
जाएगा।
आइए, अब आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कुछ सुझावों पर नज़र डालते हैं-
सॉल्यूशन पर फोकस करें – समस्या पर
नहीं, समाधान पर ध्यान केंद्रित करें। सेल्फ़-कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए अपनी समस्याओं के
बजाय उसके समाधान पर फोकस करें। अगर हमें अपनी लाइफ से हमेशा शिकायत ही रहती है तो
जाहिर है कि हमारा आत्मविश्वास ही बहुत कमज़ोर होगा। इसलिए हम अपने जीवन में जिस भी
चीज़ को लेकर दुखी हैं, उसे सुलझाने और बेहतर बनाने की कोशिश
करें। अपनी समस्या का हल खोजें और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाएं।
आभार प्रकट करना सीखें – ज़िंदगी बहुत ही खूबसूरत होती है, इसके लिए परमात्मा, माता-पिता, अपने परिवार, स्नेही-जनों और कभी-कभी अनजाने लोगों
को भी धन्यवाद दें। इससे हम चाहे किसी भी परिस्थिति में रहें, हमारा आत्मविश्वास कमज़ोर नहीं पड़ेगा। हम अपनी
छवि को सुधारें और दूसरों की भी मदद करें। यह न सोचें कि हमारे पास देने के लिए
कुछ भी नहीं है और सकारात्मक भाव से सदैव लोगों की मदद करें ।
योग और जिम ज्वाइन करें - सिर्फ बॉडी को फिट रखने के लिए ही नहीं, बल्कि कॉन्फिडेंस बूस्ट-अप में भी योग
और एक्सरसाइज़ काफी लाभदायक होती है। वाक, योगासन, प्राणायाम
और एक्सरसाइज करने से शरीर एवं मस्तिष्क में कई अच्छे हार्मोन और केमिकल रिलीज़
होते हैं,
जिसके कारण हमारा कॉन्फिडेंस बूस्ट होता है। इसके अलावा जिम जाने और अपनी फिटनेस
पर काफी ध्यान देना भी आत्मविश्वास बढ़ाने का एक तरीका है। जिम जाकर वर्कआउट करने
से शरीर एक्टिव रहता है और सुस्ती नहीं आती है जिससे कॉन्फिडेंट काफी हद तक बढ़ता
है।
पॉज़िटिव सोचें - कहा जाता है कि सकारात्मक सोच जीवन के हर समस्या को सुलझा देती है।
इससे कॉन्फिडेंस बूस्ट होता है और व्यक्ति को निराशा नहीं होती है और वह हर
सिचुएशन से खुद को निकाल लेता है। इसलिए चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा पॉजीटिव सोचें और पॉजीटिव बोलें। ऐसा
करने से निगेटिव एनर्जी शरीर से बाहर निकल जाती है और व्यक्ति के विचारों और नज़रिए
में बदलाव आता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। पॉजीटिव थिंकिग आत्मविश्वास को बढ़ाने
का एक बेहतर तरीका है।
पहले खुद को जानें - जब हमें लगे कि हमारा आत्मविश्वास कमज़ोर पड़
रहा है, तो
एकांत में बैठें और चिंतन मनन करें और अपने आप को जानें। जब तक हम अपने आप को नहीं
जानेंगे, तब
तक हम अपना आत्मविश्वास नहीं बढ़ा पाएंगे। एक डायरी पर अपने विचारों को लिखें और
उन सभी चीजों को लिखें, जिनके कारण हम जीवन में पिछड़ रहे हैं, उन कारणों को भी लिखें जिसकी वजह से हमारा
आत्मविश्वास कमज़ोर हो गया है। हमें क्या अच्छा लगता है, क्या बुरा लगता है, लोगों की कौन सी बातों को हम सहन नहीं कर पाते
हैं और कौन सी बातें अच्छी लगती हैं। पहले कारण जानें और फिर उसी के अनुसार अपने
को बदलने और मज़बूत बनने की कोशिश करें। ऐसा करने से हमारा आत्मविश्वास ज़रूर
बढ़ेगा।
अच्छे कपड़े पहनें - कॉन्फिडेंस सिर्फ अच्छा सोचने से ही नहीं बढ़ता
है,
बल्कि अच्छा पहनने और सजने संवरने से भी बढ़ता है। जब हमें निराशा महसूस हो और लगे
कि आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ रहा है, तो अपनी पसंदीदा ड्रेस पहनें और सज-संवरकर घर से बाहर घूमने निकल
जाएं। संभव हो तो दोस्तों के साथ खाना खाने जाएं या मूवी और पार्क में जाएं । कभी-कभी अनजबी लोगों
से बातचीत करना भी लाभदायक होता है।
अपनी पर्सनालिटी सुधारें – कभी कभी हम अपनी कुछ कमियों के कारण कम्पटिशन
से बाहर हो जाते हैं और हमारा कॉन्फिडेंस कमजोर हो जाता है। आत्मविश्वास बढ़ाने के
लिए अपनी पर्सनालिटी से जुड़ी चीज़ों को भी सुधारना बेहद ज़रूरी है। इसलिए अपने
कपड़े पहनने का तरीका, उठने बैठने, खड़ा रहने और बोलने के तरीके को बेहतर बनाएं।
सॉफ्ट स्पोकन बनें और कम शब्दों में ज़्यादा बातों को कहें। टू द प्वाइंट बात करें
और हमेशा आई कॉन्टैक्ट बनाकर बातें करें। नजरें झुकाकर बात करना आत्मविश्वास में
कमी को दर्शाता है इसलिए अपनी पर्सनालिटी को सुधारकर अपना कॉन्फिडेंस बूस्ट करें।
चेहरे पर हमेशा स्माइल रखें - मुस्कराता हुआ चेहरा हर किसी को अच्छा
लगता है और निराशा को दूर रखता है। अगर हम अपना आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते हैं, तो दिल खोलकर हंसे और चेहरे पर हमेशा
स्माइल रखें। इस हैबिट से हम अपने खराब समय में भी धैर्य बनाए रखेंगे और हमारा
आत्मविश्वास कभी डगमगाएगा नहीं।
नॉलेज बढ़ाएं – ज्ञान प्राप्ति की कोई उम्र
या कोई सीमा नहीं होती । देश दुनिया के लेखकों की किताबें पढ़ें, हर एक मुद्दे से अपडेट रहें ताकि हम किसी भी
विषय पर बोल सकें, अपने विचार रख सकें और लोगों से डिबेट
कर सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीका
है। हम चाहे जैसे भी दिखते हों, हमारी
बॉडी चाहे जैसी भी हो, लेकिन अगर हमारे पास चीजों के बारे में बेहतर ज्ञान है तो हम उसके
दम पर पूरी दुनिया जीत सकते हैं। यह न सिर्फ हमारी इमेज को सुधारेगा, बल्कि हमारे आत्मविश्वास को भी
बढ़ाएगा।
छोटी छोटी चीजों को सुधारें - हमेशा याद रखें कि कॉन्फिडेंस एक दिन
में नहीं बढ़ता है बल्कि इसके लिए रोज़ाना, हर समय मेहनत करनी पड़ती है। अपना आत्मविश्वास
बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे टारगेट बनाएं और उसे निर्धारित समय के अंदर ही पूरा करने
की कोशिश करें। जैसे सबसे पहले ऑफिस का कोई छोटा प्रोजेक्ट पूरा करें और फिर उससे
जब आत्मविश्वास बढ़े, तो बड़े प्रोजेक्ट पर हाथ लगाएं। इस तरह से पूरा मन लगाकर काम करें
और एक समय ऐसा आएगा जब हमें पता ही नहीं चलेगा कि कब हम अपने आत्मविश्वास के बल पर
पूरी दुनिया जीतने के लिए तैयार हो चुके हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं
। यथा-
अपने मनोबल को इतना सशक्त कर,कठिनाई भी आने से न जाए डर।
आत्मविश्वास रहे तेरा हमसफर,बड़े-बड़े कष्ट न डाल पाएं
कोई असर।।
हौसला अपना बुलंद कर लो,साहस व हिम्मत को संग कर लो।
निर्भय होकर आत्मविश्वास से बढ़ो, संयम व धैर्य से सफलता की सीढ़ी चढ़ो।
मीता गुप्ता
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