हंसी का रंग हरा होता है
जहां-जहां भी हरापन है
तेरे ही खिलखिलाने की अनुगूंज है
वहाँ-वहाँ
लबों पर यूंही सी हंसी भेज दे
मुझे मेरी पहली ख़ुशी भेज दे।
व्यक्ति का हंसमुख स्वभाव लंबी उम्र का उत्तम
साधन है। हमारे वैज्ञानिक,
मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं कि हंसने से
मनुष्य रोगों से दूर रहता है और तनाव से भी बचता है। स्वास्थ्य तो अच्छा रहता ही
है। अधिक हंसने वाले व्यक्ति दीर्घायु होते हैं। हाल ही में एक सर्वे कराया गया
जिसमें देखा गया कि जो लोग जी खोलकर खूब हंसते हैं, उनकी आयु ज़्यादा होती है, अपेक्षाकृत कम हंसने वालों से। इसीलिए कहा जाता
है कि हंसना अपने आपमें एक संपूर्ण व्यायाम है जिसमें मनुष्य के शरीर की सभी नसें
खुलती हैं और शरीर में ताज़गी उत्पन्न होती है। खुलकर हंसने से फेफड़े गले और मुंह
की अच्छी कसरत होती है। हंसने से रक्त संचार की गति तेज हो जाती है, जिससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है
और इस तरह से मनुष्य के चेहरे में एक प्रकार की चमक पैदा हो जाती है। जो मनुष्य
जितना अधिक हंसता है उसका चेहरा उतना ही दमकता है। यह भी जानना चाहिए कि शरीर में
जितनी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का अवशोषण होता है उतनी ही अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती
है। इस तरह से मनुष्य स्वस्थ व रोगमुक्त रह सकता है।
वो खनकती हंसी बहुत दिनों बाद सुन
सका था मैं।।।।!
इक हंसी जिसमें रहती थी खनखनाहट,
वो सिर्फ हंसी नहीं एहसास की खनक सी
थी वो,
कई दिनों से कहीं गुम और चुप सी थी
वो,
दबी हुई थी वो खनक न जाने किन दिशाओं
में,
आज मुस्कुराहटों के साथ उभरी है फिर
उन लबों पे।
मनुष्य के जीवन में हंसना उपचारक एवं पोषक तत्व
का कार्य करता है। हंसना जीवन का रस है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक हंसने से
लिंफोसाइट्स अधिक क्रियाशील हो जाते हैं, जिससे
प्राकृतिक कोशिकाओं के निर्माण में वृद्धि होती है। इस तरह से हंसने व हंसाने से
भयानक रोगों से भी बचत बनी रहती है। साथ-साथ हंसने से मनुष्य के शरीर में
जैव-रासायनिक संरचना में भी परिवर्तन होता रहता है। इससे यह सिद्ध होता है कि
हंसने से शरीर में जो हार्मोन्स उत्सर्जित होते हैं वे लाभदायक, गुणकारी होते हैं। इस तरह से हंसना रोग मुक्ति, अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक व
पर्याय है। दूसरे शब्दों में कहें तो हंसना केवल नीरोगी होने के लिए ही महत्वपूर्ण
नहीं है, बल्कि बुढ़ापे से बचने के लिए बहुत ही
उपयोगी है।
जाने माने मनोवैज्ञानिक और शौकिया कॉमेडियन
प्रोफ़ेसर सोफ़ी स्कॉट हंसी के बारे में दस बातें बताते हैं।मुमकिन है कि ये बातें
आपको पता न होंगी।वे कहते हैं,चूहे चंचल होते हैं, क्या आप ने चूहों को हंसते हुए देखा है।
वे चुटकुलों पर नहीं हंसते हैं। वे जब खेलते हैं, तभी हंसते हैं। हम भी कुछ कुछ ऐसा ही करते हैं। हमारी हंसी बताती है
कि हम खुश हैं। हंसने का मतलब चुटकुला नहीं, किसी से पूछिए कि वे किस बात पर हंसते हैं। ज़्यादातर कहेंगे कि
चुटकुलों पर। लेकिन ऐसा है नहीं। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड के मनोवैज्ञानिक
रॉबर्ट प्रोविन कहते हैं कि हम दोस्तों से बातें करते वक्त सबसे ज़्यादा हंसते हैं। किसी बातचीत में हम चुटकुलों पर नहीं हंसते
हैं, हम उनकी बातों पर हंसते हैं। हमारा हंसना
कोई प्रतिक्रिया देना नहीं होता है, बल्कि यह तो एक तरह का संवाद है। बनावटी हंसी
और असली मुस्कराहट के बीच का फ़ासला होता है। यह भी सच है कि हंसी फैलती है। यहां तक कि जब कोई किसी बेवजह की बात
पर भी हंसता है तो इसमें उसका दिमाग़ भी सक्रिय हो जाता है। कॉमेडी क्लब में कॉमेडियन अक्सर
दर्शकों के एनर्जी लेवल से अपना तारतम्य बनाते हैं।हंसने से रिश्ते मजबूत होते है। हंसी वो भावना है जिसका इस्तेमाल हम
अपने क़रीबी लोगों को ख़ुश रखने के लिए करते हैं। हंसी को बस एक लम्हे की ज़रूरत होती है। किसी की बातचीत में आपने देखा होगा कि
लोग अक्सर अपनी बात खत्म करने के लिए हंसी का सहारा लेते हैं। इशारों में बात कर रहे लोग भी इसका
सहारा लेते हैं। ये जानते हुए भी कि वे अगर चाहें, तो पूरी बातचीत में ख़ामोशी के साथ मुस्कराते
हुए रह सकते हैं।
कुछ चीज़ों पर हम हंसते ही हैं। हंसी हमारे मन की स्थिति से सीधे जुड़ी
होती है। हंसी एक हास्य स्थिति, एक
सुखद क्षण या मज़ाक के लिए तत्काल प्रतिक्रिया है। परंतु यह इससे अधिक है। यह हमारे
शरीर की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, जो हमें हमारे भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभ
पहुंचाती है।
शरीर के विकास के दौरान, मुस्कान स्वीकृति, संतुष्टि और सुरक्षा का एक संचार संकेत बन जाती
है। और एक बार जब हमारा शरीर पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तो मुस्कान शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के
लिए उन सभी अच्छी भावनाओं और लाभों को जागृत करती है। हंसना हमें एक अतुलनीय फ्रेम
में रखता है, खुश, सकारात्मक और मुक्त।
इस कारण से, हंसी
उपचार धीरे-धीरे लागू किया गया है। सबसे अच्छा ज्ञात है हंसी चिकित्सा।
हंसी चिकित्सा एक हालिया तकनीक नहीं है, जो कि पुराने समय से है, एक चिकित्सीय हथियार के रूप में
हंसी।उदाहरण के लिए, चीन में स्वास्थ्य को संतुलित करने के
लिए हंसने के स्थानों के रूप में मंदिरों का उपयोग किया जाता था।
अन्य संस्कृतियों में, "पवित्र विदूषक" के रूप में जाना जाता है, एक जादूगर जो हंसी के माध्यम से घायल और बीमार
योद्धाओं को चंगा करता था। नॉर्मन कजिन्स, जो
न्यूयॉर्क के एक प्रमुख पत्रकार थे, जो
रीढ़ की बीमारी से सीधे प्रभावित थे। दर्द को कम करने में सक्षम किसी भी ऑपरेशन के
बिना, डॉक्टरों ने अपने मरीज को गंभीर अवसाद
में गिरने से रोकने के लिए हंसी का सहारा लेना चुना। परिणामों ने खुद के लिए बात
की, उन्होंने पाया कि दिन में सिर्फ दस
मिनट की हंसी के साथ, वे कम से कम दो घंटे के लिए दर्द के बारे
में भूल गए।आज, हम पाते हैं कई हंसी चिकित्सा क्लीनिक
यह हंसी के साथ गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। एक गहरी और सच्ची हंसी
हमारे दिल को टोन करती है,
लगभग 400 मांसपेशियों को सक्रिय करती है, रक्त
वाहिकाओं को पतला करती है,
सांस लेने में सुधार करती है, पाचन को आसान करती है और भावनात्मक बंधनों को
भी मज़बूत करती है।
हंसी चिकित्सा का अभ्यास समूहों में किया जाता
है, पहले आमतौर पर कोई वास्तविक हंसी नहीं
होती है, लेकिन जैसा कि सर्वविदित है, हंसी संक्रामक है और जल्द ही वास्तविक हो जाती
है। अभ्यास के दौरान हंसी की सभी अवधारणाएँ, प्रकार, इसे भड़काने के लिए अभ्यास और विश्राम तकनीक
शामिल हैं। प्रतिभागियों में सकारात्मकता बढ़ाता है। एक अच्छी हंसी पाने के लिए
आपको शरीर के विभिन्न हिस्सों के साथ हंसने के लिए शरीर की अभिव्यक्ति, नृत्य, श्वास
अभ्यास, खेल और तकनीकों के साथ काम करना होगा।
बच्चे वयस्कों की तुलना में बहुत अधिक हंसते
हैं, एक बच्चा एक वयस्क की तुलना में दिन
में 300 बार हंसता है जो 20 बार हंसता है। चाहे थेरेपी के साथ या बिना थेरेपी के, आपको हर दिन हंसना होगा। लाभ असंख्य हैं।
प्रत्येक व्यक्ति एक अलग तरीके से है, लेकिन
समय-समय पर एक हंसी एक सबसे अच्छी संवेदना है और आज के समय की ज़रूरत भी ।
हंसी एक प्रार्थना है,
जिसे दोहराव की जरूरत नहीं,
आलाप से लेकर स्थाई तक पहुंचने के
लिए,
सम्मिलित स्वरों की ज़रूरत होती है।
मीता
गुप्ता
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