Monday, 7 February 2022

वर्क फ्रॉम होम

 

वर्क फ्रॉम होम



कोरोना वायरस ने हमारे जीवन की दिशा और दशा, दोनों को बदलने का काम किया है। आज ज़िंदगी एक न्यू नॉर्मल दौर से गुज़र रही है। ऐसे में तैयार होकर दफ़्तर जाना भी अपना रूप बदल रहा है और दफ़्तर अब घर में आ पहुंचा है यानी घर से ही दफ़्तर का सारा काम पूरा हो रहा है। सुबह ऑफ़िस के समय पर लॉग-इन करके सारे दिन आभासी मंच पर मीटिंग्स, इंटरव्यू, प्रेज़ेंटेशंस, डिस्कशंस और जाने क्या-क्या, जो पहले ऑफ़िस जाकर संभव था, अब घर से ही हो रहा है।वर्तमान परिस्थितियों में कई कंपनियों ने अपने स्टाफ़ की सेफ़्टी को देखते हुए वर्क फ्रॉम होम को परमानेंट ऑप्शन बना दिया है। इससे बदलाव का लोगों के जीवन पर तात्कालिक और दूरगामी, दोनों प्रकार के प्रभाव देखने को मिलने लगे हैं। आइए, पहले चर्चा करते हैं कि कैसे वर्क फ़्रॉम होम ने हमारे जीवन को सहज और सुखद बनाया है-

1. समय में फ़्लेक्सिबिलिटी- आप किसी भी समय काम के बीच ब्रेक ले सकते हैं, जब चाहे आप किसी भी समय खाना खा सकते हैं, अपने अन्य कामों को बीच में निपटा सकते हैं और परिवार तो आपके साथ ही है उनके साथ बात करते हुए अपने ऑफ़िस का काम कर सकते हैं।

2.आरामदायक कपड़े- ऑफ़िस जाते समय आपको एक प्रोफेशनल तरीके से तैयार होकर जाना पड़ता था, लेकिन वर्क फ्रॉम होम में आप आरामदायक कपड़ों में काम कर सकते हैं। ड्रेस-कोड का कोई झंझट ही नहीं।

3.घर में रहकर चिट-चैट करें- ऑफ़िस गॉसिप करने के लिए ऑफ़िस में रहकर आपको एक जगह देखनी पड़ती थी, जहां आप और आपके को-वर्कर्स बात कर सकें, लेकिन घर में रहकर आप आराम से उनके साथ फोन पर या वीडियो के कॉल के ज़रिए बात कर सकते हैं, (हां वो बात अलग है कि आपके घर में बच्चे या पेट्स होंगे तो आपका बात करना मुश्किल हो सकता है)

4.वीकेंड्स के काम बीच में ही निपटाए जा सकते हैं - ऑफ़िस में जब आप काम करते थे तो यही सोचते थे कि "अरे! एक ही दिन का ऑफ़ है, इसमें कितने-कितने काम हो पाएंगे" लेकिन अब वर्क फ्रॉम होम करते समय आप सभी काम निपटा सकते हैं।

5.ऑफ़िस का डिस्ट्रैक्शन नहीं- ऑफ़िस में रहकर क्या आपके साथ में बैठा साथी आपको काम नहीं करने देता था? ऑफ़िस में AC की समस्या आपको कही इस जगह कभी उस जगह पर जाने पर मजबूर करती थी? वर्क फ़्रॉम होम में आपको इन दिक्कतों से आपको छुटकारा मिल चुका है।

6.पैसों की बचत-अगर आप अपने शहर से कहीं बाहर काम कर रहे हैं, तो वहां रहने का खर्चा, खाने का खर्चा और जो अपने शहर में भी रहकर काम कर रहे हैं, उनके किराए का खर्चा बड़ी सहजता से बच रहा है।

7.ट्रैफिक और शोर से दूर- ऑफ़िस जाते समय रोज़ ट्रैफिक की चिक- चिक, शोर-शराबे में रहना, मेट्रो में भाग-दौड़, इन सब चीज़ों से आए दिन आप उलझते रहते होंगे। लेकिन वर्क फ्रॉम होम के चलते जिस चीज़ से आपको सबसे ज़्यादा आराम मिला है, वो यही है।

8.अपनों के साथ रहना- ऑफ़िस में काम करते समय आपके घर वाले आपको 'गेस्ट' बोलते होंगे, क्योंकि आप सुबह गए, शाम को आए और फिर सुबह काम के लिए निकल लिए, लेकिन अब आप वर्क फ्रॉम होम करते समय परिवार के साथ ज़्यादा समय बिता सकते हैं।आजकल बच्चे भी घर पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं। यदि माता-पिता दोनों वर्क फ़्रॉम होम कर रहे हैं, तो अब वे घर पर रहकर अपने बच्चों की गतिविधियों पर नज़र भी रख सकते हैं।

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं,जहां वर्क फ़्रॉम होम के फ़ायदे हैं, वहीं इसके कई नुकसान भी दिखाई दे रहे हैं,जो चिंता का विषय बन रहा है-

1.स्वास्थ्य पर कुप्रभाव- लंबे समय तक टेक्नोलॉजी के ज़रिए घर से काम कर रहे लोगों का शारीरिक और मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है।लगातार एक ही जगह बैठकर कार्य करते रहने और फिजिकल एक्टीविटीज कम होने से मोटापा प्रोफेशनल्स की एक बड़ी समस्या बन चुका है, जिसके चलते वे तमाम तरह की दूसरी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। काम का प्रेशर होने के चलते लोग बेड पर ही खाना खाकर घंटों वहीं बैठे रहते हैं, जिससे मोटापा बढ़ता है।

2.परिवारिक विवाद और डोमैस्टिक वायलेंस का कारण- युवाओं के लिए लंबे समय तक घर से काम करना काफ़ी टफ़ साबित हो रहा है। पहले जहां कुछ घंटे निर्धारित होते थे, लेकिन अब वे लगातार काम करते रहते हैं। ऐसे में वे न सिर्फ उनकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है बल्कि परिवार में आपसी तनाव भी बढ़ रहा है।विश्व के कोने-कोने से पारिवारिक हिंसा की खबरें भी सुनाई पड़ रही हैं।

​3.वर्किंग आवर्स का बढ़ना- पहले दफ्तर में काम करने वाले तमाम क्षेत्रों के प्रोफेशनल्स रेगुलर बेसिस पर हर दिन तकरीबन छह घंटे डिजिटल स्क्रीन पर काम करते थे लेकिन अब ये ड्यूरेशन लगभग दोगुनी हो गई है। हालांकि, सभी पेशेवर ऑफ़िस द्वारा लगातार बढ़ाए जा रहे कार्य को महामारी के कठिन वक्त में भी सामान्य तरीके से कर रहे हैं, लेकिन उनकी सेहत पर इसका उल्टा असर पड़ रहा है। वहीं घंटों काम करने के चलते वे परिवार को भी टाइम नहीं दे पाते जिसकी वजह से अलग तनाव पैदा होता है।

4. स्क्रीन-टाइम का बढ़ना- लंबे समय तक कंप्यूटर की स्क्रीन देखते के चलते युवाओं को आंखों में चुभन के अतिरिक्त और भी तमाम दृष्टि संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा सिरदर्द, थकान, तनाव, चिंता और यहां तक कि स्लीपिंग पैटर्न यानी सोने का समय भी गड़बड़ा गया है। मौजूदा दौर में लैपटॉप और कंप्यूटर एक प्राइमरी टूल बन गए हैं जिन्हें आप चाहकर भी अवॉइड नहीं कर पाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इस तरह के गैजेट्स का लंबे समय तक प्रयोग करना सेहत के लिए ठीक नहीं है। इन डिजिटल उपकरण के घंटों इस्तेमाल के चलते तमाम प्रोफेशनल्स बर्नआउट यानी थकान और तनाव  के शिकार हो रहे हैं।

5. बेड पर बैठकर काम करने की आदत- वर्क फ्रॉम होम में अक्सर देखा गया है कि ज़्यादातर लोग बेड पर बैठकर ही ऑफ़िस का काम करते हैं। उन्हें ये नहीं पता है कि वे अपना बड़ा नुकसान भी कर सकते हैं। इससे गर्दन और कमर का दर्द हो सकता है। अत्यधिक कंफर्ट ज़ोन में होने के कारण आपके काम पर गहरा असर पड़ता है। दरअसल, बेड पर काम करने की वजह से लोग बीच-बीच में आराम करने लगते हैं। दिमाग अलर्ट नहीं रहता और ऐसे काम पर असर पड़ता है। काम में देरी के रिजल्ट भी सही नहीं आते। कहा जाता है कि बेड पर काम करने से एनर्जी भी लो हो जाती है।

6. इच्छा-शक्ति का समाप्त होना- घर को देखकर तो हमारा सोने का या आराम करने का मन करता ही है और अब तो हम वर्क फॉर्म होम कर रहे हैं, ऐसे में काम करते समय हमेशा आंखों में नींद रहती है और आलस रहता है। इसकी वजह से घर में रहकर कुछ करने की इच्छा खत्म हो रही है।

6.रूटीन के साथ रहने में दिक्कत- ऑफ़िस में नौ घंटे काम करने की आदत घर में रहकर खत्म हो रही है। घर में रहकर आप 9 घंटे देने के बजाए 13 घंटे या 24 घंटे दे रहे हैं, जो कि आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है।

7.बाहर से खाना मंगवाना- आप सोच रहे हैं कि आप पैसे बचा रहे हैं, लेकिन आप ऐसा गलत सोच रहे हैं। वो इसलिए क्योंकि घर में रहकर आप अपने ऑफ़िस के काम में इतना विलीन हैं कि खाना बनाने का आपके समय ही नहीं हैं तो ऐसे में आपको ऑनलाइन फ़ूड आर्डर का ही ध्यान आता है, सेहत के लिए बहुत हानिकारक है।

8.एक नींद लेना- खाना खाने के बाद तो ऑफ़िस में भी काम नहीं होता, यहां तो आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं , जहां खाना खाया और बिस्तर पर सोने का मन बनाना शुरू। ऐसे में आपको खाना खाने के बाद एक एक नींद लेने की आदत पड़ रही है, जो कि आने वाले ऑफ़िस रूटीन के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

9.बोरियत महसूस होना -ऑफ़िस में रहकर आप अपने साथी के साथ में चाय पीने जाते थे, क्रिकेट मैच की बातें करते थे, ऐसी कुछ चीजें वर्क फ्रॉम होम में रहकर आपसे दूर हो रही हैं। ऐसे में आप अब अकेले-अकेले अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

10.काम की रफ़्तार में कमी- ऑफ़िस में पहुंचते ही काम करने का जूनून ही अलग होता था, लेकिन घर में रहकर आप 5 मिनट काम करते हैं, तो एक घंटा टहलने या नेटफ्लिक्स का एपिसोड देखने में बिता देते हैं।

इस तरह हम देखते हैं कि वर्क फ़्रॉम होम हमारे जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों प्रभाव डाल रहा है। आज ज़रूरत इस बात को समझने की है कि भले ही आप घर पर रहकर ऑफ़िस का काम कर रहे हैं, तो भी कुछ नियमों का पालन अति आवश्यक है, जैसे- ऑफ़िस और घर के कामों के लिए अलग-अलग समय बनाना, सुबह नहा-धो कर तैयार होकर लॉग-इन करना, अपना स्क्रीन टाइम व्यवस्थित रखना, फ़िज़िकल एक्टिविटीज़ में इंवाल्व रहना आदि-आदि। निश्चित तौर पर ऐसी कुछ टिप्स को अपनाकर हम वर्क फ़्रॉम होम को बेहतर ढंग से कर पाएंगे और इससे होने वाले नुकसान को भी कम कर पाएंगे। 

 

 

मीता गुप्ता

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