उड़ चलें असीम आसमान चीरते
ज़िंदगी ने एक
दिन कहा कि तुम उठो,
तुम उठो, तुम उठो
तुम उठो, उठो कि उठ पड़ें असंख्य हाथ
असंख्य हाथ देने
तुम्हारा साथ,
मुस्करा उठे
क्षितिज पे भोर की किरन
और फिर,
प्यार के गीत गा
उठें सभी
उड़ चलें असीम
आसमान चीरते।
उड़ चलें असीम आसमान
चीरते।।
ज़िंदगी ने एक
दिन कहा कि तुम रचो,
तुम रचो, तुम रचो
तुम रचो हवा, पहाड़, रौशनी नई
ज़िंदगी नयी, महान आत्मा नई
सांस-सांस भर
उठे अमिट सुगंध से
और फिर,
प्यार के गीत गा
उठें सभी
उड़ चलें असीम
आसमान चीरते।
उड़ चलें असीम
आसमान चीरते।।
ज़िंदगी ने एक
दिन कहा कि तुम चलो,
तुम चलो, तुम चलो,
तुम चलो कि चल
पड़ें असंख्य पैर साथ
लिए जीत की अटल
साध,
सांस-सांस जी
उठे निर्बाध चाल से,
और फिर,
वही चलन मन से
अपना लें सभी,
उड़ चलें असीम
आसमान चीरते।
उड़ चलें असीम
आसमान चीरते।।
ज़िंदगी ने एक
दिन कहा कि तुम गढ़ो,
तुम गढ़ो, तुम गढ़ो,
तुम गढ़ो कि नए
प्रासाद, नई इमारतें,
नई कल्पनाओं की
नई इबारतें,
कण-कण जी उठे
धूल-धूसर का,
और फिर,
नया जहान, नया विहान अपना लें सभी,
उड़ चलें असीम
आसमान चीरते।
उड़ चलें असीम
आसमान चीरते।।
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