Tuesday, 1 March 2022

आज मेरी देह की होली जला दो !

 

आज मेरी देह की होली जला दो !









घिर गया जब घोर अँधियारा गगन में
घुट रहे हैं प्राण सदियों से जलन में
विश्व ज्योतिर्मय करो भावी मनुज, लो —
आज मेरी देह की होली जला दो !

ज्वाल की लपटें समा लें अश्रु-सागर,
हो अशिव सब भस्म जग का मौन कातर,
मात्र उसको हर असुन्दर कण बता दो !
आज मेरी देह की होली जला दो !

ज्वाल होगी जो प्रलय तक साथ देगी
सूर्य-सी जल भू-गगन रौशन करेगी,
इसलिए, तम से घिरे हो, ज्योति जला दो !
आज मेरी देह की होली जला दो !

यह जलेगी भव्य शोभा संचिता हो,
घेर लेना विश्व तुम मेरी चिता को,
देखकर बलिदान की धारा बहा दो !
आज मेरी देह की होली जला दो !

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