सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव
सोशल मीडिया का सही उपयोग किसी वरदान से कम नहीं, लेकिन
इसका असंयमित प्रयोग हमारे अंदर कई तरह की मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकता है। इस
कारण युवाओं में चिड़चिड़ापन, नींद न आना, चिंता, तनाव, अवसाद, छोटी-छोटी बात में गुस्सा आ जाना जैसी अनेक मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो
रही हैं। सोशल मीडिया का सही सदुपयोग किया जाए, तो यह सरकार
और जनता की आंखें खोलने का एक मजबूत प्लेटफॉर्म है। किन्तु ऐसा नहीं हो रहा है।
इसका बहुत से लोग दुरुपयोग कर रहे हैं, जिसके दुष्परिणाम आम
लोगों को अफवाहों के रूप में भुगतने पड़ रहे हैं। हर उपयोगकर्ता ठीक नहीं होता। आज
के दौर में सोशल मीडिया का इस्तेमाल सामान्य बात हो चली है। इसे जरूरत मान लिया
गया, लेकिन इसके नुकसानों से रूबरू होना भी जरूरी है। एक
हालिया अध्ययन के जरिए सिडनी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया के
इस्तेमाल के करीब पचास हानिकारक प्रभाव हैं। यह सभी प्रभाव सिर्फ मानसिक सेहत से
जुड़े नहीं हैं, बल्कि हमारे काम करने की क्षमता भी इनसे
प्रभावित हो रही है।
सिडनी की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने फेसबुक, ट्विटर
और इंस्टाग्राम जैसी साइटों के उपयोग से जुड़े 46 हानिकारक
प्रभावों की जानकारी दी है। इनमें से चिंता, अवसाद, परेशान किया जाना, आत्महत्या के लिए उकसाने वाले
विचार, साइबर स्टॉकिंग, अपराध, ईर्ष्या, सूचना अधिभार और ऑनलाइन सुरक्षा की कमी है
आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार कुल मिलाकर सोशल मीडिया शारीरिक और मानसिक
स्वास्थ्य के लिए तो समस्या पैदा करने वाला है ही, साथ ही यह
नौकरी और शैक्षणिक प्रदर्शन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा सोशल
मीडिया के कारण लोग सुरक्षा और प्राइवेसी की चिंता से भी परेशान रहते हैं।
सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों की अनदेखी हुई
शोधकर्ताओं
का कहना है कि अब तक सोशल मीडिया नेटवर्क पर हुए अध्ययनों में उनके फायदों पर
ध्यान केंद्रित किया गया है, इस कारण इसके नकारात्मक प्रभावों की अनदेखी
की गई है। यह अध्ययन ऑनलाइन सोशल नेटवर्क का उपयोग करने के तथाकथित ‘काले पक्ष’ पर
मौजूदा सीमित काम पर आधारित है। यह ऑनलाइन सोशल नेटवर्क के सकारात्मक प्रभावों के
साथ ही नकारात्मक प्रभावों को स्पष्ट करता है। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 2003 से 2018 तक प्रकाशित करीब 50
अध्ययनों की समीक्षा की। 2003 में सोशल मीडिया अपनी
प्रारंभिक अवस्था में था। सोशल मीडिया के 46 हानिकारक
प्रभावों में प्राइवेसी का उल्लंघन, धोखाधड़ी, घबराहट, आर्थिक जोखिम आदि भी पाए गए। यूनिवर्सिटी ऑफ
टेक्नोलॉजी सिडनी में प्रमुख शोधकर्ता लैला बोरून का कहना है कि सोशल मीडिया के
नकारात्मक प्रभाव सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित नहीं हैं। इनमें ईर्ष्या,
अकेलापन, चिंता और कम आत्मसम्मान, दुर्भावना जैसे नकारात्मक प्रभाव भी शामिल हैं।
नकारात्मक
प्रभावों को छह श्रेणियों में बांटाः
शोधकर्ताओं
ने कुल मिलाकर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को छह समूहों में बांटा- ‘कॉस्ट
ऑफ सोशल एक्सचेंज’,
‘गुस्सा दिलाने वाला कंटेंट’, ‘निजता संबंधी
चिंताएं’, ‘सुरक्षात्मक खतरे’, ‘साइबरबुलिंग’
और ‘प्रदर्शन पर असर’। कॉस्ट ऑफ सोशल एक्सचेंज में मनोवैज्ञानिक नुकसान जैसे कि
अवसाद, चिंता, ईर्ष्या और समय, ऊर्जा और पैसे की बर्बादी आदि शामिल हैं। गुस्सा दिलाने वाले कंटेंट में
हिंसात्मक और नफरत फैलाने वाला कंटेंट साझा करने वाले यूजर शामिल हैं।
प्राइवेसी
की चिंता में किसी तीसरी पार्टी द्वारा निजी जानकारी के दुरुपयोग की चिंता शामिल
है। सुरक्षात्मक चिंता में धोखाधड़ी का खतरा और साइबरबुलिंग में दुर्व्यवहार, झूठ,
स्टॉकिंग, अफवाह आदि शामिल हैं। इसके अलावा
छठी श्रेणी में सोशल मीडिया के इस्तेमाल से काम के प्रदर्शन में होने वाली कमी आती
है। शोधकर्ता अब उन कारकों की जांच कर रहे हैं, जो सोशल
मीडिया की लत को प्रभावित करते हैं। एक ऐसी टेस्ट एप्लीकेशन विकसित की जाएगी जो
सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सके।
दुष्परिणाम-
मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं बच्चे
सोशल
मीडिया का घातक दुष्प्रभाव भी नजर आ रहा है। जहां सोशल मीडिया आज के समय में
मनुष्य की आवश्यकता बन गया है, वहीं इसके दुष्परिणाम भी बहुत दिख रहे है।
व्यक्ति सोशल मीडिया की वर्चुअल दुनिया में जकड़ा हुआ है। इसकी वजह से परिवारों का
विघटन, पति-पत्नी में आपसी कलह तक के मामले सामने आ रहे हैं।
बच्चे अब मैदान में खेलने की बजाय मोबाइल पर खेल रहे हैं। बच्चे सोशल मीडिया के
कारण मानसिक रूप से बीमार हो रहे है।
विकृत मानसिकता का जन्म
सोशल
मीडिया का वर्तमान समय में बहुत ज़्यादा दुरुपयोग हो रहा है। कई प्रकार के विदेशी
वीडियो गेम से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सोशल मीडिया बच्चों में गुस्से
और तनाव का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। सोशल मीडिया के दुष्परिणाम के रूप में
विकृत मानसिकता उभर कर सामने आई है। इससे अपराध भी बढ़ रहे हैं।
भ्रमित हो रहे हैं युवा
सोशल
मीडिया से साइबर बुलिंग,
हैकिंग, हेट स्पीच, डेटा
चोरी, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अपराधों का खतरा बढ़ता जा रहा
है। बिना किसी जांच-पड़ताल के अधिकांश मुद्दों को जाति, धर्म,
संप्रदाय में बांट कर वास्तविकता और संविधान की मूल भावना को
दरकिनार करके असभ्य और अमर्यादित भाषा में टिप्पणी करने लगते हैं । देश और समाज के
प्रति अपना दायित्व भी टिप्पणी करके निभा लेते हैं । विशेषकर युवा किताबों से दूर
होकर प्रायोजित खबरों से पर भ्रमित हो रहे हैं।
बढ़ रही हैं बीमारियां
सोशल
मीडिया के अत्यधिक उपयोग,
लंबी चैटिंग, कपोल कल्पित दुनिया में विचरण से
अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं। सोशल मीडिया पर गेम्स में उलझी हुई युवा पीढ़ी
अपना बहुमूल्य समय नष्ट कर रही है। सोशल मीडिया में अश्लीलता की भरमार हो गई है ।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि सोशल मीडिया के निरंतर प्रयोग से
स्नायु तंत्र की बीमारियां तेजी से बढ़ रही है।
सोशल
मीडिया युवाओं को अवास्तविक जगत का हिस्सा बना देता है। हर वर्ग ऑनलाइन धोखाधड़ी
का शिकार हो रहा है। सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए युवाओं को जागरूक
करना बेहद जरूरी है। उन्हें जानना होगा कि सोशल मीडिया के बाहर भी एक दुनिया है।
वास्तविकता से दूर
सोशल
मीडिया युवाओं को कहीं न कहीं अवास्तविक जीवन शैली की तरफ धकेल रहा है। लोगों को
सोशल अकाउंट वास्तविक जीवन से अधिक महत्वपूर्ण लगने लगे हैं। ख़ुशी यो या गम, हर बात
सोशल मीडिया के माध्यम से जाहिर करने की मानसिकता युवाओं को वास्तविक जीवन से दूर
ले जा रही है।
फर्जी खबरों का बढ़ता जाल
सोशल
मीडिया का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह हैं कि इसमें लगातार साझा हो रही फर्जी खबरों, जानकारियों
का जाल बहुत घना होता जा रहा हैं। तथ्यों को बिना समझे जानकारियों, खबरों को एक-दूसरे को साझा कर देना इसका मुख्य कारण है। सोशल मीडिया पर
कुछ भी साझा करने से पहले आवश्यकता थोड़ा सोच लेना चाहिए।
नकारात्मक प्रभाव
सोशल
मीडिया की वजह से युवा पीढ़ी सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रही है। सोशल मीडिया ने आज
की युवा पीढ़ी को नई पहचान देने के साथ पूरी दुनिया से जुडऩा सिखाया है। सोशल
मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म के उपयोग का नशा युवाओं के सिर चढ़ बोल रहा है। इनका
युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव अधिक हो रहा है। सोशल मीडिया पर अपनी हर जानकारी को
शेयर करने से वे वास्तविक जीवन से दूर होते जा रहे हैं। सोशल मीडिया का अधिक उपयोग, उन्हें
डिप्रेशन का शिकार भी बना रहा है।
बढ़ रहा है डिप्रेशन
सोशल
मीडिया के कारण मानसिक रूप से बीमारों की संख्या बढ़ रही है। लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी
के शिकार हुए हैं। डिप्रेशन की बीमारी भी भी बढ़ रही है।
जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते
हैं, वैसे ही सोशल मीडिया के लाभ-हानि दोनों हैं। ज़रूरत इस बात की है कि हम
सतर्क होकर इसका उपयोग करें, क्योंकि यदि यह लत बन गया, तो यह इतना नुकसान कर जाएगा कि हमें हाथ मलते ही रह जाएंगे ।
मीता गुप्ता
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