परीक्षा के समय तनाव का दानव
बच्चे
हंसते-खेलते ही अच्छे लगते हैं, लेकिन जैसे-जैसे
परीक्षा नजदीक आने लगती है, उनके चेहरे पर तनाव दिखने लगता
है। आइए, सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों को परीक्षा के समय
तनाव क्यों होता है? परीक्षा के दिन नज़दीक आते ही बच्चों को माइल्ड
और हाई, ये दो प्रकार के तनाव हो सकते है। रिसर्च के अनुसार,
माइल्ड तनाव से बच्चा परीक्षा के लिए अच्छे से तैयारी करने के लिए
प्रेरित होता है। वहीं, हाई तनाव होने पर चिंता और अवसाद की
समस्या हो सकती है। इससे परीक्षा की तैयारी ठीक तरह से नहीं हो पाती।आइए, इसके कारणों को जानने का प्रयास करते हैं-
खुद
से अपेक्षा– बच्चे को खुद से ज़्यादा अपेक्षा
होने लगे, तो परीक्षा का तनाव हो सकता है। वो हर विषय में अच्छा
प्रदर्शन करने की चाह में अपना ज़्यादा-से-ज़्यादा समय पढ़ाई में देते हैं। इसके चलते
ठीक से सोना, खाना और शारीरिक गतिविधि करना कम हो जाता है।
ऐसे में तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है।
पढ़ाई
का भार – साल भर की पढ़ाई के बाद परीक्षा के समय पूरी
किताब को फिर से पढ़ना होता है। इस समय बच्चे के ऊपर हर एक चेप्टर कवर करने का भार
होता है, क्योंकि वे सोचते हैं कि अगर कोई भी टॉपिक छूट गया,
तो उससे आने वाले सवाल का वो जवाब नहीं दे पाएंगे। इसी के चलते तनाव
बढ़ता जाता है।
माता-पिता
की अपेक्षाएं– माता-पिता को अपने बच्चों से
परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने की अपेक्षा होती है। इसी अपेक्षा को पूरा न कर
पाने का डर बच्चों में तनाव पैदा कर सकता है।
ठीक
से तैयारी न कर पाना– कुछ चेप्टर ऐसे होते हैं, जिन्हें कितना भी पढ़ लिया जाए, वो सही से समझ नहीं
आता। इसके चलते भी बच्चों को तनाव हो सकता है। वहीं, कई बार
किसी अन्य कारण के चलते बच्चों से कुछ जरूरी टॉपिक छूट जाते हैं। ऐसे में
आधी-अधूरी परीक्षा की तैयारी उन्हें एग्ज़ाम स्ट्रेस दे सकती है।
कम
मार्क्स आने का डर – परीक्षा देने से पहले ही कुछ
बच्चों के मन में यह डर उत्पन्न हो जाता है कि परीक्षा में उन्हें अच्छे मार्क्स
नहीं मिलेंगे। यह डर धीरे-धीरे तनाव में बदल सकता है।
एक्सट्रा
ट्यूशन– परीक्षा की तैयारी के लिए लगाए गए एक्सट्रा
ट्यूशन से भी छात्रों का तनाव स्तर बढ़ सकता है। दरअसल, कुछ बच्चे विज्ञान और गणित जैसे विषय के लिए ट्यूशन जाते हैं। ट्यूशन जाने
से इन विषयों की तैयारी तो हो जाती है, लेकिन इससे उनके
दिमाग में डर व दबाव भी पड़ने लगता है। आगे चलकर यही दबाव और डर तनाव पैदा कर सकते
हैं।
दूसरे
विद्यार्थियों से कॉम्पिटिशन– स्कूल में
बच्चे एक दूसरे से कॉम्पिटिशन करते हैं। एग्ज़ाम के दौरान यह परीक्षा में मिलने
वाले मार्क्स का कॉम्पिटिशन बन जाता है। इस दौरान बच्चे खुद को दूसरों से बेहतर
साबित करने के लिए अच्छे मार्क्स लाने की सोचते हैं। इसी सोच से एग्ज़ाम स्ट्रेस
पैदा हो सकता है।
फ़ेल
होने और शर्मिंदगी का डर– कुछ बच्चों को परीक्षा के दौरान फ़ेल
होने के डर से, तो कुछ को कम मार्क्स लाने के
बाद होने वाली शर्मिंदगी के डर से तनाव हो सकता है। दरअसल, परीक्षा
होने से पहले ही कुछ बच्चों को फ़ेल होने का डर सताने लगता है। साथ ही कुछ बच्चों
को लगता है कि उनके कम मार्क्स आए, तो स्कूल के बच्चे और
आस-पड़ोस के लोग उसका मजाक उड़ाएंगे। इस शर्मिंदगी के डर से भी एग्ज़ाम स्ट्रेस
होने लगता है।
बच्चों
में एग्ज़ाम स्ट्रेस के लक्षण
अगर किसी बच्चे
को परीक्षा के दौरान तनाव होता है, तो उनमें कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों को पेरेंट्स ध्यान में
रखकर तनाव कम करने के तरीके अपना सकते हैं। ये लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं, जैसे बच्चे का चिंतित नज़र आना,दिल की धड़कनों का
तेज होना, बच्चे का डरा-डरा सा रहना, उदास
होना, बच्चे के सिर में दर्द होना, थका
हुआ नज़र आना, पेट में दर्द होना।बहुत ज़्यादा पसीना आना आदि।
परीक्षा
के समय होने वाले बच्चों के तनाव को अभिभावक कैसे दूर करें?
बच्चों के तनाव
को दूर करने के लिए माता-पिता को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। एग्ज़ाम
सीजन में बच्चे का स्ट्रेस मैनेज करने के कुछ टिप्स-
पर्याप्त
नींद-परीक्षा के दौरान बच्चे के तनाव को कम
करने का एक अच्छा उपाय पर्याप्त नींद लेना है। एक वैज्ञानिक अध्ययन की मानें, तो एग्ज़ाम के दिनों में तनाव के कारण नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है,
जिससे तनाव हो सकता है (6)। वहीं, पर्याप्त नींद लेने पर तनाव का स्तर कम हो सकता है। ऐसे में परीक्षा के
समय पर्याप्त नींद लेने से तनाव से बचा जा सकता है।
खेलने
का समय-तनाव को कम करने का सबसे अच्छा तरीका
शारीरिक गतिविधि करना है। इस समय बच्चे को पढ़ाई के साथ ही कुछ देर बाहर खेलने जाने
भी दें। इससे सही तरह से शारीरिक गतिविधि होगी और मूड बेहतर हो सकता है, जो परीक्षा के तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
पढ़ाई
करने के लिए दबाव न डालें-परीक्षा के
दिनों में बच्चों का तनाव में आने का एक कारण उनपर पढ़ाई करने का दबाव डालना भी है।
इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है और वो परीक्षा में अच्छी
तरह लिखने में असमर्थ हो सकते हैं। ऐसे में एग्ज़ाम के समय तनाव को कम करना है, तो बच्चों पर पढ़ाई करने के लिए ज़्यादा दबाव न डालें।
पढ़ाई
के समय बीच में ब्रेक- किसी भी काम को लगातार लंबे समय तक
करने पर व्यक्ति को तनाव हो सकता है। उसी तरह बच्चे को लगातार पढ़ाई करते रहने के
लिए कहेंगे, तो इससे उनके तनाव का स्तर बढ़
सकता है। परीक्षा के समय तनाव न हो, इसलिए उन्हें कुछ मिनट
का ब्रेक लेकर पढ़ने की सलाह दें ।
स्वस्थ
आहार -बच्चों के तनाव को कम करने में हेल्दी फूड भी मदद
कर सकते हैं। दरअसल, स्वस्थ आहार शरीर और
दिमाग को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करते हैं। इससे तनाव की समस्या भी कम हो सकती
है (8)। ऐसे में परीक्षा के समय बच्चों को स्वस्थ आहार ही
दें और जंक फूड से दूर रखें।
खुल
के बात करना-परीक्षा
के समय बच्चे का माता-पिता से खुलकर बात न करना भी उनके तनाव को बढ़ाने का कारण बन
सकता है। ऐसे में बच्चों के तनाव को कम करने के लिए माता-पिता को बच्चे से खुलकर
बात करनी चाहिए। खुद से बच्चे के पास बैठकर उससे बातें करना शुरू कर सकते हैं। साथ
ही अगर बच्चा बीते एग्ज़ाम में अच्छे से नहीं लिख पाया हो, तो उसे चिंता न करने की सलाह देते हुए आने वाली परीक्षा पर ध्यान देने के
लिए प्रेरित करें।
पढ़ाई में मदद-एग्ज़ाम के दिनों में बच्चों के तनाव को कम करने के लिए पढ़ाई में उनकी
मदद कर सकते हैं। अगर किसी विषय में आप अच्छे हैं, तो बच्चों को उस विषय से जुड़े कुछ कठिन टॉपिक समझा सकते हैं। साथ ही पेपर
में किस तरह से लिखना ज़्यादा अच्छा होगा, वो भी बताएं।
परीक्षा
के दिन पूरी तैयारी के साथ भेजें-अगर
परीक्षा के दिन बच्चा हॉल टिकेट, पेन या कुछ अन्य
जरूरी सामग्री भूल जाता है, तो उसे तनाव हो जाता है। इसी वजह
से बच्चे को परीक्षा के दिन स्कूल भेजते समय सभी जरूरी सामग्री देकर भेजें। साथ ही
उसे अतिरिक्त पेन रखने की भी सलाह दें और घर से निकलने से पहले सारी चीजों को
दोबारा चेक कर लें कि बच्चे ने सबकुछ सही से रखा है या नहीं।
सकारात्मक
बातें करें-सकारात्मक
बातें करने से बच्चे को परीक्षा के दौरान प्रेरणा मिल सकती है। इस समय उन्हें
नकारात्मक बातें करने वालों से दूर रखना चाहिए। इससे वे डिमोटीवेट हो सकते हैं।
साथ ही उनपर अपनी किसी भी तरह की इच्छाएं और अपेक्षाएं न थोपें और न ही कहें कि
तुम 90 प्रतिशत मार्क्स लेकर आना या ऐसा कुछ भी। इससे बच्चे
के दिमाग में प्रेशर पड़ने लगता है।
पढ़ाई
के समय मोबाइल को दूर रखें-परीक्षा हो या सामान्य दिन अगर कोई
मोबाइल का इस्तेमाल करता है, तो उसका अधिक समय उसी
में बीत जाता है। ऐसे में बच्चे को परीक्षा करीब आते ही मोबाइल से दूर रहने की
सलाह दें। हां, अगर वो ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है, तो उसे पढ़ने के समय तक ही मोबाइल दें। उसमें गेम खेलने और वीडियो देखने
की सख्त मनाही करें।
घर का
माहौल शांत रखें-परीक्षा
के दौरान अगर किसी के घर में शोर-शराबा या किसी तरह के लड़ाई-झगड़े होते हैं, तो इससे पढ़ाई में मन नहीं लगता है। साथ ही घर वालों के झगड़े के कारण बच्चे
को ज़्यादा तनाव हो सकता है, जो परीक्षा के तनाव को भी बढ़ाने
का काम करता है। ऐसे में परीक्षा के समय हमेशा घर के माहौल को शांत रखें।
परीक्षा में
अच्छे नंबरों से पास होना हर कोई चाहता है। कई बार कुछ बच्चे पूरी मेहनत करने के
बाद भी अपेक्षा के अनुसार नंबर नहीं ला पाते। इसका एक कारण परीक्षा का तनाव भी हो
सकता है। ऐसे में माता-पिता और बच्चों को परीक्षा का तनाव कम करने की दिशा में कदम
उठाना चाहिए।
परीक्षा के समय होने वाले अपने तनाव को बच्चे स्वयं कैसे दूर करें?
योग-मन को
पॉजिटिव और शांत रखने के लिए योग करें। इसके लिए धीमी गति से गहरी सांस लें और 1-2 सेकंड तक सांस रोक कर रखें। धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
हर दिन करें पढ़ाई-तनाव
को हराने के लिए ज़रूरी है कि विद्यार्थी अपने स्कूल की पढ़ाई, असाइनमेंट और कोर्सवर्क में टॉप में रहें। उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देना
चाहिए और आगामी परीक्षा नहीं होने पर भी अध्ययन के समय को अपने दैनिक कार्यक्रम का
हिस्सा बनाना चाहिए। उनका उचित अध्ययन कार्यक्रम होना चाहिए और उन्हें उसका पालन
करना चाहिए। पढ़ाई के साथ अप-टू-डेट रहने से छात्रों को तनाव-मुक्त तरीके से सीखने
में मदद मिलेगी।
समय
प्रबंधन करें-छात्रों
को यह भी सीखना चाहिए कि समय का सही प्रबंधन कैसे करें। तनाव मुक्त जीवन जीने के
लिए उन्हें समय प्रबंधन तकनीकों को अपनाना चाहिए।बहुत से छात्र अपनी पढ़ाई, शैक्षणिक कार्य या अन्य गतिविधियों में विलंब करते हैं, जिससे काम का ढेर लग जाता है और उन पर बोझ / तनाव बढ़ जाता है। इसलिए,
अनावश्यक तनाव से बचने सभी काम समय पर पूरे करने चाहिए।
मेडिटेशन
करें-विद्यार्थियों को तनाव से दूर रहने के
लिए मेडिटेशन करना चाहिए। इससे उनका फोकस बढ़ता है। और वे किसी काम को बिना तनाव
के आराम से पूरा कर सकते हैं। वे चाहे तो अपनी मनपंसद हॉबी के लिए कुछ समय निकाल
कर तनाव मुक्त रह सकते हैं।
पर्याप्त
नींद लें, स्वस्थ भोजन खाएं-विद्यार्थियों को यह भी
सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एक स्वस्थ दिनचर्या का पालन कर रहे हैं। उन्हें तनाव
कम करने के लिए पर्याप्त आराम मिलना चाहिए। हर दिन कम से कम 6-7 घंटे सोना चाहिए। स्वस्थ भोजन करना और जितना हो सके जंक फूड से दूर रहें।
परिवार
या दोस्तों के साथ समय बिताएं-पढ़ाई
के दौरान यदि आप ज़्यादा तनाव महसूस करते हैं तो आपको ऐसे व्यक्ति से बात करनी
चाहिए जिस पर आप तनाव को दूर करने के लिए भरोसा करते हैं। अंदर ही अंदर तनाव
विकसित करने से अच्छा है कि आप अपने विचारों को बाहर आने दें। कभी-कभी, परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताना तनाव के स्तर को कम करने में मददगार
होता है।
बनाएं स्टडी प्लॉन-अमूमन माता−पिता बच्चों से सिर्फ पढ़ाई
की ही बात करते हैं, जिससे बच्चा परेशान हो जाता है।
यकीनन इस समय बच्चों को अतिरिक्त पढ़ाई करने की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप एक स्टडी प्लॉन बनाएं। मसलन, बच्चा पूरे दिन में कितनी देर पढ़ाई करेगा और उसके कितनी देर का ब्रेक
लेना है। एक बार में वह कितने पार्ट को कवर करेगा, इन सब की
प्लानिंग पहले ही कर लें। इस तरह जब आप पहले से ही सारी प्लानिंग कर लेंगी तो इससे
बच्चों का भी तनाव कम होगा।
अंत में, यही कहना चाहूंगी कि
तनाव हमें लक्ष्य तक पहुंचने नहीं देता, हम उसी में उलझ जाते
हैं। इसलिए तनाव को दूर करके केवल बोर्ड की परीक्षा में ही नहीं, जीवन की प्रत्येक परीक्षा में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
मीता गुप्ता
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